बेवकूफियाँ
बेवकूफियाँ
बचपन मे हमारे मोहल्ले में एक औरत आती थी जो पीतल और एल्युमीनियम लेकर मूंगफली और खजूर देती थी।हम अपनी होशियारी दिखाते हुए एल्युमीनियम के ढक्कनों में छोटे छोटे पत्थर भर पिचका कर रख लेते थे।और जैसी ही ख़जूर और मूंगफली बेचनेवाली आती थी हम उसको बुलाकर हमारे पत्थर के साथ पिचके हुए ढक्कन देते थे और वह उनके वजन के बराबर हमें ख़जूर और मूंगफली देती थी।
उसके जाने के बाद हम सारे बच्चे बड़े खुश होते थे की हमने कितनी आसानी से उस बेचनेवाली को बेवकूफ़ बनाया और मजे ले कर वह ख़जूर मूंगफली बाँट कर खाया करते थे।इतने सालों के बाद आज पता नहीं क्यों बचपन की वे सारी बातें मुझे याद आयी।आज इतने बड़े होने के बाद समझ आया है की हमारी चालाकी को जानने के बाद भी वह हमें ज्यादा ही मूंगफली, ख़जूर देती रहती थी।
उसे बेवकूफ बनाने के चक्कर मे शायद हम ही बेवकूफ़ बनते थे उसके प्यार को ना समझ कर...
आपका क्या खयाल है,कौन किसे बेवकूफ बना रहा था?
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