भारत के खजाने का एक और रत्न

भारत के खजाने का एक और रत्न

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बोधी धर्म ने या बोधिधर्म का जन्म दक्षिण भारत के पल्लव राज्य के कांचीपुरम के राज परिवार में हुआ था। वे कांचीपुरम के राजा सुगंध के तीसरे पुत्र थे। छोटी आयु में ही उन्होंने राज्य छोड़ दिया और भिक्षुक बन गए। 22 साल की उम्र में उन्होंने संबोधि (मोक्ष की पहली अवस्था) को प्राप्त किया। प्रबुद्ध होने के बाद राजमाता के आदेश पर उन्हें सत्य और ध्यान के प्रचार-प्रसार के लिए चीन भेजा गया।

बोधिधर्म ने चीन, जापान और कोरिया में बौद्ध धर्म का विस्तार किया। 520-526 ईस्वीं में चीन जाकर उन्होंने चीन में ध्यान संप्रदाय की नींव रखी थी जिसे च्यान या झेन कहते हैं।

 छोटी सी उम्र में ही उन्होंने हर तरह की विद्या में खुद को पारंगत कर लिया। 

चीन में मार्शल आर्ट और कुंग फू जैसी विद्या को सिखाने वाले बोधी धर्मन ही थे।

वे आयुर्वेद, सम्मोहन, मार्शल आर्ट और पंच तत्वों को काबू में करने की विद्या जानते थे। इन्होंने देवीय शक्तियों को भी हासिल कर रखा था।बोधिधर्म जब चीन देश के नानयिन (नान-किंग) गांव पहुंचे, वहां महामारी फैली हुई थी।गांव के जो लोग बीमारी से ग्रसित थे, उन्हें लोग गांव के बाहर छोड़ देते थे, ताकि किसी अन्य को यह रोग न लगे।

बोधी एक आयुर्वेदाचार्य थे, उन्होंने ऐसे लोगों की मदद की।उन्हें चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराकर गांव को महामारी से बचा लिया।

एक संकट खत्म होने के बाद गांव पर दूसरा संकट आ गया। हैवानों, लुटेरों की एक टोली ने गांव पर हमला कर दिया। चारों ओर कत्लेआम मच गया। गांव वाले समझते थे कि बोधी धर्मन सिर्फ चिकित्सा पद्धत्ति में ही माहिर है लेकिन उन्होंने क्या मालूम था कि बोधी धर्मन एक प्रबुद्ध, सम्मोहनविद् और चमत्कारिक व्यक्ति थे। वे प्राचीन भारत की कालारिपट्टू विद्या में भी पारंगत थे। कालारिपट्टू जिसे आजकल मार्शल आर्ट कहा जाता है।

बोधी धर्मन ने मार्शल आर्ट और सम्मोहन के बल पर उन हथियारबंद लुटेरों को हरा दिया और उन्हें भागने पर मजबूर कर दिया। गांव वाले बोधी धर्मन को लुटेरों की उन टोली से अकेले लड़ते देख चकित रह गए। चीन के लोगों ने युद्ध की आज तक ऐसी आश्चर्यजनक कला नहीं देखी थी। वे समझ गए कि यह व्यक्ति कोई साधारण व्यक्ति नहीं है। इसके बाद बोधी धर्मन का सम्मान और भी बढ़ गया। 

अब गांव वाले बोधी धर्मन को वहीं रोकना चाहते थे, किसी भी हाल में। यदि वह नहीं रुकते तो उन्हें जबरदस्ती रोकना था, जिंदा या मुर्दा। गांव वाले यह जानते थे कि वे बोधी धर्मन से लड़ नहीं सकते तो उन्होंने बोधी धर्मन को रोकने के लिए उनके खाने में जहर मिला दिया, बोधी धर्मन यह बात जान गए। 

उन्होंने गांव वालों से पूछा उन्होंने ऐसा क्यों किया?वे उन्हें मारना क्यों चाहते थे ? गांव वालों ने कहा कि उनके ज्योतिषियों अनुसार उनके शरीर को वहीं दफना दिया जाए तो उनका गांव हमेशा के लिए संकट से मुक्त हो जाएगा। बोधी धर्मन ने गांव वालों की इस बात को स्वीकार कर लिया और उन्होंने जहर मिला वह भोजन बड़े ही चाव से ग्रहण कर लिया।


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