Vijeta Pandey

Romance

4.5  

Vijeta Pandey

Romance

बिन मांगे

बिन मांगे

8 mins
448


तेज भागते कदम उनका साया देख थम गए, वो सफेद चमकती फर्श पर जूतों की आती आवाज भी मेरे साथ ही थम गई। आईने सा साफ फर्श और उसमें दिखते सारे अक्स, सब साफ साफ था ……. निरंजन की आंखों का गहरापन या शायद गुस्सा, बंद मुट्ठी पर शांत होंठ जैसे शिकायतें भी खत्म हो चुकी थी। मैं स्तब्ध मूरत सी जड़ हो गई पर कमबख्त आंखें मानने को तैयार ही नहीं थी। समंदर तो सीने में सालों से भरा था पर लहरें आज आंखों के किनारों से टकरा रहीं थी। 

जी करता था सब भूल कर निरंजन को गले लगा लूं। 

इससे पहले कि मैं टूट जाती निरंजन दो कदम पीछे हो गए, जैसे गुस्सा नफरत की रफ्तार से हार गया हो।

“आफ्टर यू लेडी…… ” निरंजन कड़क आवाज में, पर तहजीब से बोले। 

मैंने खुद को सम्भाला। दरवाजे के इस ओर के चेहरे और हाव-भाव को समेट कर मैंने खुद को मीटिंग हॉल के लिए तैयार किया। 

“लेडीज एंड जेंटलमैन मिस्टर पंवार के हेल्थ प्रॉब्लम की वजह से आज की प्रेजेंटेशन मैं हैंडल करूंगी” पूरे जोश के साथ मीटिंग हैंडल करते हुए भी नजरों की कखनियो से बस मैं निरंजन को ही देखे जा रही थी। मैं कुछ भी बताती या कहती पर उनकी आंखो में वो दिन और कानों में मेरी वही बातें चल रही थी शायद। 

मैं भी कैसे भूल सकती हूं वो दिन ……………….

गंगा घाट की सीढ़ियों पर बैठा गोरा चिट्ठा गबरू जवान, घबराहट से भरा कभी पास उगी घास नोचता, कभी कंकर पत्थर पानी में फेंकता, कभी हांथ बंधी उस घड़ी को यूं घूरता जैसे उससे कोई गुनाह हुआ हो। निरंजन को इंतजार करना बिलकुल पसंद नहीं इसलिए दबे पाव मैंने उनकी तरफ कदम बढ़ाया थाl पर आंखो से आंखे मिलते ही पांव खुद ब खुद रफ्तार में आ गये थे। निरंजन के चेहरे की सारी परेशानियां मेरी एक झलक से कही गुम हो गईं थी। मेरे पास पहुंचते ही सवालों की झड़ी लगा दी थी ………..

“कमाल करती हो दीपा कबसे इंतजार कर रहा हूं। यार ये अचानक से फोन करके क्यों बुलाया? पता है, मेरी जान ही निकल गई थी। अब फालतू हंसो मत जल्दी बताओ बात क्या है ” उतावले निरंजन ने सारे सवाल एक सांस में ही पूछ लिए थे।

“उफ्फ ओ! इतने सवाल चलो उधर सीढ़ी पर बैठ कर चने खाते बातें करते है” मैंने उन्हें खींचते हुए कहा था।

“सीढ़ी पर, चने खाते हुए? कैसी बातें कर रही हो, चलो किसी कायदे की जगह चलते है, यहां लोग कपल को किस नजर से देखते है जानती हैना मैडम?” निरंजन ने समझाने की कोशिश की थी।

“अच्छा, कहां जायेंगे? हम्म सोच लिया, चलो, ले के चलो अपनी मर्सिडीज में ताज होटल” तीर सी बातें बोल रही थी मैं। 

“ओ मैडम वो भी होगा एक दिन, ज्यादा इतराओ मत। पहले शादी तो कर लें। अब जल्दी बताओ घर पर क्या बात हुई, आज बुआ और पापा तुम्हारे घर आए थे न?” निरंजन तो बस उतावले थे।

“बुआ ने मां से कहा कि हमारा लड़का गोरा चिट्ठा है, लंबा है, पढ़ा लिखा है एंड ऑल ब्ला ब्ला ब्ला…….. ” विदाउट इंट्रेस्ट मैंने बोला।

“इसमें गलत ही क्या है ये सब तो मैं हूं।” निरंजन हंस के बोले थे।

“बट द प्वाइंट इज कि मैं क्या चाहती हूं! तुम्हारा कच्ची सूजी सा गोरा चेहरा और ये लंबा कद सबकुछ तो नही है। एंड पढ़े लिखे की तो तुम बात ही मत करो, अच्छा खासा फॉरेन में आगे की पढ़ाई और करियर बनाने का मौका मिल रहा है कोई बुद्धु ही उसे छोड़ेगा और हां वैसे रखोगे कहां मुझे और खिलाओगे क्या?......... ओ ओ हां! पापा हैना हम दोनो का बोझ उठाने के लिए।” मुंह तक फेर लिया था इतना जहर उगल कर मैंने।

