भाभी बिन अधूरा मायका
भाभी बिन अधूरा मायका
"रश्मि तुम आज मत जाओ न! पिंकी पूरे दो साल बाद आ रही है और उसे सोनू, मोनू के बिना यहाँ बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। गर्मी की छुट्टी में तुम चली गई थी, तो वो नहीं आई थी। उसने कहा था कि भाभी अभी गई हैं तो वो राखी पर आ जायेगी। एक बार पिंकी से मिल लो फिर मैं तुम्हे खुद छोड़ आऊँगा।"
"पर निखिल मुझे भी तो अपने भाई को राखी बांधनी है और फिर ये त्योहार भाई बहन का त्योहार है। तो मैं अपने भाई के साथ मनाउंगी और पिंकी अपने भाई के साथ" रश्मि अपना और बच्चों का बैग पैक करते हुए बोली!
निखिल की छोटी बहन पिंकी राखी पर अपने एक साल के बेटे को लेकर आ रही है। वो चाहती हैं कि जब वो मायके आये तो उस के भतीजे और भाभी सभी घर पर हों। पर रश्मि रुकने को तैयार नहीं थी। उसे लग रहा था कि पिंकी उसे मायके जाने से रोक रही है। वरना मम्मी जी, पापा जी और निखिल के यहाँ होने पर भी वो ये क्यों बोलती कि भाभी यहीं हो तभी आउंगी।
तभी सोनू, मोनू भी अपनी मम्मी से बोलते हैं "मम्मी हमारा भी मन नहीं है नानी के घर जाने का। बुआ से मिलते हैं न! और इस बार तो बुआ के साथ उनका क्यूट सा बेबी भी आ रहा है। रुक जाओ न मम्मी।"
अपने पांच और आठ साल के बेटों के मुँह से ये सुन कर रश्मि आग बबूला हो गई और बोली "सब पर बुआ का रंग चढ़ा है। जब यहाँ थी तब भी तुम दोनों उन के ही पीछे घूमते थे और अब उन की शादी होने के बाद भी तुम्हारा उन से लगाव कम नहीं हुआ। मैं कुछ नहीं जानती, तुम दोनों को तुम्हारी नानी ने बुलाया है। तो तुम दोनों मेरे साथ चल रहे हो।"
निखिल की मम्मी जो ये सब बाहर से सुन रही थी निखिल को बुला कर बोली " जाने दो बेटा बहू का मन नहीं है रुकने का तो क्यु जबरदस्ती कर रहा है। और सही ही तो कह रही है वो उसे भी तो अपने भाई को राखी बांधनी है। ,,
पर मम्मी.........
निखिल की मम्मी ने हाथ से इशारा कर निखिल को चुप रहने को और बहू का समान गाड़ी में रखने को बोलती है।
निखिल वैसा ही करता है। और रश्मि अपने बच्चों के साथ चली जाती है।
शाम को जब पिंकी आती है, तो भाभी और भतीजो को न पाकर उदास हो जाती है। पर अपनी माँ पापा और भाई से मिल कर खुश भी होती है।
वहाँ रश्मि जब अपने मायके पहुँचती है तो उसकी मम्मी, भाई और पापा बहुत खुश होते हैं। बच्चे नानी के गले लग खूब लाड़ लड़ाते है। और मामी - मामी चिल्लाते हुये अंन्दर् चले जाते है। रश्मि माँ के गले लग उन के हाल चाल पूछती है। तब तक बच्चे आ कर अपनी नानी से पूछते है।
"नानी मामी कहा गई ?अंदर तो नहीं है?और चिंटू भी नहीं है?कहीं बाहर गये है क्या??
हाँ बेटा चिंटू भी अपनी नानी के घर गया है। आज सुबह ही तुम्हारी मामी भी अपने भाई को राखी बांधने गई है।
एक मिनिट को रश्मि को झटका लगा फिर ये सोच कर कि" मम्मी, भाई, पापा तो है। एक भाभी भतीजा नहीं तो क्या हुआ। ,, थोड़ी देर मम्मी से बात करती रही। और मम्मी को किचन में हेल्प भी की। फिर बच्चों को खाना खिलाया। बच्चे खाना खाते हुए भी मामी के हाथ का बना हुआ खाना याद कर रहे थे। बच्चो को तो उन के मामा और नानी ने प्यार से खिला दिया। पर खुद रश्मि को भाभी के बिना खाना बड़ा अजीब लग रहा था।
भाभी होती तो हँसी मजाक करते हुये खाना बनता और खाया जाता। चिंटू भी सारा टाइम बुआ बुआ करता उस के आस पास ही चक्कर लगाता रहता। और सोनू मोनू का मन भी तो उसी से लगा रहता। भाई की शादी उसकी शादी के बाद हुई थी। भाभी के आने के बाद जब भी वो मायके आई हमेशा भाभी को यही पाया ये पहली बार था की वो यहाँ नहीं थी।
रश्मि को कुछ सोचता देख उस की माँ ने पूछा क्या हुआ बेटा बहू के बारे में सोच रही हो। अगर उसे पता होता तुम आ रही हो तो वो न जाती। तूने उसे बताया था न कि तेरी ननद आ रही है राखी पर तो उसे लगा तू नहीं आयेगी इसी लिये वो चली गई। अब ज्यादा मत सोच हम सब तो है यहाँ।
रश्मि मुस्करा कर हूँ.... कर सोने चली जाती है। पर उस की आखों में दूर दूर तक नींद नहीं थी। उसे रह - रह के पिंकी की याद आ रही थी। उसे समझ आ रहा था की क्यु वो इस बात पर जोर देती है। कि जब में और बच्चे घर पर हो वो तभी आयेगी। जब मुझे चिंटू की इतनी याद आ रही है जब की मैने उस के साथ ज्यादा टाइम नहीं बिताया। तो मेरे बच्चे तो पिंकी की गोद में ही बड़े हुए है। उन्हें बच्चों की कितनी याद आती होगी।
ये सब से सोचते सोचते सुबह हो गई। रश्मि जल्दी से तैयार हो गई। और अपने भाई को भी तैयार होने को बोल दिया।
रश्मि की माँ बोली "बेटा इतनी जल्दी क्या है। आराम से बांध लेना। ,,
"नहीं माँ में भाई को राखी बाँध कर घर वापिस जाउंगी।
वहाँ पर बच्चों की बुआ को बच्चों के बिना बहुत बुरा लग रहा होगा। मैने कभी इस तरह से सोचा ही नहीं था। आज जब भाभी के बिना यहाँ इतना अधूरापन महसूस किया, तो पिंकी की हालत समझ पाई।
"सच कहते है की माँ के बिना अगर मायका सुना है। तो भाभी के बिना मायका अधूरा है। ,,
तभी बच्चे खुश होकर आते है। "सच्ची मम्मी हम घर चल रहे है बुआ के पास। , ,
हां बेटा बस तुम्हारे मामा को राखी बांध दू फिर चलते है।
रश्मि की माँ रश्मि को गले से लगा कर कहती है "मेरा प्यारा बच्चा अपनी गलती जब समझ आये तभी सुधार लेनी चाहिये। हमेशा ऐसे ही अपने परिवार का ख्याल रखना।"
रश्मि अपने भाई को राखी बांध चल देती है, अपने ससुराल अपनी ननद के मायके का अधूरापन दूर करने।
