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हरीश कंडवाल "मनखी "

Tragedy

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हरीश कंडवाल "मनखी "

Tragedy

अटूट बंधन

अटूट बंधन

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सीडीएस श्री बिपिन रावत को सपत्नीक सभी सैन्य कर्मियों को भाव भीनी श्रद्धांजलि।


  आज का दिन सीडीएस विपिन रावत जी और उनकी पत्नी मधुलिका जी समेत 11 अन्य सैनिकों के लिये अंतिम दिन रहा होगा। होनी को जो मंजूर होना था वह तो हुआ नहीं, अभी तो उनके नेतृत्व में इस देश की सेना को आगे बढ़ना था, उन्होंने उत्तराखंड को और भी गौरवांवित करना था। लेकिन शायद हम ऐसा सोचते हैं, क्योंकि ईश्वर और नियति कुछ और ही सोचकर चली थी। सात फेरे साथ लिये थे, हर सुख दुःख में दोनों साथ रहे होंगे, आज अंतिम अवसर पर भी दोनों दम्पत्ति साथ थे, शायद एक सैनिक और उसकी वीरांगना का यह अटूट बंधन और प्यार रहा होगा जो कि परलोक भी साथ ही गए। 


   जनरल श्री विपिन रावत और अन्य 11 सैनिकों के लिये वह हैलीकॉप्टर मौत बनकर साथ उड़ा था। जनरल रावत जी आपने जो देश के लिये जिस तरह आपने अपनी मातृभूमि का नाम रोशन किया, हम खुद पर गर्व करते थे कि आप हमारे ही क्षेत्र के हो, हम गर्व से सिर उठाकर कहते थे कि सीडीएस बिपिन रावत जी हमारे क्षेत्र के है, आगे भी इसी तरह कहेंगे कि देश का वीर सपूत हमारे ही क्षेत्र और राज्य के निवासी थे। जिस दिन आपका चयन सेना प्रमुख के रूप में हुआ था उस दिन पूरा उत्तराखंड जश्न मना रहा था, लेकिन आज आपके चले जाने से हर कोई दुखी है शोक संतृप्त है, क्योंकि उन्होंने आज अपना ताज खो दिया है। 


  शायद आज की वह सुबह जब आप दोनों जिस शिद्दत से साथ जाने को तैयार हुए होंगे, मन में कुछ तो आशंकित जरूर हुआ होगा, आपकी सदैव साथ निभाने वाली मधुलिका रावत ने भी जरूर रोकने की कोशिश की होगी, लेकिन सिर पर मंडराने वाले उस काल ने सब कुछ अपने वश में कर लिया होगा। जनरल साहब आप हम सबके लिये जनरल साहब ही रहोगे, लेकिन आपको यूँ चले जाना हम सबके लिये एक महत्वपूर्ण उपलब्धि और देश का ताज खो जाने जैसा है। पुनः आपको अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि । आज तो परलोक में भी आपका स्वागत हुआ होगा क्योंकि उनके यहाँ असमय ही एक ऐसा वीर सपूत अपनी सेना सहित सपत्नीक पहुंच गया है, लेकिन काल को भी जरूर पछतावा हो रहा होगा कि आपकी अंतिम घड़ी को ऐसा क्यों चुना।।


ॐ शांति ॐ। 

मनखी की कलम से आपके लिये अश्रुपूर्ण शब्द।।


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