 “दीपा तुम क्या चाहती हो ये बोलो, न तो तुम्हारी तरह तंज की भाषा आती है मुझे और ना ही ऐसे बोलना। क्या हो गया है?......” निरंजन बहुत परेशान थे।

“आंखें खुल गई है मेरी निरंजन। और ध्यान से सुनो जब मर्सिडीज में ताज होटल ले जाने की हैसियत, खुद के कमाए पैसे से कर लेना तो बारात जरूर लेकर आ जाना।” बेरुखी से मैंने अपनी बात खत्म की।

 “ओ शट अप तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है, लिसन……. मर्सिडीज भी आयेगी, ताज़ होटल में जाना भी होगा, बस बारात ……. कदमों को पीछे करते, निरंजन अधूरी कही बातों के साथ चले गए थे। 

रूम में तालियों की गूंज ने मुझे और शायद निरंजन को भी बीते पलों से बाहर निकाला, सब वेल डन मैम, कह रहे थे, पर निरंजन और मैं अभी भी उस दिन के आखिरी पलों में ही उलझे थे।

निरंजन ठंडी सी सांस भर कर अपनी कुर्सी से खड़े हुए और हांथ आगे बढ़ा कर बोले, “यू आर वैरी टैलेंटेड।”

झट से हैंड शेक को हांथ बढ़ा कर मैंने भी “थैंक यू” बोल दिया। 

निरंजन के हांथ मिलाते हुए कॉफी के ऑफर को मैं कैसे ठुकराती। ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरा फिर से रिमोट कंट्रोल हो गए थे।

 कंपनी के बाहर उनकी मर्सिडीज ने मेरे दिल को खुशियों से भर दिया था आंखें भर आईं। निरंजन के ड्राइवर ने मेरे लिए दरवाजा खोला, 

हम एक लंबी और खामोश ड्राइव के बाद ताज होटल के एंट्रेंस पर थे। इस बार दरवाजा निरंजन ने खुद खोला। 

“ प्लीज कम आउट……… तुम्हारा दूसरा सपना, ताज होटल।” निरंजन ने नीरसता से कहा।

“नहीं निरंजन में ऐसा कुछ नही………….” मेरी बात अधूरी ही रह गई।

“इट्स ओके, मुझे कुछ नहीं जानना।” मुझे टोकते हुए निरंजन ने कहा।

“कॉफी इस रियली नाइस” मैंने खामोशी तोड़ने की कोशिश की।

“हम्मम कई बार पी चुका हूंए खैर ये लीजिए,........... कॉर्ड आगे करते हुए निरंजन ने कहा।

मैंने अचंभे से पूछा “व्हाट इज दिस कॉर्ड फॉर?”

“हां, मेरी शादी हो रही है। और इत्तफाकन मेरी होने वाली वाइफ का नाम भी दीपा है। सो डू कम विद फैमिली।” अभिमान भरे स्वरों में निरंजन ने कहा।

 “आई एम नॉट मैरिड येट” गहरी सांस भर कर मैंने कहा।

निरंजन ने भी गहरी सांस भरी और तीखी मुस्कान के साथ मुझे देखते हुए कहा, “क्या मां-बाप, भाई-बहन इन सब को भी निकाल दिया अपनी लाइफ से।”

“ओह! तो ये मर्सिडीज, ताज़, इन्विटेशन कॉर्ड सब मुझ पर तंज है” खीझकर मैंने कहा। 

मुझे घूरते हुए निरंजन बाहर निकल गए। 

मन ही मन खुद से लड़ती हुई मैं टैक्सी में बैठी तो आंखे उस कॉर्ड पर पड़ी, मैं उसे ऐसे घूर रही थी जैसे वो कार्ड नहीं मेरी सौत हो।

“तीन दिन बाद ही शादी है, जरूर जाऊंगी। अपनी बरबादी खुद अपने हाथों लिखी है तो तमाशा देखने भी जरूर जाऊंगी।” मन ही मन सिसकियां दबाए मैंने बॉस को मैसेज कर दिया, “मैं एक हफ्ते तक ऑफिस नहीं आ पाऊंगी, आई एम नॉट वैल।”

फोन ऑफ कर दिया। घर, मेरा कमरा, मेरा बिस्तर और बेचैन करवटों की वो सिलवटें, बस यही सिलसिला तीसरी दोपहर तक चलता रहा। 

