Kameshwari Karri

Inspirational

4.5  

Kameshwari Karri

Inspirational

बदलाव जरूरी है

बदलाव जरूरी है

4 mins
234


 


कौशल्या के लिए पूरे मोहल्ले के घर अपने ही हैं । बिना किसी रोकटोक के धड़ल्ले से किसी के भी घर में वह घुस जाती थी । उम्र में बड़ी होने के कारण कोई उन्हें कुछ नहीं कहता था । सब उनसे सलाह मशवरा भी करते थे । ख़ासकर घर की औरतें पूजा पाठ अच्छी तिथियों के बारे में सब उन्हें बताती थी और पूछतीं थीं । इतने घरों में जाने के कारण वे रिश्ते भी करा देती थी । 

कौशल्या जी की एक ही बेटी किरण है । जिसकी शादी उन्होंने दो साल पहले ही की थी । उनका दामाद अमेरिका में रहता था । अब तो वे और भी फ़्री हो गई हैं । उनके पास तो समय ही समय है । आज वे सुबह सुबह सविता के घर पहुँच गईं । सविता क्या कर रही है ? सविता रसोई से ही ...कौशल्या जी आ जाइए मैं रसोई में हूँ । कौशल्या ने रसोई तक जाते - जाते कमरों में भी झांक लिया । उन्होंने देख लिया था कि रुचि अंदर चाय पी रही है । आते ही उन्होंने शुरू किया । सविता मेरी बेटी किरण अमेरिका में रहती है , न पर मजाल है कि बिना नहाए, पूजा किए वह चाय क्या पानी भी पीले । ऐसे संस्कार है उसके, अब सोचो न ससुराल में जाकर दस बजे तक सोने से काम चलेगा क्या? बोलो , सास तो बस यही कहेंगी कि माँ ने यही सिखाया है । बेटी है तो मेरी किरण जैसी , चलो सविता चलती हूँ ,कमला के घर भी जाना है । कहते हुए वह चल दी । उनसे यही दिक़्क़त है कि सिर्फ़ वे ही बोलती हैं किसी को बोलने का मौक़ा ही नहीं देती । उनका काम भी तो हो गया । अब सविता जाकर रुचि की क्लास लेगी । 

जैसे ही कविता रुचि के पास पहुँची ,रुचि समझ गई उसने कहा - माँ उनकी बेटी ने क्या पढ़ा , कैसे यहाँ रहती थी , हम सबको मालूम है । हाँ दिखने में सुंदर है इसलिए अच्छा सा रिश्ता हो गया और अमेरिका में बस गई । मैं देर रात तक ऑफिस का काम रही थी । आज मुझे अपना काम सब्मिट करना था , तो देर से उठूँगी ही न अब क्या आराम से चाय भी नहीं पीऊँ ? उन्हें आग लगाना था , लगा लिया आप कुछ मत बोलो । सविता ने कुछ नहीं कहा । ठीक है ....चल तू आराम से चाय पी । 

रुचि उठकर चाय पी रही थी तब ही कौशल्या आई "सविता कहाँ है ? यह तूने सुना .....सविता कमरे से बाहर आई क्या बात है कौशल्या जी , आज सुबह -सुबह "

(रुचि ....उनके लिए तो अभी दोपहर है बुदबुदाती है )" अरे !नहीं रे ...तुझे मालूम है न परसों ग्रहण है अभी - अभी मंदिर के पुजारी जी के पास गई थी । उन्होंने ने बताया कि ग्रहण स्वाति नक्षत्र पर लग रही है । मुझे याद आया कि रुचि का भी यही नक्षत्र है न ,कुछ दान करने से ग्रह दोष मिट जाएगा और अच्छे से घर में शादी हो जाएगी मेरी किरण के समान अमेरिका का रिश्ता आएगा ,.......ज़्यादा कुछ नहीं करना है , वैसे भी यह तो अच्छा कमा ही रही है न । दो चाँदी के दिए , एक छोटा - सी गाय की मूर्ति चाँदी की और" आगे वे कुछ कहती .....इसके पहले ही रुचि ने उठ कर कहा - "आँटी !हम यह सब नहीं करेंगे , और रही बात मुझे अमेरिका जाने का कोई शौक़ भी नहीं है । इस तरह ग्रह नक्षत्रों के नाम पर दान करने से कुछ नहीं मिलने वाला है आंटी जी ।मैं इन सब पर विश्वास नहीं करती । रही बात पैसे कमाने की हाँ मैं पैसे कमाती हूँ और मुझे मालूम है कि पैसों को कब और कहाँ खर्च करना है । कल ही पुजारी अंकल की बेटी रमा की कॉलेज की फ़ीस मैंने भरी है क्योंकि वह बहुत अच्छा पढती है और फ़ीस भरने के पैसे उनके पास नहीं है । मैंने कह दिया जब तक हो सकेगा , मैं तुम्हारी फ़ीस भर दिया करूँगी । और पिछले महीने अपने पेपर बॉय के पिता के ऑपरेशन के लिए मैंने एक लाख पैसे दिए हैं तो कौशल्या आंटी मैं दान पर नहीं ज़रूरत मंद लोगों की मदद करने को पुण्य का काम समझती हूँ । आप भी इतने लोगों से मिलती हैं यह दक़ियानूसी कामों को छोड़ ज़रूरत मंद लोगों की मदद के लिए सहायक बनिए और अपने आप को बदलिए । मुझे माफ़ कीजिए अगर मैंने कुछ ज़्यादा कह दिया है तो सॉरी.........."

कौशल्या जी के मुँह से बात ही नहीं निकली वे चुपचाप वहाँ से चली गई । सविता सोचने लगी मेरी छोटी सी रुचि कितनी बड़ी हो गई है !


      


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational