बिगड़ा हुआ कल सुधरा वर्तमान
बिगड़ा हुआ कल सुधरा वर्तमान
राजन को कभी अपनी बीवी और दूध मुंहे बच्चे के साथ अपमानित कर परिवार वालों ने घर से निकाल दिया था।आंखों से टपकते उसकी और उसकी बीवी के आंसू अपनी सच्चाई बयां कर रहे थे लेकिन कुछ स्वार्थी लोगों के कारण उस समय उनकी सच्चाई किसी को दिखाई नहीं दी।जहाँ पला- बड़ा राजन, जिन गलियों में दोस्तों के साथ खेला - कूदा, जिस घर में जवान हुआ, और जिस घर के लिए उसने अपना खून पसीना बहाया, उसे छोड़कर उसे दूसरे शहर जाना पड़ा।
कहते हैं ना समय की एक बहुत अच्छी आदत होती है जैसा भी हो बीत जाता है।यही सोच कर राजन अपनी बीवी और बच्चे को लेकर संघर्ष के नए पथ पर चल पड़ा।अच्छी नियत रखने वाले व्यक्ति का ईश्वर भी हर पल परीक्षा लेता है यही सोचकर राजन अपने परिवार के साथ अपने कल को भूला कर, अपने भविष्य की नींव रखने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो गया।आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण काफी परेशानियों का सामना करते हुए राजन और राजन की पत्नी ने हार नहीं मानी, पति के संघर्ष पथ उसकी पत्नी भी अर्धांगिनी बन चलने लगी।एक छोटे से कटपीस कपड़ों की ठेल से शुरू हुआ राजन का व्यवसाय, उधर बच्चे को संभालते हुए राजन की पत्नी फिल्म मोहल्ले के बच्चों को ट्यूशन देने लगी।
रिश्तेदारों की अवहेलना, सीमित संसाधनों में जीवन यापन राजन और राजन की पत्नी का मनोबल दिन पर दिन बढ़ाता ।दोनों पति-पत्नी की कड़ी मेहनत तथा साफ नियत का फल उनके बच्चे को ईश्वरी देन के रूप में मिलने लगा।अच्छे स्कूल में बिना किसी फीस के उसका एडमिशन हो गया, उसने छोटी सी उम्र में ही तीव्र बुद्धि पाई, और जल्दी ही वह स्कूल का चमकता सितारा बन गया।
दोनों पति पत्नी अपने कार्य क्षेत्र में अद्भुत सफलता पाने लगे, छोटे से ठेल से राजन की छ दुकान हो गई, और राजन की पत्नी का अपना खुद का कोचिंग सेंटर।जिन लोगों ने षड्यंत्र के तहतउन्हें उनके घर और संपत्ति से बेदखल किया था, वक्त ने ऐसा तमाचा मारा की अपनी को राजा समझने वाले फकीर हो गए।समय ने समय को ऐसा परिवर्तित किया कि राजन वर्तमान में एक टेक्सटाइल कंपनी का मालिक बन गया, और उसका बेटा एमबीबीएस कर,अपना नर्सिंग होम खोल गरीबों की सेवा में लग गया।वक्त के थपेड़े ने राजन के अंदर इंसानियत को ऊंचा मकाम दिया जिसके परिणाम स्वरूप बिगड़ा हुआ कल , सुधरा हुआ वर्तमान बन गया।