सुनीता और परी
सुनीता और परी
सुनीता बहुत ही मेहनती थी । हमेशा दूसरों कि मदद करती थी। वह अपने पति के साथ गांव में रहती थी। उसका पति हमेशा अपने काम में व्यस्त रहता था ।उसके पास सुनीता के लिए समय नहीं था और न वह सुनीता को प्यार करता था।
एक दिन सुनीता चली जा रही थी तो रास्ते में उसे एक परी मिली जो घायल थी। सुनीता ने उसकी मदद की और परी ठीक हो गई। परी ने सुनीता से ३ इच्छाएं प्रकट करने को कहा। उसने यह भी कहा कि एक दिन में एक ही इच्छा पूर्ण हो सकती है। इसे सुनते ही सुनीता ने मना कर दिया। तब परी ने कहा, "तुमने मेरी मदद की है इसलिए मैं तुम्हारी इच्छाएं पूर्ण करना चाहती हूँ पर जो भी तुम मांगोगी तुम्हारे पति को दस गुना मिलेगा"। उसने कहा ,"मैे चाहती हूं कि मैं अपने पति से प्यार करूं"। परी ने कहा "ठीक है,कल मैं तुम्हारे घरआऊंगी, दूसरी इच्छा सोच कर रखना"। सुनीता ने कहा,"ठीक है ",और घर चली गई।
सुनीता जब घर पहुंची तो उसका पति उसका इंतजार कर रहा था। उसका पति उसे ढेर सारा प्यार करने लगा। दूसरे दिन परी सुनीता के घर आई तो सुनीता ने गेट खोला । परी ने इच्छा के लिए बोला तो सुनीता ने कहा,"मुझे अपने पति का प्यार मिल गया अब मुझे और कुछ नहीं चाहिए"। परी ने पूछा,"में बाकि इच्छाओं का क्या करूं?"तो सुनीता ने कहा, " किसी और को दे दो"।
सीख - जब हम कुछ अच्छा करते हैं तो हमेशा अच्छा होता है।