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Nandita Srivastava

Comedy

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Nandita Srivastava

Comedy

बबुआ

बबुआ

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एक रहेन बबुआ ।अरेवही रहेन जो अपनी केर साथ रहत रहेन ।हर समय माई माई रटत रहेन ।माई सोचेन चला हो बबुआ केर मेहरारू ले आवा जया।ढोल ताशा बजाये के मेहरारू ले आईन।पर बबुआ के तो माई के साथे नीक लागत रहॉ ।अब कॉ किन जाये।मेहरारू रिसय गई मुँह बनाये बैठ गईन ।माई समझा बुझाये के कमरे में भेज दिन पर बबुआ रहेन बुरबक उ का जाने शादी विवाह का होत बा ।दोनों मुँह बनाये पंलगिये परे रहेन।सेवेरे माई पूछिन का हो बेटवा मेहरारू कईसन बा।तो बोलेन।ऐमाई तू तो नहीं बोले देखे खातिर माई दिन दूई पडका ।चला गाडी लाइन पे आ गई। बबुआ के छोटा बबुआ भवा।फिर देखत- देखत 6 बुबुअन केक बाबू बन गये मई कहिन बेटवा ऐ हो बेटवा अब बस करॉ।तो कहिन ऐ माई तू मना नहीखे करा रहिन माई फिर दिन पडका।अबकी महरारू भी दिन दूई पडका अब बुबुआ का करत है ।मालूम जब देखत है दिनों केर दिमाग गरम बॉ तो चादर लेई के सब बबुन केर सुत जात है।तो ई रहेन। तोहरे सबकै चेहरे पर हँसी आये चला हमार काम बन गवा।


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