दादी के क़िस्से..
दादी के क़िस्से..
दुनिया में बहुत कम होंगे जिनको मेरी तरह दादी का प्यार मिला हो ! मेरी दादी मेरी माँ से भी ज़्यादा प्रेम करती थी।
रोज शाम को उनके पास लेटना और क़िस्से सुनना मेरी आदत हो गयी थी।
पीठ मेरा खुजलाते वो कभी थकती नहीं थी उनकी तमाम कहानियों और किस्सों में हमें आज भी एक दोस्ती के उपर बतायी कहानी याद है।
एक ऊंट और एक सियार की दोस्ती की कहानी जो समाज को प्रेरित करनें का काम करती है।
ऊंट और सियार में गहरी दोस्ती थी दिन भर घूमकर वे खानें की टोह लगाते फिर रात में दोनों साथ जाकर खाते थे।
एक दिन सियार नदी के उस पार खेत में खरबूज लगा देखा फिर क्या आया ऊंट के पास और सारी बात बतायी
रात भी हो गयी दोनों पहुंच गये नदी के किनारे। पानी का बहाव तेज था सियार पार नहीं हो सकता था। उसने ऊंट से बोला भाई हमें अपनी पीठ पर बैठाकर नदी पार करा दो। ऊंट ने दोस्त की बात मान ली दोनों नदी पार हो गये..
आगे-आगे सियार पीछे ऊंट दोनों चलकर खेत में पहुंचे।
सियार का पेट छोटा जो जल्दी से भर गया
फिर उसने अपने स्वभाव बस ऊंट से बोला भाई देख अब मुझे हुँआस लगी है ऊंट डर गया बोला थोड़ी देर रुक जाओ हम भी तो खा लें पेट भरकर।
सियार ने एक भी नहीं सुनी हुँआस करने लगा..
किसान खेत में ही सोया था उसके आते ही सियार वहाँ से भाग गया ऊंट बेचारा दौड़ भी नहीं सकता था।
किसान ऊंट को मारते-मारते नदी तक छोड़ गया..
दुखी मन से ऊंट नदी में घुसा उधर द्रुपका सियार भी आ गया बोला भाई हमें भी पार ले चलो..
अनमने ऊंट ने फिर सियार को अपनी पीठ पर बैठाया
और ज्यों ही बीच मझधार में ऊंट पहुंचा बोला ठीक से पकड़ लो अब हमें लोटास लगी है सियार दरनें लगा और पार पहुंचानें की प्रार्थना करने लगा।
मगर ऊंट ने एक भी बात नहीं मानी और लगा पानी में लोटनें..
सियार दब कर पानी में बह गया ऊंट अकेले घर अपने वापस आ गया..!
दादी के इस क़िस्से से सीख मिली कि दोस्ती सदैव बराबरी में करनी चाहिए..
दोस्त के साथ कभी धोखा नहीं करनी चाहिए..
अंत की सार यही इस कहानी की है कि.
" सठे साठयम् समाचरेत.."
जो जैसा व्यवहार करे उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए..!