Krishna Bansal

Drama Inspirational

2  

Krishna Bansal

Drama Inspirational

भूली बिसरी यादें संस्मरण- 4

भूली बिसरी यादें संस्मरण- 4

3 mins
37


एक बहन जो मुझ से केवल दो वर्ष छोटी है, बंटवारे के समय केवल दो वर्ष की थी। घर में उदासी का वातावरण था क्योंकि पिता जी कुछ अता पता नहीं था। मां तो हरदम रोती रहती थी।

उसके बाल मन पर कुछ असर रहा होगा। चुप चुप रहने लगी। न खाने को मांगती, न पीने को। कोई छोटी सी चीज़ उसके हाथ में दे दो उसी स्थान पर बैठे-बैठे घंटों खेलती रहती। पिताजी के एक दोस्त ने उसका नाम 'सन्तनी' डाल दिया था। उनका मानना था, पिछले जन्म में अवश्य कोई संत, महात्मा या साध्वी रही होगी। 

 अभी भी उसका यही स्वभाव है उसको किसी से कोई मोह नहीं, कोई लगाव नहीं। अपने में मस्त और व्यस्त। 

पढ़ने में थोड़ी कमज़ोर थी। वैसे तो एम0ए0 इंग्लिश कर रही थी जब उसकी शादी हुई।

एक किस्सा माँ ने सुनाया। पढ़ते-पढ़ते वह बहुत घबरा जाती थी। मेरे से पढ़ा नहीं जाता, वह अक्सर कहती। 

      परिवार की पृष्ठभूमि आर्य समाजी थी पर इतने भी कट्टर नहीं थे, कभी कभार ज्योतिषों और पंडितों के पास जाने से गुरेज़ करें। माँ उसे ज्योतिषी के पास ले गई और पूछा इसके पेपर कैसे होंगे। ज्योतिषी ने जवाब दिया आपको इसकी पढ़ाई की चिंता लगी है यहां तो इसकी शादी का योग बन रहा है। मां बेटी दोनों खिलखिला कर हंस पड़ीं क्योंकि घर में शादी की बात करना निषिद्ध था जब तक निर्मल एम0ए0 न कर ले। पन्डित ने यकीन दिलाया कि उसका हिसाब किताब तो यही कहता है।

      कुछ दिनों उपरान्त एक जानने वाले ने बताया कि एक लड़का इंग्लैंड से शादी करने भारत आया हुआ है, निर्मल के लिए सूटएबल है। लड़का लड़की की आपस में मुलाकात करवाई गई

शादी तय हो गई और मज़े की बात पन्द्रह दिन में शादी भी हो गई।

चार दिन बाद ही जीजा जी तो लंडन चले गए और निर्मल यहीं रह गई। उसका अभी पासपोर्ट भी नहीं बना था। बहुत कोशिश के बाद पासपोर्ट बना और शादी के आठ महीने बाद वह लंडन जा पाईं। 

      उन दिनों जिन लड़कियों की शादी विदेश में हो जाती थी, अभी भी यही होता है, मन के किसी कोने में भय बना रहता था कि बेटी ठीक से बस जाए। जो लड़़का विदेश से शादी करने आया है उसको जांचने परखने का कोई पैमाना नहीं था। उसने या उसके घर वालों ने जो बता दिया, उस पर ही यकीन करना पड़ता था और जब तक बेटी का सही सलामती का संदेश नहीं आता था, मन काल्पनिक भय से ग्रसित रहता था। वो मोबाइल का ज़माना नहीं था कि उठाया और बात कर ली। लंदन पहुँचने के पन्द्रह दिन पश्चात जब निर्मल की राज़ी खुशी की चिट्ठी आई तो सब ने राहत की सांस ली। घर में शांति की लहर दौड़ पड़ी। रिश्तेदारों को मिठाई खिलाई गई।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama