Manu Sweta

Romance

5.0  

Manu Sweta

Romance

प्यार प्यार होता है

प्यार प्यार होता है

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ये बात उन दिनों की है जब मैं कॉलेज में पढ़ता था। हमारी ही क्लास में एक लड़की थी जिसका नाम था काव्या । कहने को ज्यादा खूबसूरत नहीं थी लेकिन उसकी सादगी ही उसकी सुंदरता थी। उसके घुटनो तक बाल उसकी खूबसूरती और बढा देते थे। उसकी आँखों का वो हल्का सा काजल जैसे सब कुछ कह देता हो। उसकी हल्की सी हँसी न जाने कितनों को पागल करती थी । हमारी क्लास का हर लड़का उसको पसंद करता था। काव्या जितनी सुंदर थी उतनी ही बुद्धिमान थी । और उसका व्यवहार सबके साथ बहुत अच्छा था। मैं रसायन विज्ञान में एम0 एस0 सी0 कर रहा था । उन दिनों इस विषय मे एम0 एस0 सी0 बहुत कम लडकिया करती थी। हमारे पच्चीस के ग्रुप में केवल पांच लडकिया थी, जिनमे काव्या भी एक थी । काव्या हर तरीके से सुशील और सर्वगुण संपन्न लड़की थी । मुझे भी वो बहुत अच्छी लगती थी। मैं उसे रोज़ छुप छुप कर देखा करता था । हमेशा उसके बारे में सोचा करता था। मेरी ये हालात देखकर मेरे दोस्त मुझसे कहते थे कि जब तुम उससे इतना प्यार करते हो तो बोल क्यों नहीं देते ?

मैं बस हँस कर टाल देता । मुझे अंदर ही अंदर ये डर था कि कही काव्या को बुरा न लगे और वो मुझसे नफरत करने लगे। ऐसे ही धीरे धीरे वक़्त पंख लगाकर न जाने कब उड़ गया और हमारा प्रथम वर्ष का परिणाम आया जिसमे काव्या ने प्रथम स्थान प्राप्त किया । मेरा प्यार भी उसके लिए और ज्यादा बढ़ता गया । काव्या हमेशा मुझसे बात करती थी और जब जब बात करती थी तो लगता था जैसे सारा संसार मेरे साथ आ गया हो। वो कहते है ना कि हर खुशी में ग्रहण लगता है और ख्वाहिश कभी पूरी नहीं होती।

छुटियों के बाद हमने जब दोबारा कॉलेज आना शुरू किया तो पाया कि काव्या कुछ खोयी खोयी सी रहने लगी । वो न तो किसी से ज्यादा बात करती और न ही उसका मन पढ़ाई में लगता। उसको देखकर लगता जैसे उसे कोई डर अंदर ही अंदर खोखला कर रहा हो। मैने उससे कई बार पूछने की कोशिश की लेकिन वो इस बारे मे जैसे कोई बात ही करना नहीं चाहती थी, खैर मेरे लिए।

ये एक सोचने वाली बात थी। मैं अंदर ही अंदर ये सोचता कि आखिर बात क्या हो सकती है।इसी तरह एक महीना बीत गया । बात आई गयी हो गयी ।एक सुबह मेरा मन कॉलेज जाने का नहीं था इसलिए मैं आराम से चाय पी रहा था। तभी मेरी नज़र मेज़ पर रखे हुए अखबार पर पड़ी, और मैने देखा कि अखबार के मुख्य पृष्ठ पर एक खबर थी कि कुछ लोगो ने सड़क पर चलती लड़की के मुँह पर तेजाब फेंक दिया । मैं उत्सुकतावश उस खबर को पढ़ने लगा । अक्सर मैं खबर पूरी नहीं पढ़ता लेकिन उस दिन मैं उस खबर को पढ़ने लगा। जैसे ही मैने उस खबर को पूरा पढ़ा तो मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई और मेरी सोचने समझने की शक्ति न जाने कहाँ खो गयी मैं धम्म से सोफे पर बैठ गया और मुझे यकीन नहीं हो रहा था मैंने उस खबर को बार बार पढ़ा कि कही मुझसे कोई गलती तो नहीं हुई। लेकिन ये खबर शत प्रतिशत सही थी वो लड़की जिसका चेहरा तेज़ाब से खराब किया गया था कोई और नहीं बल्कि काव्या ही थी । मैं जल्दी से उठा और अस्पताल की ओर चल दिया। अस्पताल में पहुँचा तो वहाँ पर काव्या के माता पिता का रो रोकर बुरा हाल था।

