ब्लडी लवर्स
ब्लडी लवर्स
कर्णिका...कर्णिका...तू ठिक तो है ना...तुझे कहा था ना यार ज्यादा मत पी...तूने आज तक कभी पी नही ओर आज भी तो पुरी बोतल एक साथ खत्म कर दी..अब वोमिट पे वोमिट कर रही है।छाया बाहर से बाथरूम का दरवाजा पिट ते हुए बोली।
पर अंदर से उसे कर्णिका का सिर्फ वोमिट करना ही सुनाई दे रहा था।
कुछ देर बाद जब कर्णिका बाथरूम से बाहर आई तो उसकी हालत खराब थी, उसे नशा भी था ओर वो लॉ फील भी कर रही थी।
छाया जो कि कर्णिका की दोस्त थी उसका चेहरा टुवाल से पोछा ओर उसे लेटने के लिए कहा।
पर लेटते हुए भी ... साले कमीने को ....कामिनी पसंद आ गयी धोकेबाज, दगाबाज...मक्कार , हाय लगेगी मेरी , भगवान करे जब भी दोनो घूमने जाए उनकी कार पंचर हो जाए, जब भी कैंडल लाइट डिनर करने का सोचे तब वहाँ कैंडल ही ना हो...
छाया उसके सिर पर चमाट मारते हुए...अबे बेवड़ी कम से कम बद्दुआ तो ढंग की दे।
छाया अब उसे लेटा कर...कर्णिका में दरवाजा बाहर से लोक कर के जा रही हु...सुबह जल्दी आकर खोल दूँगी ओक..
अम्म्म...कर्णिका ने इतना ही कहा और करवट बदल कर लेट गयी।
छाया ने उसे ठीक से कंबल ओढ़ाया ओर फिर मधम रोशनी कर वहां से चली गयी।
आधी रात तक कर्णिका ना जाने क्या क्या बोलती रही कुछ देर तक उसकी आंख लगी ओर फिर उसकि आंख तब खुली जब उसे महसूस हुआ कि उसका कोई सिर सहला रहा है।
उंसने नींद में ही कहा.. छाया मत कर सोने दे।
पर उसके सिर से ना हाथ हटा ओर ना ही कोई जवाब मिला काफी देर तक बोलने के बाद भी जब वो हाथ नही रुका तो कर्णिका झल्लाते हुए उठी।
तुझे एक बार मे समझ नही आता क्या छाया।
नसे की वजह से कर्णिका को सब धुंधला, धुंधला लग रहा था।
शशश...धीरे बोलो कर्णिका इतनी रात में तुम्हारा यू शोर करना बाकी लोगो के लिए ख़ौफ़नाक हो सकता है।
कर्णिका के कानो में ये आवाज गयी तो उसे समझते देर नही लगी कि ये एक लड़की की आवाज है पर ये छाया नही है।
नसे में भी एक ख़ौफ़ उसके नस नस को झंझोर गया, उसे अचानक से बड़ी ठंड महसूस हुई , वो काँप ने लगी , मधम रोशनी थी कमरे में उंसने अपने तकिये के नीचे से चाकू लिया ओर झट से उठ लाइट्स ओन कर दी।
पूरे कमरे में रोशनी फेल गयी..ओर साथ ही वो चार चेहरे दिखे।
जो कर्णिका के लिये अनजान थे।
जहां कर्णिका लेटी थी वही पास में एक लड़की बैठी थी और सामने खिड़की के दोनो छोर पर दो लड़के थे और एक नीचे एक पैर को मोड़ ओर पैर के गुथने पर हाथ रखे बैठा था।
इतनी ख़ौफ़ में भी कार्णिका की नजर में साफ था कि ये जो भी थे बेहद आकर्षक थे और सब की आंखों की चमक ही अलग थी।
कर्णिका हकलाते हुए..को..कोन..हो तुम लोग...घर मे ..मेरे..घर मे कैसे आये...में..पुलिस..
तुम्हे सुनाई नही दिया क्या..सर्पिका ने क्या कहा...की तुम्हारा शोर औरों के लिए खतरनाक हो सकता है...खिड़की के दाई तरफ खड़े लड़के ने कहा।
कर्णिका तो मानो जम सी गयी थी वो नही जानती थी कि ये लोग कोंन है और क्यों आये है, आखिर ये लोग आए कैसे...वो यही सब सोच रहे थे कि...फिर उसी लड़के ने कहा.।
हम जैसे भी आये बस आ गए ओर उसके बाद बाई तरफ वाले लड़के ने कहा कि कोंन है ये जान जाओगी तो फिर कोई सवाल नही करोगी।
ओर क्यो आये है ये भी बहुत जल्द जान जाओगी..ये उस नीचे बैठे हुए लड़के ने कहा।
उन सब की बात सुन कर्णिका इतनी ख़ौफ़ में थी कि उसे रोना था पर उस्से वो भी नही हो रहा तो सर्पिका मुस्कुराते हुए उसके पास आई...तुम तो कुछ ज्यादा ही ख़ौफ़ में हो....ओर इतना ख़ौफ़ हमारी मददगार को सोभा नही देता।
कर्णिका कुछ बोलना चाहती थी पर जेस वो कूछ बोल ही नही पा रही थी।
सर्पिका अब कर्णिका के पीछे आई और उसके कंधे पर ठोड़ी रख उसे सामने की तरफ इशारा कर....
