और मैं जीत गयी
और मैं जीत गयी
आज मिश्रा जी के घर में फिर हलचल दिखाई दे रही थी। हर चार पांच महीन बाद ऐसा माहौल रहता फिर शान्त हो जाता। मेरे पड़ोसी थे। अच्छे व्यवहारिक लोग थे। उनकी बड़ी बेटी सलोनी बहुत ही होशियार व समझदार बच्ची थी। मेरी अच्छी छोटी दोस्त भी बस उसमें एक ही कमी थी कि उसका रंग काला और शरीर थोड़ा बेडौल पर बुद्धिमानी कुछ ईश्वर ने अधिक ही दी थी। पहले भी कुछ जगह बात हुई पर जैसे ही सलोनी को देखते तब कहते लड़की पसंद नहीं है। आज फिर लड़के वाले उसे देखने आ रहे थे।
सलोनी मेरे पास आई बहुत सुस्त थी बोली दीदी मां पापा क्यों नहीं सुनते मेरी क्योंकि जो लोग देखने आ रहे हैं पैसे वाले लोग हैं। जतिन भी अधिक पढ़ा हुआ नहीं था पर बहुत स्मार्ट था खूब शौकीन मिजाज क्योंकि पैसे की कमी नहीं थी। शायद किसी कारणवश उसकी शादी नहीं हो पा रही थी। मैंने उसे समझाया बड़े लोग हैं बहुत जलने वाले होते हैं लगा देते होगे कोई अड़ंगा। वह लोग आये और सम्बन्ध पक्का हो गया। सब बहुत खुश थे पर सलोनी के चेहरे पर खुशी नहीं थी। अभी उसकी प्रतियोगी परीक्षाओं के रिजल्ट आने को रह गये थे। शादी हो गयी और वह ससुराल आ गयी। सब रिश्तेदार इस बेमेल जोड़ी को देखकर मुस्करा रहे थे। आज मिलन की रात सलोनी इंतजार कर रही थी पर जतिन का कोई अता पता नहीं। जब रात को आया नशे में डूबा हुआ और साथ में सुन्दर सी कन्या। आते ही बोला सुनो तुम बाहर जाकर सो जाओ ये मेरी दोस्त है। सलोनी इस परिस्थिति को तैयार नहीं थी। वह रोती हुई बाहर आ गयी सुबह उसने जब सास जी से कहा तब वह उल्टा जतिन का पक्ष लेने लगी और बोली चुप रहकर इस घर में रहना होगा। सलोनी पढ़ी लिखी लड़की थी उसने मन में सोच लिया ये पत्थर दिल लोग पैसे के नशे में डूबे हुये हैं ये मेरी व्यथा नहीं समझेंगे। वह शान्त रह कर अपनी परीक्षा के परिणाम की प्रतीक्षा करने लगी। 15 दिन बाद उसका रिजल्ट आ गया और उसकी नियुक्ति कॉलेज प्रिंसिपल की पोस्ट पर हॊ गयी।
वह मायके आ गयी और दोबारा ना जाने का फैसला कर लिया। सलोनी के मम्मी पापा भी कुछ नहीं कर
पाये। अब वह अपने कॉलेज में व्यस्त हो गयी।समय बीतता गया। सलोनी ने कॉलेज की ख्याति में चार चांद लगा दिये थे। उधर जतिन का व्यापार भी आर्थिक रूप से हानि झेल रहा था। आज एक बहुत बड़ा कार्यक्रम था जिसमें सलोनी को उसके कॉलेज को पुरस्कृत किया जाना था। शहर के सभी गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। जतिन को यह पता था कि सलोनी ही उस कॉलेज की प्रिंसिपल है क्योंकि सलोनी ने तलाक के बाद अपना एक सीमित दायरा कर लिया था। वह बहुत कम लोगों से मिलती थी। जैसे ही स्टेज पर नाम बुला कि जिस कॉलेज का आज प्रदेश में प्रथम स्थान पर चयन हुआ है उसका सारा श्रेय जाता हैं उस कॉलेज की प्रिंसिपल आदरणीया सलोनी जी को वह स्टेज पर आये। सलोनी को देखकर जतिन अचम्भित हो गया क्योंकि राज्यपाल द्वारा उसका सम्मान हो रहा था। सलोनी ने एक उछटती निगाह जतिन पर डाली जैसे कह रही हो देखो आज मैं असुन्दर हो कर भी जीत गयी तुम हार गये।
