BOUNDS OF THE SOULS
BOUNDS OF THE SOULS


५, जुलाई २०१६
एक ट्रेन रेलवे स्टेशन पर रुकती है, पैसेंजर्स ट्रेन से उतरते है। उनके साथ दो लड़कियां भी उतरती है।
एक लड़की: आन्या, मुझे डर लग रहा है, ये हम कहा आ गए? हम यहां क्यों आए है? आन्या ये लोग क्या बात कर रहे है वोभी समझ नहीं आ रहा। अंजान भाषा अंजान लोग...चलो वापस चलते है। इस बार तुम्हे कुछ हुआ तो अंकल आंटी मुझे मारही डालेंगे।
अन्नू मेरी बात तो सुनो....!!!!
BOUNDS OF THE SOUL
CHEPTER 1: GAME STARTS
20th APRIL 2016
दोपहर का वक़्त,
क्लास में बच्चों की पढ़ाई चल रही है। तभी लंच ब्रेक का टाइम हुआ (रिंग बजी)। बच्चे अपने अपने मित्रों के साथ नाश्ता करने लगें। सारे बच्चे हस्ते, मुस्कुराते, बाते करते सोर करने लगे। इतने में एक लड़की बोली "हेय आन्या छुट्टियों का क्या प्लान है।"
आन्या : कुछ नहीं।
चैतली : तो घूमने चले क्या?
आन्या : नहीं, मेरे पेरेंट्स कहीं नहीं जाने देंगे उपर से मम्मी ने मुझे घरकी सफाई की जिममेदारि मुझे सौंपी है।
चैतली : हा... हा... सीधे सीधे बोल ना तुझे फ़ालतू गेमस खेलने से फुर्सत ही नहीं है।
आन्या : हा तू जो समझें वो सही। तुम्हारी मा अस्पताल में है ओर तुम्हे गुमने की सुज रही है?
चैतली : अरे...वो कुछ ही दिनों में घर वापस आ जाएगी। बस हाई फिवर की वजह से एडमिट रहना पड़ेगा। खेर छोड़ो ये बाते., ये बताओ तुम्हारी फेवरेट गेंम कोनसी है?
आन्या : HURTWORLD । टीम जॉइन करना चाहेगी।
चैतली : हा पर....में इन सब में इतनी अच्छी नहीं हूं।
आन्या : कोई बात नहीं में सीखा दूंगी। OKK तो शाम के 8 बजे ऑनलाईन आजाना । HURTWORLD खेलेंगे।
चैतली : जरूर, लेकिन एक्जाम्स भी नज़दीक आ रहे है पता है ना?
आन्या: हा...हा... एक्जाम्स की चिंता टॉपर लोगो को होती है हमे तो पास होना है बस..!
चैतली : पढ़ाई के मामले के तुम बहुत ही केरलेस हो। तुम्हारे मम्मी पापा कुछ बोलते नहीं है तुम्हे?
आन्या चैतली के सामने देख कर मुंह फुला लेती है।
अचानक चैतली की नज़र एक खाली बैंच पर पड़ती है, और तोड़ा इमोशनल होके बोली ' हम तीनो ने साथ में कितने मज़े किए ? कितना अच्छा वक़्त था।'
आन्या भी थोड़ी उदास हो गई।
चैतली : चलो छोड़ो...लंच बॉक्स निकालो...
आन्या : तुमभी इधर उधर की बाते लेके बैठ जाती हो...अभी टाइम पूरा हो जाएगा लंचका।
(स्कूल छुटने के बाद)
आन्या : बाय,चैतली 8 बजे भूलना मत।
चैतली : ओके, बाय!
आन्या ने डिनर ख़तम कर के अपने रूम में जाकर लेपटॉप निकाला और इसमें "HURTWORLD" ऑनलाइन गेम खेलने लगी।
इसमें उसके गेमस पार्टनर्स भी थे। चैतलि भी आगई। इसमें एक ओर गेमिंग पार्टनर था सेम । दोनों को गेम खेलते खेलते घेहरीदोस्ती हो गई थी।
( गेम खेल ते कॉन्फ्रेंस में)
चेतली : ये दूसरा प्लेयर कोन है?
आन्या : ओह....ये है चूहा ।। चूहे ये है चैत्तली।
सेम : हेय चैतली ....ओर ये (आन्या) मख्खी ।
आन्या : चूहे ।
सेम : मख्खी ।
आन्या : चूहे...शू... शू.....
सेम : मख्खी.... फर.....
चैतली : तुम दोनों लड़ना बंध करो ओर गेम सुरु करो ।।
सेम & आन्या : सॉरी । चलो गेम सुरु करते है।
(देर तक गेम खेलने के बाद)
चैतली : ओहो....बहुत देर हो गई कल सुबह स्कूलभी तो जाना है । में तो चली सोने । कल मिलेंगे । बाय। शुभ रात्रि।
आन्या : बाय, गुड नाईट।
(चैतली ऑफलाइन हो जाती है।)
सेम : चलो, हम भी कल खेलेंगे। बाय ।
आन्या: सेम, एक बात बताओ...!।
सेम : हा,बोलो।
आन्या : कुछ नी। जाने दो। बाय ।कल मिलते है।गुड नाईट।
(आन्या भी ऑफलाइन हो जाती है।)
सेम PC बंद कर घड़ी के सामने देखता है रात के 12:35 बजे थे ।
लाईट बंद कर के बेड पे लेट गया । समर (सेम) गेम खेते समय तो खुश होता था लेकीन इसके बाद की उसकी जिंदगी मे बहुत मुसीबतें थी। पिता की मौत के बाद घर की सारी ज़िम्मेदारी उसपर थी। जॉब से वापस आने के बाद पुरानी यादों को भुलाने अपने आपको गेम्स मे व्यस्त रखता था। उसके परिवार में उसकी मा ओर उसका छोटा भाई था। अपने आपको रिलैक्स करने वो सोनेसे पहले MEDITATION करता था। Meditation में वो एस्ट्रो प्रोजेक्शन करने लगा था। एस्ट्रो प्रोजेक्शन में इंसान अपने शरीर से बाहर होने का अनुभव करता है। अपने आपको देखता है जैसे कि उसकी आत्मा शरीर से अलग हो गई हो । ऐसा लगता है, आत्मा शरीर (नाभि) से एक स्ट्रिंग (धागे जैसी प्रकाश की किरण) से जुड़ा होता है। अलग अलग सपनों की दुनियां में घूमता है(एस्ट्रो ट्रैवेल करता है)। सेम एस्ट्रो प्रोजेक्शन में कुछ अच्छे अनुभव करता तो कुछ बुरे। अच्छे अनुभव में अपने ईष्ट देव के दर्शन करता था, अपने पापा को देखता था और बुरे अनुभव में किसी इंसान को मरता देखता था।
पर कुछ दिनों से वो आन्या के ख्यालों में खोया रहता था । सोचने लगा कि 'केसी दिख रही होगी , क्या कभी में उससे मिल पाऊंगा, पता नहीं क्यों पर अब उसके बिना गेम्स मे भी मन नहीं लगता।'
जब आन्या गेम नहीं खेलती तो वो भी नहीं खेलता।
(गेम में) आन्या : सेम, जदली मुझे बचाओ। जल्दी आओ वो लोग मुझे मार देंगे।
सेम : ऐसे केसे? मेरे होते हुए कोई तुम्हे नहीं मार सकता।
सामने वाली टीम को मार कर आन्या को बचा लेता है।
आन्या : सेम... तुमने तो कमाल करदिया।
सेम: PRO प्लेयर।
आन्या : हा...पता है तुम्हे एक भी गोली क्यों नहीं लगी।
सेम : क्यों ?
आन्या : चूहे...जो हो..!! हा...हा... चूहे पर निशाना लगाना कितना मुश्किल होता है...!!!
सेम : मख्खी....!!!
आन्या : बाय। कल मिलेंगे ।
(आन्या ऑफलाइन हो जाती है।)
सेम : मेरी प्यारी मख्खी...!!!
कुछ दिनो तक ऐसा चलता रहा।।
एक दिन अचानक सेम काम करते करते अपनी ऑफिस में बेहोस हो कर गीरपडा।
स्टाफ के मित्रों ने उसको हॉस्पिटल ले गए।
इलाज शुरू हो गया,उसकी मा ओर भाई भी हॉस्पिटल आ पहुंचे।इसकी ये हालत देख कर इसकी मा की आंखो से आंसू बेहने लगे। उसके भाई की आखों में भी पानी आ गया। समर के दोस्त उसकी मा ओर भाई दोनों को आश्वसन देते हुए कहने लगे ,"समर को कुछ नहीं हुआ है बस थोड़ा बुखार है ओर चकर आने की वजह गिर पड़ा ।"
कुछ रिपोर्ट्स चेक करते हुए दूसरे डॉक्टर से कुछ बाते करते डॉक्टर की नजर बाहर खड़े समर की मा और भाई पर गई । उसकी मा के पास आकर डॉक्टर ने पूछा आप पेशेंट के परिवार से है।
"हां" में उसकी मा हूं ।
राम :ओर में उसका भाई ।
डॉक्टर : (राम से) आप मेरे रूम में आई ये ।
( दोनों डॉक्टर के रूम में जा कर)
डॉक्टर : (गंभीर आवाज में) पेशेंट की हालत ठीक नहीं है। उसे ब्रेइन ट्यूमर है। समय रहते उसका ऑपरेशन करना होगा ।
ये सुनकर मानो राम के पैरो तलेकी जमीन खिसक गई। उसकी आखों में आसूकी धारा बहने लगी।
राम : (आंखो से आसू पोछते हुए) उसे कुछ नही होगा ना !?
डॉक्टर : कुछ कह नहीं सकते।
राम : (अपने आपको संभालते हुए )आप ऑपरेशन की तैयारी करो । जोभी फीस है वो हम चुका देंगे लेकीन मेरे भाई को कुछ होना नहीं चाहिए।
डॉक्टर : बेटे, तुम हिमत वाले हो अपनी मा को संभालना । ओर हम अपनी पूरी कोसिस करेंगे।
जब ये बात समर की मा को पता चली वो वहीं जमीन पर ढल पड़ी। कुछ लोग आश्वासन दे रहे हैं कोई पानी पीला रहा है।राम ने जैसे तैसे उसकी मा को संभाला। डॉक्टर ने तुरंत ऑपरेशन की तैयारी शुरू कर दी। सेम को ऑपरेशन थियेटर में लेकर गए।
दूसरी तरफ शाम के 8 बजे से 11 बजे तक आन्या सेम का इंतजार करते हुए (गेम में ) थक के लेपटॉप ओन ही छोड़ कर सो गई। दूसरे दिन भी सेम ऑनलाईन नहीं आया। तीन दिन गुजर गये वो इंतजार करती रही लेकीन सेम ऑनलाइन नहीं आया। सेम से कॉन्टेक्ट कर ने का कोई ओर रास्ता नहीं था। उसके अगले दिन स्कूल से आते समय अचानक आन्या का ऐक्सिडेंट हो गया। लोगो की भीड जमा हो गई थी तब तक तो कार ड्राइवर कार लेकर फरार होगया। आन्या को तुरंत अस्पताल ले गए। बहुत खून बेह रहा है। अस्पताल में उसका इलाज शुरू हो गया। थोड़ीही देर में उसके पेरेंट्स आ पहुंचे। उसके पापा पुलिस इन्स्पेक्टर थे । वो मुंबई के जानेमाने इंस्पेक्टर थे। लेकिन फिहाल तो वो कुछ नही कर सकते थे, ना ही वो कार ड्राइवर को ढूंढ़ ने जा सकते थे। लेकिन उन्होंने मन में थान लिया थाकी उसे ढूंढ़ के जेलकी सलाखों के पीछे डालके रहेंगे।
इतने में डॉक्टर उनके पास आकर बोला
डॉक्टर : आन्या को सर पर घेहरी चोट लगी है ओर पैरो की हड्डी भी टूट गई है।
इंस्पेक्टर : कहा है वो ?
डॉक्टर : ऑपरेशन की तैयरी हो गई है उसे अभी अभी ऑपरेशन थियेटर में ले गए ।
दोस्त तुम्हारी बेटी मेरी बेटी बराबर है । हालत गंभीर होने की वजहसे तुम्हारा इंतज़ार न करते हुए उसका इलाज शुरू कर दिया है मैने।
इंस्पेक्टर : मेरे दोस्त मुझे तुम पर पूरा भरोसा है।
डॉक्टर :(आन्या की मा से) आप चिंता मत कीजिए आन्या को कुछ नहीं होने देंगे।
इतना कह कर डॉक्टर वापस ऑपरेशन थियेटर में चला गया । आन्या की मम्मी वहीं चेयर पर रोते हुए बेढ़ जाती है।
CHEPTER 2 : ORA (SOUL)
27 April 2016
बादलों से घेरी हुए जगह पर सेम दिखता है। गभरा ते हुए
" में कहा हु"!
"मोम.... ,राम..."
बादलों में गुमने लगा। काफी देर तक गुमने के बाद सोचने लगा "ये सपना है?!"क्या में मर चुका हूं?" "नहीं नहीं सायद में एस्ट्रो प्रोजेक्शन में हूं!" " मुझे वापस अपने शरीर में जाना होंगा।" तभी उसे उसकी स्ट्रींग दिखती है जो उसकी नाभि से निकल कर बादलों के नीचे जाती दिखती है। सेम अपनी स्ट्रींग के पीछे हवामे उड़ते हुए धरती पर आता है। जैसे जैसे वो नीचे आता वैसे वैसे उसकी स्ट्रींग छोटी होती जाती। सेम स्ट्रींग के पीछे अस्पताल आ पहुंचता है। वहां पर वो अपने आप को देखता है। " मेरा शक सहि था,में एस्ट्रो प्रोजेक्शन में ही फसा हुआ हूं । आस पास की जगह को देखते हुए "लेकिन में अस्पताल में कैसे पहुंचा, क्या हुआ है मेरे साथ..? वो अपने शरीर में वापस जाने की कोशिश करता है। लेकिन अपने शरीर में वापस जा नहीं पाता है, हर बार शरीर के आरपार ही निकल जाता है। इतने में उसका भाई वहा आ जाता है ।उसे देख कर सेम की आंखो में ख़ुशी के आसूं आजाते है। "मेरे भाई..." कह कर गले लग जाता है पर उसके हाथ राम के शरीर से आरपार नीकल जाते है। राम उसको नहीं देख पाता, वो तो सिर्फ सेम के बेजान शरीर को देख रहा है।आंखों से आंसू बेहरहे है । सेम के पास जा कर उसका हाथ पकड़ कर "भाई अब तो उठ जा..,मेरे लिए नहीं मा केलिए तो उठ जा। देख क्या हालत हो गया है? पहले पापा छोड़ कर चले गए और अब तू...,नहीं तुझे उठना होगा, तुझे वापस आनाही होगा।" इतना कह के राम अपने आप को रोक नहीं सका वो जोर जोर से रोने लगा। ये सुनकर उसकी मा भी रूम में आगयी। राम को रोता देख वो भी रोने लगी.;राम के पास जा कर "बेटा क्यों रो रहा है;अभी समर को सोने दे। वो कल सुबह उठ जाएगा।
राम : मा आज पांच दिन हो गए ये सुनते सुनते की वो कल उठेगा।
मा : बेटा डॉक्टर साहब ने कहा तो है कि उन्होंने सफ़लता पूर्वक समर का ऑपरेशन कर दिया है...!
राम : पर उन्हों ने ये नहीं कहा कि समर को कब होस आएगा...। मा ऑपरेशन के बाद तो उसे होस आजाना चाहिए था ना.?? मा सेम को उठाओ ना..तुम्हारे उठाने पर तो वो उठ जाता है।
मा : उठ जाएगा बेटा; इतना बड़ा ऑपरेशन हुआ है उसे भी तो आराम चाहिए।
राम : (समर की पुरानी यादें याद करते हुए) समर चल उठ 'PRINCE OF PERSIA' में आखरी बॉस अभी जिंदा है;चलो ना वो गेम ख़तम करते है। चलो ना....। मा इसे बोलो ना मेरे साथ गेम खेले।
मा : वो खेलेगा बेटा लेकिन अभी इसे आराम करने दो;चलो बेटा उसे सोने दो। चलो तुम भी थोड़ा आराम करलो।
(NOTE:- राम ओर उसकी मा का पूरी बातचीत उनकी मातृभाषा गुजराती में होती है।)
दोनों रूम से बहार चले जाते है।
ये सब देख कर सेम भी घुटनो पर बैठ कर रो पड़ता है।
सेम : मेरे भाई में तुझे ओर मोम को छोड़ कर कहीं नहीं जाऊंगा। में वादा करता हूं हम फिरसे साथमे गेम्स खेलेंगे। 'PRINCE OF PERSIA'
मे फाइनल बॉस को हरा कर अधुरी गेम ख़तम करेंगे। (खड़े होते हुए) फ़िलहाल मुझे अपने शरीर में वापस जानेका तरीक़ा ढूंढ ना होगा ।
वो फ़िर से अपने शरीर में वापस जाने की कोशिश में लग गया। बहुत देर तक प्रयतन करने के बाद भी उसे सफलता न मिली। पर धीरे धीरे उसका शरीर स्वसथ हो रहा था। जब तक उसका शरीर उसकी ओरा की एनर्जी संभालने तक ठिक नहीं हो जाता तब तक उसकी ओरा उसके शरीर में वापस नहीं जा सकती थी और अगर वो हिमत हार ता या फिर जीने की आस छोड़ देता तो उसकी स्ट्रींग पतली होकर गायब होजाती ओर ऐसा होता है तो वो फिर कभी अपने शरीर में नहीं जा सकेगा । उसकी मौत हो जाएगी। ये बात उसे पता नहीं थी। ऐसे करते करते दो दिन बीत गए। वो जगह जगह भटकने लगा । फिर से वहीं बादलों वाली जगह पर आया जहां उसने अपने आपको पहली बार पायाथा। वो उससे भी आगे चांद की तरफ जानेकी कोशिश करता है लेकिन जा नहीं पाता है।वहीं पर वो आसपास घूमने लगा। वहा पर एक जगह पर एक लड़की बेठी दिखती है। हालाकि रोशनी की वजह से उसका चेहरा नहीं दिखता ,क्यों की वोभी एक ओरा ही थी। सेम उसके पास जाता है। सेमको देखते ही वो लड़की डर गई।
सेम : डरो मत
लड़की : कोन हो तुम..?
सेम : में समर। तुम कोन हो ..?
लड़की : में...क्या में मर चुकी हूं...?
सेम :(उस लड़की की स्ट्रींग देख कर) नहीं शायद तुम भी कोमा में हो..मेरी तरह।
लड़की : में अभी अस्पताल में हूं ...(रोते हुए) मुझे वापस जाना है। में अपने शरीर में वापस नहींजा पा रही हूं। मेरे ममी पापा मेरा इंतजार कर रहे है।
सेम : में भी कोमा में हूं। पता नही कब वापस जा पाऊंगा। मेरा भी भाई ओर मोम इंतज़ार कर रहे है। वैसे तुम्हारे साथ क्या हुआ था?
लड़की :(रोते हुए) में...में स्कूल से वापस घर जा रही थी तभी अचानक तेज़ी से कार आयी ओर मुझसे टकरा गई उसके बाद मुझे कुछ याद नहीं है । पर वो कार कुछ जानी पहचानी लग रही थी। जब मैने आंखे खोली तो में अस्पताल में लेटी थी;मेरे मम्मी पापा मेरे सामने थे। उनको देखते में मम्मी के गले लगने बेड से उठ कर उनके पास गई।उनको गले भी लगी पर......!!
जब मैने मूड कर देखा तो बेड पर में लेटि हुई थी। वो डरावना दृश्य में कभी नहीं भूल पाऊंगी।
(सेम के सामने देख कर रोशनी की वजह से आंखो के आगे हाथ रख कर)
तुम्हारा चेहरा मुझे दिख नहीं रहा है। वैसे
तुम्हारे साथ क्या हुआ था?
सेम : में मेरी ऑफिस में काम करते वक़्त गिर पड़ा जब आंख खुली तो में इस जगह पर खड़ा था। इस स्ट्रींग का पीछा करते हुए अस्पताल पहुंचा जहां मेरा इलाज हो रहा है। तुम्हारी तरह मैने भी अपने भाई और मा को गले लगने गया पर में उनके शरीर के अंदर से निकल गया। तबसे में यहां वहां भटक रहा हूं।कुछ समझ नहीं आ रहा क्या करे.!!