बार बार यही बात कह रहे थे कि हमारी बच्ची ने किसी का क्या बिगाड़ा था। अब इससे शादी कौन करेगा ? आखिर मेरी बेटी को कही का नहीं छोड़ा उन दरिंदो ने । इसका कसूर ही क्या था? मैं खड़ा ये सब सुन रहा था और सोच रहा था कि कही काव्या का डर इसी कारण तो नहीं था। मैं यही सब सोच रहा था कि तभी डॉक्टर ने आकर बताया कि काव्या को होश आया गया है आप उससे एक एक करके मिल सकते है और ध्यान रखिये वो ज्यादा बात न करे । इतने में वहाँ पुलिस इंस्पेक्टर व हमारी क्लास के सभी लोग आ चुके थे। पुलिस की पूछताछ के बाद सब बारी बारी से काव्या को देखकर आ रहे थे। सब दुखी थे और सबकी जुबाँ पर यही बात थी कि अब काव्या का क्या होगा।

मैं बाहर खड़ा काव्या के पास जाने की हिम्मत जुटा रहा था और फिर कुछ देर बाद मैं काव्या के पास गया तो देखा काव्या का पूरा चेहरा पट्टियों से ढका था और वो फिर भी अपना चेहरा छुपाने की कोशिश कर रही थी । मैं धीरे से उसके पास जाकर बैठ गया तो उसके मुँह से अनायास ही निकल गया " तुम आ गए अभिलाष, मैं सोच रही थी कि सब आ गये लेकिन तुम नहीं आये।देखो न ये क्या हो गया ?" मैं तो बहुत देर से बाहर खड़ा था अंदर आने का साहस नहीं हो रहा था और अब तुम चुप हो जाओ तुम्हे ज्यादा बोलने को मन किया है । बहुत दर्द हो रहा होगा तुम्हे ? सच तुमने कितनी बहादुरी से इस मुसीबत का सामना किया । तुमसे बहुत सारी बाते पूछनी है लेकिन आज नहीं अब तुम आराम करो मैं कल फिर आऊंगा । और हां ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं कोई तुम्हारे साथ हो न हो मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा । इतनी बात कहकर मैं काव्या के पास से अपने घर चला आया लेकिन मेरी आँखों के सामने बार बार काव्या का चेहरा घूम रहा था और सोच रहा था कि कोई इतना निर्दयी कैसे हो सकता है? मैं रोज़ काव्या को देखने अस्पताल जाने लगा उससे ढेर सी बातें करता । कुछ दिनों बाद काव्या को अस्पताल से छुट्टी मिल गयी , लेकिन काव्या अपनी पढ़ाई को लेकर परेशान थी तो मैंने उसे आश्वासन दिया कि मैं रोज़ तुम्हे कॉलेज के बाद आकर पढ़ा दिया करूँगा । अब मेरा रोज़ का नियम बन गया मैं कॉलेज से सीधे काव्या के घर जाता और उसे पढ़ाता ।

एक दिन मैंने काव्या से पूछा " काव्या एक बात बताओ इस घटना से पहले तुम कुछ परेशान थी क्यों? " कुछ देर चुप रहने के बाद काव्या ने बोलना शुरू किया हाँ मैं कुछ दिनों से काफी परेशान थी तुम्हे याद है हमारे कॉलेज का वो लड़का सुंदर तुम जानते हो कि वो कितना बदतमीज़ और धूर्त है । कॉलेज बंद होने से पहले उसने मुझ पर शादी के लिए दबाव बनाना शुरू किया तो मैंने उसे मना कर दिया तो उसने मुझे धमकी दी थी कि यदि तुम मझसे शादी नहीं करोगी तो मैं तुम्हे किसी और से भी शादी नहीं करने दूंगा । और देखो उसने यही किया अब मेरा चेहरा इतना भयानक हो गया है कि मुझे अपने चेहरे को देखने से खुद को डर लगता है। लेकिन तुम ये बात किसी को कह तो सकती थी मैंने काव्या से कहा। हाँ अभिलाष मैं बता सकती थी लेकिन मुझे ये नहीं पता था कि नौबत यहां तक आ जायेगी। तुम्हे एक बात बताऊ अभिलाष मैं रोज़ अपने माता पिता को घुट घुट कर मरते देखती हूँ।

