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piyush pateriya

Crime Thriller

4  

piyush pateriya

Crime Thriller

अंत और आरंभ

अंत और आरंभ

6 mins
299

Topic 

एक चरित्र के बारे में कहानी लिखिए, जिसमें उसकी चिकित्सा की जाती है, क्योंकि वह चरित्र रात में जब अपनी आँखें बंद करते है, तो उस समय उसे (बहुत ही स्पष्ट रूप से) किसी व्यक्ती की दुखद मौत दिखाई देती है। कुछ लोग कहते हैं कि यह केवल उनकी कल्पना मात्र है, लेकिन उनके नए चिकित्सक को लगता है, यह कुछ अलग है, बहुत अनोखा और खतरनाक भी।

अंत और आरंभ

नहीं, कुछ साफ नहीं दिखाई दे रहा है। सब कुछ लाल रंग का है, धुंधला सा, मानो किसी लाल रंग से पुते कमरे में क़ैद हूँ। रुको कुछ दिखा.. कोई है, थोड़ा बहुत मेरी तरह लग रहा है।

और... और क्या दिख रहा है? (डॉक्टर श्याम ने हिपनोसिस थेरिपी के दौरान अनमोल से पूछा।)

अनमोल ने कहा – ये मेरे जन्म के समय दृश्य है। मेरे पापा ने मुझे गोद में उठाया है। सारे परिवार वाले खुश नज़र आ रहे हैं। अनमोल पलंग पर लेटी हुई अवस्था में अचानक से मुस्कुराया।

डॉक्टर श्याम – क्या हुआ? तुम मुस्कुरा रहे हो।

अनमोल – हाँ, दादी ने अभी-अभी नर्स को न्यौछावर करके पैसे दिए। और जितने भी बाकि लोग हैं वो उन सब को भी न्यौछावर दे रही हैं।

डॉक्टर श्याम – थोड़ा आगे चलते हैं। आज यानि की तुम्हारा जन्म हुआ है। आज तारीख कितनी है?

अनमोल – बारह..... बारह सितम्बर 1979।

डॉक्टर श्याम – दस साल आगे चलते हैं। बताओ क्या दिख रहा है।

अनमोल – मैं रेडियो पर गाने सुन रहा हूँ।

डॉक्टर श्याम – कौन सा गाना चल रहा है?

अनमोल (गाना गाते हुए)– जिंदगी की यही रीत है हार के बाद ही जीत है। मिस्टर इंडिया फिल्म का गाना है। उस साल दादी ने मुझे ये फिल्म दिखाने के लिए पड़ोस वाले भईया को पैसे दिए थे। मैं बहुत उदास था पर ये फिल्म देखने के बाद मुझे बहुत अच्छा लगा।

डॉक्टर श्याम – अच्छा। पर तुम उदास क्यों थे। क्या कारण था इस उदासी के पीछे।

अनमोल – मम्मी पापा को किसी ने मार दिया था। घर में मैं और दादी ही रहते थे।

डॉक्टर श्याम – पर तुम्हारे मम्मी-पापा को किसने मारा था?

अनमोल – मुझे नहीं पता।

डॉक्टर श्याम – उस दिन हुआ क्या था? कुछ याद करने की कोशिश करो।

अनमोल – मैं सो रहा हुँ। मम्मी पापा भी मेरे पास में हैं।

डॉक्टर श्याम – और?

अनमोल – मुझे घुटन सी हो रही है।

डॉक्टर श्याम – क्यों? कोई आ रहा हैं क्या।

(अनमोल का शरीर पसीने से भीग जाता है। डॉक्टर, नर्स से ए.सी. तेज करने को कहता है।)

अनमोल – मम्मी मुझे सपने में मार रही है। पापा भी मार रहे हैं। उन्होंने मुझे एक स्टोर रूम में बंद कर दिया है। बहुत धूल है।

डॉक्टर श्याम – पर वो तुम्हारे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं।

अनमोल – पता नहीं। मैं खुद नहीं चाहती कि वो मेरे साथ ऐसा करें।

(अनमोल की आवाज़ बदल जाती है। वो धीमे लहज़े में बात करने लगता है।)

डॉक्टर श्याम – तुम्हारे सपने में और क्या हो रहा है?

अनमोल – मम्मी मेरा गला दबा के मुझे मार देना चाहती है और पापा भी।

डॉक्टर श्याम – पर वो ऐसा क्यों करेंगे?

अनमोल – क्योंकि दादी उन्हें रोज़ मेरी वजह से टोकती है। उनपर चिल्लाती है।

डॉक्टर श्याम – पर तुम्हारी दादी तो तुम से बहुत प्यार करती है ना?

अनमोल – हाँ। पर मुझे भी नहीं पता की वो ऐसा क्यों कर रही है।

डॉक्टर श्याम – और क्या हो रहा है।

अनमोल – मैं- मैं...... ।

अनमोल की नींद खुल जाती है। समाने डॉक्टर श्याम, नर्स और कुछ पुलिस वाले खड़े हुए हैं।

अनमोल – पानी...।

नर्स अनमोल को पानी लाकर देती है। अनमोल पानी पीता है और डॉक्टर श्याम से कहता है।

अनमोल – मेरी ध़ड़कने बढ़ गई है। मुझे क्या हो रहा है?

