बहुरूपिया धन
बहुरूपिया धन
एक शहर में धनीराम नाम के एक नामी सेठ रहा करते थे। उनका शहर में ही नहीं पूरे राज्य में दबदबा था। वह दिनोंदिन बरकत पाते जाते थे और राज्य में उनके नाम की ख्याति बढ़ती जाती थी। धनीराम के पास धन तो बहुत था, लेकिन मन नहीं था। अर्थात् धनीराम धन के मोह के कारण धन को खर्च करना नहीं जानते थे। धनीराम को अपनी दौलत का बड़ा घमंड था। वह गरीब और गरीबी दोनों से घृणा करते थे। उन्होंने जीवन में कभी किसी की सहायता नहीं की थी। वह जैसे-जैसे बरकत पाते थे, वैसे-वैसे उनका व्यवहार कठोर और अमानवीय होता जाता था।
उसी शहर में सेठ धनीराम के पड़ोस में गोपाल नाम का ईमानदार और स्वाभिमानी गरीब किसान रहता था।
एक बार फसल चौपट होने के कारण गोपाल आर्थिक तंगी के चलते सेठ धनीराम से कुछ रुपये उधार माँगने चला गया। लेकिन सेठ धनीराम ने रुपये देना तो दूर उस गरीब किसान को गालियाँ देकर वहाँ से भगा दिया। तब से गोपाल ने ठान लिया, कि वह मेहनत करके एक दिन बड़ा आदमी बनेगा और मेरे जैसे असहाय व गरीब लोगों की मदद करेगा। उसके बाद उसकी मेहनत ने धीरे-धीरे अपना रंग जमाना शुरु कर दिया। अब उसकी हालत बहुत अच्छी हो गयी थी।
उधर कुछ दिनों बाद वक्त कुछ ऐसा बदला, कि सेठ धनीराम के सौभाग्य को निष्ठुर दुर्भाग्य की नजर लग गयी। धनीराम के विश्वास पात्र धनी मित्रों ने उनके साथ धोखा कर दिया। इस छल के कारण धनीराम की आर्थिक हालत बहुत बिगड़ गई और अब उनकी हालत बद से बदतर हो गयी। धनीराम जैसा प्रतिष्ठित व्यक्ति अब भिखारियों-सा जीवन यापन करने को मजबूर हो गया। अब सेठ धनीराम को सब भूल चुके थे और सेठ धनीराम अब फ़कीर धनीराम हो गये थे। धनीराम लोगों से आर्थिक मद्द के लिए गुहार लगाते, लेकिन कोई नहीं सुनता था। एक दिन गोपाल ने उन्हें देखा और उन्हें अपने साथ ले गया। लेकिन धनीराम ने गोपाल को नहीं पहचाना। घर ले जाकर गोपाल ने पूर्ण सेवा भाव से धनीराम को जलपान कराया और कुछ आर्थिक सहायता भी पहुँचायी। तब गोपाल ने धनीराम से कहा, कि मुझे पहचानते हो, मैं वही गोपाल हूँ, जो किसी दिन आपसे कुछ पैसों की सहायता माँगने आया था। लेकिन आपने मुझे बेइज्जत करके भगा दिया था। यह मैं आपको नीचा दिखाने या बदला लेने की भावना से नहीं कह रहा, बल्कि यह बताने के लिए कह रहा हूँ, कि समय हमेशा एक-सा नहीं रहता और धन किसी बहुरूपिये जैसा अपना रूप व स्थान बदलता रहता है। अब धनीराम के पास अश्रु भरी आँख में पछतावे के सिवा कुछ नहीं बचा था।