बीता कल

बीता कल

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आज संडे को भी अन्वी लगभग पूरा दिन ऑफिस में बिता कर आई थी। उसके पति सोमेश ने शिकायत की।

"अन्वी ये क्या है ? एक संडे ही तो मिलता है हमें साथ में बिताने के लिए। उसमें भी तुम ‌अब‌ ऑफिस में रहने लगी हो।"

"सोमेश, तुम जानते हो कि हमारा स्टार्ट अप नया है। कुछ समय तो देना पड़ेगा।"

"तो तुम अकेली तो नहीं हो। विमल भी तो है।"

"वो भी घर पर नहीं बैठा था। मेरे साथ ऑफिस में था।"

सोमेश फिर भी रुठा रहा तो अन्वी ने उसे प्यार से समझाया।

"सोमेश प्लीज़ समझने की कोशिश करो। तीन साल से तो मैं कुछ नहीं कर रही थी। अब विमल ने मुझ पर यकीन कर अपने साथ काम करने का मौका दिया है। कुछ दिन धैर्य रखो। सब सेट होने के बाद मुझे छुट्टी के दिन काम नहीं करना पड़ेगा।"

सोमेश पर कुछ असर तो पड़ा। पर संडे खराब हो जाने के कारण उसका मूड ऑफ था। अन्वी ने सुझाव दिया कि वो लोग बाहर घूम कर आते हैं। 


सोमेश और अन्वी अपने पसंदीदा रेस्टोरेंट में बैठे थे। सोमेश का मूड अब अच्छा था। अब वह अन्वी के साथ हंस कर बातें कर रहा था। 

"अन्वी....."

आवाज़ सुन कर अन्वी ने मुड़ कर देखा।

"शालिनी.... कितने वक्त के बाद मिले हैं हम।"

अन्वी ने परिचय कराते हुए कहा।

"ये मेरे पति सोमेश हैं।"

फिर सोमेश से बोली।

"शालिनी और मैं एक ही कॉलेज में थे।"

सोमेश ने शालिनी से हाथ मिलाते हुए कहा।

"इफ यू डोंट माइंड, ज्वाइन अस।"

शालिनी भी उनकी टेबल पर बैठ गई। वह सोमेश से उसके बारे में बात करने लगी। फिर अन्वी से बोली।

"तुम क्या कर रही हो आजकल ?"

"अभी कुछ दिन पहले ही एक स्टार्ट अप ज्वाइन किया है।"

"कैसा ‌स्टार्ट अप ?"

अन्वी धीरे से बोली।

"वो विमल के साथ...."

विमल का नाम सुनते ही शालिनी ने चहक कर कहा।

"यू मीन वही विमल जो कॉलेज में था।"

वह सोमेश से बोली।

"अन्वी का दीवाना था। मैं तो अब तक यही समझती थी कि अन्वी ने उससे ही शादी की होंगी।"

सोमेश की निगाहें अन्वी पर टिकी हुई थीं। अन्वी असहज महसूस कर रही थी। 

खाना खाने में ना तो अन्वी का मन लग रहा था और ना ही सोमेश का। शालिनी इस सब पर ध्यान दिए बिना अपनी बात करती जा रही थी।

कार में सोमेश और अन्वी दोनों ही खामोश बैठे थे। पर सोमेश के मन में हलचल मची हुई थी।

"तुम और ‌विमल एक दूसरे को पहले से जानते हो ?"

"हम कॉलेज में पढ़ते थे।"

"विमल तुम्हारा दीवाना था ?"

"ऐसा कुछ नहीं था। शालिनी को बढ़ा चढ़ा कर बात करने की आदत है। उसने मुझे प्रपोज किया था। मैंने मना कर दिया था। फिर वह भी चुप हो गया।"

सोमेश ‌के होंठों पर व्यंग्य भरी मुस्कान खिल गई।

"वो दबी हुई मोहब्बत अब उछाल मार रही है। उसने तुम्हें साथ काम करने का मौका दिया। तुम संडे को भी ऑफिस जाने लगी।"

ज़हर भरे ये शब्द अन्वी के कानों में गर्म लावे की तरह लगे। वह सोंच भी नहीं सकती थी कि सोमेश इस तरह की बात करेगा। 

चार साल की शादी में उसने अपना सबकुछ दिया था इस रिश्ते को। पर एक झटके में सोमेश का विश्वास डिग गया।


 


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