बदनाम औरत क्यों----?
बदनाम औरत क्यों----?


वेश्या है, धंधे वाली लोगों की उठती नजरों से घायल आशिमा दिन में घर रहती है जब सभी लोगों का दफ्तरों से घर आने का समय होता है, यह धंधे पर जाती है। ना जाने कितने शरीफ घरों के मर्दों को फाँस रखा है, न जाने कितने शौहर हैं इसके, इसे तो यह भी नहीं पता कि इस की बेटी का बाप कौन हैं ?
बेटी को बोर्डिंग में पढ़ा रही है, मोटी कमाई करती होगी। उसकी पढ़ाई पर तो यह यूं ही खर्चा कर रही है। आखिरकार उससे यहीं तो करवाएगी इत्यादि इत्यादि।
सबके कटाक्ष सुन कर भी आशिमा हँसतीमुस्कुराती, कभीकभी अपनी मजबूरियों पर आँसू बहाती और सोचती अगर इतने ही शरीफ मर्द हैं तो घर छोड़ कर कोठे पर क्यों आते हैं ?
एक वह शरीफ मर्द जिसके साथ पवित्र अग्नि को साक्षी मान कर सात फेरे लिए थे और जिसने सात वचन देकर रक्षक बनने का जिम्मा उठाया था, वहीं उसकी सिसकियों और पीड़ा से बेखबर उसके जिस्म को नुचवाने वाला दौलत का सौदागर बन बैठा।पैसा इकट्ठा होते ही दुनिया में उसे बदचलन और बेहया साबित करने में उसने कोई कोरकसर बाकी न छोड़ी। खुद तो दूसरी शादी कर के गृहस्थी बसा गया और उसे दुनिया की नज़र में कुलटा, धंधे वाली बना गया। धंधा तो मर्द करते करवाते हैं तो बदनाम औरत क्यों?