लड़की : वैसे हम दोनों ही यहां क्यों है ? मेरा मतलब अगर हम कोमा में है तो क्या पूरी दुनिया में हम दोनों ही कोमा में है..?
सेम : पता नहीं। वैसे तुम कोन हो ??
लड़की : ओह में ने अभी तक नहीं बताया ... सॉरी में डरी हुई थी। में आन्या ।
सेम : (चोक ते हुए) आन्या ..!??
आन्या : हा मुंबई से। तुम ..??
सेम : में गुजरात से। (सेम को याद आता है जब वो गेम में पहली बार आन्या से मिला था और सोचता है " कहीं ये वही आन्या तो नहीं...?" )
आन्या : समर यही नाम बताया ना.?
सेम : हा पर तुम मुझे सेम कह कर बुला सकती हो। (सेम ने ये बात वहीं आन्या तो नहीं ये जानने के लिए बताई)
आन्या चोक गई ।
सेम भी समझ गया ये वही आन्या है जिसके साथ वो गेम खेलता रहता था...
सेम : ये नहीं हो सकता । तुम...!!
आन्या : सेम क्या ये तुम हो ??
सेम : हा...!
आन्या : तो तुम इस लिए गेम खेलने नहीं आते थे ओर में...(आन्या रो पड़ी)
सेम : हा अगर ये न हुआ होता तो हम आज गेम ही खेल रहे होते...।
(थोड़ी देर बाते करने के बाद)
सेम : आन्या में तुम्हे देखना चाहता हूं ।
आन्या : में भी तुम्हें देखना चाहती हूं।
सेम : ठिक है पहले हम तुम्हारे अस्पताल जायेंगे,उसके बाद मेरे।
आन्या : ठीक है चलो ।
दोनों आन्या के अस्पताल जाते है वहा पर उसकी मम्मी दिखती है जो वहा चैर पर बैठे बेठे ही सो गई है । वो रूम के अंदर जाते है ओर सेम जेसेही आन्या को देखता है उसकी आंखे चमक उठती है। उसके बाद वो आन्या की ओरा के सामने देखता है । आन्या के चेहरे के सामने से प्रकाश हट जाता है। उसका चेहरा अब बिलकुल साफ़ देख पा रहा था। तभी रूम में मास्क पहने हुए डॉक्टर आता है..
आन्या : ये मेरे पापा के दोस्त है । ये यहां के सबसे बड़े डॉक्टर है। शायद मेरी दवाय या चेकअप का वक़्त है। अब चलो तुम्हारे अस्पताल चलते है।
दोनों वहां से सेम के अस्पताल जाते है।
सेम को देख कर अब आन्या भी सेम का चेहरा देख सकती थी।
थोड़ी देर बाद वो वापस वहीं जगह पर जाते है।
आन्या : जब हम ठिक हो जाएंगे तो हम जरुर मिलेंगे हे..ना.??
सेम : हा पर हम कब ठिक होंगे और क्या हमे ये सब याद रहेगा..???
आन्या : पता नहीं... क्या करे हम...??? मैने सुना था डॉक्टर कह रहे थे कि मेरी हालत दिन प्रति दिन बिगड़ रही हैं। में शायद नहीं बच पाऊंगी।
सेम : नहीं तुम्हें कुछ नहीं होगा। हम कोई ना कोई तरीका ढूंढ निकाल लेंगे। तुम चिन्ता मत करो।
आन्या : सेम अगर हमारी ये स्ट्रींग तुट गईं तो क्या होगा....?
सेम : तो शायद हम कभी अपने शरीर में वापस नहीं जा पायेंगे। और हमारी मौत हो जाएगी।
आन्या : और हम ?
सेम : हम ऐसे ही भटक ते रहेंगे या किसी और जगह नवजात शरीर ढूंढ़ के उसमे बस जाएंगे ।मुझे इस बारे में ज्यादा पता नहीं है पर ये सब मैने पुरानी किताबों में पढ़ा था। में सोचता था ऐसा कुछ नहीं होता ।
आन्या : सेम मुझे लगता है मेरी स्ट्रींग धिरे धिरे गायब हो रही है। लगता है में कभी वापस नहीं जा पाऊंगी, में मरने वाली हूं।
सेम : ऐसी बाते क्यों कर रही हो ? कुछ नहीं होगा तुम्हे। में हु ना।
तभी सेम अपनी स्ट्रींग में खींचाव महसूस करता है जैसे उसका शरीर उसे खींच रहा हो।
वो भी वहीं सोचता है।
आन्या : क्या हुआ..???
सेम : शायद में अपने शरीर में वापस जा रहा हूं..मुझे खींचाव महसूस हो रहा है।
आन्या : ये तो खुशी की बात है। जाओ तुम्हे तुम्हारी जिंदगी बुला रही है।
सेम : और तुम...!! नहीं जब तक तुम ठीक नहीं हो जाती तब तक में नहीं जाउंगा।
आन्या : नहीं सेम, में कभी ठीक नहीं हो सकती।
मुझे माफ़ करदो हमारा साथ यही तक था।
सेम : मैने कहा ना में तुम्हे छोड़ कर कहीं नहीं जाऊंगा।
तभी आन्या की स्ट्रींग गायब हो जाती है।
सेम : नहीं ये नहीं हो सकता..
आन्या हवा में उड़ने लगती है ; तभी सेम उसका हाथ पकड़ लेता है। दूसरी तरफ सेम की स्ट्रींग भी खींचने लगती है।
सेम : में तुम्हे मरने नहीं दुगा।
आन्या : अब कुछ नहीं हो सकता।
(खींचाव और बढ़ता है)
तभी सेम अपनी स्ट्रींग एक हाथ से खुद से अलग कर आन्या से जोड़ देता है। ये उसने केसे किया उसे खुद पता नहीं था।
सेम : तुम मेरे शरीर में रहो। में वादा करता हूं हम फ़िर से जरुर मिलेंगे।
आन्या कुछ बोले उस से पहले वो खींच कर सेम के शरीर में चली गई।
अब सेम अकेला हवा में उपर की ओर उड़ने लगा। थोडी दूर जाते ही उसे एक रोशनी दिखी । उसमे से आवाज आई
LIGHT : समर, तुमने ये क्या कर दिया ?
सेम : कोन हो तुम ?
LIGHT : जिसे तुम ढूंढ रहे थे।
सेम : अब क्या होगा ...?
आन्या ठीक तो है ना..?
अब में कहा जाउंगा ?
क्या मेरा नया जन्म होगा ?
LIGHT : जो होना था वो तो हो गया होनी को कोन टाल सकता है..?। हा...आन्या को तुमने तुम्हारे शरीर में भेज कर तुमने उसकी ओरा को धरती पर ही रोक लिया । तुम अब अपने शरीर में केसे जाओगे? तुमने अपना शरीर तो किसी और को दे दिया । ओर तुम्हारे मरनेका समय भी नहीं हुआ। तो तुम कहा जा सकते हो ..हम...!!! अभी एक जगह बची है तुम्हारे लिए।ओर वो है आन्या का शरीर। ओर कुछ पूछना चाहते हो तो पूछ लो।
सेम : आन्या के शरीर में???।में कैसे रह सकता हूं ..?
LIGHT : ये तुम्हें पहले सोचना चाहिए था। गलती तुमने की है तो सुधारोगे तुम ही।
सेम : क्या हम अपने अपने शरीर में वापस जा पाएगे ?
LIGHT : ये सब तुम पर है। अब जितनी चीजे याद कर सकते हो याद करलो, ओर हा अपने आपको कभी मत भूल ना। ढूंढ़ो अपने आप को। अगर तुम भूल गए तो हमेशा केलिए उसी शरीर में फस जाओगे। अब जाओ कहीं देर ना हो जाए।
सेम नीचे की ओर गिर ने लगता है। सेम आंखे बंद कर के बहुत कुछ याद करने लगता है मानो उसकी अब तक की पूरी जिंदगी कुछ ही देर में देख ली हो। ओर जोर से चिल्लाया 'में समर हूं।' आखिर में वो आन्या के शरीर में चला जाता है...।
CHEPTER : 3 NEW LIFE
1 may 2016
आन्या के शरीर में अब सेम है। आन्या अपनी आंखे खोलती है। सामने कई अंजान लोग खड़े देखती है। सब लोग हैरान थे। सबकी आंखो में खुशी के आंसू थे।
डॉक्टर : ये कैसे हो सकता है..!!! चमत्कार के बारे में सुना है पर आज देख भी लिया। आन्या मौत के मुंह में से लोटकर वापस आ गए। तुम्हारा हार्ट पूरी 5 मिनट ओर 23 सेकंड तक बंध रहा था। आज यकीन हो गया जिसके सर पर भगवान का हाथ हो उसका काल भी कुछ नहीं बिगड़ा सकता।
आन्या की मा पापा ओर बाकी सारे परिवार वाले उसे गले लगते है । आन्या किसी कोभी पहचानती नहीं है। पहचानेगी भी कैसे क्यों की भलेही शरीर उसका है लेकिन वो है तो सेम ही। हालाकि सेम भी भूल गया कि वो कोन है! बस धुधली धुंधली तस्वीरे उसे दिखाई देती है ओर सर दर्द की वजह से अपने हाथ से सिर जोर से दबाकर चिल्लाया " કોણ છો તમે લોકો ?( कोन है आप लोग ?)
डॉक्टर : क्या....!?
सभी लोग हैरान थे।
आन्या के पापा :आन्या तुमने गुजराती में कहा कोन है आप लोग? हैरानी की बात है !!!
आन्या में कोन हूं ?
आन्या(सेम) : कोन है आप?
पापा : बेटी में तुम्हारा पापा तुम कैसे...?कहीं....!!
डॉक्टर :(आन्या के पापा के सामने देख कर) हा...मुझे भी ऐसा ही लग रहा है। सर पर चोट लगने की वजह शायद आन्या की याददाश्त चली गई है।
आन्या की मा : नहीं... बेटा मुझे देखो मुझे तो तुम पहचानती होना ...?
आन्या(सेम) : नहीं...मुझे कुछ याद नहीं मेरा सिर फटे जा रहा है। ओर ये आन्या.... ! में तो स...स...!!!! में कोन हूं? मुझे कुछ याद क्यों नहीं आ रहा ? ओर मेरी आवाज़..?
डॉक्टर : बेटे अभी तुम आराम करो ।सब याद आजाएगा । आप सभी लोग भी उसे अकेला छोड़ दो सिर्फ उनके मम्मी पापा को ही रूक ने दो।
सभी लोग रूम से निकल जाते है, डॉक्टर भी निकल जाता है।
पापा : आन्या तुम ने गुजराती कब सीखी ? ( आन्या अपने आप को अजिब तरीक़े से देख रही होती है )
आन्या : मुझे नहीं पता। ओर मुझे माफ़ कीजिए मुझे आप भी याद नहीं है.!
पापा : कोई बात नहीं बेटा धीरे धीरे सब याद आ जाएगा तुम चिंता मत करो।
(आन्या की मम्मी से) तुम भी चिंता मत करो जाओ थोड़ा आराम करो।
मम्मी : मुझे... आन्या...(रोने लगी)। मुझसे आन्या की ये हालत नहीं देखी जाती ।आप कुछ कीजिए जल्दी से आन्या को ठीक कीजिए।
आन्या सोच रही होती है ये मेरे शरीर को क्या हुआ.? मुझे क्यों ऐसा लग रहा है कि में लड़की..!! नहीं नहीं तभी ये लोग मुझे आन्या कह के बुला रहे है।
आन्या : मा तुम्हारे पास आयना है..?
मम्मी : चोक ते हुए क्यों बेटा मेरे पास नहीं है।
आन्या : मेरा फोन आपके पास है..?
मम्मी : तुम्हरे पापा के पास है!
उसके पापा उसको फोन देते हुए
पापा : येलो बेटा लेकिन इसमें लोक लगा है।
आन्या फोन लेती हैं।
फोन की स्क्रीन थोडिसी टूटी हुई थी।बंद मोबाई स्क्रीन पर अपने आपको देख कर चौक जाती है।
पापा : आन्या! बेटा अब थोड़ा आराम करो ।कल सुबह बात करेंगे।
आन्या के मन में कई सवाल थे।
दूसरे दिन डॉक्टर आन्या का चैकअप करने के बाद।
डॉक्टर : आन्या के सर पर चोट तो लगी है पर उसके ब्रेन पर कोई असर नहीं हुई है। रिपोर्ट नोर्मल है। फिर केसे..?
आन्या के पापा : तो अब क्या करे ..?
हम कब आन्या को घर लेजा सकते है ?
डॉक्टर वैसे तो सब कुछ ठीक है। पैर ठीक होने में समय लगेगा लेकिन। शायद घर जा कर उसे कुछ अच्छा लगे ओर शायद याद्दाश्त वापस आ जाए। वैसे मेरा आना जाना तो होगा ही आपके घर तो उसका चेकअप भी करता रहूंगा।
पापा : हा वैसे भी मुझे कल से ड्यूटी जॉइन करनी है। ओर उसकी मम्मी तो घर पर है ही।उसके दोस्तों को मिल के उसे अच्छा लगेगा।
डॉक्टर : ठीक है, मैं आपके घर जाने का बंदोबस्त करता हूं।
दूसरी तरफ सेम के शरीर में आन्या का भी वहीं हाल था। अंजान लोग ,अंजान जगह ओर अंजान भाषा। वो भी उसके शरीर को लेकर हैरान थी। क्या करें कुछ समज नहीं पा रही थी। ओर हॉस में आने के बाद रोती ही रहती थी। वहा पर सब लोग बी हैरान थे। डॉक्टर भी हैरान थे कि याद्दाश्त गई लेकिन कोई इंसान अपनी मातृ भाषा केसे भूल सकता है,जब की उसकी जगह उसे दूसरी भाषा केसे याद्द है । उन्होंने भी ब्रेन के रिपोर्ट कर वाये वोभि नॉरमल थे। रामने भी बहुत प्रयत्न किए की सेम को कुछ याद आ जाए।
थोड़े दिनों बाद सेम को भी डॉक्टर ने घर जाने की इजाजत दे दिथी। सेम ओर आन्या अपने घर जाते है। घर जाने के बाद भी किसी को कुछ याद नहीं आता है। आन्या जो सेम के शरीर में है रोने लगती हैं। राम उसके भाई को रोता देख उसके पास आता है।
राम : तुम समर नहीं हो सकते। वो कभी नहीं रोता।
सेम ( आन्या ) : (आंसू पोछते हुए) हा में कबसे यही तो कह रही हूं।
राम : फिर से लड़की यो वाली बात। अच्छा तो तुम समर नहीं हो तो कौन हो तुम ?
सेम (आन्या) : में...! मुझे नहीं पता मुझे कुछ याद नहीं ।
राम : देखो मोम को। वो तुमसे कबसे बात करने केलिए इंतज़ार कर रही थी और जब तुम उठे तो उन्हें ही नहीं पहचानते ! ओर तुम गुजराती बोलना नहीं जानते ..?? केसे..??
सेम(आन्या) : क्यों की मुझे नहीं आती है।
राम : तो हिंदी केसे आ गई ..?
सेम(आन्या) : तुम मेरे भाई हो ना ...?
राम : हा
सेम(आन्या) तो भाई प्लीज मुझे अभी अकेली..ला छोड़ दें।
राम : ठीक है। (PC दिखा ते हुए ) बाद में गेम खेलेगा।
सेम(आन्या) : हा,मेरे भाई।
राम उसकी मा के पास जा ता है।
राम : चिंता मत करो मा में उसे सब याद दिला दूंगा लेकिन लगता है वक़्त लगेगा।
मा : बेटे उसे कुछ नहीं हुआ वोही बहुत है। भगवान ने हमारी सुन ली । उस वक़्त जब डॉक्टर ने कहा कि सेम का हृदय कुछ पल केलिए बंध हो गया था तब मानो मेरी जान निकल गई थी।
राम : हा वोतो भगवान का आभार मानो। बस अब उसकी याददाश्त वापस आ जाए।(Note : conversation between Ram and his mother is in Gujrati)
शाम के वक्त राम अपने भाई को पूरा घर दिखता है ओर पूरी कोशिश करता है कि उसे पुरानी यादें वापस आ जाए। सेम अपने पापा की तसवीर दिखाते हुए।
सेम(आन्या): ये..कोन.. हैं?
राम : ये हमारे पापा है। तुम्हारे पापा।
सेम (आन्या): केसा निकम्मा बेटा हूं क्यों आज मुझे अपने पापा याद नहीं है ?
राम: कोई बात नहीं इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है।
दोनो घूम कर वापस सेम के रूम में आते है। सेम को स्कैच बनाता था। सेम के ड्रोर में से राम सेमके बनाए सारे पेंसिल स्केच निकालता है। सेम(आन्या) को दिखाते हुए।
राम : तो, ये देखो तुम्हारी स्केच। कितनी अच्छी ड्रॉइंग आती है तुम्हे। तुम तो एक आर्टिस्ट हो।
सेम(आन्या) सारे स्केच देखती है। देख कर बहुत ही खुश होती है।
इनमें से एक स्केच था एक लड़का पियानो बजाता है और एक लड़की वायोलिन। वो स्केच उसका मास्टर पिस था।
राम: तुम्हे पता है स्केच को देखने काफी स्टूडेंट्स भी आते थे। तुम से ऑटोग्राफ लेते थे। वैसे में भी हैरान हु।, मैने तुम्हे कभी स्केच बनाते नहीं देखा। नाही मैने तुम्हारे पास कोई पेंसिल देखी है। जो भी है तुम्हारी कलाकारी को मानना पड़ेगा।
(Pc के सामने देख कर)
राम : चलो PRINCE OF PERSIA खेलते हैं।
सेम( आन्या) : हा जरूर लेकिन पहले मुझे सिखाओ तो सही।
राम : (कंट्रोल्स सिखाते हुए) पता है इस गेम के तुम मास्टर थे। अब पता नहीं।
सेम (आन्या) : (थोड़ा मुस्कुराते हुए) तुम एक बार कंट्रोल्स सिखा दो । में मास्टर ही हूं।
राम : देखते है। ये स्टेज तुम तब क्लियर नहीं कर पाए थे।
सेम (आन्या ) खेलना शुरू करता है थोड़ी ही देर में वो कंट्रोल्स सिख जाता है ओर देखते ही देखते स्टेज क्लियर कर देता है।
राम ये देख हैरान भी होता है ओर खूश भी होता है।
राम : नामुनकिन...! मगर केसे। मान गए भाई तुम भलेहि सबकुछ भूल जाओ पर गेम्स खेलना कभी नहीं भूलोगे।
तभी अचानक सेम और राम को एक मक्खी परेशान करती है।
राम:(मख्खी दिखाते हुए) ये मक्खि है।(राम हसने लगा।)
सेम(आन्या) : चूहे..!!! (उसे पता ही नहीं ओर उसकी आखों से आंसू नीकल आते है)
राम : हेय क्या हुआ?
सेम (आन्या) : कुछ नहीं...! बस थोड़ा सा सर दर्द हो रहा है ।
राम उसका सर दबाने लगता है।
राम (सर दबाते हुए): देखो केसे पांच मिनिट में सर दर्द गायब।
सेम (आन्या) : राम, तुम्हें कभी ऐसा अनुभव हुआ कि तुम तुम नहीं कोई ओर हो और किसी ओर के शरीर में आगये हो ?
राम : नहीं।
सेम(आन्या) : क्या ऐसा हो सकता है ?
राम: नहीं।ऐसा मूवीज़ ओर कहानियों में होता है, असली जिंदगी में नहीं। वैसे जब में ऐसा सवाल करता था तब तुम कहा करते थे कि कुछ भी नामुनकिन नहीं है,इस दुनिया में सब कुछ हो सकता है। तुम यह भी कहते थे कि कुछ भी होता है, उसके पीछे कोई ना कोई कारण जरूर होता है। बस हमें उसके पीछे का कारण ढूंढ़ना चाहीए।
सेम (आन्या) : कितनी अच्छी बात की। वैसे सही भी है जो होता है उसके पीछे कोई ना कोई कारण जरूर होता है। ओर ..!हा मुझे भी वही करना चाहिए कि ये सब मेरे साथ क्यों हो रहा है? केसे में लड़की की तरह बरताव कर रहा हूं? क्यों मुझे गुजराती नहीं आती? इन सारे सवाल के जवाब ढूंढ़ने होगे मुझे।
राम : अगर तुम्हें ऐसा लग रहा है तो में तुम्हे पूरा साथ दूंगा।
सेम(आन्या): थैंक्स मेरे भाई। तो चलो मिशन 'WHO AM I?'
