Kavita Sharma

Inspirational

4.5  

Kavita Sharma

Inspirational

भाईचारा

भाईचारा

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 स्ट्रेचर पर तेजी उसे ले जा रहे थे , अस्पताल के गलियारे में पीछे कुछ परिचित रोते हुए तेजी से चल रहे थे । आॉपरेशन कक्ष आते ही भीड को रोक दिया गया । दरवाजा बंद हो गया बाहर परिचित चिंता में थे । इन्हीं में एक राशिद था जो इन सब से अलग खडा था , कुछ सोचता हुआ वह बाहर गया और पानी की बोतल लेकर आया और रोती हुई महिला को तसल्ली देते हुआ बोला "आँटी आप चिंता मत करिए ऊपरवाले पर भरोसा रखिए सब ठीक हो जायेगा । "उन्होंने झटक कर पानी की बोतल हटा दी और मुँह फेर लिया बाकी रिश्तेदार आकर उन्हें सुधा मेहता हाँ यही नाम था उस महिला का , तसल्ली देने लगे ।  

राशिद का परिवार संजय मेहता के मौहल्ले में ही रहता है ।

अक्सर शहर में धर्म के नाम पर , सांमप्रदायिक दंगे हो जाते । बस इन्हीं कारणों से संजय मेहता राशिद को पसंद नहीं करता था यहाँ तक की अपने बेटे अजय जिसे वे अज्जू कहते थे , को भी उससे दोस्ती करने से मना कर दिया था , लेकिन उन्हें पता ही नहीं चला कि कब अजय और राशिद गहरे दोस्त बन गये थे। उस दिन अजय को इंटरव्यू के लिए काल आई थी बैंगलौर से , आई टी हब होने की वजह से अजय यह इंटरव्यू छोडना नहीं चाहता था । जाते समय राशिद को बोल गया कि माँ बाबूजी का ध्यान रखना , वैसे 

उसे पता था कि उसके माता पिता राशिद को जरा भी पसंद नहीं करते । अजय सिर्फ एक दिन के लिए ही गया था क्योंकि हवाई यात्रा से जल्दी पहुँचकर तुरंत ही वापसी की फ्लाईट लेकर वो वापिस आने वाला था ।

  अस्पताल में संजय मेहता की हालत काफी नाजुक थी खून काफी बह जाने के कारण उन्हें खून चढाने की जरुरत थी । अब तक कुछ रिश्तेदार तो वैसे भी औपचारिकता निभाकर घर जा चुके थे । सुधा जी वहीं थीं और एक उनकी चचेरी बहन और उनके पति , जो अब जाने की तैयारी में ही थे । तभी डाॅक्टर ने आकर कहा था कि खून की जरुअत है आपमें से अगर कोई दे सकता है तो ...... ।डाक्टर के इतना कहते ही सुधा जी की बहन और उसके पति बच्चे घर पर अकेले हैं बहाना बनाकर वहां जल्दी ही निकल गये। राशिद को जैसे ही पता चला वो तुरंत ही खून देने के लिए राज़ी हो गया और डाक्टर से मिलने पहुंचा भाग्यवश उसका बल्ड ग्रुप अजय के पिता से मैच कर गया और तुरंत खून चढ़ाने की व्यवस्था कर दी गई। दूसरे दिन अजय के पिता को जब पता चला तो वो बहुत शर्मिन्दा हुए अपनी सोच पर और राशिद को उन्होंने गले से लगाया और उसके माता-पिता को फोन पर खूब धन्यवाद दिया और राशिद के संस्कारों की बहुत तारिफ़ की । शाम होते-होते अजय भी आ पहुंचा और सब जानकर वो राशिद के गले लगकर भावुक हो गया । ये अटूट दोस्ती के आंसू थे जिसमें दोनों ही भीग रहे थे।


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