बोझिल मन, सूजी आंखें, पछताता मेरा रोम रोम, “कैसे जाऊं उनकी शादी में? पर शायद मेरी सज़ा अभी पूरी नहीं हुई है।” मैं खुद ही खुद से बातें कर रही थी।

निरंजन का फेवरेट कलर ‘रेड’ है, “बस आज आखरी बार इसे पहनूंगी|” 

जैसे तैसे तैयार तो हो गई पर घर से निकलने की हिम्मत ही नहीं हो रही थी।

 तभी डोर बेल बजी, मां ने आवाज लगाई। 

“दीपा टैक्सी आ गई है, हम सब तैयार है। जल्दी चलो वरना हम लेट हो जाएंगे।”

अचरज से भरी मेरी बोझिल आंखें कमरे से बाहर का नजारा देखती ही रह गई। घर का हर सदस्य अच्छे से तैयार था। 

“मां आप सब कहां जा रहे हो?” मैंने पूछा तो सोनू तपाक से बोल पड़ा, “दीदी निरंजन की शादी का स्पेशल इन्विटेशन आया है।” 

“ओह! तो अब फैमिली को इन्वॉल्व किया जा रहा है।” मन ही मन बड़बड़ाते हुए मैने चलने को हां किया। 

रास्ते भर मैं शांत थी, मां बार बार मेरा पल्लू, मेकअप, और कभी बाल सवार रही थी। वो हर पार्टी से पहले ऐसा ही लाड करती हैं।

गाड़ी रुकी तो एक अजीब सा एहसास हुआ, हिचकिचाते हुए मैंने पापा को कहा, “बड़ी जल्दी वेन्यू आ गया ना।”

“नहीं दीदी पूरे बीस मिनट लगे हैं।” मेरी टांग खींचते हुए सोनू ने कहा।

नीचे उतरते ही मैंने उसके कान खींचे, पर तभी वहां वेलकम टीम ने आकर हम पर इत्र और फूलों की बारिश सी कर दी। 

“अमीरों के चोंचले” चिड़ते हुए मैंने मां के कान में कहा और हॉल में एंटर हुई। 

हमारे अंदर जाते ही एनाउंसमेंट हुई, “लेडीज एंड जेंटलमैन पुट योर हैंड्स टुगेदर फॉर मिस दीपा।” इससे पहले मैं कुछ और समझ पाती, परियों के लिबास में सजी दो लड़कियां मुझे स्टेज तक खींच कर ले गईं। स्टेज पूरा खाली था।

“ये कौन सा इवेंट है एंड निरंजन कहां है?” घबराकर मैंने पूछा। 

तभी मेरे सवालो के सैलाब को जैसे पूरा आराम मिल गया था। किसी ने मेरे कंधों को सहारा देकर, मुझे स्टेज पर चढ़ाने की कोशिश की। 

“निरंजन आप, ये सब क्या है?” उन्होंने मेरे होठों पर अपना हाथ रख दिया और कुछ न कहने का इशारा सिर हिला कर दिया।

 माइक हाथ में लेकर उन्होंने सबको एलान करते हुए बताया, “एवरीवन, मीट माय सोलमेट दीपा, मैं आज जो हूं इसकी वजह से हूं।”

 निरंजन ने मेरी आंखों में देखा तो मैं खुद को रोक ही नहीं पाई, आंखो से दर्द खुशियां बनकर बह चला था। निरंजन घुटनों पर बैठकर हाथों में हीरे की अंगूठी लिए मेरी हां का इंतजार कर रहे थे और मैं ऊंची ऊंची रोए जा रही थी। 

निरंजन ने फनी फेस बनाकर कहा, “ओ, मैडम तानपुरा, मेरे घुटने तोड़ने का इरादा है क्या? जल्दी हां बोलो।” 

मैं रोती हस्ती उनसे लिपट गई। 

निरंजन ने मेरे चेहरे को अपने हाथों में भर लिया, “बुआ और पापा ने तुमसे कहा और तुम मेरी तरक्की के लिए मेरी नफरत तक को राज़ी हो गई, आईं लव यू।” निरंजन की बातें मेरे सारे जख्मों का मरहम सी थी।

आधे घंटे में मैं दुल्हन और निरंजन दूल्हा से तैयार किए गए, हमारा जयमाल हुआ, फिर फेरे। मेरी मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र था। मां थू थू करके मुझे नजर लगने से बचा रही थी। मैं बस खुद को यकीन नहीं दिला पा रही थी की ये सब सच है मेरा सपना नहीं। आंखों को घुमाकर मैं उस पल की हर बात को याद बना ज़हन में छापती जा रही थी। हमारे इंतजार ने हमारे प्यार को और भी स्पेशल बना दिया। एक प्यार को, प्यार के लिए, प्यार से बिन मांगे बस …….इतना ही चाहिए।


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