राम (मुस्कुराते हुए): सचमे अब तो मुझे लगता है कि तुम समर हो ही नहीं सकते।
दूसरी ओर आन्या के घर
आन्या की मम्मी आन्या को व्हिल चेयर पर बिठाकर पूरा घर दिखाती है। पुलिस यूनिफॉर्म दिखाकर।
मम्मी : ये तुम्हारे पापा की यूनिफॉर्म। जब तुम छोटी थी तब इसे पहन कर अपने पापा से बोलती थी ' पापा, में भी बड़ी हो के पुलिस ऑफिसर बनूंगी।'
आन्या(सेम) : मेरे पापा पुलिस ऑफिसर है ! (उसकी आंखों में आंसू निकल आते है।) पता नहीं क्यों मुझे इनकी बहुत याद आती है ,जैसे वो मुझसे बहुत दूर हो। पर में उन्हें पहचानती क्यों नहीं हूं ?
मम्मी: चिंता मत करो वो शाम को घर वापस आ जाएंगे।
इतने में आन्या से मिलने उसकी फ्रेंड चैतली आती है। लेकिन आन्या उसको पहचानती नहीं है।
चैतली : हेल्लो..! आन्टी । हेय आन्या.!
मम्मी: लो तुम्हारी दोस्त भी आगयी। तुम दोनों बातें करो में तुम दोनों के लिए कॉफी लाती हूं।
आन्या (सेम) : आन्टी..!!!! मतलब मम्मी... चाई लेे आना ।
चैतली: तुम चाई...!!! कबसे...???
मम्मी: ठीक है चाई ले आती हूं; बेटी चैतली तुम क्या लॉगी ?
चैतली : आन्टी में तो कॉफी ही पिती हूं । चाई भला कोन पिएगा?
आन्या की मम्मी मुस्कुराते हुए रसोई घर में चली जाती है।
आन्या(सेम) : हेय! चैतली।
चैतली: आन्या। में तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड हूं। तुम्हें याद है ना हम दोनों साथ में क्लास में बैठते है, साथ में खाना खाते, पढ़ते और साथमेही खेलते थे।
आन्या(सेम) : चैतली, शायद... (कही तो सुना है ये नाम!!)
चैतली : क्या शायद... हर रोज हम साथ में स्कूल जाते और रात को बहुत देर तक पार्टी करते थे। कुछ याद आया ?
आन्या (सेम) : मुझे माफ़ करना...!
चैतली : में तुम्हें सब याद दिला दूंगी।
आन्या (सेम): चैतली, तुम मेरी बेस्ट फ्रेंड हो ना? मेरी मदद करोगी ?
चैतली : हा, पर कैसी ?
आन्या(सेम): पहले वादा करो में जोभी बोलूंगा तुम उसे मजाक नहीं उड़ाओगी;ओर हमारे बीच हुईं बाते किसी को नहीं बताओगी।
चैतली : प्रोमिश;लेकिन एसी क्या बात है ?
आन्या(सेम) : अभी नहीं कल सुबह मुझे गार्डन में ले चलना वहीं बताऊंगी। कुछ सवालों के जवाब ढूंढने है।
CHEPTER : 4
MYSTERY
दूसरे दिन चैतली आन्या को गुमाने गार्डन में ले आती हैं।
चैतली: अब बताओ।क्या बात है ?
आन्या(सेम): अपना प्रोमिस तो याद है ना?
चैतली : हा..बाबा याद है।
आन्या(सेम) : मुझे ऐसा लगता है; में लड़की नहीं लड़का हूं।
चैतली : क्या..!? ही..ही.. तुम लड़का....हा...हा... हाहा।
(हस्ते हस्ते चैतली जमीन पर लौटने लगी)
आन्या(सेम) : चैतली....! मैने क्या कहाथा?
चैतली: सॉरी..!लेकिन तुमने बात ही कुच एसी की है...हाहाहाहहा। मुझसे हसी रूक ही नहीं रही है।
आन्या(सेम): (गुस्से में) तो फिर चली जाओ यहां मुझे तुम्हारी मदद की कोई जरूरत नहीं है।
चैतली : तुम तो गुस्सा हो गए...हो गई।(धीरे धीरे हसी रोकते हुए) अच्छा तो तुम्हे ऐसा क्यों लगता है?
आन्या(सेम) : जबसे होस आया है तबसे अजीब अजीब चीजे दिख रही है। सपने भी अजीब अजीब आते है।
चैतली: केसे सपने ?
आन्या(सेम): सपनों मे में अपने आप को आयने में देखती हूं ओर में एक लड़का होता हूं। वो कहता है "ढूंढो अपने आपको..। कोन हो तुम...?"
चैतली : वैसे जबसे तुम्हें होस आया है तबसे तू अजीब अजीब हरकते तो करती है। ओर एक बात जब तुम्हें होस आया तब तुमने गुजराती में बात की थी। केसे?
आन्या (सेम) : हा...मुझे आती है।
चैतली: पर ये कैसे संभव है?
आन्या(सेम) : हम....!? शायद एक्सीडेंट की वजसे कुछ ऐसा हुआ है जो हमारी समझ से परे है। कुछ ऐसा कि मेरी पर्सनालिटी चेंज हो गई है?
चैतली : कहीं वो तो नहीं, तुम्हारे सपनों में आता है? वो लड़का है कोन? केसा दिखता है?
आन्या(सेम) : पता नहीं पर आजभी वहीं लड़का सपने में आया था;उसका चेहरा ठीक से दिखा नहीं ओर आज भी वहीं बात "खुदको भूलना मत" ओर अचानक से में किसी जगह से गिर रही होती हूं। गिरते गिरते में चिल्लाती हूं;" में स...स... हूं।" कुछ तो कहथा। मुझे कुछ सुनाई नहीं दिया।
चैतली :कोन हो सकता है?
आन्या (सेम) : पता नहीं लेकिन हमें इसे ढूंढ़ना होगा।
चैतली: पर कैसे?
आन्या(सेम) : एक रास्ता है।हर रोज ऐसे सपने क्यों आते है । क्या मतलब है इन सबका पता लगाना होगा।
चैतली: ठीक है।
तभी चैतली को किसी की कॉल आती है.;बात करने केलिए वो आन्या से थोड़ी दूर जाती है।
आन्या(सेम) को बस कुछ कुछ शब्द ही सुनाई देते है...(चैतली फोन में "हा...में.......पागल... आइसक्रीम... थोड़ी देर... सामने की शॉप... ओके ।)
आन्या(सेम) : किसका फोन था ?
चैतली: ओह... मेरा भाई था पूछ रहा था कहा हो...?कितनी देर लगेगी...? कुछ खास बात नहीं।
आन्या(सेम) :वैसे मेरा एक्सिडेंट केसे हुआ था ?
चैतली: जब स्कूल की छुट्टी हुई तब तुम जल्दी जल्दी घर भागने लगी। उसे पहले तुम कभी इतनी जल्दी में नहीं होती थी। तभी तुम्हारा ऐक्सिडेंट हो गया।में तुम्हारे पीछे थी पर कुछ भी नहीं कर पाई । कार की स्पीड ज्यादा होनेकी वजह से उसका नंबर भी नहीं देख पाई। एक्सीडेंट से दो तीन दिन पहले तुम काफी परेशान ओर खोयी हुई रहती थी,तुम मेरा इंतज़ार भी नहीं करती ओर सीधे घर चली जाती थी।
आन्या(सेम) : तुम्हे पता है कुछ ? में क्यों जल्दी में रहती थी?
चैतली : नहीं,में क्लास मे तुमसे पूछती थी पर तुम कोई जवाब नहीं देती थी। गेम में ऑनलाईन होने के बाद भी तुम गेम नहीं खेलती थी।
आन्या(सेम) : गेम, कोनसि गेम ?
चैतली: 'Hurt world- online' ज्यादातर तुम सेम के साथ खेलती रहती थी।
आन्या को अचानक से गेम खेलने वाली तस्वीरें दिखाई देने लगती है;ओर आवाजे सुनाई देती है.;"चूहे.....मक्खी.... तुम चूहे....ओर तुम मक्खी...हा हा हा...ही... ही... ही..!।"
सिर दर्द की वजह से चक्कर आने लगे। आन्या विहल चेयर से जमीन पर गिर जाती है।
चैतली : आन्या...आन्या...आन...
थोड़ी देर बाद आन्या आंखे खोलती है।
चैतली: क्या हुआ...आन्या ?
आन्या(सेम): चूहा...मख्खी...!!!! आन्या....सेम....!!!
चैतली: हा...! यही बकवास गेम में भी करती रहती थी!
आन्या(सेम) : सेम कोन है..?मुझे उससे मिलना है;कहा मिलेगा ...?
चैतली :सेम.. हम..! ये वही लड़का है जो हमारे साथ गेम्स खेला करता था। पर कुछ दिनों से वो भी ऑनलाइन नहीं हुआ।
आन्या(सेम):ऐसा लगता है ये नाम मैने कई बार सुना है। उसी के साथ कोइना कोई राज छुपा है।
चैतली: चलो छोड़ो ये सारी बाते में तुम्हारे लिए आइसक्रीम लेके आती हूं। तुम यहीं रुको बस में दो मिनिट में आती हूं। वो देखो वही सामने आइसक्रीम की शॉप है वहां से।
चैतली आइसक्रीम लेने जाती है। आन्या(सेम) अपने ही ख्यालों में खोया हुआ है..तभी अचानक उसकी नजर एक शख़्स पर पड़ती है जो उसकी ही तरफ आ रहा होता है। मुंह पर मास्क पहने हुए सिर्फ उसकी आखे दिख रही होती है। घभराया हुआ..थोड़ा डरा डरा भी लग रहा था.; मानो उसके हाथ पैर काप रहे हो। उसे देख आन्या(सेम) भी थोड़ा डर जाता है लेकिन इतने में पुलिस की कार वहा आ पहुंचती है। कार से आन्या के पापा उतरते है!
जयराज : बेटे इधर क्या कर रही हो ?
आन्या(सेम):अंक़.... सॉरी पापा में यहां चैतलीके साथ गुमने आयि हूं;वो मेरे लिए आइसक्रीम लेने गई है।
इतने में चैतलीभी आइसक्रीम लेकर आजाती है।
जयराज: ठीक है.. बेटी चलो में तुम दोनों को घर छोड़ देता हूं।
चैतली : हा..!चलो अंकल...!
आन्या को कार में बिठा कर तीनों वहासे निकल ते है तभी आन्या(सेम) नजर वहीं सखस पर पड़ती है जिसकी डरावनी आंखे उसिको देख रही थी।
वहा सेम के घर सेम से मिलने उसका बॉस मिलने अता है।
सेम की हालत देख बॉस सेम की जगह राम को जॉब पर रखने का फैसला करता है।
बॉस : राम, जबतक तुम्हारा भाई पूरी तरह से ठीक नहीं जाता तब तक तुम इसकी जगह पर काम करोगे..?
राम सोच रहा होता है "वैसे घर चलाने के लिए सिर्फ मम्मी की पेंशन काफी नहीं है, हाल ही में इतना सारा खर्चा हो गया। पर मेरी पढाई का क्या होगा ?"
राम : लेकिन मेरी पढाई ?
बॉस: तुम इसकी चिंता मत करो। आधा समय पढ़ाई करो और बाकी के समय जॉब उपर से एक्जाम्स के वक्त में तुम्हे पूरी छुट्टी दे दूंगा।
राम : ठीक है। पर मुझे काम क्या करना होगा ?
बॉस : तुम्हारा भाई अच्छी पोस्ट पर है तुम्हे ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ेगी बस तुम कलसे जॉब पर आना शुरू हो जाओ। वहा पर तुम्हे सब सिखा दिया जाएगा।
राम अपनी मा के सामने देखता है।
मा : बेटा तुम्हे जो ठीक लगे।
राम : तो ठीक है कलस में जॉब पर आऊंगा। कितने बजे?
बॉस : ऑफिस का टाइम 9 से 5 का है।
राम :ठीक है। बस मुझे एक्जाम्स के टाइम छुट्टी दे देना।
बॉस : जरूर। चलो तो फिर अब में चलता हूं। उम्मीद है तुम्हारा भाई जल्द ही ठीक हो जाए।
राम : जी,जरूर । धन्यवाद।
बॉस चला जाता है।
मा : बेटा तुम पढाई ओर जॉब साथ में कर पाओगे ?
राम : हा,मा बस तुम समर को संभालो।
मा : वह तो ठीक है बेटा लेकिन मुझे हिंदी कहा आती है।मतलब में समझ तो पाती हूं पर बोल नहीं पाती।
राम : कोई बात नहीं मा "तुम मा हो और ममता की कोई भाषा नहीं होती।" तुम जो कहना चाहोगी वो समझ जाएगा ओर उसके बोले बिनाही तुम समझ ही जाती हो।
(NOTE: Whole Conversation between Ram and his mother is in Gujrati)
सेम (आन्या) भी थोड़ा बहुत समझ ही रहा था कि मा बेटे बीच में क्या बाते हो रही थी।
सेम(आन्या) : हा,आप चिंता मत कीजिए रामको जॉब पर जाने दीजिए वैसे इतने दोनो से गुजराती सुनकर थोड़ा बहुत समझ ने लगी हूं।
राम : अच्छा तुम समझ ने लगी हो...हा...हा...।
सेम(आन्या) : लगा हूं।
मा : राम, जरा बाजार से थोड़ी सब्जी ले आओगे?
राम : हा, क्यों नहीं । हेय समर तुम भी चलो इस बहाने तुम्हे शहेर दिखाता हूं,तुम्हे अच्छा भी लगे गा।
सेम(आन्या) : हा, चलो।
राम : ठीक है , मा ! बाइक की चाबी और पैसे देदो।
मा पैसे ओर चावी देती हैं। दोनो भाई घर के बाजू पार्किंग में पहुंचते हैं।
राम: येलो चाबी । तुम चला लो।
सेम(आन्या) : में..!?? मुझे कहा बाइक चलाने आती है?
राम: तुम तो मुझसे अच्छे ड्राइवर हो । रेस में मुझे भी हरा देते थे ! ओर इंसान भला बाइक चलाना थोड़ी भूल सकता है? फिर भी ट्राई तो करो।
सेम(आन्या) कापते हुए बाइक पर बैठता है,उसके पैर कापने लगते है। राम समझ गया कि वो नहीं चला पाएगा।
राम : रहने दे, वैसे भी इतना खर्चा हो गया है, हाथ पैर तुड़वाकर ओर खर्चा नहीं करवाना।
राम बाइक चला लेता है सेम पीछे बैठा है। दोनो भाई मार्केट जाकर सब्जियां लेके शहर गुमते है,;तभी अचानक एक कार सामने आ जाती है। राम जोर से ब्रेक लगता है,बाइक ओर कार आमने सामने रूक गई। थोड़ी बोला चाली के बाद दोनों अपने अपने रास्ते पर चल पड़ते है।
राम: समर तुम्हे कुछ हुआ तो नहीं?
सेम(आन्या) को अपने साथ हुआ एक्सिडेंट दिखा ओर वह हक्काभ्क्का रह गई। वो कुछ बोल ही नहीं पाती है। वो जगह ,वो व्हाइट कार ओर पीछे से "आन्या" चिल्लाने की आवाज सब साफ साफ दिखता है।
राम नज़दीक के ग्राउंड में बाइक लेजाकर रोकता है।
राम: समर... समर...तुम ठीक तो हो..!कुछ बोलो भी।
सेम(आन्या): हा..में ठीक हूं।
राम : तुमने तो डरा ही दिया था।
सेम(आन्या) : आन्या...!आन्या कोन है ?
राम : पता नहीं..! क्यों ?
सेम(आन्या) : अभी ऐसा लगा मानों मेरा एक्सिडेंट हो गया,ओर कोई मुझे बुला रहा था....आन्या के नाम से। वो स्कूल...! वो रोड...! वो कार...!मुझे आन्या को ढूंढ़ ना होगा उसी से कोई ना कोई कनेक्शन है..ये नाम में पहली बार नहीं सुन रहा हूं...!
राम : फिलहाल तुम अभी घर चलो..।
सेम(आन्या): हम...!
दोनो घर चले जाते है...।
[ धुंधली धुंधली जगह पर एक आदमी अपने बेटे से कुछ बाते करता है।
" याद रखना 0-2-6-9-0....2..7-6...4..9-3".
लड़का : हा पापा में कभी नहीं भूलूंगा 02690-276493 देखो मुझे याद भी हो गया...।
पापा : वेरी, गुड मेरे बच्चे। ]
(In Gujrati)
ओर फिर अचानक से सब गायब हो जाता है। फिर एक ऑफिस... उसके बाद एक रेलवे स्टेशन उसका गुजराती में लिखा नाम...उसके बाद एक सुंदर गाव वहा के पहाड़,नदी,खेत सब एक के बाद एक आते ओर गायब हो जाते है। ] तभी आन्या(सेम) की आंख खुल जाती है। धड़कने तेज, सांसे फुली हुई, घड़ी में टाइम देखती है 3:19AM ।
उसके बाद आन्या(सेम) सो नहीं पाती है। नंबर्स ओर वो जगह उसे अच्छी तरह से याद थे उसने अपने फोन में नंबर सेव कर लिया।
सुबह के 8 बजे नाश्ता करने के बाद उस नंबर पर कॉल किया लेकिन वह नंबर उपलब्ध नहीं था।
ठीक वैसी ही हालत सेम(आन्या) की थी। उसने भी सपने में अपना स्कूल , अपने दोस्त, वो लड़का जो उसके साथ पड़ता था,उसकी वो खाली बैंच, उसके (आन्या)पापा (पुलिस की वर्दी में एक इंसान),वो डॉक्टर,चैतली ओर अंत में ऐक्सिडेंट। उसके बाद उसकी भी आंखे खुल जाती है।
दोनो की हालत बुरी थी। दोनों ही ये सब क्या हो रहा है ये समजने की पूरी कोशिश कर रहे थे। उपर से आन्या(सेम) को मालूम नहीं था कि अंजान मुसीबत उसपर आने वाली है।
एक रूम में दो लोग बात कर रहे होते है।
X: (गुस्से में) आज भी वो बच गई। गार्डन में तो वो अकेली थी ना ...!!! तो केसे बच गई ...? ये सब क्या हो रहा है ? एक मामूली लड़की को किडनेप नहीं कर सकते ?
Y: गार्डन में वो अकेली तो थी.; में उसे उठाने ही वाला था लेकिन तभी अचानक उसके पापा वहा पर आ गए।
X: तुम्हे देखा तो नहीं उसने ?
Y: नहीं, उसने तो नहीं देखा पर लगता है उस लड़की को मुजपर सक हो गया है। पर चिंता मत कीजिए मेरा मुंह बन्धा हुआ था उसने मेरा चेहरा नहीं देखा है।
X: बस बहुत हो गई तुम्हारी बकवास अगर तुम्हारी मा को जिंदा देखा चाहते हो तो उस लड़की को मेरे पास लेकर आओ जिंदा या मुर्दा।
Y: साहब गलती हो गई.;एक ओर मोका दीजिए..!
X: याद रखना तुम्हारे पास समय बहुत कम है,..अब जाओ यहां से जब तक उस लड़की को किडनैप नहीं कर पाओ तब तक मुझे अपनी सकल मत दिखाना ।
(वो आदमी चला जाता है। )
जयराज कब तक बचाओगे अपनी बेटी को ?
आज नहीं तो कल तूने जो किया है उसका बद्दला तो में लेकर रहूंगा। तूने मेरा सबकुछ छीन लिया था अब में तुम्हारा सबकुछ छीन लूंगा।.....लेकिन ये समझ नहीं आता कि इतनी बार वो बच केसे सकती है ? कार से भी ओर....,कोई बात नहीं कब तक बचेगी।
CHEPTER: 5
THE PAST
मई २००१, मुंबई
एक फॉर्मेसी कंपनी में जोरोसे काम चल रहा होता है। कुछ दवाई या बन रही होती है।
Manager : आज सबको शायद ओवर टाइम भी करना पड़ेगा :, कल किसिभी हालमे सारी दवाइया पहचानी है।
Employes : होजाएगा सर चिंता ना करे।
मेनेजर : अभी मेडम आती ही होगी। सारे रिपोर्ट्स तैयार है ना ?
सीनियर employ: हा सर, सारे रिपोर्ट्स तैयार है। क्वॉलिटी चेकिंग, क्वांटिटी सारे तैयार है।
तभी वहापर पुलिस आ पहुंचती है। देखते ही देखते पूरी कंपनी के हर कोने में पुलिकर्मियों तेनात हो जाते है ओर सभी कर्मचारियों को जैसे थे उसी हाल में काम रुकवा ने का आदेश देते हुए एक पुलिस ऑफिसर बोलता है
पुलिस ऑफिसर : यहां का मैनेजर कोन है?
