दादी के संग होली
दादी के संग होली
इक किस्सा बताती हूँ अपने बचपन का।
मेरी दादी को होली खेलना बिल्कुल पसंद नहीं था पर हम बच्चों ने ठानी थी कि दादी को रंग कर रहेंगे। फिर हम बच्चों जलने वाली होली की रात जब दादी सो गई उनके चेहरे पर रंग लगा दिया और सब सो गए। फिर मैंने दादी के उठने से पहले उनके हथेली पर गीला काला रंग लगा दिया।
दादी की इक आदत थी वो सुबह आँखे खोलने से पहले दोनों हथेली को आपस में रगड़ती है और अपने चेहरे पर लगाती है। उस दिन भी उन्होंने यही किया और उनका चेहरा पूरा काला हो गया। फिर जब उन्होंने अपना चेहरा आईने में देखा तो वो भूत-भूत चिल्लाने लगी। सारा घर इकट्ठा हो गया। पहले तो दादी को देखकर सब खूब हँसे फिर दादी से कहा ये आप ही हो। फिर दादी ने हम सब बच्चों की पिटाई लगाई वो अलग।