STORYMIRROR

Dr Sushil Sharma

Tragedy

3  

Dr Sushil Sharma

Tragedy

दाखिला

दाखिला

3 mins
643

रामदीन अपने 4 साल के पोते के साथ एक बड़े प्राइवेट स्कूल के प्रिंसिपल ऑफिस के सामने खड़ा था। साहब प्रिंसिपल साहब से मिलना था।" उसने चपरासी से कहा।

"क्यों क्या काम है "चपरासी ने उससे सपाट लहजे में पूछा।

"जी बच्चे का दाखिला कराना था। "रामदीन ने विनयवत होकर कहा।

"यहाँ सीट खाली नहीं हैं दादाजी और बहुत पैसे लगते हैं किसी सरकारी स्कूल में दाखिला ले लो। "चपरासी ने सुझाव दिया।

"जी उन एक साहब ने यह फॉर्म दिया था और कहा था उस स्कूल के बड़े साहब से मिल लेना। "रामदीन ने RTE के तहत गरीब बच्चों का सरकारी स्कूल में दाखिले का फॉर्म चपरासी को दिखाया।

चपरासी उस फॉर्म को लेकर अंदर गया थोड़ी देर में बाहर आकर बोला "जाओ साहब बुला रहे हैं।"

रामदीन ने जूते बाहर उतारे और डरता हुआ बच्चे की कलाई पकड़े अंदर गया। उस स्कूल की भव्य बिल्डिंग को बच्चा बड़ी उत्सुकता से देख रहा था। अंदर रामदीन एक कोने में खड़ा हो गया।

प्रिंसिपल ने फॉर्म को देखा और गरीब रामदीन और मैले कुचैले कपडे पहने उसके पोते को देखा।

"देखो तुम्हारा दाखिला तो हो जायेगा फीस भी माफ़ हो जाएगी पर तुम क्या बाक़ी का खर्च उठालोगे जैसे तीन ड्रेस हैं, किताबें और भी स्कूल की अन्य फीस। "प्रिंसिपल ने रामदीन से पूछा।

"जी कितना होगा। "रामदीन ने डरते हुए पूछा।

"यही कोई पाँच हज़ार के आसपास वैसे इस स्कूल में तो पचास हज़ार से नीचे खर्च होता नहीं हैं लेकिन सरकार अब गधों को घोड़ा बनाने पर तुली ही है तो मौज ले ही लो "प्रिंसिपल की इस बात पर वहां बैठे स्टाफ के लोग हँसने लगे।

"साहब ये तो बहुत ज्यादा है इतना हम कैसे करेंगे ? हम से तो साहब ने कहा था यहाँ कोई पैसा नहीं लगेगा। "रामदीन ने रिरियाते हुए कहा।

"डिसगस्टिंग लुक हाउ डर्टी दिस बॉय इज ? हाऊ कैन ही एडजस्ट विथ क्लास मैट्स ?" प्रिंसिपल ने अपने स्टाफ की और मुखातिब होते हुए कहा।

"सर आई हैव अ सजेशन , एड्मिशन शुड वी गिभन एंड टेल हिम ही नीड नॉट टू कम टू स्कूल। "एक टीचर ने सुझाव दिया।

'गुड सजेशन" प्रिंसिपल ने कहा।

सुनो दादाजी हम आपके बच्चे का दाखिला कर रहें हैं और आपके कोई पैसे भी नहीं लगेंगे साथ ही बच्चे को स्कूल आने की आवश्यकता नहीं है। "प्रिंसिपल ने मुस्कुराते हुए कहा।

लेकिन साहब वो पढ़ेगा कैसे जब स्कूल नहीं आएगा तो। "रामदीन ने हकलाते हुए कहा।

"वो पास के सरकारी स्कूल में उसे बिठाते रहना में वहां के मास्टर से बात कर लूँगा। " प्रिंसिपल ने रामदीन को पुचकारते हुए कहा।

"उसे हम पास कर देंगे कोई दिक्कत नहीं होगी। उसकी उपस्थिति भी लगती रहेगी, आपके काम में भी वो हाथ बटा देगा साथ ही सरकारी स्कूल में दोपहर का भोजन भी मिलेगा। "प्रिंसिपल ने रामदीन को लालच दिया।

रामदीन ने भी सोचा चलो इतने बड़े स्कूल में पोते का दाखिला हो रहा है पैसे भी नहीं लग रहे और बच्चे को स्कूल से भी छुट्टी मिल रही है और क्या चाहिए।"

रामदीन एक बहुत बड़े स्कूल में ख़ुशी ख़ुशी बच्चे का दाखिला करा कर घर लौट गया।

प्रिंसिपल ने सरकारी स्कूल के हेडमास्टर को फोन लगाया। "मास्टरजी एक बच्चे को जरा कक्षा में बिठा लेना उसका दाखिला यहाँ है लेकिन बैठेगा आपके यहाँ जो भी होगा आप बता देना वैसे भी आपके स्कूल की दर्ज संख्या घट रही है इसी बहाने स्कूल में बच्चे तो दिखेंगे।"

"जी महोदय बिठा लूँगा, मेरे भाई की बेटी को आपके स्कूल में एड्मिशन चाहिए ही ही ही। हो जायेगा न। "हेडमास्टर साहब ने हँसते हुए कहा।

'भेज देना मैं देख लूँगा।" प्रिंसिपल ने मुस्कुराते हुए फोन काट दिया।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy