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Sohini Roy

Abstract Inspirational

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Sohini Roy

Abstract Inspirational

बदले हुए रास्ते।

बदले हुए रास्ते।

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रिंग टोन बज रहा था, पर अब दुबारा नींद आ नई रही थी। आज का दिन कितना देरी से आए एक हफ्ते से यही सोच रहा था।

मां का कॉल था मैंने देख के भी अनदेखा करने का तय किया कुछ देर के लिए पहले मैं थोड़ा जाग लूँ पूरी तरह से, खुद को समेट लेने के बाद शायद मैं किसी और से बात करने के स्थिति में आऊंगी। आज का दिन ना ही मेरे लिए बल्कि मेरे पूरे परिवार के लिए बहुत भरी है। कुछ वक्त से उदासियां हीं मेरे आस पास अपना घर बनाए थी पर अब लगता है मानो की आज के बाद शायद चीज सुधारनी शुरू हो जाएंगी। यही उम्मीद दिल में जगाए मैंने अपनी सुबह की चाय पी और घर पे कॉल किया। मां की आवाज में बेचैनी थी , तूने हमे आने नही दिया पर मेरी। चिंता तो मुझे चैन से बैठने नहीं दे रही क्या होगा आज क्या करेगी तू? ठीक है या नई खुद को कैसे संभाल रही है? मां को शांत करते हुए मधु ने बोला " मां इसी लिए मैंने तुमको आने नई दिया । सब कुछ तो हो चुका है बस आज फैसला है , बस जो सबको पता है उस पर मोहर लगनी बाकी है।

मां का गला भरी हो गया था और मां अब मानो अब को रोई। मुझे इस बात का आभास होते ही मैंने कॉल काट दिया । और इसी के साथ मैं अपने आप को फिर से दो साल पहले के हालातों में पाया जब मां मेरी हालत पर या तो रोती थी या खुद को कोसती थी। पर क्या किसी की भी गलती थी इसमें । आज मेरे डाइवोर्स फाइनल होने वाला है और इसपर मोहर लगने वाली है। I can say it's official now। जब की अब इस बात को कहते और मानते हुए मुझे जरा भी दुख नही है जैसे दो साल पहले हुआ था । इस शादी से ना जाने कितने सपने थे न जाने कितनी उमीदे थी, सही कहते है किसी और से उम्मीद लगाना खुद के लिए ही मुश्किलें खड़ी करती है।

मेरी शादी एक फौजी से हुए थी। सौमेश उससे मिलकर ही उससे हो जाओगे ऐसी पर्सनेलिटी थी उसकी। अरेंज मैरिज के सेट अप में ही हम मिले थे और जितनी उसको तारीफे सुनी थी मिलने पर लगा वो भी कम है। सौमेश और मेरे खयालात काफी मिलते थे, वो काफी हसमुख , सर्वज्ञापी और डेसिपलाइन वाला था। कुछ दिनों में यही जाना था उसके बारे में और बात शादी तक पोहुच चुकी थी। जो ना जान पाई थी वो उसका अहंकार , गुस्सा और शक करने का स्वभाव। खुद के आगे वो किसी और के भावनाओ का कोई मोल ना था। अगर सब उसके मन के हिसाब से हो रहा हो तो उससे ज्यादा खुशमिजाज और हसमुख कोई था नहीं और पर अगर कोई भी चीज उसके हिसाब से ना हो या वो केंद्र बिंदु ना हो किसी चीज का तो उससे जायदा बुरा और कोई था नई। उसके घर वाले हर पल इसको हो खुश रखने के कोशिश में रहते और उससे पूछे कोई भी चीज ना होती थी । अगर सौमेश किसी भी चीज को माना कर दे वो कोई कर नई सकता भलेही किसी का कितना भी मन हो। तुम उसके मन के खिलाफ कोई खाना भी नई बना सकते थे , शादी के तीन साल ना मैंने भिंडी खाई, ना मैंने अपनी डांस प्रैक्टिस की , और ना जॉब किया। क्योंकि सौमेश को वो पसंद नही था। 

