ब्लडी लवर्स ( पार्ट 2 )
ब्लडी लवर्स ( पार्ट 2 )
नहीं..नहीं...तुम लोग..ये हकीकत नहीं हो सकता..दूर रहो..मुझसे दूर...चिल्लाते हुए कर्णिका चींखते हुए उठी..।उसकी साँसों की ओर धड़कनों की रफ्तार तेज थी, पसीने से भरे चेहरे से वो हांफ रही थी...हलक सुख चुका था पानी की तलब लगी थी...पर जबान से कुछ बोल नहीं पा रही थी..।
कार्णिका तुझे क्या हो गया...बुरा सपना देखा क्या...छाया उसके पास कंधे पर हाथ रख कर बोली..।
कर्णिका ने छाया के सामने देखा फ़िरं अपने कमरे में...सुबह हो चुकी थी खिड़की से सूरज की किरने आ रही थी..रात को जो कमरे का नजारा , कमरा अभी वैसा नहीं था..।
कर्णिका उठ गई और कमरे के चारो ओर घूमते हुए...ये..ये कैसे हुआ वो सब कहा गये..ओर वो भेड़ वो खून..
छाया उसके पाया जा कर फर्श पर देख फिर कर्णिका को देखते हुए...क्या ढूंढ रही है और कौन लोग किस की बात कर रही है तू।
कर्णिका छाया के चेहरे की ओर देख कर अपने मन मे...( क्या..वो सब एक सपना था क्या नसे की वजह से में ज्यादा सोच रही हु, पर वो सब हकीकत की तरह ही था..)
कर्णिका....छाया ने उसे कंधे से हिलाते हुए जोर से कहा...तो कर्णिका अपने खयालो से बाहर आई..।
हा..हा...कुछ नहीं मुझे क्या होगा...कर्णिका ने छाया से कहा और किचन की तरफ चली गयी और पानी पीते हुए अगर ये मेरा सपना था तो बेहतर था और अगर छाया को इस सपने के बारे में कहा तो उल्टा मुझे ही चिढायेगी कर्णिका पानी पी रही थी तभी उसे ऐसा लगा जैसे पीछे से उसे किसी ने धीरे से पुकारा हो...वो झट से पीछे मुडी तो वहां कोई नहीं था।
क्या हो रहा है मेरे साथ यहीं सोचते हुए कर्णिका वापस कमरे में आई तो छाया बिस्तर पर लेटी हुई थी।
कर्णिका खिड़की को ठीक से खोलते हुए...क्या हुआ रात को नींद नहीं आई क्या तुझे , या कल रात को मूझे देख तुझे सुबह नशा हो गया...कर्णिका बोलती रही पर छाया ने कोई जवाब नहीं दिया...वो अपने चेहरे पर कोहनी मोड़े लेटि थी...कर्णिका को अजीब लगा तो वो उसके पास गई और उसे उठाने के लिये जैसे ही हाथ बढ़ाने गयी ।
दूध फ्रिज में रख दिया है...अब तैयार हो जा...कर्णिका ने ये सुना तो आंखे बड़ी हो गई वो पीछे मुड़ी तो छाया खड़ी थी।
तू...तु....मेरे पीछे कैसे आयी..तू तो यहा पे थी कहते हुए कर्णिका में बिस्तर की तरफ देखा तो वहां कोई नहीं था तो वो डर से पीछे हो गयी.।
छाया :- बे यार तुझे हुआ क्या है...रात का नशा अभी तक उतरा नहीं या...युवान से ब्रेकअप का सदमा है ये।
