Anita Sharma

Inspirational

4.5  

Anita Sharma

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भाई ये बंधन ही मेरा जीवन है

भाई ये बंधन ही मेरा जीवन है

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सावन शुरू होते ही तनु के मन को सावन की फुहारों की तरह ही मायके की यादें भी ठंडक पहुंचाती है ।और इंतजार शुरू हो जाता है कि अब भाई भाभी का फोन आयेगा कि .."बहन जी कब आ रही हो?" और तनु सब खुश होकर मायके जाने की तैयारी करने लगती।


पर पता नहीं क्यों इसबार तनु इंतजार ही करती रह गई । रक्षा बंधन के एक दिन पहले तक उसके भाई का फोन ही नहीं आया।रक्षा बंधन वाले दिन तनु बेचैन होकर सारे काम निपटाये जा रही थी।वो सुबह से दो तीन बार अपने भाई को फोन भी लगा चुकी थी।पर न तो फोन लग रहा था और न दोपहर तक भाई आया।


अब तो तनु परेशान हो गई।और घर के सारे काम निपटा अपने बेटे को पति के पास छोड़कर मायके जाने वाली आखरी बस में बैठ पहुंच गई अपने बचपन के प्यारे घर में।दरवाजे पर ही उसे अपनी भतीजी मिल गई जो उसे देखते ही खुश होकर उससे लिपटते हुऐ चिल्लाई.....


" मम्मी बुआ आ गई"


ये खबर सुनते ही भाई भाभी भागते हुऐ दरवाजे की तरफ लपके । तनु को देखते ही दोनों की आखें सजल हो उठी थी ।जिन्हें पोंछते हुऐ भाई ने तनु को अपने से चिपटा लिया और बोले.....


"आ गई मेरी प्यारी बहन"


"क्या करू भाई आना ही पड़ा।आपका तो कुछ पता ही नहीं चल रहा न आप फोन लग रहा। न ही इसबार आप लोगो ने हमारी खैर खबर ली । आपको पता भी है मेरे मन में कैसे - कैसे ख्याल आ रहे थे।"


भाई को सही सलामत देख और उसका प्यार देखकर मानो तनु फिक्र और गुस्से में फट पड़ी थी।तभी उसकी भतीजी ने उसके हाथ से उसका छोटा सा बैग लेते हुऐ और लगभग उसे घसीटते हुए कहा.....


"चलिये बुआजी पहले आप अंदर चलिये।"


तनु ने अंदर आते ही अपनी नजरें भाई ,भाभी के चेहरे पर गड़ा दी।उन नजरों में अपने भाई से शिकायत थी ।जिन्हें महसूस करते ही तनु के भाई ने बड़ी ही बेचारगी से कहा.....


"मेरी बहन में आज तुमसे मिलने आना चाह रहा था पर मुसीबत के समय में तुम्हारे दिये पैसे लौटाने का इंतजाम ही नहीं कर पाया तो लग रहा था कि मेहमान जी के सामने कैसे जाऊं।बस इसी लिऐ मन मारकर घर पर बैठा था। न तो तुम्हारे घर जाके राखी बंधवाने की हिम्मत हो रही थी। न मेहमान जीको फोन करके त्योहार पर तुम्हे यहां बुलाने की।"


"भाई आपके और मेरे प्यार के बीच में रूपये पैसा कैसे आ गया। और भाई आपने अपनी बहन को इतना पराया कर दिया कि आपने ये सोच लिया कि में अपने भाई की परेशानी नहीं समझूंगी।भाई मेरे प्यार में ही कोई कमी रह गई होगी जो आपको ऐसा लगा"!


तनु आंखों में आंसू भरकर बोली तो उसके भाई ने उसे टोकते हुऐ कहा......


"नहीं तनु ऐसा नहीं है, तेरे प्यार पर तो मुझे खुद से भी ज्यादा भरोसा है। पर पैसे....."


"पर पैसे क्या भाई क्या मेरे भाई से ज्यादा हो गए पैसे और ऐसा तो है नहीं की वो आपके मेहमान जी के पैसे थे वो तो मैने अपने पैसे दिऐ थे।और मैने तभी आपको बोल भी दिया था कि ये वापिस नहीं चाहिये।अच्छा भाई अगर मैं मुसीबत में होती और आप मेरी मदद करते तो क्या आप भी मुझसे पैसे वापिस लेने तक कोई रिश्ता नहीं रखते।"


तनु ने एक बार फिर भाई से सवाल किया तो भाई ने बहुत प्यार से तनु के सर पर हाथ रखते हुऐ कहा.....

"कैसी बातें करती हो तनु मेरा सब कुछ तेरा ही तो है तुझे कुछ देने के बाद तो उसे वापिस लेने का सवाल ही नहीं उठता।"


तनु ने अपने सर से भाई का हाथ अपने हाथ में लेते हुऐ बहुत ही अपनेपन से कहा......


" तो भाई मेरे लिऐ इतने परेशान क्यों हो? मैं भी तो आपकी बहन हूं मैं कैसे आपकी परेशानी को बिना समझे पैसे की वजह से आपसे रिश्ता नहीं निभाऊंगी।"


तनु की बात सुनकर भाई भाभी दोनों बिना कुछ कहे उसके गले लग सिसकने लगे।तभी तनु की भतीजी आरती की थाल लेकर आ गई और बोली....


" अरे बुआ अब ये रोना धोना बंद करो जल्दी से राखी बांधों आज पापा पूरे दिन से इस थाल को देखकर आंखों से गंगा जमुना बहा रहे है।और मुझे भी अपने हाथों की बनी मिठाई खिलाओ सुबह से मम्मी ने कुछ अच्छा भी नहीं बनाया "


भतीजी की बात सुनकर तनु ने जल्दी से अपने भाई को राखी बांधी।और भाई के आगे हाथ फैलाती हुई बोली......


"लाओ भाई मेरा गिफ्ट"


भाई ने खुश होकर अपनी जेब में हाथ डाला तो तनु ने फिर से कहा....


" भाई मुझे ये रूपये पैसे नहीं बस एक वचन चाहिये कि अब से किसी भी राखी पर आप मेरी खैर खबर लेना नहीं भूलोगे चाहे कुछ भी हो जाये।आपके प्यार के बिना तो मैं कुछ भी नहीं।ये बंधन ही मेरा जीवन है भाई।


तनु की बात सुनकर भाई ने नम आंखों से उसके सर पर हाथ धर दिया।और तनु मुस्कराते हुऐअपनी भाई भाभी के गले में हाथ डाल दिये और भतीजी ने तुरंत ये अनमोल पल कैमरे में कैद कर लिऐ।



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