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भूखा गिद्ध

भूखा गिद्ध

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एक गिद्ध का बच्चा अपने माँ-बाप के साथ घोसलें में रहता था। एक दिन उसने अपने पिताजी (गिद्ध) से बोला" पिताजी, मुझे भूख लगी है,आज मुझे इंसानी गोश्त खाने की इच्छा हो रही है।

"ठीक है,मैं देखता हूँ," कहकर उस बूढ़े गिद्ध इंसानी बस्ती की ओर उड़ चला। काफी देर मंडराने पर भी उसे जब इंसानी गोश्त न मिला, तब उसने एक मरे हुए सूअर का माँस लेकर ही घोसले में पहुँचा।

घोसले में पहुँचते गिद्ध के बच्चे नें अपने पिता पर गुस्सा होकर बोला, "पिताजी,मैं तो सिर्फ इंसान का ही गोश्त खाऊंगा, दूसरे किसी चीज का नहीं।."

पुनः वह गिद्ध बस्ती की तरफ गया लेकिन उसे निराशा हाथ लगी। इस बार वह एक मरी हुई गाय का मांस लेकर घोसलें में पहुँचा। फिर उसके बच्चे नें अपनी नाराजगी जाहिर की। अपने पुत्र मोह और एक बाप होने का फर्ज अदा करने के उद्देश्य से उसने एक तरकीब सोची।

उसने चुपके से सूअर के मांस को मस्जिद के सामने और गाय के मांस को मंदिर के द्वार के सामने गिरा दिया। देखते ही देखते सारी की सारी बस्ती दंगे की आग में जल गई। चारों तरफ इंसानी लाशें बिखरी पड़ी थी। वह गिद्ध अंदर से प्रसन्न हो गया कि उसकी तरकीब काम आ गयी और वह अपने बच्चे की माँग पूरी करने के लिए घोसले से उड़ चुका था।


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