कर्णिका ने अपना सिर पकड़ लिया और छाया से...आज आफिस नहीं जाना चल कही बाहर चलते है..।
छाया:- है पागल हो गयी है क्या आज मुझे सर को अपना प्रोजेक्ट सबमिट करना है एक काम कर तू आज रेस्ट कर वैसे भी तू आज अजीब तरह से पेश आ रही है तुझे ब्रेक की जरूरत है।
कर्णिका ने हा में गर्दन हिलाई तो छाया अपना बैग ले कर उसे बाय बोल कर वहां से चली गयी..।
छाया के जाने के बाद कार्णिक सिर में दर्द की वजह से वापस लेट गई उंसने अपनी आंखें बंद कर ली और अगले ही पल उसे अंधेरा महसूस होने लगा।
उंसने आंख खोली तो आसपस सिर्फ उस बड़े बड़े पेड़ दिख रहे थे जंगली जानवरों की भयानक आवाजे आ रही थी और देखते ही देखते हवाये तेज हो गयी और साथ वो चेहरे आसपास नजर आ गये जो उंसने कल रात देखे थे..।
वो कुछ सोच पाती उससे पहले ही तेज गति से उसे कोई उड़ा ले गया अगले ही पल वो एक पेड़ से टिकी हुई थीं...वो हालात और खुद को संभाल पाने के हालत में नहीं थी क्योंकि उसके सामने संयम इंसानी रूप में खड़ा उसे देख रहा था.।
कर्णिका की आंखे ऊसके चेहरे पर दोड़ ने लगी...गोरा बिल्कुल साफ चेहरा धार दार आंखे भौहे भी उसी तरह के , होठ लहू की तरह लाल...बाल भी बिल्कुल ठीक तरह से सेट किया हुआ था, इंसानी रूप में भी वो जान लेवा ही था।
पर कर्णिका की जान तो तब जाती हुई महसूस ही जब उसे पीछे से गुर्राने की आवाज आई और फिर एक आधा चेहरा उसे पास से देख रहा था और धीरे धीरे वो पूरा दिखने लगा।
सफेद रंग का बनियान ओर गले मे कला धागा पहन , गेंहुए रंग के चेहरे पर दाढ़ी मुछ लिए मुस्कुराता हुआ अर्थ उसे देख रहा था.।
दोनो ही अपना हाथ पेड़ से टिकाए कर्णिका को देख रहे थे और कर्णिका उनकी नजर से ख़ौफ़ खा रही थी ।
अच्छा ही हुआ कि तुमने अपनी दोस्त को कुछ नहीं बताया...क्योंकि तुम्हे किसी को कुछ नहीं बताना है...अर्थ ने कर्णिका की निगाहों में देखते हुए कहा..।
क्योंकि अगर तुम ने ऐसी कोई गुस्ताख़ी कि तो में जानता हूं कि तुम्हारे बदन में जो खून है वो बहोत स्वादिष्ट है और मुझे इससे अपनी प्यास बुझाने में जरा भी देर नहीं लगेगी...संयम ने अपना चेहरा कार्णिक के करीब करते हुए कहा।
कर्णिका काँप रही थी , बदन बिल्कुल ठंडा पड़ चुका था भाग ना चाहती थी पर ना जिस्म उसके साथ था ना ही दिमाग उंसने आंखे बंद कर ली....ये सब मेरे साथ क्या हो रहा है क्या ये हकीकत है अगर है तो आप लोग मुझसे क्या चाहते है...?