उसके घर वाले कहते अगर उसे नई पसंद तो ना करो वो खुश तो सब अच्छा हो तो होता है क्या ही और कमी है उमको प्यार से तो रखता है वो तुम्हे। एक फौजी k तोड़े तेवर होते है वोही तो उनकी शान है। यही तो उनको सबसे अलग करती है गर्व करो तुम। कुछ साल तो मैंने बोहोत कोशाइश की फिर, तीन साल होते होते मेरी हिम्मत भी जवाब देने लग गैर थी। आखिर पिंजरा सोने का हो उसमे।सारी।सुविधाएं क्यू ना हो पिंजरा तो आखिर पिंजरा होता हैं ना। अपने घर और मां बाप से बात करने का मुझे कोई फिक्स्ड टाइमिंग नही चाहिए थी। 

हाढ़ तो तब हुए जब बात मेरे चरित्र पे आई। एक रोज मैं अपने दोस्तों से मिलने गए शादी के तीन साल बाद और तब हुआ जब सौमेश अपने ऑफिशियल काम से दो महीनो के लिए दिल्ली गया था और मैं उसके मां बाप के साथ लखनऊ में ही रहती थी। एक शाम मेरे दोस्तो का कॉल आया के वे कुक 5 लोग लखनऊ और उत्तर प्रदेश के ट्रिप पर आए है और दो दिन के लिए लखनऊ में है। 

मैंने वो दो दिन उन लोगो के साथ अपने पुराने दिनों की तरह घूमने का प्लान बना लिया। मैंने अपने ससुर और सास को बताया और उसी शाम उनको चाय पी घर बुलाकर मिलवाया । डिनर के लिए बाहर जाने का प्लान था। वो लोग तो मेरे ससुराल वालो को भी चलने बोले थे तो सब गए। सासुमा में मुझे सौमेश से यह बात पूछने कहा थक और मेरे कहा क्या जरूरत है हम सब साथ जा रहे है और शहर में ही तो है। पर उन्होंने जोर देकर पूछने बोला था। पर मैं सब चहल कर्मी में भूल गई।

दूसरे दिन हम सब दोस्तो का सिटी टुअर का प्लान बना सुबह से रात के डिनर तक फिर मेरी रोज की जिंदगी और वो लोग अपने ट्रिप पे आगे बढ़ जायेंगे। रात को 9 बजे मैं लौटी तो सौमेश घर आ चुके थे। मैंने घुसते ही उनको देख अपनी खुशी बया की और उनको अपने दोस्तों से ना मिला पाने का अफसोस। नादान शिकायत की उनसे को आपको बताना था तो मिलवा ने का प्लान कर लेते या आप साथ चलते डिनर पे।

मेरा इतना कहना था की वो गुस्से में फूट पड़े। कितना कुछ कहने लगे मेरी तो कुछ समय तक समझ ही नही आया की अचानक हो क्या रहा है। बात तो तब बार गई जब उसने मेरे चरित्र पे बात कही। मैं सुन कर चौक गैर के इतने सालों k शादी में यह सुनने को मिल रहा। उसने कहा तुम जैसी औरतों को एक मर्द हमेशा चाहिए होता है । मैं घर से बाहर क्या गया तुमने अपने दोस्त बुला लिए । मैंने देखा कैसे 6 लोग अपनी अपनी जोड़ी बना के घूम रहे थे । जब सबके सामने कंधे पर हाथ रख कर फोटो खींचने से दिक्कत नही है तो फिर अकेले में न जाने क्या क्या करती होगी। भले घर की औरते इतनी नीच नही होती। वो कहे का रहा था और उसके घर वाले खड़े सुन रहे थे । किसीने एक बार भी उसे नही रोका। फिर उसने आगे बड़ कर मुझे जोर से एक तमाचा मार दिया । मैं नीचे गिर पड़ी और मेरे होंठों के सिरहाने से खून बहने लगा। तब मैंने सोचा अगर आज मैंने अपने लिए खड़ी नहीं हुए तो कभी नही हो पाऊंगी अगर कोई इतनी छोटी बात पे यह कर सकता है तो जिंदगी ना जाने आगे क्या दिखायेगी। मैं उठी और अपने बेडरूम में गई और जरूरी सब सामान लेके घर से बाहर निकल गैर और सीधे पुलिस स्टेशन पोहुची। मैंने सौमेश और उसके घरवालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दिया । मेरी हालत को देखते हुए पुलिस ने गांबीरता से इस विषय को लिया और मेरे से जुड़े सब सवाल पूछकर मुझे जांच करवा कर मेरे मां बाबा के घर भेज दिया । उसके खिलाफ पता लगाने में जाड़ा वक्त नहीं लगा, सौमेश के गुस्से और मिजाज को हर कोई जानता था और आस पास से भी उसके बारे में खबर मिल हो गईं। और pne स्वभाव के चलते पूछताछ के दौरान उसने लेडी पुलिस ऑफिसर से काफी बतामीजी की जो उसके खिलाफ काम किया । 

मैंने डाइवोर्स फाइल कर दिया और कैसे कोर्ट में चला गया , वो लोग मुझे डाइबोर्स नही देना चाहते थे क्युकी उनकी समझ में बदनामी होगी क्यू की उनके बारे में अब पूरे समाज को आस पास k लोगो को सब पता चल चुका था। मैंने सोचा नहीं था एक बार खुद के लिए खड़े होने पर मुझे इतना सपोर्ट मिलेगा। दुख बस इस बात का था जो मेरे सपने थे जो मेरी उम्मीद थी वो सन झूट निकले। कैसे के दौरान यह खुलासा हुआ की सौमेश के काम में भी उसका नाम काफी खराब था इस लिए उसके ग्राउंड लेवल पर ही रखा गया था और उसके खिलाफ काफी कंप्लेंस थी। 

सब मेरे हक में था तो आज मुझे डायवोर्स मिल गया। बस आज आखरी बार मुझे उसके अपने जाना था । मैंने कोर्ट के लिए निकली और पोहुचते ही सामने मुझे सौमेश दिखा। हर बार की तरह उसके चेहरे पर गुस्सा नई था और न घमंड, बल्कि एक उदासी थी और हल्की मुसूखुराहट। मेरे कदम। जैसे जैसे आगे बरने लगे वो मेरी तरफ आने लगा।

मेरे सामने आते ही वो बोला कैसी हो नैना, आज के बाद मैं और तुमको परेशान नहीं करूंगा , मुझे मेरी गलतियों का एहसास बोहोत पहले हो चुका था पर अपने जूते घमंड और गुस्से में कभी के नही पाया। सोचा था कैसे भी यह कैसे जीत गया या तुमको रोक लिया तो मेरे गलतियों पर पर्दा पर जायेगा और में सुधने का ट्राय करूंगा। पर मैं शायद भूल चुका था की अब अगर मुझे अपने आप को बदलना है तो मुझे किसी और को बाधने या रोकने की जरूरत नई यह मुझे खुद को हो करना होगा। तुम बोहोत अच्छी हो पर मैं कभी तुम्हारी सही कदर नही कर पाया। आगे का जीवन तुम्हारा सुखद हो और जितने दिन साल मैंने तुम्हारे साथ बिताए है वो तुमको कोई तकलीफ न दे।तुम खुश रहना और में भी रहूंगा । वो कहता गया और में सुने जा रही थी। आज भी मेरे पास कहने को कुछ नही था मानो अब कहने और सुनने को रहा क्या है। दो सालों में सब कहना सुनना खतम हो चुका था। वो अपनी बात कहकर आगे जाने लगा फिर पलट कर वापस आया मैं वही रुकी थी। उसने मुझे गले लगा लिया और उसके आखों में आंसू थे। थोड़े देर में हम रुके फिर कोट रूम के तरफ चल दिए । उसके और मेरे मन में एक संतोष था। जो माफी में इतने सालों से ढूंढ रही थी वो माफी मुझे मिल गौरे थी और मैंने आज उसे माफ कर दिया था । हमने पेपर साइन किया और कोट रूम से बाहर आ गए। अखरी बार अलविदा रहते हुए मैंने कहा , यह साथ यही तक था हमारा अब हमारे रास्ते बदल गए है। जिंगादी बोहोत लंबी है अगर कभी एक दूसरे से टकरा गए तो अपने बैटर वर्शन में ही मिलेंगे । एक दोस्त की तरह । यह कह कर हम अपने अपने रास्ते हो गए। 

आज मैं आजाद हूँ पूरी तरह से न मन में कोई बोझ न कोई गुस्सा या ना कोई गम है। मैं अब अपने डांस और जॉब पर ध्यान दूंगी और अपने लिए जीऊंगी। 



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