Shiv kumar Gupta

Abstract Fantasy Inspirational

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Shiv kumar Gupta

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बुराई का अंत

बुराई का अंत

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एक सांप बड़ा दुष्ट था सभी पशु पक्षी उससे बहुत परेशान थे क्योंकि वह किसी के छोटे बच्चों किसी के अंडों को खा जाता था।

भयंकर विषधर होने के कारण कोई उसका कुछ बिगाड़ नही पता था। एक दिन एक बाज ने उसे पकड़ लिया और वह बाज उस सांप को पंजो में दबाकर आसमान पे ले कर उडा जा रहा था..

अचानक पंजे से सांप छूट गया और कुवें मे गिर गया बाज़ ने बहुत कोशिश की अखिर थक हार कर चला गया..

सांप ने देखा कुवें मे बड़े साईज़ के बहूत सारे मेढक मौजूद थे..

अखिर उसने एक मेढक को बुलाया और कहा मैं सांप हूँ मेरा ज़हर तुम सब को पानी मे मार देगा..

ऐसा करो रोज़ एक मेढक तुम मेरे पास भेजा करो, वह मेरी सेवा करेगा और तुम सब बहुत आराम से रह सकते हो..

पर याद रखना एक मेढक रोज़ रोज़ आना चाहिए.. एक एक कर के सारे मेढकों को सांप खा गया..

जब अकेले प्रधान मेढक बचा तब सांप चबूतरे से उतर कर पानी मे आया और बोला प्रधान जी आज आप की बारी है

प्रधान मेढक ने कहा मेरे साथ विश्वास घात ? सांप बोला जो अपनो के साथ विश्वास घात करता है उसका यही अंजाम होता है।

फिर उसने प्रधान जी को गटक लिया।

कुछ देर के बाद साँप आहिस्ता आहिस्ता कुवें के ऊपर आ कर चबूतरे पर लेट गया। तभी एक बाज़ ने आ कर साँप को दबोच लिया..

और साँप से बोला- पहचान साँप मुझे मैं वही बाज़ हूँ जिसके बच्चे तूने पिछले साल खा लिये थे..

और जब तुझे पकड़ कर ले जा रहा था तब तू मेरे पंजे से छूट कर कुवें मे जा गिरा था.

तब से मैं रोज़ तेरी हरकत पर नज़र रखता था.. आज तू सारे मेढक खा कर काफी मोटा हो गया

मेरे फिर से बच्चे बड़े हो रहे है वह तुझे ज़िंदा नोच नोच कर अपने भाई बहनो का बदला लेंगे..

फिर बाज़ साँप को लेकर उड़ गया अपने घोसले की तरफ..

बुराई एक दिन हार जाती है वह चाहे कितनी भी ताक़तवर हो..!!


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