दाग

दाग

1 min
732


आसमान की छाती चीरकर बेतहाशा शहर की ओर उड़ते गिद्धों के झुंड को देखकर क्षितिज पार से झूमते आते मेघों के झुंड ने धड़कते हुए दिल से पूछा,

“क्या आज फिर दंगा हुआ है शहरों में...?”

“अभी हुआ तो नहीं पर शुरू होने ही वाला है, शीघ्र चलो तुम सब भी और आज टूटकर बरसना ...दाग़ जो धोने हैं तुम्हें, ख़ून और आँसू दोनों को ही आज तुम्हारी बहुत ज़रूरत होगी...!”


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy