औरत [13 जून ]
औरत [13 जून ]
मेरी प्यारी संगिनी
आज अपने मन की नितांत निजी बातें तुम से साझा करती हूँ, एक औरत की जिंदगी क्या होती है,,,
एक औरत जो सुबह से शाम तक अपने घर परिवार की सेवा करती है, बदले में अपने लिए कभी कुछ नहीं मांगती, सिवाय प्यार के दो मीठे बोल के, उसका कभी कोई रिटायरमेंट नहीं होता, अपना एक इतवार नहीं होता, मरते दम तक घर गृहस्थी के प्रति वह अपना दायित्व निभाती रहती है,,
परंतु क्या यह गौर करने लायक बात नहीं है कि वह भी एक इंसान है, उसे भी अपने लिए थोड़ा समय चाहिए, अपने लिए एक मुट्ठी आसमान चाहिए, जिसके नीचे वह स्वंय के साथ थोड़ा सा समय बिता पाए, अपनी जिंदगी अपने तरह से जी पाए, आशा है कि, तुम मेरी जज्बातों को समझोगी,,,
आज का "जीवन दर्शन"
औरतों को इस पुरुष प्रधान समाज में बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए, क्योंकि घर गृहस्थी में जितना योगदान एक पुरुष का होता है, उतना ही एक औरत का भी होता है,,,
आज के लिए बस इतना ही, मिलते हैं कल फिर से, मेरी "प्यारी संगिनी",,,,,,,
