Gita Parihar

Drama

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भगवान का बगीचा

भगवान का बगीचा

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"दोस्तो, क्या आप जानते हैं किस गांव को "भगवान का अपना बगीचा" के नाम से भी जाना जाता है?"

"भगवान का अपना बगीचा,फिर तो यह अलौकिक दिखता होगा?आप ही बताइए न ,किस गांव को इतनी उच्च पहचान मिली हुई है?"

" मेघालय के शिलॉंन्ग और भारत-बांग्लादेश बॉर्डर से 90 किलोमीटर दूर खासी हिल्स डिस्ट्रिक्ट के इस गांव का नाम है मावल्यान्नॉंग गांव। यह भारत ही नहीं एशिया का सबसे साफ़ सुथरा गाँव है,शायद इसीलिए इसे यह नाम मिला।"

"आश्चर्य की बात है। हमारे देश के पंत प्रधान को जहां सफाई की बार-बार शिक्षा देनी पड़ती है, विनती करनी पड़ती है , वहां एक ऐसा गांव भी है!"

"दोस्तो,सफाई के साथ -साथ यह गाँव शिक्षा में भी अव्वल है।"

"इस गांव की आबादी क्या है,क्या सभी निवासी सफाई पसंद हैं ?"

 "2014 में जब जनगणना हुई तब यहां 95 परिवार रहते थे।दरअसल यहाँ की सारी सफाई ग्रामवासी स्वयं करते है, सफाई व्यवस्था के लिए वे किसी भी तरह प्रशासन पर आश्रित नहीं है। गांव भर में जगह - जगह बांस से बने डस्टबिन लगे हैं।कोई भी ग्रामवासी महिला, पुरुष या बच्चे जहाँ गन्दगी देखते हैं , फ़ौरन सफाई पर लग जाते हैं, फिर वह कोई भी जगह हो या वक़्त हो। सड़क पर चलने वाले भी यदि कचरा पड़ा देखते हैं तो रूककर पहले उसे उठाकर डस्टबिन में डालते हैं तब आगे बढ़ते हैं। घर से निकलने वाले कूड़े-कचरे को खाद की तरह इस्तेमाल किया जाता है।"

"क्या यहां पर्यटक आते हैं और यदि हां, तो क्या वे भी इस सफाई को बनाए रखने में सहायक होते हैं ?"

"अच्छा सवाल है, पर्यटक आते हैं ,वे गांव घूमने का आनंद ले सकते हैं , किंतु उन्हें यह ध्यान रखना होता है कि उनके द्वारा वहां की सुंदरता किसी तरह खराब न हो।इस गाँव के आस पास टूरिस्ट्स के लिए कई अमेंजिग स्पॉट हैं, जैसे वाटरफॉल, लिविंग रूट ब्रिज (पेड़ों की जड़ों से बने ब्रिज) और बैलेंसिंग रॉक्स भी हैं। इसके अलावा जो एक और बहुत फेमस टूरिस्ट अट्रैक्शन है वो है 80 फ़ीट ऊंंची मचान पर बैठ कर शिलांग की प्राकृतिक खूबसूरती को निहारना।"

"हमने सुना था, यहां प्राकृतिक पुल हैं, क्या वे मजबूत होते हैं, क्या उनका इस्तेमाल किया जाता है?"

" प्राकृतिक पुल पेड़ो की जड़ो से बने होते हैं

 जो समय के साथ- साथ मजबूत होते जाते हैं। इस तरह के ब्रिज पूरे विश्व में केवल मेघालय में ही मिलते हैं।"

"यहां पहुंचने के लिए क्या हवाई मार्ग भी हैं?"

"मावल्यान्नॉंग गांव शिलांग से 90 किलोमीटर और चेरापूंजी से 92 किलोमीटर दूर स्तिथ है। दोनों ही जगह से सड़क के द्वारा आप यहाँ पहुँच सकते हैं। शिलांग तक देश के किसी भी हिस्से से हवाईजहाज के द्वारा भी पहुँच सकते हैं।"

दोस्त, यहां आने से पहले कोई विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है?"

"हां,जरुर, यहाँ जाते वक़्त एक बात ध्यान रखें कि अपने साथ पोस्ट पेड़ मोबाइल ले के जाएं क्योंकि अधिकतर पूर्वोत्तर राज्यों में प्रीपेड मोबाइल बंद है।"

"बस अब तो समझिए, ऐसे ही किसी स्थान पर बस जाने का मन है।"

"भला कौन नहीं चाहेगा..?"


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