अतीत

अतीत

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          नये साल की वह पहली सुबह जैसे बर्फानी पानी में नहा कर आई थी। दस बज चुके थे पर सूर्यदेव अब तक धुंध का धवल कंबल ओढ़े आराम फरमा रहे थे। अनु ने पूजा की थाली तैयार की और ननद के कमरे में झांक कर कहा, "नेहा! प्लीज नोनू सो रहा है, उसका ध्यान रखना। मैं मंदिर जा कर आती हूँ।"
शीत लहर के तमाचे खाते और ठिठुरते हुए उसने मंदिर वाले पथ पर पग धरे ही थे कि उसके पैरों को जैसे किसी ने जकड़ लिया। एक अर्सा पहले जिस नर्क को छोड़ भागी थी, उसका काला साया सामने खड़ा था।
"वाह! क्लबों में अपनी अदाओं के लिये बदनाम लड़की हाथों में पूजा की थाली लिए पुजारन बन गयी है।" उसके शब्दों में कटाक्ष की चोट स्पष्ट नज़र आ रही थी।
"देखो हीरा, मैं अपना पिछला जीवन भूल चुकी हूँ। अब मैं किसी की पत्नी और एक बच्चे की माँ हूँ।" अनु ने हिम्मत बटोरते हुए अपनी बात कही। "भगवान के लिए यहाँ से चले जाओ।"
"जरूर चला जाऊंगा, और आया भी वापस जाने के लिए ही हूँ लेकिन तुम्हे साथ लेकर।" उसके चेहरे पर जहरीली मुस्कान आ गयी।
"नही हीरा नही, अब मैं कभी उस रास्ते पर नही लौट सकती।"
"बाज़ारी सजावट से घर नहीं सजाये जाते अनु। जिस दिन लोग तुम्हारा सच जान लेंगे, ये पौष की ठिठुरती सुबह जेठ की तपती धुप में बदल जाएगी। हीरा के शब्दों में धमकी की आंच नज़र आने लगी थी।
"मैं अपने अतीत को नही बदल सकती हीरा, लेकिन मेरा वर्तमान मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियो का तरह पवित्र है और मैं इस पर अडिग रहूंगी।" अनु अपने अंदर के सारे आत्मविश्वास को समेटती हुयी बोली।
"और भविष्य.....?" हीरा विद्रूप हँसी हँसने लगा।
"वर्तमान में जीने वाले अतीत और भविष्य दोनों के ही डर से बहुत दूर रहते है हीरा।" सहसा पीछे से आई अपनी ननद नेहा की आवाज सुनकर अनु को जहां डर के साथ हिम्मत मिली वहीं हीरा कुछ-कुछ असमंजस में घिर गया।
और इससे पहले कि हीरा कुछ कहता नेहा ने अपनी गहरी नज़रें उस पर टिका दी। "हीरा अच्छा होगा मंदिर में चहल पहल होने से पहले ही चले जाओ यहाँ से क्योंकि भाभी का अतीत यहाँ के लोग बहुत पहले ही स्वीकार कर चुके हैं और ऐसे में तुम्हारे काले चेहरे को यहाँ कोई बर्दाश्त नही कर पायेगा।"
अपने वार की निष्क्रियता और समय की नाजुकता भांपते हुए हीरा को वहां से निकल लेना ही बेहतर लगा और इधर अनु कुछ संभली तो नेहा के गले जा लगी।
वो कुछ अपने पक्ष में कहती इससे पहले ही नेहा मुस्करा उठी। "चलो भाभी जाओ, जल्दी पूजा करके घर को लौटो। और हाँ चिंता न करना तुम्हारा अतीत राज है और राज ही रहेगा।"

 


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