तुम्हारी थोड़ी सी मदद..सर्पिका ने पेड़ स छलांग मारते हुए कहा....ओर मानित हवा में तैरता हु नीचे आ गया वो सभी अभी इंसानी रूप में थे।
कर्णिका ने आंख खोल उन चारों को देखा ....ओर डर उसके नस नस में दोड़ गया।
कर्णिका...तुम्हे डर ने की बिल्कुल जरूरत नहींं है, ओर अभी तुम हमारी दुनिया मे हो तो डर कर ना भाग सकती हो ना अचेत हो सकती हो और नाही कुछ...मानित ने वही जंगल के चक्कर काट ते हुए बोला।
सर्पिका अब कर्णिका के बिल्कुल सामने थी और उसकी आंखों में देखत्ते हुए...में सीधा मुद्दे पर आती हु...हमारा एक मकसद है जिसे हमे पूरा करना है इसी लिए इंसानों के बीच आये है क्योंकि वो रहस्य इंसानों की बस्ती से ही जुड़ा हुआ है और इसी लिए हमे किसी की जरूरर है और वो जरूरत अब तुम पूरा करोगी।
सर्पिका की बात सुन कर्णिका हकलाते हुए...में..मेही क्यों..।
सर्पिका हँसी ओर उसकी हँसी की गूंज बड़ी भयानक थी तो कार्णिक ने अपने दोनो कान पर अपनी हथेली रख ली तो संयम और अर्थ मुस्कुराने लगे।
सर्पिका अब कर्णिका का हाथ पकड़ उसे घुमा कर एक जगह खड़ा करती है और फिर देखते ही देखते सभी गोलाकार में ऊसके पास खड़े हो जाते है और वो सब के बीच के थी..।
" सर्पिका:-कर्णिका महर्षि....24 साल की खूबसूरत सी लडक़ी ।
मानित:- जिसका आगे पीछे कोई नहीं , मा बाप बिना की अनाथ लड़की...
अर्थ:- पर फिर भी हिम्मत इतनी की खुद के दम पर घर लिया और काम कर के अपना दिन गुजार रही है।
संयम:- पर कल कर्णिका को बहुत दुख हुआ उसका प्रेमी तुम्हारी भाषा मे कहे तो तुम्हारा बॉयफ्रेंड अब तुम्हारा नहीं रहा किसी ओर का हो गया।
सर्पिका:- तो तुमने उसे सब के सामने थप्पड मार दिया..।
मानित:- ओर फिर सराब पी कर उसे गालियां देकर घर आ गयी।
ओर फिर मुलाकात हुई हमसे...जो कि ये सब देख कर ओर जान कर ही तम्हारे मेहमान बन कर आये है...ये बात अर्थ और संयम ने साथ मे कही।
कर्णिका हैरान हो गयी ये लोग उसके बारे में इतना कुछ जानते है...कैसे।
ये छोड़ों के हम ये सब कैसे जानते है पर अब ये जान लो कि अब सिर्फ तुम हमे जानोगी ओर हमारी मदद करोगी संयम ने कर्णिका को घूरते हुए कहा।
मदद केसी मदद...? कर्णिका ने सवाल किया ।
सर्पिका अब उसके इर्द गिर्द घूमते हुए...इतनी जल्दी भी क्या है कर्णिका अभी तो तुम्हे हमारे साथ बहुत वक़्त बिताना है ओर इतना कह कर वो सभी उसे देखने लगे और फिर अपना मुह खोल अपने नुकीले दांत दिखा कर उसे कुछ और ना पूछने के लिए सूचित कर रहे थे, कर्णिका का सिर फिर घूमने लगा और वो बेहोस हो गयी तो संयम ने उसे थाम लिया और अपनी बांहो में ले कर उसका सिर अपने कंधे पर लगा दिया..।
कार्णिक इतनी कमजोर रहोगी तो हमारी मदद कैसे करोगी...देखो संयम खुद संयम रख बैठा है , अगर हमें तुम्हारी जरूरत नहीं होती तुम्हारे इस खुबसूरत गर्दन के अंदर दौड़ते गर्म लहू से में अपनी प्यास बुझा रहा होता।
अर्थ कर्णिका के बालों सहला कर ...तुम्हारी बदन की खुश्बू मुझे पागल कर रही है, मांस से भरा जिस्म।
सर्पिका :- इसे इस हद तक डराना है कि ये गलती से भी कभी किसी को बाहर कुछ ना कहे हमे इसकी जिंदगी में शामिल होना है क्योंकि हमारा खुद का अस्तित्व खतरे में है...अगर शैतान को वो शक्तियां नहीं मिली तो हमारा साम्राज्य हमारा नहीं रहेगा।
सर्पिका की बात सुन सभी की आंखें एक साथ जल उठी और गुस्से से अर्थ की जंगली भेड़िए वाली चीख पूरे जंगल मे फेल गयी।
( क्रमशः)


