अनहोनी
अनहोनी
रोहन को आज बनारस में आये हुए एक महीना होने वाला था।उसकी नियुक्ति बैंक पीओ के पद पर हुई थी। वह अपने गांव को छोड़कर नहीं आना चाहता था लेकिन इतने अच्छे अवसर को गंवाना भी नहीं चाहता था।तीन बहनों का वह इकलौता भाई था। बनारस उसके लिए एक नया शहर था। यहां की चकाचौंध और देशी विदेशी सैलानियों की भीड़ मे उसे कोई भी अपनी जान पहचान का अभी तक नहीं मिला था।एक दिन मन बहलाने के लिए शाम को वह गंगा आरती देखने गंगा घाट की तरफ़ निकला, तो वहां उसकी मुलाकात अपने बचपन के मित्र वरुण से हो गयी।अब तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना न रहा । दोनों दोस्त पुराने किस्से याद कर खिलखिला कर हंस पड़े ।उन्हें लगा कि जैसे वे आज भी उसी बचपन वाली दुनिया में लौट आए हों। काफी देर बातें करने के बाद दुबारा मिलने का वादा कर दोनों अपने घर लौट आए।अब तो मोबाइल पर बातें करते और एक दूसरे का हालचाल पूछ लिया करते थे । अगले महीने की २२ तारीख को वरुण का जन्मदिन था । रोहन ने अपने दोस्त को सरप्राइज देने का मन बनाया। और उसके जन्मदिन पर एक अच्छा सा गिफ्ट खरीद कर अचानक उसके घर पहुंच गया। वरुण ने जैसे ही उसे देखा ।खुशी के मारे वह उछल पड़ा। क्यों कि अकेलापन उसे भी काटने को दौड़ता था। दोनों ने जमकर पार्टी की । बातों ही बातों में समय का पता ही नहीं चला । रोहन को उसी दिन वापस लौटना था क्योंकि उसे सुबह ड्यूटी पर जाना था। वरुण ने रात वहीं रुकने को कहा ,लेकिन रोहन नहीं माना । वरुण उसे सड़क तक छोड़ आया ।
रोहन मुश्किल से दो किलोमीटर ही दूर गया होगा कि किसी अज्ञात वाहन ने उसकी गाड़ी को टक्कर मारी दी और वह बेहोश हो गया। लगभग आधे घंटे बाद जब वरुण ने यह जानने के लिए अपने दोस्त को फ़ोन लगाया कि वह समय से पहुंच गया था नहीं। तो रोहन ने फोन नहीं उठाया । उसका मन बेचैन हो उठा।और वह पुलिस को फोन लगाने लगा । क्योंकि रोहन का मोबाइल लगातार बज रहा था, परन्तु वह रिसीव नहीं कर रहा था। उसके मन में किसी अनहोनी की आशंका पैदा होने लगी। लगभग पच्चीस मिनट बाद उसे सूचना मिली कि उसके सिर से ज्यादा रक्तस्राव होने व समय पर उपचार न मिलने से उसकी मौत हो गई। वरुण फूट-फूट रोने लगा। लेकिन होनी को कौन टाल सकता है। जब भी वरुण का जन्मदिन आता है वह उस अनहोनी को याद कर आज भी सिहर उठता है।