मेनेजर: में यहां का मेनेजर हूं, क्या हुआ ?
पुलिस ऑफिसर: काम बन्ध करवाओ। हमे सूचना मिली है कि यह इल्लीगल ड्रग्स की सप्लाई होती है। दवाई के नाम पर इल्लीगल ड्रग्स का धंधा करते हों? हमारे पास search warrant है। अभी हाल ही में पकड़े गए स्मगलरों की पूछताछ से पता चला है कि इसी शहर में दवाई के साथ ड्रग्स बेची जा रही है। ओर ये ड्रग्स बाहर से नहीं आती यहीं पर बनती है। एसी कई कंपनियो के नाम बाहर आए है जिनके पास इल्लीगल ड्रग्स के इंग्रीडियन ओर कम्पौंड का लाइसैंस है लेकिन उससे सिर्फ दवाई बनाई जानी चाहिए इल्लीगल ड्रग्स नहीं
( इस फार्मेसी कंपनी की मालकिन आ पहुंचती हैं।)
पुलिस ऑफिसर : हमारे पास search warrant है, कॉर्ट के आदेश के मुताबिक हम आपकी कंपनी की तलाशी लेनी है ओर सारी दवाईयो के सैंपल्स भी फोरेंसिक लैब में पहुंचने है। तो आप कृपया कर के सहयोग दे।
मेंडम : जी, जरूर क्यों नहीं लेकिन इस से पहले हमे search warrant की सारी डिटेल्स दिखाए ।
पुलिस ऑफिसर : ये रहा search warrant,; अब कुछ जरूरी फॉमालिटीस...आप का नाम ?
मेघा : मेघा...मेघा भारती ।
पुलिस ऑफिसर : करेक्ट, कंपनी... वैदिक फार्मेसी...!!
मेघा : हम..।
पुलिस ऑफिसर : लाइसेंस ओर परमिट के कागजात ?
मेघा (सारे पेपर्स दिखाते हुए) : जी ये रहे।
पुलिस ऑफिसर : सब कुछ सही है लेकिन आपकी पूरी कंपनी की छानबीन करनी होगी । (बाकी पुलिस कर्मचारियों ओर ड्रग्स स्पेशियलिस्ट को ) आप लोग काम शुरू करो ।
पूरे दो घंटों तक छानबीन करने के बाद एक आॅफिसर आता है
ऑफिसर : साहब, एक चोकाने वाली बात है जल्दी से चलिए आपको कुछ दिखाना है।
पुलिस ऑफिसर : क्या हो गया ? सीधे सीधे नहीं बता सकता ?
ऑफिसर : साहब आप चलिए तो सही..!
पुलिस ऑफिसर : चलो, भाई क्या दिखाना है?
बड़े साहब , मेघा, मेनेजर ओर बाकी के 3-4 ऑफिसर उनके पीछे चलदिए। कंपनी के पीछे के दरवाजे से पहले एक छोटेसे गार्डन के पास आ कर रुके ।
पुलिस ऑफिसर : अब क्या ? यहां क्या दिखाना है ?
ऑफिसर : (वहा रखी फूलदानी को गोल घुमाते हुए) ये देखिए खुफिया दरवाजा।
दरवाजा देख कर सब लोग हैरान हो जाते है, मेघा ओर मैनेजर भी चोक जाते है।
मेघा : नहीं..! ये दरवाजा यहां केसे आया ? ऑफिसर ये...नहीं...हॉस्कता...मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता..ये सब क्या है?
पुलिस ऑफिसर : ओह माय गॉड...! लगता है खबर सही थी। यहां तो बड़ा कारोबार होता होगा । (ऑफिसर को) तुम्हे केसे पता चला ?
ऑफिसर : सर, जब कंपनी के अंदर बाकी ऑफिसर्स तलाशी ले रहे थे तभी मुझे लगा बहार भी ढूंढ़ना चाहिए । ओर जब में बाहर देख रहा था तब ये फुलोका कुंडा कुछ अलग लगा,ओर उसके फूल भी सबसे अलग है बस फिर क्या में उसको उठाने गया ओर हलका सा ये गुम ओर ये अंडरग्राउंड दरवाजा खुल गया ।
पुलिस ऑफिसर : साबास...! ऑफिसर तुम्हारा प्रमोशन पक्का है । चलो अब देखते है अंदर क्या छुपाके रखा है ?
दरवाजे से सब नीचे उतर ते है। अंदर बहुत बड़ा रूम था, कई मशीने भी रखी हुई थी, ओर बहुत सारे बक्से पैक कर के रखे हुए थे।
पुलिस ऑफिसर: खोलो इन बक्सो को।
एक ऑफिसर बक्से खोलता है। अंदर से ड्रग्स निकलती है। उसके बाद मेघा ओर मैनेजर को एरेस्ट कर लिया गया। थोड़े दिनों बाद कोर्ट में मेघा ओर मैनेजर दोषी साबित हुए। उनको जेल हुई और उनकी कंपनी वैदिक फार्मेसी को हमेशा केलिए सील लग गया।
वो पुलिस ऑफिसर जो टीम को लीड के रहा था और वो ऑफिसर जिसने दरवाजा ढूंढ़ा दोनो को सम्मानित किया गया।
थोड़े दिनों बाद मेघा जमानत पर जेल से छूट गई और अगले ही दिन उसने अपने पति को लेटर लिख कर आत्महत्या कर ली। हर न्यूज चैनल और न्यूज पेपर में इस किस्से के चर्चे हो रहे थे ।
२० मई २००३, गुजरात
(टेलीफोन फिट करते हुए)
ओर....ये...हो गया।
चार साल का समर : पापा, ये क्या है?
पापा : बेटा, ये टेलीफोन है। इस से हम बाते कर सकते है।
समर : छची..केसे, इछ मेश्छे तो कोई नी बोल रहा है ? इसमें कोन लोग रहते है?
पापा : हा.हा..हा...हा....!!! बेटे इसमें लोग नहीं रहते। ये एक मशीन है जिस से हम दुरके लोगो से बाते कर सकते है। जैसे कि जब में ऑफिस में होता हूं तब मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है.; "मेरा बेटा क्या कर रहा है?" तो हम इस मशीन के द्वारा बात कर सकते है।
समर: पापा इस पर ये नंबर्स क्यों लिखे है ?
पापा : बेटे , कॉल लगाने के लिए नंबर दबाना जरूरी है, जैसे मेरी ऑफिस में कॉल करने के लिए ०२६९०-७५४४७४ ओर हमारे इस नए टेलीफोन पर कॉल करने के लिए 02690-276493 नंबर दबाना होता है।
समर : इतने सारे नंबर्स याद लखने होगे !!??
पापा : हा..!! ताकि इसका इस्तमाल सिर्फ होशियार बच्चे ही के सके...। इसलिए तुम्हे अच्छेसे पढ़ाई करनी होगी।
समर: में अछेसे पढूंगा ओर आपके जैसा ही बनूंगा ।
पापा मुझे १ से ५० की गिनती आती है।
ओर...ओर...इंग्लिश में २०(TWENTY) तक सुनाऊं !!???
पापा : मेरा अच्छा बच्चा...
ऐसे ही बाते करते हुए पापा के साथ खेलते हुए रात हो जाती है। रात में भी सेम वहीं अपना फोन नंबर याद करता है ओर बार बार "0 2 6 9 0 - 2 7 6 4 9 3" दोहराता रहता है।
समर गुजरात में बड़ा हो रहा था।
समर ने अपनी जिंदगी में बहुत कुछ सीखा।उसके पापा ने बचपन से ही उसे मार्सेल आर्ट्स, बॉक्सिं , जैसी चीजें सीखना सुरु कर दिया था ताकि कभी जरूर पड़ने पर खुदको ओर दूसरों को बचा सके।
उसके पापा ने उसको कई सारी बाते सिखाई जो एक अच्छा इंसान बनने केलिए काफी थी। पूरी जिंदगी समर के पिता ही नहीं मित्र भी बनके रहे । समर को सिखाया कि केसे हर मुसीबत में सुजबुज से उसका सामना करना चाहिए नाकी मुसीबत से भागना। उसके पापा हमेशा कहते थे"डर हमें मजबूर बनता है, ओर हिम्मत हमे मजबूत बनाती है।""या तो एक कोने में बैठ कर रो लो, या पुरी दुनिया से लड़ लो।" समर को इतना काबिल बनाया कि वो खुद समझ सके कि सही क्या है ओर गलत क्या है, अच्छा क्या है बुरा क्या है। साथ ही साथ उसे अपनी संस्कृति का भी पाठ पढ़ा ते गए। समर पढ़ाईमें भी सबसे आगे था।
कुछ सालो बाद उसके पिताजी की हार्ट अटेक की वजह से मौत हो गई। समर के मा ओर भाई होने के बावजूद मानो वो अकेला हो गया। अचानक से उसकी पूरी जिंदगी ही बदल गई। सबके साथ रहते हुए भी वो अकेला अकेला रहने लगा। उसका भाई राम उसको अकेलापन महसूस ना हो इसलिए उसके साथ गेम्स खेलता रहता था। धीरे धीरे समर ने भी अपनी जीमेदरियो को संभालने लगा । उसके पापा की जगह उको जॉब मिल गई। तब वो सिर्फ १८ साल का था।
साल २०१६ मुंबई
आन्या भी अब बड़ी हो चुकी थी। ११वी की पढ़ाई कर रही थी। चैतली भी उसी के साथ पढाई कर रही थी। वो उसकी बचपन कि दोस्त है। आन्या का फ्रेंड सर्कल बड़ा था जिसमें कई सारे लड़के भी थे। इसमें से एक लड़का था जो आन्या को बहुत चाहता था। उसका नाम आशीष था। आन्या,चैतली ओर आशीष तीनों अच्छे फ्रेंड्स थे। तीनों हमेशा साथ में रहते थे। साथ में खेलते साथ में पढ़ते।
एक दिन आशीष ने आन्या को प्रपोज कर दिया, आन्या के मनमे वो सिर्फ फ्रेंड ही था उसके लिए कोई ओर फीलिंग नहीं थी । उसने मना कर दिया । आन्या के मना करने बावजूद वो उसको फ्लर्ट करता रहता । आन्या इसकी हरकतों से अब चिड़ने लगी थी। बहुत समझाने के बाद भी वो नहीं माना । वो कीसिभी हालत में आन्या को पाना चाहता था। आशीष की बुरी हरकत की वजह से एक दिन पूरी क्लास के सामने आन्या ने उसे थप्पड़ मार दिया और प्रिंसीपल से सिकायत भी कर दी और आशीष को स्कूल से निकाल दिया गया। उसके बाद से वो कभी नहीं दिखा। ऐसी अफ़वा फैलने लगी कि आशीष ने सुसाइट कर लिया, और सब लोग आन्या को दोषी ठहराने लगे।
आन्या मन ही मन दुखी तो हुई लेकिन अब क्या के सकती थी । उसके बाद से चैतली का स्वभाव भी थोड़ा बदल गया । दोनो फ्रेंड्स तो थी लेकीन उसबात का ज्यादा असर पड़ा ।
एक साल बित गया। आन्या की मुलाकात सेम से हुई (गेम में)। उसके बाद आन्या का एक्सिडेंट हुआ ऐक्सिडेंट की वज से वो कोमा में चली जाती है, सेम को ब्रैन ट्यूमर होने की वजह वो भी कोमा में जा चुका होता है। दोनो स्पिरिचुअल वर्ल्ड में मिलते है। दोनो की ओरा अलग अलग शरीर में चली जाती है और दोनो एक दूसरे को ढूंढ़ ने लगते है।
तभी एक अंजान चेहरा(परछाई) सामने आती है जो आन्या को किडनैप करना चाहता है उसे मारना चाहता है ओर कई प्रयत्न भी कर चुका होता है पर अबतक को सफल नहीं हुआ होता है।
CHEPTER: 6
KIDNAP
आन्या का एक्सिडेंट हुए एक महिना से उपर हो चुका है।
आन्या(सेम) ने खुदके बारेमे काफी जानकारी इकट्ठा कर ली होती है। उसे ये भी यकीन हो चुका होता है कि वो आन्या नहीं है,बल्कि आन्या के शरीर में कोई ओर है, वो समज चुका था कि उसकी बॉडी स्विप्ट हो गई है आन्या के शरीर से। पर अभी खुद की पहचान नहीं कर पाया है। आन्या क्या करती थी? उसके साथ अबतक क्या होचुका है? उसके फ्रेंड्स सबके बारे मे काफी जानकारी इकट्ठा कर ली है। ओर अब तक वो सेम (आन्या) से संपर्क कर ने में उसे ढूंढ़ ने में असफल रहा।
एक दिन शाम के वक़्त डॉक्टर उसके घर पर उसका चेकअप करने केलिए आता है। उसके पापा जयराज भी घर पर ही थे।
आन्या(सेम) का चेकअप करने के बाद
डॉक्टर: आन्या की हालत अब पहले से काफी अच्छी लग रही है।
जयराज : हा, अब उसका पैर केसा है?
डॉक्टर: सब कुछ सही है, कुछ ही दिनों में आन्या दौड़ने लगेगी।
जयराज : ओर उसकी याददाश्त अभी तक...!?
डॉक्टर: मेरे दोस्त,चिंता मत करो उपर वालेकी महेरबनी से आन्या को कुछ हुआ नहीं वहीं बड़ी बात है, ओर बाकी हम सब उसकी याददाश्त वापस लाने केलिए पूरा प्रयत्न कर रहे है ना।
जयराज : हा, मेरे दोस्त । पता नहीं भगवान किस गलती की सजा दे रहे है?
डॉक्टर : वो छोड़ो, ये बताओ उस कार वाले का कुछ पता चला ?
जयराज : नहीं, आज मुझे ऐसा लग रहा है कि में इस वर्दी के लायक ही नहीं हूं। में अपनी ही बेटी के गुनेहगार को नहीं ढूंढ़ पा रहा हूं।
डॉक्टर (आन्या से) : बेटा, तुम्हे कुछ याद है ? कार किसी दिखती थी,उसका नंबर, कुछ भी जिस से कार की पहचान हो सके ?
आन्या(सेम) : नहीं, मुझे कुछ याद नहीं। लेकिन चैतली मेरे पीछे ही थी, उसे जितना पता था वो सब पापा को बटा चुकी है।
जयराज : हा।
डॉक्टर : तो क्या पता चला ? क्या बताया उसने?
जयराज : कुछ खास पता नहीं चला। चैतली बता रही थी कि वो आन्या से काफी पीछे होनेकि वजह से कार का नंबर नहीं देख पाई सिर्फ उसने व्हाइट कार को ही देखा ओर देखते ही देखते कार चली गई।
डॉक्टर : बेटा, ओर कुछ याद आ रहा है? मेरा मतलब ऐक्सिडेंट से नहीं कुछ भी स्कूल या तुम्हारे फ्रेंड्स, तुम्हारा बचपन ?
आन्या(सेम) : नहीं, मुझे कुछ याद नहीं है।
डॉक्टर: तब तो तुम मुझे पहचानती ही नहीं होगी है ना?
आन्या(सेम) : नहीं, मैने आपको पहली बार हॉस्पिटल में ही देखा था।
जयराज : बेटा, ये मेरे बहुत अच्छे दोस्त है। इन्होंने ही मेरी जान बचाई थी।
आन्या(सेम) : कब ? ये तो मुझे पता ही नहीं ।
जयराज : बेटे, तुम्हे नहीं याद? कोई बात नहीं में तुम्हे फुर्सत से सारी बात बताता हूं।
डॉक्टर : हा, भाई तुम लोग फुर्सत से बाते करो, ओर हा इसे येभी बताना कि हमारी दोस्ती केसे हुई। में चलता हूं...मुझे देर हो रही है। घर पर काफी काम भी बाकी है।
आन्या की मोम : भाई साहब ऐसे कैसे ? खाना तो खाके जाइए ।
डॉक्टर: सुक्रिया भाभीजी पर मुझे देर हो रही है फिर कभी। फिलहाल मुझे बहुत जरूरी काम है।
जयराज : तो भाई इतनी उम्र हो गई शादी क्यों नहीं कर लेते, कब तक खुद ही काम करते रहोगे ?
डॉक्टर : अरे नहीं भाई, वैसे नोकर चाकर तो रखे है घर पर। ओर रही बात शादी की तो सच बताऊं अब तक कोई ऐसी मिलिही नहीं...हा...हा..हा..। चलो अब में चलता हूं।
जयराज: चलो, आओ में तुम्हे घर छोड़ देता हूं।
डॉक्टर : नहीं, अरे तुम तफ्लिफ मत लो,अपनी बेटी के साथ टाइम बिताओ वैसे भी तुम्हे जॉब से ज्यादा फुर्सत तो मिलती नहीं होगी, में खुद चला जाऊंगा। चलो बाय।
फिर मिलते है। बाय बेटा।
आन्या(सेम) : बाय अंकल।
जयराज : चलो , फिर मिलते है।
आन्या की मोम : अगली बार हम आपको खाना खिलाएं बिना नहीं जाने देंगे।
डॉक्टर: जरूर भाभीजी। बाय।
डॉक्टर वहा से चला जाता है।
आन्या की मोम चलो खाना तैयार है। में टेबल लगाती हूं तुम लोग जलदिसे आ जाओ।
आन्या(सेम) : हा मोम, हम आ रहे है तुम जाओ। पापा अब बताओ केसे आपकी ओर अंकल की दोस्ती हुई ओर केसे अंकल ने आपकी जान बचाई थी?
जयराज: बेटे, मुझे गोली लगी थी। आस पास कोई नहिथा । तब मेरी मुलाकात डॉक्टर अंकल से हुई। वो अपनी कार में मुझे हॉस्पिटल लेके आए और मेरा ऑपरेशन किया। बहुत ही कॉम्प्लिकेटेड ऑपरेशन था। उन्हों ने मेरी जान बचाई।
आन्या(सेम) : गोली किसने चलाई थी, उसका कुछ पता चला था।
जयराज: हा, उसको मैने ड्यूटी जॉइन करते ही दो दिन में पकड़ लियाथा। दो बार मैने उसको गिरफ्तार किया था, शायद इसी लिए उसने ऐसा किया। अभी भी वो जेल में ही है। पुलिस ऑफिसर पर गोली चलाने के जुर्म में ११ साल की जेल हुए है उसे।
तभी आन्या की मोम आवाज लगती है "खाना लग गया जल्दी से बाप बेटी आजाईए।"
जयराज : अब चलो बेटा, वरना तुम्हारी मोम चिल्लातिही रहेंगी।
आन्या(सेम) : हा, चलिए। आपको ही लेजाना पड़ेगा ।
आन्या(सेम) मन ही मन सोचने लगा, "मतलब मेरा शक सही था । कोई तो है जो बदला लेना चाता है। में समजता था कि कोई आन्यासे बदला लेना चाहता है लेकिन नहीं ये कोई जयराज अंकल से बदला लेना चाहता है आन्या को मार के। वो इंसान वो कोन था ? जोभी था मुझे अब ज्यादा सतर्क रहना हो। फिलहाल ये बात पापा...अंकल को बता देना चाहिए। लेकिन अभी सही वक़्त नहीं लग रहा है,ओर कहूंगा क्या?"
खाना खाते खाते सोच रहा होता है।
"चलो, अच्छा हुआ कि असली आन्या इधर नहीं है। जहाभी हो सुरक्षित हो। पता नहीं क्यों आन्या के बारे में सोचतेही एक अलग फीलिंग आती है। मानो में उसके लिए जानभी दे सकता हूं।फिल हाल आन्या का शरीर मेरे पास है पर उसकी वो...(चोकते हुए)। मुझे ये सारी बाते समजनी होगी। असली आन्या को ढूंढ़ना होगा। आन्या में तुम्हे जल्द ही ढूंढ़ लूंगा।"
आन्या की मोम : आन्या किस सोच में पड़गई? इतनी देर से देख रही हूं...बेटा कोई बात है तो बताओ...तुम्हारी तबीयत तो ठीक हैं ना?
आन्या(सेम) : हा, मोम मेरी तबियत बिलकुल ठिक है आप चिंता ना करे। बस में सोच रही थी कि जल्द से जल्द मेरा पैर ठीक होजाई।
आन्या की मोम : अरे, बेटा वो चैतली कह रही थी वो ओर उसकी फैमिली पिकनिक पर जा रहे है तो अगर तुम्हे जाना है ?
