अनजान लड़की
अनजान लड़की


कुछ धुंधली सी याद है मेरे सपने की जो अब तक सबसे डरावना सपना था मेरे जीवन का। रात का सन्नाटा तेज़ हवाएं सायं सायं करके चल रही थी और मैं बेफिक्र कदमों से बढ़ी जा रही थी अनजान खतरे से बेखबर। अचानक चलते चलते मेरे कदम रुक गए क्योंकि मेरे सामने सफेद कपड़ो में एक पंद्रह सोलह साल की लड़की खड़ी थी। वो कुछ अलग सी लग रही थी रूखे रूखे से बाल, आंखे अंदर को धंसी हुई, शरीर पर मांंस खून का कोई नाम नही इतनी दुबली की जरा सी हवा चले तो उड़ जाए। पहले उसे देखकर मुझे थोड़ा डर लगा और सोचा कि इतनी सुनसान रात में इतनी छोटी लड़की यहाँ क्या कर रही है।
लेकिन मैंने थोड़ी सी हिम्मत दिखाई और उससे पूछा कि, तुम इतनी रात को यहाँ क्या कर रही हो और तुम्हारे मम्मी-पापा कहाँ है।
इतनी बात सुनकर लड़की रोने लगी और कहने लगी, मैं बहुत मुसीबत में हुँ मुझे आपकी मदद चाहिए और मेरे मम्मी पापा अब इस दुनिया मे नही है।
मुझे उसकी बात सुनकर उस पर दया आ गयी। तुम्हारा घर कहाँ है? मैने उस लड़की से पूछा। उसने पहाड़ी की ओर इशारा करके कहा मेरा घर उस पहाड़ी के पीछे गांव में है और वो छोटे बच्चे के जैसे मेरा हाथ पकड़कर चलने लगी।
कुछ दूर चलने के बाद उसका गांव आ गया। पूरा गांव शांत था जैसे यहां कुछ हुआ हो और सब मुझे हैरान होकर देख रहे थे। एक औरत मेंरे पास आकर बोली, बेटी इस गांव में तुम क्यों आयी हो यहां तो कोई भी नही आता है। शायद तुमने इस गांव के शापित होने के विषय में नही सुना।
कैसा श्राप माई और मैं यह खुद नही आई हुँ मुझे तो ये लड़की लेकर आई है।
कौन सी लड़की बेटी ? यहाँ तो कोई नही है। जैसे ही मैने उस लड़की को देखा तो वो वहाँ नही थी और डर के कारण मेरी ची------ख निकल गयी। फिर मैने कहा कि एक दुबली सी लड़की मुझे यहां अपनी सहायता के लिए लायी है।
तब वो बूढ़ी माई मुझे एक टूटे से घर मे ले गयी जहां पर उस लड़की और उसके मम्मी-पापा की तस्वीर टंगी थी और पूछा क्या यही थी वो लड़की?
मैं स्तब्ध रह गयी ये सब देखकर और मैैंने हाँ की मुद्रा में अपना सिर हिला दिया। मेरा इतना कहना था कि वो बूढी माई जोर जोर से ईश्वर का धन्यवाद देने लगी और खुशी से नाचने लगी। किन्तु मैं चुप थी और डरी हुई भी क्योंकि मैंने अपनी आंखों से एक आत्मा को देखा था और उससे बाते भी की थी जबकि मैं आत्मा भूत आदि में विश्वास नही करती थी।
मैने हिम्मत जुटाकर उस माई से पूछा, माई तुम मेरी बात सुनकर इतनी खुश क्यों हो, जबकि तुम्हे पता है कि वो एक आत्मा थी आखिर क्यों?
माई ने कहना शुरू किया, बेटी ये आज से बीस साल पहले की बात है तब ये गांव खुशहाल हुआ करता था यहाँ पर चारो ओर खुशियां ही खुशिया थी लेकिन न जाने इस गांव को किसकी नज़र लग गयी? ये उस मनहूस अमावस की रात की बात है जब सब लोग अपने घरों में सोए हुए थे कि तभी किसी के चीखने की आवाज़ सुनाई दी। सब लोग अपने अपने घरों से बाहर आ गए और देखने लगे कि क्या बात है तभी क्या देखते है कि बिरजू की बेटी जिसकी उम्र करीब पंद्रह-सोलह वर्ष की होगी वो अपने आप ही हवा में उड़ती हुई जा रही थी किसी की समझ मे कुछ नही आ रहा था. फिर सबने हिम्मत करके उसका पीछा करना शुरू किया और वो पहाड़ी पर बनी गुफा में चली गयी हम सब भी उस गुफा के बाहर खड़े होकर देख रहे थे कि आखिर ये किस्सा क्या है... तभी हम देखते है कि एक औरत जिसके नाखून और बाल लंबे लंबे थे दांत मानो तेज़ आरी के समान आंखे बड़ी बड़ी और गुस्से में लाल ऐसे जैसे उनसे खून टपक रहा हो ये कहते कहते वो माई चुप हो गयी...