वो जो दाई तरफ है ना वो है...संयम है... कर्णिका ने बिना हिले सिर्फ नजर उस तरफ़ की तो संयम उसे ही देख रहा था पर चेहरा बिल्कुल भावहीन था कोई समज ही नही सकता कि वो क्या सोच रहा है..उंसने ब्लैक शर्ट और ब्लैक पेंट पहन रखा था।
सर्पिका अब दाई ओर इशारा करते हुए....वो जो है...वो अर्थ है... अर्थ की ओर नजर करते ही कर्णिका अपनी थूक गटक गयी क्युकी उसके वाइट ट्रांसपेरेंट शर्ट से सारी नसे जैसे फूल के बाहर आने को थी ओर उसकी मुस्कान जैसे शांति के पीछे का डरावना एहसास।
अब कर्णिका ने उससे खुद ही नजर फेर नीचे देखा पर वो लड़का वहाँ नही था क्योंकि वो अब कार्णिक के पास खड़ा था, कर्णिका को ये एहसास हुआ तो उसने अपनी सारी ताकत लगा कर पीछे हटी ओर लड़खड़ा कर पिछे होते हुए दीवार से चिपक गई।
वो स्काई ब्लू टीशर्ट पहना लड़का मुस्कुराया दोनो होठ की किनारी उसकी मुस्कान के साथ ओर खींच गयी जिस्से कर्णिका के पूरे बदन में सिरहन पैदा हो गई वो आंखे बड़ी कर चुकी थी पर मानो जैसे उसे सांस लेने का होश ही नही था।
सर्पिका अब उस लड़के के कंधे पर हाथ रखते हुए...ये मानित है...ओर में सर्पिका।
कर्णिका अब बेहद हिम्मत करते हुए फिर बोली...प्लीज बताओ कि आप लोग कोंन हो और यहा क्यो आये हो..मुझसे क्या चाहिए.।
सर्पिका ने उसकि बात सुन एक गहरी सांस ली और फिर सब की ओर देखा...फिर उसकी नजर , संयम पर जा कर रुकी तो संयम कर्णिका के पलक झपकाने के भीतर ही खिड़की खोल बाहर गया और आ भी गया और अब उसके हाथ मे एक भेड़ था जिसे संयम ने उस कमरे के बीचों बीच रख दिया था।
कर्णिका को सोच पाती उस्से पहले ही वो चारो उस भेड़ पर टूट पड़े वो भेड़ की दर्दनाक चीख उस कमरे के भीतर ही समा गई और कर्णिका चीख रही थी पर उसकि चीख में कोई आवाज ही नहीं था।
चंद ही मिनटों में उस कमरे का नजारा ही अलग था... जो चार इंसांन थे अब वो इंसान नही थे.... उनका रूप देख कार्णिक वही जमीन पर बेठ गयी.।
संयम की गहरी लाल आंखे , बाहर निकले हुए नुकीले दांत ओर होठों से टपकता खून वो एक वैम्पायर था।
अर्थ का चेहरा छोड पूरा बदन बालो से भरा था, हाथ पैर के बड़े लंबे नाखून ओर वो उस भेड़ की हड्डियां तोड़ चबा रहा था जबड़ा खून से सना हुआ तुला.. एक वेर वुल्फ की तरह।
मानित का चेहरा बिल्कुल सफेद था , आंखे काली बिल्कुल अंदर धस चुकी थी , ओर गालो पर ऐसे निशान थे जैसे दिवालो में दरार पड़ी हो ओर उस्से खून रिस रहा था ...मानित कोई और नही बल्कि एक बल्कि जीता जागता साया ( आत्मा ) था।
सर्पिका अपने नाम की तरह ही अपने रूप में थे उसके बदन की चमड़ी एक सर्प की तरह हो गयी थी आंखों की किकी जल रही थी उसी में वो मुस्कुराई ओर उसकी जीभ बाहर आके लहराने लगी और उसजे जहरीले दांत में खून साफ दिख रहा था।
अब सर्पिका लहराते हुए कर्णिका के पास आई और फिर उसे धीरे से पूछते हुए...अब भी जान ना चाहती हो कि हम कोंन है।
सर्पिका को इतनी नजदीक देख कर्णिका होश खो बैठी ओर एक जगह लुढ़क गयी।
तो सर्पिका फिर उन तीनों के पास आकर कर्णिका को देखते हुए...तुम सिर्फ अचेत हुई हो..."क्योंकि हमारे होते हुए मरना तुम्हारे बस में नहीं।"
ओर फिर सभी एक साथ ऊपर देख इतनी जोर जोर से हँसने लगे कि हँसी को भी खुद से डर लग जाए, उनकी हँसी के साथ उस भेड़ के खून के छीटे जमीन पर गिर रहे थे।
क्रमशः


