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Gita Parihar

Drama

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Gita Parihar

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भारत की धर्म नगरी,अयोध्या

भारत की धर्म नगरी,अयोध्या

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बच्चो,क्या आप जानते हैं, अयोध्या नगर को किसने बसाया था ?"

" नहीं चाचाजी,आप ही बताएं।"

"बच्चो, सूर्य देव के पुत्र एवं भगवान राम की दूसरी पीढ़ी के पूर्वज महाराज मनु ने अयोध्या नगरी को बसाया था।"

"चाचाजी,अयोध्या धर्मनगरी कैसे कहलाई?"

"उज्जवल,तुम्हारा प्रश्न बहुत उम्दा है।तुम सब वेदों के नामों से तो भाली - भांति परिचित हो।अथर्ववेद में अयोध्या को आठ चक्रों और नौ द्वारों वाली देवताओं की पुरी बताया गया है। इक्ष्वाकु, पृथु, हरिश्चंद्र, भगीरथ, रघु, दिलीप, दशरथ जैसे प्रतापी, पराक्रमी राजाओं की राजधानी रही अयोध्या को शिखर का स्पर्श भगवान राम के जन्म से मिला।"

 "चाचाजी,राम क्या साधारण राजकुमार थे ?"

"नहीं दीपक, राम ने आदर्श, औदार्य और प्रबल पुरुषार्थ से सिद्ध किया कि वह असाधारण हैं। उनके पुरुषार्थ का चरम लंका विजय से परिभाषित हुआ।" "किंतु लंका विजय के बाद उनका मां सीता का त्याग कर देना क्या उचित था ?"

",बहुत ही गंभीर प्रश्न पूछा है रीपुदमन तुमने ! लंका से लौटने पर अयोध्या का उल्लास सातवें आसमान पर था।मगर एक धोबी ने माता सीता के चरित्र पर उंगली उठा दी।राम चाहते तो उसे दंड दे सकते थे,किंतु मां सीता ने उनकी मर्यादा को रखते हुए,उन्हें एक राजा के धर्म पालन हेतु स्वतंत्र किया और स्वयं धरती की गोद में समा गईं।" 

 "चाचू, राम सूर्यवंश की किस पीढ़ी में पैदा हुए थे ?" "शांभवी, राजा दशरथ के पुत्र राम का जन्म 64 वीं पीढ़ी में हुआ था ? लोककथाओं के नायक महाराज विक्रमादित्य ने अयोध्या को पुन: गौरव प्रदान किया था।"

"चाचाजी,अयोध्या में रामजन्म बहुत धूमधाम से मनाया जाता होगा ?"

 "हां प्रतीक,प्रत्येक वर्ष चैत्र शुक्ल नवमी को राम जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसकी शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही होती है। प्रातः रामलला के पूजन अभिषेक का वैशिष्ट्य और सायं आराध्य के दरबार में सजने वाले बधाई गीत रंग नवमी से तीन-चार दिन पूर्व ही प्रारंभ हो जाते हैं। दूरदराज के श्रद्धालु आने लगते हैं। नवमी की मध्यान बेला में राम जन्मोत्सव की रस्म निभाई जाती हैं।"

"चाचाजी,अयोध्या का झूला महोत्सव भी बहुत प्रसिद्ध है,वह कब और कैसे मनाया जाता है ?"

"संजय, 13 दिवसीय झूलन उत्सव की उल्लास से तैयारी होती है। मां सीता एवं भगवान राम के विग्रह से लेकर उनके स्वरूप हिंडोले पर पूरी गरिमा से विराजमान होते हैं। "

"चाचाजी,अयोध्या की परिक्रमा का क्या विधान है?"

"अंजलि,यह आस्था ही तो है जिसका चमत्कार है, संपूर्ण नगरी की परिक्रमा का विधान। इसकी तीन परिधि हैं। वृहतर परिधि चौरासी कोस की है,जिसकी परिक्रमा चैत्र पूर्णिमा को शुरू होकर वैशाख शुक्ल नवमी तक यानी 24 दिन चलती है। 250 किलोमीटर की पदयात्रा की कल्पना मात्र बड़े- बड़ों को पस्त कर सकती है, पर आस्था का ऐसा चमत्कार है कि राम नगरी की 84 कोसी परिक्रमा में हजारों लोग शामिल होते हैं। कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी को 14 कोसी तथा 2 दिन बाद एकादशी को पंचकोसी परिक्रमा की जाती है।"

"चाचू,इस परिक्रमा में कौन हिस्सा लेते हैं?"

"ईशान, इसमें बच्चे, युवा, वृद्ध नर- नारी सभी हिस्सा लेते हैं।सम्पूर्ण नगरी,' जय श्री राम जय घोष से गुंजायमान रहती है तो आज के लिए यहां समाप्ति,जय श्री राम।"


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