मेरे सामने तो कुछ नहीं कहते लेकिन मुझे पता है कि दोनों बहुत दुखी है। कितने अरमान से बाबूजी ने मेरा दाखिला एम 0 एस0 सी0 में करवाया था। उन्हें मुझ पर बहुत नाज़ था । हम लोग मध्यमवर्गीय परिवार से है और अम्मा बाबूजी मेरी इस दशा को देखकर रोज़ मरते हैऔर मैं चाहकर भी कुछ नहीं कर सकती। कही न कही मैं ही इन सबकी ज़िम्मेदार हुँ । तुम अपने आपको दोष क्यो देती हो आखिर तुम्हारी गलती ही क्या थी? लेकिन मैं अपने माँ बाप पर बोझ नहीं बनना चाहती आखिर वो कब तक मेरा साथ देंगे ? तुम हिम्मत मत हारो काव्या कुछ न कुछ समाधान निकल जायेगा । काव्या के घर से आने के बाद मैं उसकी बातों को ही सोच रहा था फिर मैंने अपने माता पिता को काव्या के बारे में बताया । पूरी बात बताने के बाद मैंने अपने मम्मी पापा से कहा कि मैं काव्या से शादी करना चाहता हुँ । मेरी बात सुनकर मम्मी ने कहा लेकिन बेटा तुम क्यों ऐसी लड़की से शादी करना चाहते हो क्या ये सब तुम्हारे कारण हुआ है और हमारा समाज क्या कहेगा ? समाज क्या कहता है और क्या सोचता है ? मुझे इसकी परवाह नहीं । आप दोनों क्या सोचते हो मुझे इसकी फिक्र है और फिर इसमें काव्या का तो कोई दोष नहीं अच्छी और सुंदर लड़कियों को तो बहुत लड़के मिल जाएंगे लेकिन काव्या के लिए कोई नहीं मिलेगा, मैं तो काव्या को शुरू से ही पसंद करता हूँ लेकिन बेटा तब बात कुछ और थी अब बात कुछ और मम्मी ने थोड़ा गुस्से में कहा।

मम्मी बात कुछ नहीं है ज़रा सोचिए भगवान न करे मेरी बहन रितिक के साथ गर ऐसा हो जाये तो आप लोगो पर क्या बीतेगी और जो लड़का उससे शादी करेगा उसे आप कितना आशीर्वाद दोगी। मम्मी काव्या बहुत अच्छी लड़की है वो आपको कभी भी शिकायत का मौका नहीं देगी। मेरी बातें सुनकर मम्मी पापा इस रिश्ते के लिए तैयार हो गए और अगले ही दिन वो दोनों और मैं काव्या के घर रिश्ते की बात करने गए। काव्या के माता पिता तो न जाने कितने खुश थे मानो उनके घर खुद भगवान आ गए।

काव्या भी छुपकर हमारी सारी बाते सुन रही थी और रो रही थी। बड़ों की सहमति के बाद मैं काव्या से मिलने गया तो काव्या मेरे पैरों में गिरकर रोने लगी और कहने लगी अभिलाष मुझे तुम्हारी दया नहीं चाहिए तुम मुझ पर दया दिखाकर अपना जीवन बर्बाद न करो मैं तुम्हे दुख के सिवाय और क्या दे सकती हूँ। मैं चुपचाप काव्या की बात सुन रहा था जब वो सब कह चुकी तब मैंने उससे कहा काव्या मैं तुम पर कोई दया नहीं दिखा रहा हूं वरन मैं तुमसे बेइंतहा मोहब्बत करता हूँ। मैं तुम्हें शुरू से ही पसंद करता था लेकिन तुम्हे खोने के डर से तुम्हे कभी नहीं कहा। ये मत समझो कि मैं तुम पर कोई अहसान कर रहा हूँ अरे पगली ! मैं तुम्हे सच मे प्यार करता हूँ और प्यार प्यार होता है प्यार में शारीरिक खूबसूरती नहीं वरन दिल की खूबसूरती देखी जाती है और मुझे पता है इस दुनिया मे तुम सबसे ज्यादा खूबसूरत हो । मेरी बात सुनकर काव्या मेरी बाहों में लिपटकर रोने लगी और मुझे इस दुनिया की सारी खुशियां मिल गयी थी।


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