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सागर जी

Tragedy

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सागर जी

Tragedy

बरसात की भयानक रातें

बरसात की भयानक रातें

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यह लेख उत्तराखंड के नैनीताल जिले में 2021 में आई भयानक बारिश के संबंध में लिखा गया है । बारिश, सुनकर पानी की गिरती हुई बूंदें, पत्तों पर, पेड़ों पर, फूलों पर, घरों की छतों पर, पहाड़ों, मैदानों पर । देखकर, कल्पना कर, कितना आनंद मिलता है ! जी करता है कि इस बारिश में भीगते रहें, बस भीगते ।

    वास्तव में बारिश का भी एक अलग ही आनंद होता है, भीगने में आनंद आता है और देखने में भी । जब हम छोटे थे तो काग़ज़ की नाव बनाकर, पानी की धारा में बहाया करते थे, कभी नांव बहुत दूर तक जाती थी कभी पहले ही अटक जाती थी, रुक जाती थी । उन दिनों बारिश से उतना डरना लगता था जितना आज लगने लगा है । लोग कच्चे मकानों, झोपड़ों में रहते थे, छतों से पानी टपकता रहता था, टपकने वाली जगह पर बाल्टी, मटके, डब्बे आदि लगाकर दिन-रात कट जाया करते थे, लेकिन उतना डर ना लगता था जितना आज लगने लगा है ।

    बारिश तो पहले भी होती थी, कई - कई दिनों तक होती थी, लेकिन इन दो दिनों की बारिश ने इतनी तबाही मचा दी है कि अब बारिश से बेहद डर लगने लगा है । हर तरफ पानी ही पानी है । नदियां, घरों से कई - कई किलोमीटर दूर है लेकिन उसकी भयानक आवाज़ें इतना डर पैदा कर रही है कि बताना मुश्किल है । यह भय रात को और बढ़ जाता है खासकर उनके लिए जो नदियों के आस - पास निवास करते हैं के बाढ़ कब बाढ़ आ जाए और सब कुछ बहा कर ले जाए ।

    बारिश तो पहले भी होती थी लेकिन अबकि बारिश को देखकर ऐसा लगता है कि प्रलय ला देगी । रातें जाग-जाग कर कट रही है । कभी सनम की याद में रातें जागकर कटती थी अब इस भय में कि कब मकान की छत गिर जाए, कब दीवार ढह जाए, कब बादल फट जाए और सब कुछ बहा कर ले जाए । बहुत भयानक रातें हैं, किस पल क्या हो जाए कहा नहीं जा सकता । एक तरफ पहाड़ से पत्थर गिर रहे हैं और दूसरी तरफ नदियां उफन रही है, क्या किया जाए ! कई - कई जगहों पर तो लोग अपने घरों को छोड़कर स्कूलों में शरण ले रहे हैं आगे क्या होगा कोई ख़बर नहीं । बारिश तो पहले भी होती थी लेकिन इस 2 दिन की  बारिश ने इतनी अस्त - व्यस्तता फैला दी है कि बयां करना मुश्किल है । लाइट नहीं है, टीवी - मोबाइल बंद है । कुछ - कुछ मोबाइलों से लोग एक - दूसरे की ख़बर ले रहे हैं । लोग ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि उनकी रक्षा करें । दिन को चैन नहीं है रातों को नींद नहीं आ रही, कि बारिश से कब, किसका मकान ढह जाए । रातें बेहद भयानक है ऐसी भयानक की मानव असहाय हो गया है और बारिश थमने का इंतजार कर रहे हैं, धूप आने का इंतजार कर रहे, मगर क्या करें यह बारिश है कब थमेगी ये ही जाने । ईश्वर से प्रार्थना है कि संपत्ति का नुकसान तो सह लेंगे लेकिन जान का नुकसान ना हो, सब सुरक्षित रहे । इन भयानक रातों से दोबारा कभी सामना ना हो । 

बारिश तो पहले भी होती थी लेकिन यह दो दिन की बारिश .....................!


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