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Pawanesh Thakurathi

Drama

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Pawanesh Thakurathi

Drama

बेटी की विदाई

बेटी की विदाई

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रामसिंह एक निर्धन किसान थे। उनकी एक बेटी थी- शीतल। शीतल गांव के ही प्राइमरी स्कूल में पढ़ती थी। रामसिंह उसके विवाह को लेकर चिंतित रहते थे। वे अपनी पत्नी दीपा से अक्सर कहा करते थे- "किसी तरह बेटी की विदाई हो जाय। कन्या ऋण से उऋण हो जाऊंगा।"

समय गुजरता गया। शीतल अब बड़ी हो गई थी। वह पढ़ाई में अव्वल रहती थी। यही कारण है कि उसकी शिक्षा विभाग में नौकरी लग चुकी थी।बेटी की नौकरी लगने से रामसिंह अब उसकी शादी के विषय में निश्चिन्त हो चुके थे। गाँव का जो भी व्यक्ति उनसे पूछता कि शीतल की शादी कब कर रहे हो, तो वे जवाब देते- "शीतल अब आत्मनिर्भर हो गई है। अब मुझे बेटी की विदाई की कोई चिंता नहीं है। समय आने पर खुद सारे काज हो जायेंगे।"


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