आन्या(सेम) : हा, मुझे बोला था पर में बताना भूल गई। तो पापा में जाऊ पिकनिक पर ?
जयराज: पर वहा तुम्हारा ख्याल कोन रखेगा ?
आन्या(सेम) : चिंता मत कीजिए पापा और चैतली भी वहा होगी,हमारे काफी फ्रेंड्स भी वहा होंगे।
जयराज: ठीक है, पर फोन हमेशा पास ही रखना ओर कुछ भी तफ्लीफ हो तो तुरंत कॉल कर देना।
आन्या(सेम) : ठीक है ,पापा।
दूसरे दिन सुबह आन्या(सेम) पिकनिक के लिए निकलती है। चैतली,आन्या(सेम)ओर उक्से कुछ दोस्त सब लोग चल पड़ते हैं पिकनिक पर। आन्या के घरसे २०-२५ km की दूरी पर एक सुं
दर सी जगह पर वो लोग जाते है, काफी समय तक खूब मस्ती करने के बाद आन्या (सेम) केसाथ फिर से एक हादसा हो जाता है। आन्या की एक दोस्त आन्या को व्हीलचेयर पर रोड क्रॉस कराने आती है, एक कार तेजी से उसे टकरा जाती है।चैतली की कजिन के हाथ से व्हीलचेयर छूट कर बहुत दूर गिरती है, वो भी कार का धक्का लगने की वजहसे गिर जाती है। सब लोग डर जाते है। कार वाला कार लेकर फरार हो जाता है। व्हीलचेयर पूरी तरह से टूट चुकी होती है। चैतली उसकी दोस्त को खड़ी करती है,ओर सब लोग आन्या की तरफ भागते है। आन्या(सेम) को रोड की दूसरी साइड जमीन पर बैठी देख कर सब लोग चोक जाते है।
सब लोग आन्या को खड़ी करते हुए "आन्या...आन्या तुम्हे कुछ हुआ तो नहीं?"
आन्या(सेम): नहीं, मुझे कुछ नहीं हुआ है।
चैतली: कोई चोट तो नहीं आयी। मैं तो डर ही गई थी।(चैतली रोने लगती है) अगर तुम्हे कुछ हो जाता तो अंकल आंटी को क्या जवाब देती?
आन्या(सेम) : मत रूओ, चैतली देखो मुझे कुछ नहीं हुआ है ।
चैतली : हे भगवान, ये क्या हो रहा है मेरी दोस्त के साथ। ये दूसरी बार...!!!
आन्या(सेम) :(थोड़े गुस्से से) हा...!!! पर इस बार नहीं ।
चैतली : क्या इसबार नहीं ?
आन्या(सेम) मनही मन सोचता है " अब तो मुझे पक्का यकीन हो गया।"
चैतली : आन्या...!!! तुम ठीक तो होना...!
आन्या(सेम) : हा , ठीक हूं।
चैतली : चलो, घर चलो ।
आन्या(सेम): हा,चलो।
सब लोग आन्या को उसके घर छोड़ देते है ओर सारी बात उसकी मोम को बताई थोड़ी देर बाते करने के बाद अपने घर चले जाते है।
आन्या(सेम) : मोम, मैने कार आते देख जैसे ही कार टकराने वाली होती है तब अपनी पूरी ताकत लगा कर खड़ी होकर रोड की दूसरी तरफ कूद गई , उस दौरान मेंने वहीं आंखे देखी जो पहले भी देखी थी। ओर शायद कार भी वही थी जो पहले भी आन्या... का मतलब मेरा एक्सिडेंट हुआ था।
आन्या की मोम : बेटा,ये सारी बाते तुमने पहले क्यों नहीं बताई , आज अपने पापा को सब कुछ बता देना। अब तो मुझे भी डर लगने लगा है।
रात को सारी बाते अपने पापा को बताती है। जयराजको भी लगता है कि कोई उससे बदला लेने केलिए ये सब के रहा है, पर वो कोन हो सकता है,उसने अबतक बहुत सारे गुनहगारों को सजा दिलवाई है,कोन हो सकता है? सोचने लगा।
दूसरी ओर सेम के घर सेम(आन्या) आन्या को ढूंढ़ ने में लगा था। इसका भाई राम उसकी जगह जॉब पर जाने लगा था। जॉब पर जाने के बाद उसे पता चला कि उसके भाई वहा पर सब का दिल जीत लिया था, जिस से भी मिलता सब लोग समर की तारीफ करते।
एक चाचा जिनका नाम इकबाल था वो राम से बाते करते है कि समर साहब ने ये किया,समर साहब ने वो किया। ऑफिस में सबसे बेस्ट साहब वहीं थे। उन्होंने मेरी बहोत ही मदद की, कभी मुझे नोकर नहीं समझा,हमेशा सबको मान से बुलाते थे। एक बार तो मेरी जान भी उन्होंने ही बचाई थी (इतना कहते ही उनकी आंखो में पानी आ जाता है)
राम : मुझे लगता था मेरा भाई अच्छा इंसान है, पर आज यकीन हो गया। वैसे क्या हुए था,; कैसे उसने आपकी जान बचाई थी?
इकबाल चाचा : साहब, एक दिन ऐसे ही काम कर रहे थे और अचानक मेरा दम गुटने लगा, सीनेमे दर्द होने लगा और में जमीन पर लेट गया । सब लोग देख रहे थे कोई बोल रहा था डॉक्टर को कॉल लगाओ,कोई बोल रहा था एम्बुलेंस बुलाओ। तभी समर साहब आए ओर सीना दबाने लगे,मेरे हाथ रगड़ने लगे और बताया की "अपनी पूरी ताकत से खासो, जोर जोर से खांसो, " में जोर जोर से खांसने लगा,
समर : चाचा, आपको कुछ नहीं होगा में हूं ना आपके साथ बस आप हिमत मत हारना। ओर हो सके इतनी जोर से खास ते रहिए।
थोड़ी देर में एम्बुलेंस आ गई, समर साहब भी साथ में हॉस्पिटल आए थे। मेरा इलाज चालू हो गया, डॉक्टर ने बताया आप को हार्ट ऐटेक आया था। अगर एम्बुलेंस आने तक बेसिक ट्रीटमेंट्स नहीं दी होती तो आप शायद बच नहीं पाते ।
मैने समर साहब से कहा "आज आप नहीं होते तो शायद में आज जिंदा ना होता।"
उन्होंने कहा "ये सब तो उपर वाले की मेहरबानी है, मेरे होनेसे कुछ होता तो शायद मेरे पापा भी आज जिंदा होते।"
राम भी थोड़ा इमोशनल हो गया।
इकबाल चाचा: साहब, आप चिंता ना करे समर साहब जल्द ही ठीक हो जाएंगे। आखिर उन्हों ने वादा किया है कि " कोई भी मुसीबत हो तो मुझे बुलाना में आजाऊंगा।" ओर वो ज़बान के पक्के है।
राम: हा, वो बात तो है।
उसके बाद दोनो अपने अपने काम पर लग जाते है।
शाम को राम घर आते ही समर को गले लग जाता है।
समर(आन्या) : मेरे भाई क्या बात है? क्या हुआ ?
राम : कुछ नहीं ऐसे ही। पता है, तुझे ऑफिस में सब याद कर रहे थे, इकबाल चाचा तो तुम्हारी तारीफ करते थकते ही नहीं।
समर(आन्या) : कोन इकबाल चाचा ?
राम ये सुन कर थोड़ा दुखी होजता है।
समर(आन्या): छोड़ो ये बाते...मुझे तुम्हे कुछ दिखा ना है। जल्दी चलो।
समर(आन्या) राम को कंप्यूटर के पास ले चलती है, कंप्यूटर में HURTWORLD गेम में समर का अकाउंट ओपन करने पर उसके अवतार का नाम "सेम" लिखा हुआ होता है ओर फ्रेंड्स लिस्ट में "आन्या" का नाम भी होता है।
समर(आन्या) : ये वही गेम है जो मुझे बार बार सपनों में दिखाई देती है,ओर ये वही आन्या है जिसका में बार बार नाम ले रही...रहा था। ओर ये "चैतली" ये नाम भी मैने कई बार सपनों में सुना है।
मुझे पता है तुमने मेरी बातो पर कभी यकीन नहीं किया पर मेरे भाई एक बार के इस आन्या से मिलने में मेरी हेल्प करदे।
राम: एसी बात नहीं है,मुझे तुम पर पूरा भरोसा है। चलो आन्या को पूछो वो कहा रहती है हम मिलने जाएंगे।
समर(आन्या): हा पर एक दिक्कत है, आन्या अब तक ऑनलाइन ही नहीं आई । कैसे उसे बात करे?
राम: तो तुम उसे मेल क्यों नहीं भेज देता? उस गेम में उसकी मेल ID होगी देखो जरा, डिटेल्स में देखो।
समर(आन्या) : हा...मिल गई।
समर(आन्या) ने मेल कर दिया। मेल में लिखा 'बहुत जरूरी बात करनी है, हमें मिलना है तुमसे जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी रिप्लाइ करना.....सेम '
ये मेल पढ़ कर आन्या(सेम) हैरान हो गया। वो चोक गया, "आखिर वो सपने, वो जगह, वो लड़का कोई इत्तफाक नहीं था,में सही था। यही लड़का है "सेम" जो कई बार मेरे सपनो में आचुका है। वो सिर्फ सपने नहीं थे।" आन्या(सेम) ने मेल पढ़ने के बाद रिप्लाइ किया " कोन हो? तुम कहां रहते हो? मुझे भी तुमसे मिलना है।7773567856 ये मेरा नंबर है कॉल करना।"
दूसरे दिन तारीख ६ जुलाई २०१६
सुबह आन्या(सेम) अपना मोबाइल चेक करता है तब एक मिसकॉल पड़ा होता है
वो नंबर देख आन्या(सेम) चोक जाता है। क्यों की वहीं नंबर बहुत जाना पहचाना लगता है,ओर उसके के पिछले चार अंक "4474" उसने उसकी डायरी में लिखा होता है। डायर में वही बाते लिखी थी जो उसके सपनों आती थी। डायरी में काफी कुछ गुजराती भी लिखा था।
आन्या(सेम) : उस नंबर पर कॉल करता है। पर वह नंबर कवरेज क्षेत्र के बाहर होता है। बहुत बार प्रयास करने के बावजूद कॉल नहीं लगता।
आन्या की मोम आन्या के रूम में आती है
आन्या की मोम : आन्या , आज तुम्हारा रिजल्ट आने वाला है ना?
आन्या(सेम) : हा...शायद आज ही आने वाला है।
आन्या की मोम : बेटा, कोई चिंता मत करना चाहे रिजल्ट जो भी आए। वैसे भी ऐक्सिडेंट के बाद वो भी ऐसी हालत में तुमने एक्जाम दिया वहीं बड़ी बात है। तुम्हारे पापा ने भी कह दिया है , रिजल्ट की कोई चिंता ना करे।
दस बजे स्कूल पहोचना है,में तुम्हे ले चलूंगी वहा, चैतली भी आएगी साथ।
आन्या की मोम डेड को पता था आन्या एवरेज स्टूडेंट है,ओर उपरसे अकस्मात की वजह से वो शायद फेल हो जाए।
दस बजे आन्या,उसकी मोम ओर चैतली स्कूल पहुंचते है। टीचर मार्क्स बताते हुए सबकी मार्कशीट देने लगे।
टीचर क्लास में टॉप करने वाले बच्चो का नाम घोषित करने लगे।
टीचर : हमारे टॉप 3 स्टूडेंट्स के लिए तालियां बजनी चाहिए। 88% के साथ नंबर 3 पर है मंजीता।(सब लोग तालियां बजाते है।) 91% के साथ नंबर 2 पर चैतली। (तालियां बजती है।)। ओर....पूरी क्लास में टॉप किया है.., 96% के साथ नंबर 1 पर है... आन्या।(सब लोग हैरान हो गए।) ऐक्सिडेंट होने के बावजूद उसने एक्जाम दी और टॉप भी करा। हैरानी तो मुझे भी होती है कि आन्या के नंबर हर बार बहुत कम होते थे, ओर अचानक आज उसने पूरी क्लास की टॉपर बन गई। जोभी है उसने पूरी मेहनत से पढ़ाई करी है। जोरदार तालियां हो जाए आन्या केलिए।
यकीन तो आन्या की मोम,चैतली ओर बाकी सारे स्टूडेंट्स को भी नहीं हो रहा था। चैतली मन में सोचने लगी "इसे अपने मम्मी पापा कोन है ये नहीं पता था ओर उसने फिजिक्स मे टॉप किया। इंग्लिश तो पूरा मुझसे सीखती थी और मुझसे भी ज्यादा नंबरस लाई... मैथ्स में सोच भी नहीं सकती 100 में से 100 ... ये क्या होगया है इसे?"
चैतली : (मंजीता की तरफ उंगली कर के) आन्या ये कोन है पहचानती हो उसे ?
आन्या(सेम) : उम्म्म... सॉरी नहीं पहचाना, कोन है ये?
चैतली : ये कोन है नहीं पता ओर तुझे "BINOMIAL THEOREM" पता है...!!!कैसे????
आन्या(सेम) : पता नहीं पर ये सब मुझे पहले से आता है।
चैतली : तुम्हे तो न्यूज में आना चाहिए..."ब्रेकिंग न्यूज...अकस्मात के कारण एक लड़की को मिली सुपरनैचुरल पावर्स...एवरेज स्टूडेंट ने किया टॉप...पूरा देश हैरान।"
आन्या(सेम) (हस्ते हुए) : जलन...!!! ये सब तुम जलन के कारण बोल रही हो... टॉप तुम्हे करना था....हा..हा...हा...!।
चैतली :(मुंह फूलाते हुए) आन्या...एसी कोई बात नहीं है...।
(रिंग बजी)
टीचर : चलो,बच्चो आज के लिए इतना ही वैकेशन का आनंद उठाइए..अब हम मिलेंगे 12वी क्लास में। तब तक केलिए अपना ध्यान रखे और तब तक मजे करे।
टीचर वहासे चले जाते है,बाकी बच्चे भी अपने अपने घर जाने लगे।आन्या, उसकी मोम ओर चैतली भी वापस घर आने के लिए निकलते है। व्हीलचेयर कार में रखदी आन्या को कार में बिठाया, ओर फिर सब लोग घर के लिए चल पड़े।
चैतली : आन्या... चलो आज पार्टी तुम्हारी तरफ से आज तो सबसे महंगी वाली आइसक्रीम खाएंगे। आन्टी कार सीधे A1 आईसक्रीम पार्लर ले चलो। वहा सबसे बढ़िया आइसक्रीम मिलती है।
आन्या की मोम : आइसक्रीम खानी है। चलो ठीक है पहले वहीं ले चलती हूं। A1 आईसक्रीम पार्लर पहुंच कर कार एक साइड पर लगा दी,पर पार्लर जाने के लिए रोड क्रॉस करना पड़ता था।
चैतली : आन्टी,आन्या को हाईवे क्रॉस करा के वहा लेजाना, व्हीलचेयर उतारना...इस से अच्छा है में ही आइसक्रीम यहां ले आती हूं।
आन्या की मोम : हा, ऐसा ही करो। तीनों कार मेही पार्टी मना लेंगे ।
चैतली आइसक्रीम लेने जाती है, दुकान पर जाने के बाद...चैतली :ओहो...कोन सी आइसक्रीम लानी है पूछना तो भूल गई। फोन भी कार में रह गया।
चैतली आवाज लगाती है पर कार में कुछ सुनाई नहीं देता... सिर्फ इतना दिखता है कि चैतली कुछ कह रही है। ओर बुलाने का इशारा करती है।
आन्या की मोम : ये चैतली क्या कह रही है?
आन्या(सेम) : मोम, आप जाईए, वो अपना मोबाइल भी यहां भूल गई है।
मेरे लिए "DAIRY QUEEN"ले आओ ना, तब तक में बैठती हूं।
आन्या की मोम : ठीक है, में बस दो मिनट में आती हूं।
इतना कह के आन्या की मोम आइसक्रीम लेने चली जाती है।
थोड़ी देर में चैतली ओर आन्या की मोम आइसक्रीम लेकर वापस आते है।
चैतली : आन्या तुम्हारे लिए "DAIRY QUEEN" लाए है।
पर कार में कोई नहीं था।
चैतली: आन्या....!
आन्या की मोम ओर चैतली आन्या को ढूंढ़ ने लगते है।
"आन्या....आन्या...कहा को... ये लड़की कहा चली गई..."बहुत देर तक आन्या को ढूंढ़ ने के बाद दोनो डर जाते है। क्या करें? कहा ढूंढे ? समझ नहीं आ रहा । आन्या की मोम रोने लग जाती है..."चैतली जल्दी से आन्या के पापा को कॉल लगाओ ।"
"हेल्लो, अंकल जल्दी से आप नासिक हाईवे पर A1 आइसक्रीम पार्लर पर आ जाईए, आन्या किडनैप हो गए है।"
CHEPTER : 7
FEAR & DARING
आन्या के पापा तुरंत ही वहा पर आ जाते है।
जयराज : कैसे हुआ ये? मेरी बच्ची कहा गई? तुम लोग कहा थे?
आन्या की मोम (रोते हुए) : हम दोनों आइसक्रीम लेने गए थे। आन्या को रोड क्रॉस ना करना पड़े इस लिए इसे कार में ही छोड़ा था।
जयराज (गुस्से में): दोनो को वहा जाने की क्या जरूरत थी? अब कहा ढूंढू मेरी आन्या को?
चैतली (घभराते हुए):(आन्या का टूटा हुआ फोन जयराज को देते हुए) अंकल, ये आन्या का फोन। यहां पड़ा हुए मिला।
जयराज : ऑफिसर्स, शहर का कोना कोना छान मारो, शहर के सारे रास्ते पर पुलिस तैनात कर दो। कोई भी शरह से बाहर जाना सके।
जयराज की नजर हाईवे के सिक्युरिटी सीसीटीवी कैमरा पर नजर पड़ती है।
ये कैमरा चेक करो , देखते है क्या हुआ था।
CCTV कैमरा फोटेज से पता चलता है कि कोई इंसान आन्या के पास आया उसके मोबाइल में कुछ दिखाता है, ऐसा लगता है कोई एड्रेस पूछ रहा है, आन्या कार के काच नीचे करती है।तभी एक दूसरा इंसान भी वहा आता है। आन्या के मुंह पर रूमाल रख के उसे बेहोस कर दूसरी कार में बिठा देते है ओर वहां से तेजिसे चले जाते है।
जयराज : उस तरफ के सारे हाईवे ब्लॉक कर दो।
रात हो गई, उस तरफ के सारे हाईवे पर चेकिंग लगादी थी। पर ना ही वो कार मिली ओर नाही आन्या का कुछ पता चला।
एक गोडाउन जैसी बड़ी जगह पर खुर्सी में आन्या बंधी हुई दिखती है। उसकी आंखो पर पट्टी बंधी हुई है। अभी भी वो बेहोश हालत में ही है।
तीन लोग बाहर देख रेख रखे हुए दिखाई देते है। अंदर कैमरा भी लगे हुए है, ऐसा लगता है कि कोई वहा की पल पल की खबर रख रहा है।
एक इंसान आन्या के पास ही बैठा है। तभी उसे एक कॉल आता है।
X: काम हो गया ?
Y: हा, साहब आपका काम हो गया है।
X: गलती तो नहीं हुई ना ?
Y: नहीं साहब इस बार कोई गलती नहीं हुई। बस,आप मेरी मां कुछ मत होने देना।
X: अगर इस बार कोई गलती हुई तो तुम्हारी मा को भूल जाना। इस बार में नहीं बचाऊंगा।
में शामको वहा पर आऊंगा, देखूंगा इसके बाद तुम्हे आजाद कर दूंगा।
Y: सुक्रिया, साहब।
(कॉल कट हो जाती है।)
" मा, में तुम्हे बचा लूंगा। "(उस लड़के की आंखो में से आंसू बहने लगते है।
आन्या(सेम): एक लड़की को किडनैप कर के अपनी मा को बचा रहे हो....!
किडनैपर : में अपनी मा केलिए कुछ भी कर सकता हूं। साहब ने बोला होता तो में तुम्हे मार भी देता।
आन्या(सेम) : इतना प्यार करते हो अपनी मा से।
किडनैपर : तुम्हे उस से क्या ? डर नहीं लगता तुम्हे? किडनैप हुई हो तुम।
आन्या(सेम) : डर हम कमजोर बनता है, मजबुर बनता है, जैसे तुम हो। भले ही मेरी आंखे बंधी हुई है पर में तुम्हारा डर ओर दर्द महसूस कर सकता हूं। अगर में तुम्हारी जगह होता तो शायद मेभी अपनी मा के लिए वहीं करता ।
किडनैपर: एसी बाते करने से तुम बचने वाली नहीं हो। ओर तुम हो क्या? मेरा मतलब लड़की होके लड़को वाली बाते.. !
