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Prabodh Govil

Drama

4  

Prabodh Govil

Drama

बसंती की बसंत पंचमी- 29

बसंती की बसंत पंचमी- 29

2 mins
180

जॉन जैसे ही घर के भीतर आया, मम्मी के तेवर देख कर बौखला गया। श्रीमती कुनकुनवाला ने उसे कुछ सोच पाने या छिपा पाने का मौक़ा ही नहीं दिया। उसे देखते ही उस पर पिल पड़ीं।

बोलीं- सच- सच बता, ये क्या चक्कर है, कौन हैं ये लोग? और तू किस बात के पैसे दे रहा है इन्हें। तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझसे झूठ बोलने की और मेरी सारी फ्रेंड्स को उल्लू बनाने की? शर्म नहीं आती तुझे। ये रुपए की हेराफेरी का क्या लफ़ड़ा है? कहां से आए तेरे पास इतने रुपए? और तूने मुझसे सफ़ेद झूठ बोल दिया कि सब आंटियों ने दिए हैं। बिना बात के सबसे मेरी भी लड़ाई करवा दी। दुष्ट कहीं का? आने दे आज तेरे पापा को, मैं उन्हें सब बताती हूं। वो ही अच्छी तरह खबर लेंगे तेरी तो...

जॉन मॉम के धाराप्रवाह भाषण पर खड़ा - खड़ा हंसता रहा। फ़िर उनके चुप होते ही आकर उनसे लिपट गया।

बोला- सॉरी बोला न मॉम! मैंने कहीं कोई लफ़ड़ा नहीं किया है। अभी बताता हूं आपको सब कुछ सच - सच।

जॉन फ़िर बोला- ये जो प्रोड्यूसर और डायरेक्टर बन कर हमारे घर आए थे, ये तो मैंने ही बुलाए थे, एक छोटा सा मज़ाक करने के लिए।

- छोटा सा मज़ाक? नालायक, तुझे पता भी है कि तेरे मज़ाक के कारण मेरी कितनी हेठी हुई है? सारी फ्रेंड्स हंस रही हैं मुझ पर...

- डोंट वरी मॉम! वो क्या हंसेंगी तुम पर, देखना मैं और तुम ही हसेंगे उन सब पर!

- क्या? फ़िर कोई नया चक्कर चलाया क्या तूने? हम क्यों हंसेंगे उन पर? बेचारी मेरी बात पर यकीन करके ही तो यहां आई थीं। क्या किया अब? सच- सच बता?

पहले तो ये बता, ये दोनों लफंगे थे कौन जो बड़े बढ़- चढ़ कर फ़िल्म की कहानी सुना रहे थे?

जॉन हंसते हुए ही बोला- मम्मी प्लीज़! सुनो तो।


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