बच्चों का गड़बड़ घोटाला
बच्चों का गड़बड़ घोटाला
गड़बड़ घोटाला खाली जिंदगी में ही नहीं होता बच्चों का किया हुआ गड़बड़ घोटाला एक मस्त यादें बन जाता है ।
उसी सिलसिले में आपके साथ मेरा संस्मरण शेयर कर रही हूं यह एक सच्ची घटना है ।
मेरा बेटा डेढ पौने दो साल का रहा होगा । हम दिल्ली गए थे मेरे बड़े भाई साहब के सब लोग वहां सब लोग वही इकट्ठा हुए। मेरा बेटा बहुत मस्तीखोर था बचपन में भी ।
भाभी के साथ साथ घूम रहा था । जब सब जनों के लिए खाना बनाने को उन्होंने 2,4 तरह की दाले निकाली पूछने के लिए और अलग-अलग डिब्बों में डालने के लिए कि क्या बनाऊं।
किसी ने भाभी को बाहर आवाज लगाई तो वे जैसे ही बाहर गए उसने बैठ कर के उनकी सारी दालें मिला दी और ताली बजाए । गड़बड़ गड़बड़ बोलना आता था क्या कहने का मतलब मैं तो समझ गई कि उसने बहुत मैंने काम कर दिया मैंने काम कर दिया बोल रहा था।
भाभी जी आ करके एक बार तो गुस्सा भी हुई पर फिर उनको इतनी हंसी आई हम सब लोग भी खूब हंसे। वह दाल हमने मिक्सचर जब तक हम रहे रोज ही एक बार खाना पड़ा ।इतना सारा मिक्स कर दिया था। आज भी वे बातें याद करके हम बहुत हंसते हैं। और उनका एक कुत्ता था बहुत सुंदर क्यूटी नाम था उसका ।
उसको गाजर बहुत अच्छी लगती थी तो 1 दिन सलाद की जितनी गाजर आई 1,1 लेकर चुपचाप चुपचाप सबसे नजर बचा कर उसने उसको बहुत सारी गाजर खिला दी । भाभी अंदर पैकेट देखनै गई तो उसके हाथ में गाजर थी । और ताली बजा रहा था।
भाभी बोली क्या हुआ तो गाजर दिखा करके इशारा करता है कि मैंने इसको खिला दी और दे दो उसके हाथ में आखिरी गाजर थी। गड़बड़ घोटाला विषय के साथ आपने जो बच्चे का फोटो दिया है उसने मेरे को मेरे बेटे हर्ष के बचपन की याद दिला दी ।
आज भी वह बहुत मस्तीखोर है । उसके आने से बहुत ही रौनक आ जाती है सब जगह। अभी भी हमारी पारिवारिक शादी थी वहां सरप्राइस उसने लंदन से आकर दिया और बहुत मजे करें और करवाएं उसके आने से बहुत रौनक हो जाती है।