आन्या(सेम) : ये तुम नहीं समझोगे। तुम्हारी तरह में भी किसी को बचा रहा हूं। तुम तुम्हारा काम करो में मेरा, देखते है कोन जीत ता है ओर चिंता मत करना तुम्हे जान से नहीं मारूंगा।
किडनैपर: (जोर जोर से हस्ते हुए) सुना भाईलोगो ये लड़की मुझे मारेंगी... नहीं नहीं... मारेंगि नहीं जान बक्ष देगी।
सब लोग हसने लगते है।
किडनैपर : तुमसे एक मख्खी ना मरे , हमे मारोंगी तुम!!!??
(सेम को वो सारी आवाजे फिर से सुनाई देती है। आन्या...मख्खी.....चूहे....! मेरे होते हुए तुम्हे कोई मार नहीं सकता। मेरी... प्यारी... मख्खी...!!!)
आन्या(सेम) : (मुस्कुराते हुए) मख्खी को ही तो बचाना है। उसके लिए जान देभी दू ओर लेभी लू।
अचानक से सेम की आंखो में आंसू आजाते है। दूसरी ओर सेम के शरीरमें आन्या की आंखो से आसू बेहना सुरु हो जाते है। वो भी सोचने लगी " ये क्या हो रहा है क्यों रो रही हूं। डर लग रहा है।मेरा दिल घबरा रहा है।
किडनैपर : तुम्हारे पापा यहां बचाने नहीं आने वाले। अपने पापा की वर्दी की वजह से ये सब बोल रही हो ना ?
आन्या(सेम) : पापा भलेही ना आए, फिल हाल तो तुम्हारे बॉस को आने दो। देखें तो सही पापा से कोन बदला लेना चाहता है? और क्यों ?
किडनैपर : नाज़ुक सा शरीर और बाते बड़ी बड़ी। अब चुप हो जाओ बिलकुल नहीं सुननी तुम्हारी बकवास।
आन्या(सेम) : वैसे उस दिन तुम्हीं थें ना गार्डन में? एक लड़की को किडनैप करने में 15 दिन लगा दिए।
किडनैपर : उस दिन तो तुम्हारे पापा की वजह से बच गई थी। बहुत होगया तुम्हारा।
(किडनैपर आन्या के मुंह पर पट्टी बांध देता है।)
वहा पर जयराज आन्या को ढूंढ़ ने में पूरी ताकत लगा दी, पर आन्या कोई पता नहीं चला। उसे आन्या की बात याद आती है कि कोई उससे बदला लेना चाहता है। थाने पर जा कर अब तक उसने जितने भी अपराधी पकड़े थे वो सारी फाइले देखता है। उसने इतने सारे केस सॉल्व किए थे कि अपराधीयो की लिस्ट बहुत लंबी थी, अब इतने सारे अपराधियो में से कोन बदला लेना चाहता है ये सोच के बहुत ही परेशान हो गया और टेबल पर से सारी फाइलें गिरा देता है। टेबल पर सर रख कर रोने लगा। "मेरी बच्ची मुझे माफ़ कर देना। क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहा।"
तभी जयराज पर अंजान नंबर से कॉल आता है। जयराज को पहले से ही अंदाजा था। उसकी सांसे फुल गई, धड़कने तेज हो गई और कापते हाथो से फोन उठाया।
जयराज : ह...हेलो..!!
X: यही काप्ती आवाज सुन ने केलिए तो में तरस गया था।
जयराज : कोन बोल रहा है?
X: इतनी जल्दी बता दू तो मज़ा क्या आयेगा ?
जयराज : देखो, तुम जो भी हो तुम्हारी दुश्मनी मेरे साथ है ..! मेरी बच्ची को कुछ मत कर ना। तुम जो कहोगे वो में करूंगा। बस मेरी बच्ची को छोड़ दो।
X: वो तो तुम्हे करना ही होगा। ओर रही बात दुश्मनी की तो मेरी दुश्मनी तुम दोनों से है। अब में तुम्हे बताऊंगा की अपनों को खोना केसा लगता है। केसा लगता है जब आप निर्दोष हो ओर आपको सजा मिले।
जयराज : तुम जोभी हो, तुम्हारे साथ जोभी हुआ है, शायद केस मेरे हाथमे होगा लेकिन निर्दोष या गुनेगर ये तो कोर्ट डिसाइड करती है ना ओर सजा भी कॉर्ट ही सुनाएगी। मैने तो बस अपना काम किया होगा।
X: यही तो तुमने अपना काम सही से किया नहीं ओर सजा निर्दोष को मिल गई। एक PSI कि बेटी को किडनैप ऐसे ही नहीं किया होगा। ये बात याद रखना। तुम्हारी हर पल की खबर मुझे मिलती रहेगी। कोई चालाकी नहीं वरना अपनी बेटी को कभी देख नहीं पाओगे।
ओर मेरे कॉल का इंतजार करना।
(कॉल कट जाता है।)
जयराज के पास उसकी बात मानने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा।
शाम के वक्त वो अंजान इंसान आन्या को देखने आता है। आन्या के सामने बैठ कर
X: मुंह पर से पट्टी खोलो उसकी। आज में बहुत खुश हूं। आज मेरा बरसो का सपना पूरा हो गया। अब में जयराज से चुनचुन कर बदला लूंगा और तुम्हे तो में ऐसी सजा दूंगा कि तुम्हारी रूह तक काप उठे। लेकिन अभी नहीं।
आन्या(सेम)(मन में):( 'ये आवाज़ तो ....नहीं ये कैसे हो सकता है ?')
क्यों कर रहे हो ये सब ? आखिर क्या बिगाड़ा है मेरे पापा ने तुम्हारा ?
X : क्या बिगाड़ा है? अरे...उसने तो मेरी जिंदगी छीन ली। ओर तुमने जीने की वजह। तुम दोनों ने मेरी हस्ती खिलती जिंदगी पर कलंक लगा दिया । आज भी याद करता हूं तो रो पड़ता हूं।
आन्या(सेम): चलो मान लेते है पापा इन्स्पेक्टर है तो उनकी साथ तुम्हारी दुश्मनी हो सकती है। लेकिन आन्या...! आन्या ने क्या बिगाड़ा था तुम्हारा ?
X : आन्या....!!! लगता है ऐक्सिडेंट की वजह से तुम्हारा दिमाग हिल गया है। हा...हा... तुमने तो जयराज से भी बड़ा अपराध किया है। एक बार में जयराज को तो माफ़ कर दू पर तुम्हे बिलकुल नहीं। ओर मान्ना पड़ेगा, तुम्हे मारने,तुम्हे किडनैप करने कितनी कोशिश करी तब जाके तुम हाथ अाई। इतनी बार केसे तुम बच जाती थी? खेर, छोड़ो अब क्या,अब केसे बचोगी ?
चलो अभी के लिए चलता हूं। आगे की प्लानिंग भी तो करनी पड़ेगी। तुम्हारे PSI बाप को मारने की।(दूसरे लोगों से) सुनो सब..., हमारे मेहमान की अच्छे से खातिरदारी करना,कोई कमी ना रह जाए। बकरे को हलाल करने से पहले उसकी खातिरदारी अच्छी होनी चाहिए।
आन्या(सेम) : मेरे पापा को मारने से पहले तुम्हे मेरा सामना करना होगा। मुझे मारना होगा।
X : हा... हा... हा... येतो वक्त ही बताएगा।
किडनैपर : साहब, अब तो मैने अपना काम कर दिया ना अब तो मेरी मा को बचा लोगे ना?
X : हा,क्यों नहीं ! सब लोग मजे करो बस उसे मरने मत देना।
वह इंसान वहा से चला गया है।
Y: सुनो.., साहब में मजे करने का बोला है तो क्या हम उस गुड़िया के साथ खेल सकते है?
किडनैपर :कोई इसे हाथ नहीं लगाएगा।
आन्या(सेम) : देखा, मैने कहा था ना तुम बुरे इंसान नहीं हो, बस मजबुर हो। डर ने तुम्हे मजबूर बना दिया है। डर हमें कमजोर,कायर ओर मजबूर बनता है, हिम्मत हमें मजबूत बनाती है।
किडनैपर : यहां, हिम्मत काम नहीं आने वाली। मेरे पास सिर्फ ओर सिर्फ एक ही रास्ता है। बस, अब तुम बोलना बंध करो नहीं तो में उनको फिर से नहीं रोकुंगा।
इतना कह कर आन्या के मुंह पर फिर से पट्टी बांध देता है।
थोड़ी देर बाद।
Y: सुनो भाई, रात हो गई है, खाना खिलाने की जीमेदारी तुम्हारी है।
किडनैपर : ठीक है, में खाना लेकर आता हूं लेकिन कोई इसे हाथ तक नहीं लगाएगा।
Y : हा,कोई इसे हाथ नहीं लगायेगा।
आन्या(सेम) ये सब सुन रहा था।
किडनैपर चला जाता है।
Y : तो...लड़की...
आन्या(सेम): अगर आन्या को हाथ लगाया तो हाथ तोड़ दूंगा।
Y: हस्ते हुए आन्या के चेहरे पर हाथ लगा ता है।
आन्या(सेम) : तुमने हाथ केसे लगाया...?
इतना बोल कर। बंधे हुए हाथो से खुर्शी तोड़ दी और ख़ुशी पर से खड़े हो कर सामने वाले इंसान को इतनी जोर से पंच मारा कि वो जमीन पर गिर गया। दूसरे लोग दौड़ते हुए अंदर आए।
आन्या (सेम) ने आंखो परसे पट्टी खोल दी।
थोड़ी देर बाद किडनैपर वापस आता है। वहा का हाल देख कर उसके होश उड़ गए। सब कुछ टूटा हुआ था, तीनों लोग बेहोश पड़े थे, इनमेसे एक का हाथ पूरी तरह से टूटा हुआ था। आन्या को खड़ा देखे वो हैरान रह जाता है। आन्या (सेम) उसको देख कर बोला ' उस दिन ग्राउंड में देखते ही तुम पर शक हो गया था। ओर उस दिन कारमे..!अच्छी कोशिश थी। ओर पहले वाला ऐक्सिडेंट भी तुमने ही करा था ?'
किडनैपर: ये सब कैसे किया ? इतनी ताकत कहासे अाई तुम में?
आन्या(सेम) : बोलाथा ना...डर हमें मजबूर बनाता है,ओर हिम्मत हमे मजबूत बनाती है।
किडनैपर: एक लड़की में इतनी ताकत नहीं आ सकती।
आन्या(सेम) : क्यों ? मां दुर्गा ने असुरो का संहार नहीं किया था...? जब अपने बच्चो पर और अपने सम्मान पर बात आती है तो हर ओरत दुर्गा बन ही जाती है।
किडनैपर: जो भी हो, में तुम्हे यहां से जाने नहीं दे सकता।
आन्या(सेम) : मालूम है। में कहीं नहीं जा रहा। इनको पहले हॉस्पिटल पहुचाओ, ओर मुझे पूरी बात बताओ की वो क्यों मेरे पापा से बदला लेना चाहता है, और तुम्हारी मा कहा पर है?
CHEPTER : 8
VILLAIN
साल १९९५, मुंबई
एक खूबसूरत प्रेम कहानी चल रही थी। ये कहानी मेघा ओर राज की है।
राज मेघाको स्कूल के टाइम से जानता था।
दोनो को कॉलेज के समय प्यार हो गया। दोनो ही काफी काबिल ओर होशियार थे।
मेघा मास्टर ऑफ फार्मेसी पूरी कर के ड्रग्स पर Phd. कर रही थी। राज मेडिकल लाइन में आगे पढाई कर रहा था। दोनो एक दूसरे काफी दूर थें इस लिए दोनो एक दूसरे को छुप छुप कर लवलेटर्स भेजते थे। उनके घर वालो को पता चलने पर शादी के लिए पहले तो मना कर दिया लेकिन काफी समझाने के बाद, काफी मुश्किलो को जेलने के बाद उनके घर वाले मान गए। १९९७ की साल में उनकी शादी हो गई। मेघा ओर राज ने अपने बलबूते पर वैदिक फार्मेसी कंपनी सुरु करी। राज अपनी सर्जन की डिग्री पूरी करने यू.एस. चला गया। राज साल में एक या दो बार ही घर पर आ सकता था। हर रोज राज मेघा को कॉल कर के उसका खयाल पूछता था। उसके अलावा दोनो के पास मोबाइल होते हुए पुराने जमाने की तरह एक दूसरे को खत लिखा करते थे। राज के जाने के बाद मेघा अपनी मा के साथ रहती थी। सब कुछ सही चल रहा था, उसकी कंपनी भी जोरो से चल रही थी। शादी के तीन साल बाद मा बन गई। राज की एक साल की पढ़ाई और बाकी थी। २००१ में राज की फाइनल की तैयारियां चल रही थी। उसने अपना पूरा ध्यान पढ़ाई में लगा लिया था। मेघा को ये बात मालूम थी कि राज केलिए उसकी पढ़ाई कितनी महत्त्व पूर्ण थी। मेघा दूसरों पर जल्दी भरोसा कर लेती थी उस वजह से वो इल्लीगल ड्रग्स के मामले में फस गई। उसने राज की फाइनल को ध्यान में रखते हुए उसे कुछ बताना सही नहीं समझा। खुदका दर्द छुपाते जेल जाने से पहले किसी तरह राज को मना लिया कि अब वो मिलेंगे तो घर पर ही., "जब तुम सर्जन बन कर घर आओगे तभी। तब तक के लिए कोई बातचीत नहीं, सिर्फ ओर सिर्फ पढ़ाई।" मेघा ने उसकी मां को बोल दिया था कि "इसके बारे में राज को कुछ नहीं बताएगी। ओर जब भी राज का कॉल आए तब तुम कोई ना कोई बहाना बनाकर बात कर लेना। बस जब तक मेरी जमानत नहीं हो जाती तब तक केलिए मेरे लिए इतना करना मा।"
एक महीने बाद मेघा की जमानत हो जाती है, लेकिन लोगों के ताने सुन सुन कर वो अंदर से पूरी तरह टूट जाती है। उसने ओर राज ने पूरी जिंदगी अपनी कंपनी के लिए लगा दी थी। ओर बिना कुछ सोचे राज को एक खत लिकते हुए आत्म हत्या कर दी।
राज कुछ ही दिनों बाद घर आने वाला था। उसे MS. की डिग्री मिल चुकी थी । घर आने के अगले ही दिन उसकी लेटर मिलता है। मेघा का लेटर देख कर बहुत खुश हुआ, कवर खोले बिना ही चूमने लगा। " आखिर कई दिनों बाद मेरी मेघा लेटर भेजा है। अब में तुम्हे छोड़ कर कहीं नहीं जाऊंगा। में तुम ओर हमारा बेटा हमेशा साथ में रहेंगे। हमारी छोटिसी फैमिली।" इतना बोल कर वो लेटर पढ़ने लगा।
(लेटर)
मेरे प्यारे डॉक्टर साहब,
जानकर खुशी हुई आप MS. बन गए। में आपके लिए बहुत खुश हूं। मैने अब तक आपसे बात नहीं की इस लिए मुझे माफ़ करना। नाराज मत होना, आपको तो पता है ना में आपकी ओर आपके सपनो के बीच नहीं आ सकती। आप का मान सम्मान ही मेरे लिए सब कुछ है, पर मैने यहां सब कुछ बर्बाद कर दिया। मेरी बेदरकारी की वजह से आज हमारी कंपनी को सील लग गया। कुछ गद्दारों ने हमारी कंपनी में इल्लीगल ड्रग्स का धंधा सुरु कर दिया था। पुलिस ने पूरी जाज किया बीनाही मुझे ओर आपके दोस्त मैनेजर साहब को जेल भेज दिया। उन्होंने हमारी एक नहीं सुनी। शायद सही से जाज पड़ताल करते तो असली गुनेगार पकड़ा जाता। कोर्ट ने भी हमारी एक नहीं सुनी। शायद गलती मेरी ही थी। में ही लोगो पर अंधा विश्वास कर लेती हूं। कोर्ट में पुलिस ने सारे मेरे खिलाफ सबूत पेश करे। लोगो ने मेरे विरूद्ध नारे लगाए। इतनी बैजाती के बाद जीना मुश्किल हो गया। जेल में मेरा दम घुटने लगा था। तुम्हे पता है ना में तुम्हे कितना प्यार करती हूं। मैं तुम्हारे साथ रही तो तुम भी बदनाम हो जाओगे। हो सके तो मुझे माफ़ करना में तुम्हे अपना मुंह भी केसे दिखाऊं। जब ये खत पढ़ रहे होगे तब तक तो में इस दुनिया से जा चुकी होऊंगी। हमारा बेटा मेरी मा के पास सलामत है। उसे मा की कमी महसूस मत होने देना। ओर हो सके तो किसी ओर के साथ जिंदगी में आगे बढ़ जाना। शायद इस जनम में नहीं किसी ओर जनम में हमेशा साथ रहेंगे। अपना ओर हमारे बेटे आशीष का खयाल रखना।
तुम्हारी मेघा ।
ये खत पढ़ के राज हक्का बक्का रह जाता है। उसने तुरंत मेघा को कॉल लगाया पर मेघा का फोन स्विच ऑफ आ रहा था।उसके बाद मेघा की मोम को कॉल किया, तब मेघा की मोम ने सारी बात बताई। वहासे तुरंत बाद की फ्लाईट पकड़ कर वो घर वापस आता है। अब बहुत देर हो चुकी थी, उसके सारे सपने, सारी खुशियां चुर चूर होगाई थी। पुराने न्यूज पेपर में पढ़ा की "जाबाज पुलिस ऑफिसर जयराज ने अपनी टीम को लीड करते हुए, वैदिक फार्मेसी कंपनी के नीचे छुपा ड्रग्स का कारोबार ढूंढ़ निकाला। कंपनी की मालकिन मेघा को किया गिरफतार।" राज के पास अब अपने बेटे आशीष को लेकर दूसरी जगह सिफ्ट होने के अलावा कोई रास्ता नहीं था।
इस बात के काफी साल गुजर जाते है।
राज मेघा को भूल नहीं पाया है। उसने अकेले अपने बेटे की देखभाल की, उसको पाल पॉस के बडा किया। जब भी वो अपने बेटे को देखता तब तब उसे उसमे मेघा दिखती। अपनी जान से भी ज्यादा उसे प्यार करता था। अब को राज नहीं शहर में सबसे मसूर डॉक्टर राजवीर सिंह बन चुका है।
साल २०१६
आशीष स्कूल से घर आता है। उसके कपड़े काफी मेले ओर थोड़े फटे हुए भी है। उसके सिर पर चोट लगी है,आंखे सुजी हुए ओर होठो से खून बह रहा है। जयराज अपने बेटे केलिए हररोज हॉस्पिटल से जल्दी घर आजाता था और आशीष के लिए खुद ही नास्ता बनाता था।
राज : ये क्या हुआ बेटे? इतना खून केसे निकला तुझे? तुम बैठो में फर्स्टेड किट लेकर आता हूं।
(दवाई लगाने के बाद )अब बताओ क्या हुआ?
आशीष : पापा, मुझे....
राज: हा, बेटे बोलो क्या बात है।
आशीष : आपको प्रिंसिपल ने बुलाया है।
राज: वो छोड़ो हुआ क्या ये बताओ।
आशीष : पापा, आपने ही मुझे सिखाया है, चाहे जो होजाए जुठ कभी नहीं बोलना। ओर आपसे मैने कभी जूठ नहीं बोला। पापा में मेरी क्लास की एक लड़की से प्यार करता हूं।
राज: ये तो अच्छी बात है, अब मेरा बेटा बड़ा जो होगया है। इस से मुझे क्या दिक्कत होगी भला ओर इसमें तुम्हे डरने की क्या बात है। पर तुम्हे चोट केसे लगी और प्रिंसिपल क्यों बुलाया है ?
आशीष : मैने उस लड़की को अपनी फीलिंग्स बताई पर वो मेरे बारे में ऐसा कुछ नहीं सोचती। क्लास में सब उसको चिडा लगे। इस वजह से मेरी कुछ लड़को के साथ फाइट हो गई। ओर इसी लिए प्रिंसिपल ने आपको बुलाया है।
राज : बेटे, तुम्हें पता है ना में तुमसे कितना प्यार करता हूं। में डॉक्टर हूं,समझाता हूं तुम अब छोटे बच्चे नहीं रहे। बेटे ये तुम जिस उम्र में हो उसे संभालना मुश्किल है। इसी उम्र में हमारी पूरी लाइफ निर्भर रहती है। इस उम्र में हमें अच्छे बुरे खयाल आते है। किसी से प्यार होना, गुस्सा आना ये सब नोर्मल बाते है। पर इनको वश में रखना भी बहुत जरूरी है। इसी एज में हम काफी गलतियां कर बैठते है ओर पूरी ज़िन्दगी पछताते हैं।
आशीष : सॉरी पापा, फिर्से मेरी कोई कंप्लेन नहीं आयेगी।
राज : कोई बात नहीं बेटा। ओर वो लड़की का नाम तो बताओ क्या है...? शरमाओ मत। आज तक तुम्हारे पापा से ज्यादा दोस्त बनके ही रहा हूं।
आशीष : पापा...वो....उसका नाम आन्या है। पापा वो PSI की बेटी है। बहुत नाम है उसके पापा का।
राज :आन्या...! अच्छा,उसके पापा क्या नाम है उनका?
आशीष : जयराज छापरिया।
राज ये सुन के दंग रह गया। ("ये तो वहीं है जिसने मेरी निर्दोष मेघा को जेल भेजा था।")
आशीष : पापा क्या सोच रहे हो। क्या आप उनको पहचानते हो?
राज : नहीं बेटा, नाम सुना हुआ लगता है पर कभी देखा नहीं उसको।
आशीष : छोड़ो ये सारी बाते कल स्कूल में प्रिंसिपल से बचलेना बस।
राज : चिंता मत करो।
अगले दिन प्रिंसिपल वॉरनिंग दे कर छोड़ देती है। लेकिन आशीष तो आन्या को हर हाल में पाना चाहता है। धीरे धीरे आन्या उसे नफरत करने लगती है। एक दिन आशीष की बुरी हरकतों की वजह से आन्या उसे पूरी क्लास के सामने थप्पड़ मार देती है ओर प्रिंसिपल से कंप्लेन कर देती है। प्रिंसिपल आशीष को स्कूल से निकालने का फैसला लेती है। आशीष को अपनी बैजती सहन नहीं होती, अपने पापा को क्या कहूंगा, बहुत सारे ख़यालो के साथ वो घर आता है। उस दिन उसके पापा घर पर नहीं थे। मेघा की तरह वो भी थोड़ा कमजोर दिल था, बुरे खयाल उस पर हावी हो जाते है और वो सुसाइट कर लेता है।
उसके बाद राज की पूरी जिंदगी बदल गई।
राज अपनी जिंदगी से बहुत नाराज़ था। अब उसके जीने की दूसरी वजह भी उससे छीन गई थी। ओर जब जिंदगी में इतनी ठोकरें मिले तो इंसान लाचार हो ही जाता है।
आशीष के सुसाइट का कारण जाने के लिए स्कूल जाता है। तब उसे सारी बात पता चलती है कि आन्या को छेड़ने की वजह से आन्या ने प्रिंसिपाल को कंप्लेन करी ओर प्रिंसिपाल की दो तीन वॉरनिग के बावजूद वो अपनी हठ नहीं छोड़ता इस वजह से उसे स्कूल से निकाल दिया जाता है। राज मन ही मन सोचता है,"जयराज की वजह से मेरी मेघा ने...ओर उसकी बेटी की वजह से मेरे बेटे ने जान दे दी। क्या गलती थी उन दोनों की? किसी की गलतियों की सजा कोई ओर भुगते? ये दुनिया अच्छे से अच्छे व्यक्ति को बुरा बनने के लिए मजबुर कर ही देती है।
में राजवीर सिंह मेरी मेघा ओर मेरे बेटे के गुनेह गारोको सजा दे कर रहूंगा। अब मेरे जीने का सिर्फ ओर सिर्फ एक ही मकसद है। जयराज अब में तुम्हे बताऊंगा की बिना वजह अपनोंकों खोना केसा लगता है।"
स्कूल से आते वक़्त वो आन्या को उसकी दोस्त चैतली के साथ हसी मजाक करते देख उसे ओर भी गुस्सा आता है।
कुछ दिनों बाद उसे एक मोका भी मिल गया, एक गुंडे को पकड़ते समय जयराज को गोली लग जाती है और जयराज का ऑपरेशन कर के बचा लेता है...उसका एक ही मकसद था वो जयराज को ऐसे तड़पाए बिना उसे मरने नहीं दे सकता था। केसे उसने अपनी पत्नी को और बेटे को खोया इसी तरह जयराज को भी जीते जी मारना चाहता था। उसी के सामने उसकी बेटी को मार ना चाहता था।
कुछ ही दिनों में उसने जयराज का दिल जीत लिया। देखते ही देखते जयराज से घेहेरी दोस्ती कर ली।
६ जुलाई, २०१६
आन्या(सेम) ने जिन गुंडों को मारा था उनको एम्बुलेंस में बिठाने के बाद किडनैपर अपनी पूरी कहानी बताता है।
किडनैपर: मेरा नाम दर्श है। में तुम्हे जानता तक नहीं। मेरी तुमसे कोई दुश्मनी नहीं है,में अपनी मा को बचाने के लिए ये सब कर रहा हूं। तीन महीने पहले मेरी मोम को जोंडिस हुए था, रिपोर्ट्स करवाए तो पता चला लीवर में प्रॉब्लम है। मा को बचाने केलिए बहुत ही सीरियस और कॉम्प्लिकेटेड ऑपरेशन करना पड़ेगा । पूरे शहर में एक ही डॉक्टर ऑपरेशन कर सकता था ओर वो है, डॉक्टर राजवीर सिंह। शहर का सबसे मशहूर डॉक्टर। हा यही है तुम्हारे पापा का दोस्त और सब से बड़ा दुश्मन। वो तुम्हारे पापा से किसी बात का बदला लेना चाहता है। उसने मेरी मा को बचाने के बदले मुझसे ओर मेरी बहन से कई गलत काम करवाए। पुलिस मे कंप्लेन भी नहीं कर सकता था, अगर वो जेल चला जाता तो मेरी मा को इसके अलावा कोई नहीं बचा सकता है। ओर इस दुनियांमें मेरी मा और बहेन के अलावा कोई नहीं है। धीरे धीरे उसने धमकियां देना सुरु कर दिया। डॉक्टर के कहने पर तुम्हे कई बार मारने की कोशिश की पर हर बार तुम बच गई। तुम्हारी हर एक पल की खबर मुझे मेरी बहन देती रहती थी।
तुम्हारी दोस्त चैतली ही मेरी बहन है। ढाई महीने पहले स्कूल के बाहर तुम्हारा एक्सिडेंट मैने ही किया था। उसके बाद तुम्हारा ऑपरेशन होने के बाद जब तुम कोमा में थी तब तुम्हे मारने के लिए राजवीर ने मुझे एक इंजेक्शन दिया ओर तुम्हारी दवाई में मिलने को कहा और मैने मिला भी दिया। थोड़ी देर बाद डॉक्टर ने तुम्हे मरा घोषित कर दिया। तुम्हारे पापा को रोता देख डॉक्टर बहुत ही खुश हुआ। लेकिन तब मेने भी एक चमत्कार देखा, शायद पांच मिनिट बाद तुम फिर से जिंदा हो गई तुम्हारा रुका हुआ हार्ट फिर से धड़कने लगा। डॉक्टर के होश उड़ गए। पर उसने अपनी हठ नहीं छोड़ी। वो किसी भी हालत में तुम्हे मारना चाहता था।
चैतली मुझे जगह ओर टाइम बताती है, उस दिन ग्राउंड में तुमने मुझे ही देख था। तुम्हारे पापा के आनेकी वजह से हमारा प्लान फ्लॉप हो जाता है।
चैतली ने एक ओर प्लान बनाया, तुम्हे पिकनिक पर लेगई। मैने फिर से तुम्हे एक्सिडेंट कर के मारने की कोशिश की पर तुम व्हील चेयर से कूद गई ओर एक बार फिर तुम बच गई।
आखिर में चैतली का आखरी प्लान सफल हो गया।
अब तुम्हीं बताओ एक तरफ तुम्हारी मा की जिंदगी ओर एक तरफ तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड की जिंदगी तो तुम किसे बचाओगी?
आन्या(सेम): चैतली, हा... हर बार वहा पर चैतली ही थी। जबसे मैने उसे देखा है तबसे वो परेशान ही रहती थी। मानो वो मुझे कुछ कहना चाहती हो... पर हर बार उसकी आंखे जुक जाती थी। चैतली...!!!
दर्श: तुम्हे सबकुछ बताकर मैनें अपनी मा की जिंदगी दाव पर लगाई है। अब तुम क्या करोगी?
आन्या(सेम): तुम ये बताओ तुम्हारी मा का ऑपरेशन तीन महीने पहले होना था ओर अब तक उसने ऑपरेशन नहीं किया ?
दर्श : हा...उसके पास कुछ ऐसी ड्रग्स, मेडिसीन है जिस से मेरी मा के शरीर में इंफेक्शन रूक गया ओर अगर तीन या चार महीनों के अंदर उसका ऑपरेशन नहीं हुआ तो...!!!!
वो तुम्हारे पापा से बदला लेकर ही मेरी मा का ऑपरेशन करेगा। तुम्हे मरना होगा आन्या...। मुझे माफ़ करना में कुछ नहीं कर सकता।
आन्या(सेम) : वो अपना बदला पूरा करने के लिए कुछ भी करेगा।
(तभी वहा पर चैतली आती है।)
दर्श: चैतली...!!! तुम यहां क्या कर रही हो...???तुम वापस जाओ यहां से।
(चैतली आन्या के गले लग कर रोने लगती है।)
चैतली : मुझे माफ़ करदो आन्या। मैने तुम्हे धोखा दिया। में..में..तुम्हे मरता नहीं देख सकती। तुम यहां से भाग जाओ।
आन्या(सेम) : चैतली...!! रो मत। कुछ नहीं होगा मुझे... तुम सची दोस्त हो। अगर में भाग गया तो तुम्हारी मा का क्या होगा ?
चैतली : मर जाएगी वो यही ना...। लेकिन तुम्हे मार कर में केसे जिंदा रह पाऊंगी।
दर्श आन्या को जाने दो।
दर्श : हा... चैतली ठीक कह रही है।तुम भाग जाओ। वैसे भी अब में समझ चुका हूं कि किसीको हम चाह कर भी नहीं मार सकते ओर किसी को चाह के भी नहीं बचा सकते। तुम भाग जाओ यहां से।
चैतली : जल्दी करो तुम्हारे पास वक़्त बहुत कम है। सुबह होते ही तुम्हारे पापा को बंदी बनाकर वो यहां ले आएगा ओर उनकी आंखो के सामने वो तुम्हे मार देगा। तुम्हे बचाने के लिए तुम्हारे पापा उसकी हर बात मान गए है। तुम अभी घर चली जाओ और अपने पापा को सब कुछ बता दो। वो उसे तुरंत गिरफ्तार कर देंगे।
आन्या(सेम): नहीं। चैतली तुम घर जाओ। तुम्हारी दोस्त आन्या को कुछ नहीं होगा। वो मुझे मार देगा और में आन्या नहीं हूं।
चैतली : तुम फिर से...।
आन्या(सेम): में सच कह रहा हूं...। तुम्हीं बताओ मुझे एक्सिडेंट के पहले का क्यों कुछ भी याद नहीं? मुझे गुजराती केसे आती है? में लड़की होने के बावजूद लडके की तरह क्यों बाते करता हूं? तुम्हीं बताओ क्या आन्या उन गुंडों को मार पाती?
चैतली : तो कोन हो तुम ?
आन्या(सेम): मुझे इतना पता है कि में आन्या नहीं हूं।
दर्श: नहीं... तुम्हे मरने नहीं दे सकते।
आन्या(सेम) : तुम दोनों पागल मत बनो।अपनी मा को बचाओ। अपनी मा के बारे में सोचो। चैतली जाओ तुम्हारी ओर मेरी मा को संभालना। दर्श अगर चैतली यहां से नहीं गई तो उसकी जान को खतरा है,समझाओ उसे तुम अपनी मा के साथ अपनी बहन को भी खो देंगे।
(काफी सोचने के बाद)
दर्श: आन्या ठीक कह रही है, चैतली तुम घर जाओ। कल जोभी होगा देखा जायेगा।
आन्या (सेम): चिंता मत करो। जाओ चैतली।
बहुत समझाने के बाद चैतली मान गई और वापस अपने घर चली गई। आन्या(सेम) को वापस रस्सी से बांध दिया। ओर दोनों सुबह का इंतजार करने लगे।
FINAL CHEPTER
MYSTERY SOLVED
दूसरे दिन
७ जुलाई, २०१६
राजवीर दो लोगो के साथ अपने प्लान के मुताबिक जयराज को बंदी बना लेता है। जयराज अपनी बेटी केलिए कुछ भी करने को तैयार था,ओर अपनी बेटी की जान जोखिम में डालना नहीं चाहता था इस वजह से उसने राजवीर की सारी बाते मान ली। जयराज ने किसी ओर पुलिस ऑफिसर को कॉल के बारे में नहीं बताया । जयराज को बंदी बनाकर वहीं गोडाउन में लेकर आता है ओर उसे भी आन्या के सामने बांध देता है। ओर वहाकी हालत देख कर बोला
राज ( दर्श से): ये सब कैसे हुआ...? इतनी तोड़ फोड़ किसने की ?
दर्श : वो...साहब, वो तीनो आपस में ही लड़ने लगे। मैने रोकने की कोशिश की लेकिन नहीं माने अंतमे तीनों की हाल बेहाल हो गए एक का तो हाथ ही तोड़ दिया...!! अब रात को आपको क्या डिस्टर्ब करे इस लिए मैने आपको कॉल नहीं किया।
आप चिंता मत करिए उन तीनों को मैने हॉस्पिटल भेज दिया है।
राज : और ये लड़की..? ज्यादा परेशान तो नहीं क्या ना?
दर्श: साहब ये लड़की क्या करेगी...?
राज : आज मेरी जिंदगी का सबसे खुशी का दिन है। आज मेरे जिने का मकसद पूरा हो जायेगा...।
जयराज उसकी आवाज सुनते ही पहचान गया लेकिन वो सोचने लगा मेरा दोस्त ऐसा क्यों करेगा भला? आखिर क्या दुश्मनी है?
जयराज : राजवीर सिंह क्या ये तुम हो...?
राज: नहीं....!!! डॉक्टर राजवीर सिंह कहो...।
जयराज : क्यों...? ये सब क्यों कर रहे हो तुम ?
राज: हा...हा...हा...!!! क्यों...ये तो सजा है तुम्हारे गुनाहों की। अपनी कीर्ति के लिए तुमने मासूम लोगों को भी जेल के पीछे कर दिया...! अपना सम्मान बढ़ाने के लिए दूसरों का मान सम्मान छीना है तुमने। लेकिन केसे याद होगा तुम्हे...चलो में ही याद दिलाता हूं।
(राज पुराना न्यूज पेपर निकाल कर)
(दर्श से) आंखे खोलो उसकी।
दर्श जयराज की आंखो पर बंधी पट्टी खोल देता है।
जयराज अपनी बेटी को बंधा देख उसकी आंखो से आसू निकल आते है। उसके बाद वो लाचार हो कर राज के सामने देखता है।
राज उसे न्यूज पेपर दिखता है।
हेड लाइन में लिखा था "सब से जानी मानी वैदिक फार्मेसी में होता है इल्लिगड्रग्स का कारोबार। पुलिस ने किया कंपनी के मैनेजर और मालकिन मेघा को गिरफतार।" "जाबाज पुलिस ऑफिसर जयराज ने अपनी टीम को लीड करते हुए, वैदिक फार्मेसी कंपनी के नीचे छुपा ड्रग्स का कारोबार ढूंढ़ निकाला। जल्द ही होगी कोर्ट की कार्यवाही।"
इतना पढ़तेहि उसे इस कैसे के बारे में याद आ जाता है।
जयराज: उसके बाद मेघा ने आत्महत्या करली थी। और तुम ही हो मेघा के पति।
राज : ओह...! तो तुम्हे याद है? क्या गलती थी मेरी मेघा की तुम्हीं बताओ ?
जयराज : मेघा की कोई गलती नहीं थी। वो बेगुना थी।
राज : तो फिर क्यों मिली उसे सजा ?
जयराज : कोर्ट के हुक्म के सामने हम लाचार थे। हमने उसे बचाने की बहुत कोशिश करी लेकिन कोई सबूत नहीं मिला कि ये कारोबार कोन कर रहा था। सारे सबूत मेघा के खिलाफ ही मिले। कोर्ट के सजा सुना ने के बाद भी हमने जाज पड़ताल सुरु रखी ताकि कुछ सबूत मिलने पर हाई कोर्ट में सबूत पेश कर सके। मेघा को जमानत दिलवाने में भी हमने ही उसकी मा की मदद की थी। पर उसके बाद उसने आत्महत्या करली । फिर हमे केस क्लोज करना पड़ा।
राज: तो गिरफ्तार करने से पहले जाज पड़ताल करनी चाहिएथी...!!
जयराज : जोभी है, इसमें मेरी बेटी की क्या गलती है ? उसे जाने दो।
राज : उसे केसे जाने दू ? तुमसे बड़ा गुनाह तो इसने किया है। तुमने मेरी जिंदगी छिनली और उसने जिनेकी वज़ह।
जयराज : मेरी बेटी ने क्या बिगड़ा है तुम्हारा ?
राज : (दर्श से आन्या की तरफ इशारा कर के) इसके भी मुंह ओर आंखो से पट्टी खोलो।
दर्श आन्या की आंखो ओर मुंह पर बंधी पट्टी खोलता है।
राज : आशीष...नाम याद है तुम्हे ?
आन्या(सेम): मुझे कुछ याद नहीं।
राज : ओह...! मेतो भूल ही गया कि तुम सब कुछ भूल चुकी हो...। काश में तुम्हारी तरह सबकुछ भुला सकता। लेकिन क्या भूलने से तुम्हारा गुनाह माफ़ करदिए जाएगा ? नहीं...बिलकुल नहीं। में याद दिलाता हूं तुम्हे तुमने क्या किया ।
( सारी बाते बताने के बाद)
आन्या(सेम): इसमें आन्या की कोई गलती नहीं है। तुम्हारी बीवी और बेटा दोनों ही बेवकूफ थे। तुम्हारे बेटे को एक बार मना करने पर भी ना समझा..!!
राज : बस...कुछ नहीं सुनना मुझे...!!!तुम्हे मरना होगा।
राज गन निकालता है।
जयराज : अगर मेरी बेटिको कुछ हुआ तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा...।
राज : हा...हा...यही तो मुझे देखना है,तुम्हे अपनी बेटी के लिए तड़पता।
आन्या(सेम): मुझे मार दो ओर लेलो अपना बदला। और मेरे पापा को जाने दो।
जयराज : नहीं बेटी ये क्या कह रही हो, राज तुम मुझे मारदो लेकिन मेरी बेटी को छोड़ दो।
राज आन्या की तरफ निशाना करता है।
राज: जयराज लगता है तुम्हारी बेटी सही कह रही है। तुम्हारी आखों के सामने तेरी बेटी को मारूंगा उसके बाद तुम्हे तड़पा तड़पा कर मारूंगा, तब जाके मेरा बदला पूरा होगा।
आन्या कोई आखरी ख्वाहिश।
आन्या(सेम): तुम जैसे इंसान के पास कुछ उमिद नहीं कर सकते...बस तुम जिंदा बच जाओ तो किसी पेशंट की जान बचा ना।
राज गन का ट्रिगर दबाने ही वाला होता है कि दर्श उसके हाथ से गन छीन लेता है।
दर्श : डॉक्टर साहब पीछे हो जाइए। वरना में गोली चला दूंगा।
राज : बेवकूफ...!! ये क्या कर रहा है। तुम्हे पता है ना कि तेरी मा को मेरे अलावा कोई नहीं बचा सकता।
दर्श: हा, मुझे पता है। मेरी मा को बचाने की आड़ में तुमने मुझसे बहुत गलत काम करवाए है। लेकिन अब और नहीं।
आन्या(सेम): दर्श बेवकूफ मत बनो...
