भूत का ज़ुनून-3
भूत का ज़ुनून-3
उन्होंने धड़ाक से दरवाज़ा वापस बंद किया और पसीने से लथपथ होकर अपने मोबाइल फोन पर अपनी पत्नी का नंबर डायल करने लगे।
बैग को उनके हाथ से गिरते देख एक- दो लोगों का ध्यान उन पर चला ही गया था। वे गौर से उनकी ओर देखने लगे। एक सज्जन तो उनकी बदहवासी भांप कर उठ कर भी चले आए और बोले- क्या हुआ भटनागर जी? इतने घबराये हुए क्यों हैं?
पर भटनागर जी को तो ख़ुद पता नहीं था कि क्या हुआ। वो क्या जवाब देते।
इधर फ़ोन मिल गया था, और फ़ोन पर उनकी पत्नी, श्रीमती भटनागर बोल रही थीं।
- हैलो, हां... बोलिए। क्या हुआ? क्या कुछ भूल गए आप? मीटिंग शुरू हो गई? बताइए फ़ोन कैसे किया!
पत्नी की इतनी स्पष्ट और आत्मीय आवाज़ सुन कर उनका आत्मविश्वास लौट आया। सोचा, उन्हें ज़रूर कोई भ्रम हुआ होगा। बैग हाथ में लेकर एक बार फ़िर केबिन के दरवाज़े की ओर चले। उधर फ़ोन पर पत्नी "हैलो हैलो" करती रह गई और फ़ोन कट गया।
सचमुच उन्हें भ्रम ही हुआ था। अब घुस कर देखा तो कुर्सी बिल्कुल ख़ाली थी। उन्होंने एक बार रुमाल से माथे का पसीना पौंछा और बैग को रैक पर टिकाते हुए अपनी कुर्सी पर जा बैठे।
बॉस का बुलावा अब कभी भी आ सकता था मीटिंग के लिए। वो जल्दी- जल्दी एक फाइल को पलटते हुए दूसरे हाथ से टाई की नॉट को ठीक करने लगे।
उन्होंने जेब पर हाथ लगा कर पैन चैक किया और एक बार वाशरूम जाकर आने के लिए उठने लगे।
पर तभी मोबाइल की घंटी फिर बजी।
फ़ोन हाथ में लिया। श्रीमती भटनागर का ही फ़ोन था, शायद उस समय फ़ोन हड़बड़ी में कट जाने के कारण उन्होंने अब इत्मीनान से पूरी बात जानने के लिए फ़िर से फ़ोन लगाया हो।
फ़ोन उठाकर बोले- हां हां बोलो...उस समय ज़रा जल्दी में था, इसलिए फ़ोन बंद कर दिया। कहो...
- अरे मुझे इससे कोई मतलब नहीं है कि फ़ोन किसने बंद कर दिया और क्यों बंद कर दिया, मुझे तो मिसेज भटनागर से बात करनी है!
वो एक बार फ़िर चौंके। झपट कर फ़ोन देखा, कहां से आया है! फ़ोन पत्नी के नंबर से ही था।
उनके आश्चर्य का परावार न रहा जब उन्होंने देखा कि फ़ोन पर किसी आदमी की आवाज़ थी, लेकिन फ़ोन उनकी पत्नी की ओर से ही आया था। और वो अजनबी कह रहा है कि उसे श्रीमती भटनागर से बात करनी है।
- हैलो.. हैलो, आप कौन बोल रहे हैं? कहां से शायद आपका रॉन्ग नंबर लग गया है...
- मेरा नंबर कभी रॉन्ग नहीं लगता। आप श्रीमती भटनागर से बात करवाइए।
वो बुरी तरह घबरा गए। लेकिन कुछ साहस बटोर कर बोले- ये उनका नंबर नहीं है।
- मुझे पता है कि ये उनका नंबर नहीं है। लेकिन ये आपका नंबर तो है! और आप उनके पति हैं... करेक्ट? तो एक पति अपने फ़ोन से अपनी पत्नी से बात तो करा ही सकता है। नहीं?
... पर.. पर आप हैं कौन? और आप मेरी पत्नी के नंबर से बात कैसे कर पा रहे हैं? आप हैं कहां? क्या मेरी पत्नी घर में नहीं हैं? फ़िर आपको उनका फ़ोन कहां मिला। मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा, ये क्या माजरा है। प्लीज़ ज़रा बताइए आप कौन हैं?
- ओह! लगता है कि आप ऑफिस में हैं। आवाज़ ने कहा। ... आवाज़ फ़िर आई- ओके, शायद आप आज कुछ जल्दी ऑफिस चले गए। कोई बात नहीं, मैं श्रीमती भटनागर से घर जाकर मिल लेता हूं!
भटनागर जी गुस्से और हैरानी से फ़ोन को जेब के हवाले कर तमतमाते हुए ऑफिस से निकल गए।
अब उनकी कार फ़िर से घर की ओर दौड़ रही थी।