डॉक्टर श्याम – कुछ नहीं तुम आराम कर रहे थे। शायद कोई बुरा सपना देखा होगा तुम ने।

अनमोल – क्या मैं अब घर जा सकता हूँ ?

डॉक्टर श्याम – घर? हम तुम्हारे घर में ही हैं। ये तुम्हारा घर है। हम तुम्हारा इलाज कर रहे थे। तुम्हारी बीवी की मौत के बाद कोर्ट ने हमें तुम्हारी मानसिक स्थिति में सुधार करने के लिए कहा था।

अनमोल – अरे हाँ। मैं तो भूल ही गया था। आरव कहाँ है ?

डॉक्टर श्याम – वो सामने हॉल में है।

अनमोल – मैं उससे मिलने जाऊँ?

डॉक्टर श्याम – अनमोल जी, हमें आपसे कुछ और सवाल भी पूछने हैं। तो थोड़ा सा टाईम दीजिए।

अनमोल – ठीक है पर, आप लोग यहाँ मेरी मानसिक स्थिति को सुधारने में लगे है, पर मुझे तो कुछ हुआ ही नहीं हैं। आप लोग जाकर मेरी पत्नी के कातिलों का पता क्यों नहीं लगाते?

डॉक्टर श्याम – वो काम पुलिस कर रही है। हम लोग तो आपके स्वास्थ के लिए है। और ये कुछ पुलिस वाले जो हैं वो आपकी सुरक्षा के लिए यहाँ तैनात हैं।

डॉक्टर श्याम , अनमोल को हिपनोटाइस करने लगते है। अनमोल फिर गहरी नींद में चला जाता है। और इस बार अपने बीते कल की बिलकुल अलग ही कहानी बताता है। डॉक्टर कई बार प्रयास करता हैं पर हर बार एक नई कहानी सुनने मिलती है। डॉक्टर को भी समझ नहीं आता की आखिर उनके इस मरीज की समस्या क्या है। बार-बार कोशिश करते-करते वो थक जाते हैं और आज के लिए अनमोल को आराम करने की राय देकर अपने घर जाने लगते हैं।

कार में बैठते ही उनका सर दुखने लगता है और वो इस दिन भर की तनाव भरी थकान को दूर करने के लिए गाड़ी में रखी सर दर्द की दवाई लेते हैं।

दो मिनिट चैन की सास लेने के बाद, डॉक्टर श्याम कार का रेडियो चालू करते हैं। और अनमोल के घर से अपने घर के लिए निकल जाते हैं।

हाईवे पर पहुँचते ही डॉक्टर श्याम की वाईफ का फोन आता है। वो रेडियो की आवाज़ धीमी करते हैं।

सुधा डॉक्टर श्याम की पत्नी – कैसा था वो टेस्ट? चल रहा है अभी या.... कब तक घर आओगे?

डॉक्टर श्याम – आज का दिन बहुत ही सर दर्द भरा था यार। 

सामने से एक तेज़ कार की लाइट आती है।

डॉक्टर श्याम – सुनो मैं ड्राइव कर रहा हूँ, बस घर पहुँच ही रहा हूँ.. आकर सब बताता हूँ।

डॉक्टर श्याम फोन रखते हैं अर अपनी गाड़ी चलाने पर ध्यान देने लगते हैं। और अपनी गाड़ी के रेड़ियो को चालू करते हैं। रेड़ियो पर वही गाना बजता है जो अनमोल अपनी कहानी बातते समय गा रहा था। 

(जिंदगी की यही रीत है हार के बाद ही जीत है)

ये गाना सुनते ही डॉक्टर श्याम का सर तेजी से दुखना शुरू होता है। और वो कार का नियंत्रण खो देते हैं। कार के खाई में गिरते ही, डाक्टर की नींद खुल जाती है। और वो घबरा कर उठ जाते है। सुधा भी उनकी आवाज़ सुनकर उठती है और उन्हें पानी का ग्लास देती है। 

सुधा - आप की ये मनोवैज्ञानिक की नौकरी ही ना एक दिन आपकी जान ले लेगी। ना जाने कितनों की कहानियों को रोज़ सुनते-सुनते अपनी जिंदगी को नर्क सा बना लिया है आपने।

डॉक्टर श्याम - अब सो भी जा यार। ये कहानियों से तो मेरा रोज का किस्सा लगा हुआ है। जिस दिन लोगों की मानसिक हालत सुधारना बंद कर दूँगा ना, उस दिन जरूर मेरी मानसिक स्तिथि बिगड़ जाएगी।

सुधा (मुँह बनाते हुए)- हूँ... खुद को तो चैन की नींद आती नहीं, तो कम से कम दूसरों को तो सोने दो।

डॉक्टर श्याम - सो तो जाउँगा। पर नींद कहाँ आती है। 

डॉक्टर श्याम गुनगुनाते लगते हैं - जिंदगी की यही रीत है हार के बाद ही जीत है।

और गुनगुनाते हुए करवट बदलकर अपनी आँखे बँद करते हैं। और सो जाते हैं।


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