दर्श : नहीं, आन्या। इसको में संभालता हूं तुम ओर अंकल यहां से जाओ।
राज : तुम्हे क्या लगता है, इतनी आसानी से उन्हें जाने दूंगा। सिर्फ तुम्हे ही चालाकी आती है। जरा बाहर तो देखो।
बाहर से चार पांच लोग बंदूक ओर हथियारों के साथ अंदर आते है।
राज 'मार डालो तीनो को।' इतना कह कर चला जाता है।
दर्श जल्दी से आन्या के हाथ खोलता है।
जैसे ही आन्या(सेम) के हाथ खुलते है दर्श के पास से डंडा छीन कर बंदूक वाले सख़्श को फेक के मारती है। वो वहा पर ही बेहोश ही जाता है।
आन्या(सेम) ने जयराज के भी हाथ खोल दिए।
आन्या(सेम): (दर्श से) गोली मत चलना इनको तो में देखता हूं।
धरसल सेम ने अबतक जो सीखा था फाइट, मार्सल आर्ट, बॉक्सिंग उस वजह से आज वो लड़ सकता था।
आन्या को ऐसा लड़ते देख जयराज चोक गया।
थोड़ी ही देर में आन्या ओर जयराज ने मिलकर सारे गुंडों को ढेर कर दिया।
जयराज: इतने नाज़ुक हाथो में इतनी जान कहा से आई? ये आज कल तुम्हे हो क्या गया है आन्या ?
आन्या(सेम) :पापा, वो छोड़ो पहले राज को पकड़ो।
जयराज उसे गले लगाता है। दूसरे पुलिस ऑफिसर को कॉल कर के वहा बुला लेता है। थोड़ी ही देर में कुछ पुलिस ऑफिसर्स वहा आजते है।
जयराज "बेटी तुम घर जाओ। ओर इसे(दर्श) गिरफ़्तार कर लो।"
आन्या(सेम): नहीं पापा,इसने अपनी मां की जान जोखिम में डाल कर हमारी जान बचाई है। ये चैतलि की भाई है, ये मजबुर था। आप पहले राजवीर को पकड़िए बाकी बाते में आपको बादमें बताऊंगी।
जयराज: ठीक है। लेकिन तुम दोनों अभी घर जाओ। ऑफिसर्स इन दोनों को सही सलामत मेरे घर छोड़ कर आओ।
आन्या(सेम): पापा अपना खयाल रखना।
आन्या(सेम) और दर्श आन्या के घर सही सलामत पहुंच जाते है।
(कुछ दिनो बाद) चैतली के घर चैतली की मा के फ्यूनरल में आन्या(सेम)और उसकी मा चैतली के घर आते है। चैतली आन्या को देखते ही गले लग जाती है। दर्श भी वहा था।
आन्या(सेम): बस, रोना बन्ध करो। तुम्हारी जैसी दोस्ती निभाने की ताकत हर किसिमे नहीं होती। तुम सचमे बहुत ही ताकतवर हो।
आन्या की मोम : बेटा,कभी अपने आपको अकेला मत समझना। हम लोग हमेशा तुम्हारे साथ है।
दर्श :इतना कुछ होजाने के बाद भी आप लोग आए हमें बहुत अच्छा लगा। वैसे अब डॉक्टरकी कोर्ट में पेशी कब है?
आन्या(सेम): अभी कुछ पता नहीं चला है, पापा राजवीर सिंह को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाएगे।
चैत्तू, अभी भी स्कूलो में वैकेशन चल रहा है। मुझे कुछ इंट्रेस्टिंग बाते पता चली है, में कुछ दिनों बाद गुजरात जाने वाली हूं। क्या तुम मेरे साथ चलोगी। मेरे पापा भी मान गए है।
चैतली: हम...!
आन्या(सेम) : तो फिर ठीक है हम परसो ही निकलेगे।
दूसरी ओर जेल में राजवीर को मिलने कोई आता है
राजवीर : (हस्ते हुए) मेरे दोस्त...!!!
(Present day)
१५, जुलाई २०१६
एक ट्रेन रेलवे स्टेशन पर रुकती है, पैसेंजर्स ट्रेन से उतरते है। उनके साथ दो लड़कियां आन्या(सेम) और चैतलि भी उतरती है।
(चलते चलते)
चैतलि : आन्या, मुझे डर लग रहा है, ये हम कहा आ गए? हम यहां क्यों आए है? आन्या ये लोग क्या बात कर रहे है वोभी समझ नहीं आ रहा। अंजान भाषा अंजान लोग...चलो वापस चलते है। इस बार तुम्हे कुछ हुआ तो अंकल आंटी मुझे मारही डालेंगे।
अन्नू मेरी बात तो सुनो....!!!!
आन्या(सेम): अरे... डरो मत में इस जगह को जानती हूं। मुझे तो ऐसा लगता है में इस जगह कई बार आचुकी हूं। जैसे बहुत गहरा रिश्ता है इस जगह से।
चैतलि : पर ये तो बताओ तुम्हे क्या पता चला है और यहां हम करेंगे क्या?
आन्या(सेम): मुझे सेम का ईमेल मिला उसने ही इस जगह के बारे में बताया। बोला था स्टेशन पर आकर कॉल करना लेकिन उसका कॉन्टेक्ट नहीं हो रहा है। उपर से वो भी कॉल कर रहा होगा लेकिन मेरा फोन किडनेपिंग वाले हादसे में टूट गया।
चैतलि : तो अब उसको कैसे ढूढेगे? और वो मिला भी तो पहचानोगीे कैसे ? तुमने उसे कभी देखा है?
आन्या(सेम): वैसे तो उसे नहीं देखा लेकिन कई बार मैने उसे सपनो में देखा है। मुझे उसका चेहरा याद है। ऐसा लगता है कि में उसे हमेशासे देख रहा हूं। और उसका एड्रेस किसी से पूछ लेंगे।
चैतलि : क्या पुछोंगी? सेम का घर कहा है? ओर रास्ते पर चलता कोई भी इंसान सेम को जानता है? कैसी बाते कर रही हो..!!
आन्या(सेम): ये गली, ये रास्ते बहुत ही जाने पहचाने लग रहे है।
आन्या(सेम) को उसके कदम जहा ले गए वहां वहा वो चलती जाती है और थोड़े दूर आके समर की ऑफिस के बाहर आ कर रुकती है।
वहा पर एक बूढ़ा आदमी (इकबाल चाचा) भारी सामन लेकर ऑफिस की ओर जा रहा होता है। ऑफिस के अंदर जाने ही वाला होता है तभी ठोकर लगने की वजह से वो गिर जाता है।
आन्या(सेम) को ऐसा लगता है मानो वो उसे अच्छी तरह से जानती है।
ऑफिस से एक इंसान बाहर निकलता है और उसे डाट ता है। "संभाल कर नहीं ला सकते ? कितना इंपॉर्टेंट है मालूम है तुम्हे?"(In Gujarati) और सामान लेकर अंदर चला जाता है।
इकबाल चाचा अभी तक वहीं पर गिरे हुए है खुद खड़े होने की ताकत भी नहीं बची है। हाथ पर चोट लगने की वजह से काफी खून बह रहा होता है।
वो सोचते है 'खुदगर्ज लोग। अभी समर साहब होते तो पता चलता। काश वो यहां....'
तभी आन्या(सेम) उनको खड़ा करती है और उनको अच्छी जगह पर बिठा कर हाथ पर पट्टी बांध देती है।
इकबाल चाचा देखते ही रह गए।
इकबाल चाचा : सुकरिया बेटी।
आन्या(सेम): कोई बात नहीं चा...अंकल। आज कल लोगो केलिए इंसान से ज्यादा वस्तुएं ओर पैसे इंपॉर्टेंट हो गई है।
इकबाल चाचा : हा, बेटी। पर तुम कोन हो ? यहां की तो नहीं लगती?
आन्या(सेम): अंकल में आन्या हूं। में यहां किसी को ढूंढ़ रही हूं। मुझे ऐसा लगता है ये वही जगह है।
इकबाल चाचा : किसे ढूंढ़ रही हो? जरा मुझे एड्रेस दिखाओ यहां का चप्पा चप्पा मुझे मालूम है। शायद में तुम्हारी मदद कर पाऊं !
आन्या(सेम): एड्रेस तो नहीं है पर मुझे लगता है ये वही ऑफिस है।
इकबाल चाचा: अच्छा कोन है वो जरा नाम तो बताओ?
आन्या(सेम): अंकल, कोई सेम कर के यहां काम करता है?
इक़बाल चाचा : नहीं, बेटी ऐसा तो कोई नहीं है....राम करके एक साहब काम करते है सेम नाम का कोई नहीं है।
राम का नाम सुनते ही आन्या(सेम) को ऐसा लगा मानो उसके साथ कोई गहरा रिश्ता हो।
आन्या(सेम): अंकल, हाल ही में किसी का एक्सिडेंट हुआ है?
इकबाल चाचा : ऐक्सिडेंट तो नहीं हुआ पर हमारे एक साहब है जो कई दिनों से बुरी हालत में है उनको ब्रैन ट्यूमर हुए था उनका ऑपरेशन हुआ वो अब ठीक है पर उनकी याददाश्त चली गई। उनका नाम समर है।
आन्या(सेम): ये वही है। अंकल उनका एड्रेस मिल सकता है।
इकबाल चाचा : एड्रेस तो में देदु पर अभी उनके घर पर उनकी मा के अलावा कोई नहीं होगा। उनका भाई उनकी जगह पर यहां काम करता है। वो दोनो हाल ही में किसी जरूरी काम से मुंबई गए है। आज तीन दिन हो गए। कब वापस लौटेंगे पता नहीं।
आन्या(सेम) समझ जाती है कि वो लोग भी उनकी तरह उन्हें ढूंढ़ने के लिए मुंबई चले गए है।
आन्या(सेम): थैंक यू अंकल। अब हम चलते है।
(Whole conversation in Gujrati)
इतना कह कर आन्या(सेम) और चैतलि वहा से रेलवे स्टेशन की ओर चलती है।
चैतलि ये सुनकर हैरान रह गई।
चैतलि: आन्या, तुमने उनसे क्या बात करी...तुम्हे इतनी अच्छी गुजराती कैसे आती है? हम लोग वापस जा रहे है ना?
आन्या(सेम): हा... वो लोग भी हमारी तरह हमे ढूंढ़ने के लिए मुंबई गए है।
चैतलि : और हम वापस मुंबई जा रहे है? वो लोग वापस आ गए तो।
आन्या(सेम) के कदम रुक जाते है।
आन्या(सेम): नहीं...वो लोग अभी वापस नहीं आयेगे...तीन दिन से मुंबई में है इसका मतलब वो हमे ढूंढ़ रहे है। वो हमारा इंतजार कर रही है।
चैतलि : अब कोन इंतजार कर रही है?
तुम सचमें मुझे पागल कर दोगी।
आन्या(सेम): तुम चलो, हमे जल्द से जल्द मुंबई वापस पहुंचना है।
दोनों मुंबई की अगली ट्रेन पकड़ कर मुंबई के लिए निकल पड़ते है।
तकरीबन ९ गंटे का सफ़र तय कर के रात के एक बजे वापस मुंबई पहुंचते है।
आन्या(सेम) रात में उनको ढूंढ़ने की जिद करती है पर चैतलि उससे बहेस कर के मना लेती है वो प्रोमिस करती है जब तक सेम को ढूंढ़ नहीं लेगी तब तक वो घर नहीं जाएगी।
आन्या(सेम) भी मान जाती है और नजदीक की होटल में रुकने की व्यवस्था कर लेती है।
दूसरे दिन सुबह ६ बजे उठ कर दोनो फिर से सेम को ढूंढ़ने निकल पड़ते है।
आखिर कार कई गंटो तक ढूंढ़ने के बाद सेम और उसका भाई आन्या की स्कूल के ग्राउंड में बैठे दिखते है। वैकेशन की वजह से पूरा ग्राउंड खाली पड़ा था।
राम: समर, तीन दिन हो गए। मेरी मानो चलो अब घर चलते है।
सेम(आन्या): नहीं, वो आयेगी। जरूर आएगी। ये वही जगह है में उसे देखती थी। ये स्कूल, ये रोड, ये ग्राउंड। ये सब सिर्फ इत्तफाक नहीं हो सकता।
राम: उसे तो पता भी नहीं होगा कि हम लोग यहां आए है। उसे ढूंढ़ रहे है। तो फिर आन्या कैसे यहां आएगी ? एक तो उसका फोन भी नहीं लग रहा है। मेरे भाई मेरी बात मानो।
सेम(आन्या) उदास हो के राम की बात मान लेता है। दोनों चले ही लगते है इतनेमे आन्या और चैतलि ग्राउंड में आते है।
आन्या(सेम) सेम और राम को देखते ही धुंधली धुंधली सारी यादे दिखती है, ठीक वैसे ही सेम(आन्या) को भी आन्या और
चैतलि देखने के बाद सारी वो यादे फ्लैशबैक की तरह दिखाई देने लगती है। राम और चैतलि को देखकर दोनों को ऐसा लगता है कि उनको वो बहुत पहले से जानते है।
आन्या(सेम): रा... म...
सेम(आन्या): चै... त...ली...
राम और चैतलि अंजान व्यक्ति से अपना नाम सुनकर सोच में पड़ जाते है।
अचानक सेम(आन्या) 'सेम... बचो...' चिल्ला कर आन्या(सेम) को धक्का मार कर गिरा देती है। (गोली चलने की आवाज आती है) अगले ही पल सेम(आन्या) को छाती पर गोली लग जाती है।
राम : समर...!!!
आन्या(सेम) खड़ा हो कर उस अंजान सख्श की और दौड़ता है, पर वो अंजान सख्श उसे भी गोली मार देता है।
चैतलि : आन्या...!!
गोली लगने पर भी आन्या(सेम) रुकता नहीं है और उसके हाथ से गन छीन कर उसे मारकर नीचे गिरा देता है। उसकी ओर गन रख कर।
आन्या(सेम): कोन हो तुम ? जल्दी बताओ वरना तुम्हारी बंदूक की गोलियां तुम्हारे ही अंदर होगी।
नीचे लेटा हुए अंजान सख्श : में मेरे दोस्त का अधूरा बदला पूरा करने आया हूं। में मेरे दोस्त के लिए कुछ भी के सकता हूं।
आन्या(सेम): तो तुम डॉक्टर राजवीर के कहने पर आए हो...? क्यों?
अंजान सख्श : वो मेरे लिए भगवान समान है। जब मेरे पास खाने के लिए रोटी भी नहीं थी तब उन्होने ही मुझे सहारा दिया। इतने बड़े इंसान ने मुझ गरीब को दोस्त बनाया, मुझे काबिल समझा और अपनी कंपनी का मैनेजर बनाया। आज वो जेल में है सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी वजह से। ना में उनकी पत्नी को बचा पाया, नाही उनके बेटे को। में उनके लिए कुछ नहीं कर सका। बस, में उनके लिए एक ही चिज कर सकता था ओर वो है तुम्हे मार के उनका अधूरा बदला पूरा करना चाहता था।
आन्या(सेम) चिल्लाया "आन्या पर तूने गोली कैसे चलाई ?" और उस को भी गोली मार देता हैं। वो भी बेहोश हो के गिर पड़ता है।
चैतलिने आन्या के पापा को फोन कर देती है, देखते ही देखते जयराज भी कुछ ऑफिसर्स के साथ वहा पर आजता है। राम, चैतलि और जयराज आन्या ओर सेम दोनों को हॉस्पिटल ले जाते है। दोनों की हालत गंभीर है।
थोड़े समय बाद सेम अपने आप को वहीं बादलों वाली जगह पर देखता है। उसके साथ आन्या भी दिखती है। सेम और आन्या को सबकुछ याद आ जाता है। कैसे वो लोग मिले,कैसे उनकी बॉडी सिफ्टिंग हुए। एक दूसरे के शरीर बदल जाने के बाद दोनों ने क्या क्या किया, उन दोनों को राजवीर के दोस्त ने गोली मारी वो सब कुछ याद आ जाता है।
आन्या सेम को कस के गले लग जाती है।
सेम : आन्या...!
आन्या : मुझे अकेला छोड़कर कहा चले गए थे? मुझे लगा मैने तुम्हे हमेशा के लिए खो दिया।
सेम: नहीं, में तुम्हे छोड़ कर कहीं नहीं गया था। में हमेशा से तुम्हारे साथ था और रहूंगा। में तुममें और तुम मुझ में हमेशा जिन्दा रहेंगे, चाहे हम मर ही क्यों ना जाए।
आन्या : क्या हम फिर से धरती पर मिल पाएंगे? शायद इस जनम में ना सही अगले जनम में हम हमेशा साथ रहेंगे।
सेम: हा...!
आन्या : (एक दूसरे की स्ट्रींग देख कर) हम अभी भी एक दूसरे की बॉडी से जुड़े हुए है?
सेम : हा...!
आन्या : अब क्या होगा ?
सेम : पता नहीं।
आन्या : सेम,पिछली बार की तरह इस बार मुझे जीने केलिए अकेला मत छोड़ देना। में चाहती हूं इस बार हम मरे तो भी साथमे और जिये तो भी साथ में।
तभी दोनों की स्ट्रींग गायब हो जाती है।
सेम और आन्या दोनों घभरा गए। ये क्या हुआ दोनों समझ नहीं पाए। तेज रोशनी उनके नजदीक आते हुए देखते है।
LIGHT : तो, फिर मुलाकात हो ही गई।
सेम : कोन है आप? क्या आप भगवान है? ये सब क्या हो रहा है? क्या हम मर गए ?
LIGHT : मुझे पता है, तुम्हारे मन में बहुत सवाल है। मैं भगवान नहीं हूं, और अभी तुम लोगो का मरनेका समय नहीं हुआ है। ये सब के पीछे एक मकसद था। अब मुझे अपना काम करने दो... ध्यान से सुनो।
अब जब तुम लोग ९ महीने बाद उठोगे तो अपने आप को अपने अपने घरों में पाओगे। अपने अपने शरीर में। तुम दोनों के साथ जो कुछ भी हुआ उसमे से तुमको कुछ भी याद नहीं रहेगा।
समर तुम को आखरी चीज याद होगी, तुम अपनी ऑफिस में काम करते करते तुम्हे चक्कर आए ओर तुम गिर पड़े।
आन्या तुम्हे आखरी चीज याद होगी, स्कूल से घर जाते वक़्त तुम्हारा ऐक्सिडेंट हुआ।
सेम: ९ महीने बाद....!! इसका मतलब...!!??
LIGHT : हा..! तुम दोनों वापस अपनी अपनी जिंदगी में लौट जाओगे।
आन्या : तो क्या हम फिरसे कभी नहीं मिलेंगे ?
LIGHT : वो सब अब तुम दोनों पर है केसे अपनी अपनी जिंदगी जीते हो।
आखरी बात, तुम दोनों की जिंदगी का पूरा एक साल गायब होगा,'आप लोगो के मन में बहुत सवाल रहेंगे, जिनके जवाब समझ पाना बहुत ही मुश्किल होगा। लेकिन यही अंत है, एक नई शुरुआत के लिए।'
अब जाओ तुम्हारी जिंदगी तुम दोनों को बुला रही है।
आन्या और सेम धीरे धीरे गायब हो जाते है।
थोड़ी देर बाद वो रोशनी भी धीरे धीरे कम हो जाती है, और उसमे खुद समर ही दिखाई देता है और वो भी गायब हो जाती है।
१७ अप्रैल, २०१७
आन्या और समर अपने अपने घर में उस हादसे के ९ महीने बाद कोमा में से उठते है।
दोनों के परिवार वाले बहुत खुश होते है। दोनों वापस अपनी अपनी लाइफ में बिजी हो जाते है।
सेम अब फिर से जॉब पर जाने लगा। राम के साथ गेम्स खेलता, दोनों ने मिलकर PRINCE OF PERSIA में फाइनल बॉस को हरा दिया। आन्या अपनी फ्रेंड चैतली के साथ स्कूल जाने लगी। हालाकि दोनों की एक दूसरे के लिए जो फीलिंग्स थी वो कभी नहीं बदली।
आन्या और सेम फिर से साथ में गेम्स खेलते। एक दूसरे से काफी दूर होने के बावजूद काफी पास थे।
शाम 9:45 को आन्या के फोन में व्हाट्सएप पर मैसेज आता है।
H! : सेम
आन्या : Hi there !
तुम्हे याद है हम पहली बार कब मिले थे? : सेम
आन्या: ना...ह...!
मख्खी, तुम्हे सच में कुछ याद नहीं है? : सेम
आन्या : कुछ याद नहीं।
I don't remember you.
सच में? : सेम
आन्या : We used to play coc
इतना याद !
😅
तब में छोटू था ।
LOL : सेम
THE END
Or
Maybe continue.