फिर क्या हुआ? मैंने उत्सुकता वश पूछा इतने में वहाँ गाव के सभी लोग आ गये।
तब माई ने कहना शुरू किया उसका इतना भयानक रूप देखकर हम सब लोग डर के मारे थर थर काँपने लगे किन्तु जो उसके बाद
का मंजर था वो काफी डरावना था...
क्यों ऐसा क्या हुआ था, मैने थोड़ा सहम कर पूछा।
माई ने कहा, उस औरतने देखते ही देखते बिरजू की लड़की का सारा खून अपने दांतों से ऐसे पी लिया जैसे वो पानी पी रही हो, उसने उसके शरीर मे खून की एक भी बूंद नही छोड़ी। फिर क्या था ये हर अमावस का किस्सा था कि वो औरत पंद्रह-सोलह साल की लड़की को ही अपना शिकार बनाती थी... ये लड़की जो तुम्हे यहां लेकर आई है ये इस गांव की आखिरी लड़की थी। वो औरत कहकर गयी है कि जब तक इस गांव में लड़कियां रहेंगी तब तक ये सिलसिला यूं ही चलता रहेगा। हम गांव वालोंने बहुत से ओझाओं तांत्रिको को इस औरत को खत्म करने का उपाय पूछा किन्तु कोई भी नही बता पाया। एक रात हमारे गांव में एक साधारण से दिखने वाले एक साधु आये और हम सबके उदास चेहरे देखकर हमारे दुख का कारण पूछने लगे...
फिर क्या हुआ, मैने कौतूहल से पूछा।
माईने बताना शुरू किया कि, हम सबने उन्हें अपने दुख का कारण उस औरत के बारे में बताया। बहुत देर सोचने के बाद उन्होंने कहा कि इस गांव की जो लड़की सबसे बाद में उस औरत का शिकार बनी उसको अभी तक मुक्ति नही मिली है उसकी आत्मा ऐसे ही घूम रही है। तो उससे क्या होगा बाबा हम सबने पूछा। बाबा ने बताया कि, जिस दिन उसकी आत्मा जिस औरत को दिखाई देगी जो रोहिणी नक्षत्र में जन्मी होगी और जिसका जन्म अमावस्या को हुआ होगा वो उसे अपनी मदद के लिए इस गांव तक लेकर आएगी वही औरत उस चुड़ैल को समाप्त कर सकती है।
लेकिन मैं कैसे उसका अंत कर सकती हूँ? मैने काँपते हुए पूछा...
तब माईने हसंते हुुुए कहा, तू फिक्र क्यों करती है हम सब है ना तेरे साथ और उस साधु बाबा ने उस औरत को मारने का उपाय भी बताया था।
क्या है वो उपाय जल्दी बताओ...
माईने बताया कि, जब तुम उस औरत के पास जाओ तो पहले वो तुम्हे मारने की कोशिश करेगी लेकिन तुम्हे घबराना नही है... बस तुम्हे उसके दाएं हाथ की तर्जनी अंगुली का नाखून तोड़ देना है और वो औरत वही धराशायी हो जाएगी।
इसमें तो बहुत खतरा है ना बाबा मुझे तो डर लगता है... मैं नही जाऊंगी... मैने डरते हुए कहा...
तभी सभी लोग मुझसे प्रार्थना करने लगे कि, हमारी बेटियों को सिर्फ आप ही बचा सकती है... आज तो ये इस गांव की ही समस्या है आने वाले समय मे ये पूरे देश मे फैल जाएगी... तब बताओ लड़कियां कहाँ से आएंगी...
उनकी बातें सुनकर मेरा मनोबल बढ़ गया और मैं उस गुफा में जाने के लिए तैयार हो गयी। मेरे साथ पूरा गांव चला... जैसे ही मैं गुफा के पास पहुंची तो दिल को दहलाने वाली एक भयंकर आवाज़ हुई और देखते ही देखते मेरे सामने एक भयावह स्त्री खड़ी हो गयी... उससे भी भयानक जो उस माईने बताई थी... मैं अंदर तक कांप रही थी, मुझे देखते ही उस औरतने मुझ पर हमला किया... किसी तरह मैं उससे बची फिर उसने मुझे अपनी मुट्ठी में उठा लिया मैने भी अवसर का लाभ उठाया और उसका तर्जनी अंगुली का नाखून तोड़ दिया नाखून टूटते ही वो औरत ज़मीन पर धराशायी हो गयी और सबने मुझे कंधे पर बैठ लिया।
उसी समय मेरी आँख खुली और मैं इस सपने के विषय मे सोचने लगी कि आखिर इसका अर्थ क्या है फिर मुझे समझ आया कि आज के परिवेश में औरत ही औरत की दुश्मन है वो उसे आगे बढ़ने नही देना चाहती और वो अपनी ही जाति पर प्रहार करती है जैसे कि वो औरत जो लड़कियों को उस गुफा में ले जाती थी।
उस गुफा से तात्पर्य है भ्रूण हत्या से जिसमे कन्या भ्रूण को नोचकर गर्भ से बाहर निकाला जाता है और उस औरत के नाखून है वो औज़ार जिनसे इस कुकृत्य को अंजाम दिया जाता है। यदि औरत चाहे तो अपनी जाति को बचा सकती है जैसे कि सपने में मैने बचाया।