अंधेरी
अंधेरी
मेरा नाम प्रकाश है। पेशे से मैं एक वकील हूं। मुझे अजीब अजीब चीज़ों को जानने की हमेशा उत्सुकता रहती है। अलग ठिकानों पर जाकर उनकी तस्वीरें कैद करना मुझे अच्छा लगता है। मैं कही भी अकेले ही जाना पसंद करता हूं। बरसात के दिनों मैं मुझे पहाड़ो और जंगलों से बनी सुंदर जगहों पर जाना और तस्वीरे कैद करना अच्छा लगता है।
इसीलिए इस बार मैंने रंदार टूरिस्ट डेस्टिनेशन जाने का सोच लिया और निकल पड़ा अपना कैमरा लिए.....घने पहाड़ो और जंगलों से घिरा....बीच से एक नदी बहती....इतना सुंदर वातावरण.... ताज़ी हवाये... सुकून...सब कुछ था वहाँ...मेरे प्रिय कैमरा के लिए बहोत सारी फोटोस भी....होटल मैं सामान रख...खाना खा कर निकल पड़ा अपना कैमरा लिए उस जगह जहां पहली बार आया था।
जहाँ ज्यादा टूरिस्ट घूमते उसके उल्टा मैं अकेले ही कहीं पे जाना पसंद करता....इसीलिए मैं चल पड़ा अंदर आगे घने जंगल मैं ...फोटोस क्लिक करते हुए...मेरे सामने एक पहाड़ी आ गयी। पहाड़ी बड़ी थी तो चढ़ने मैं वक़्त लगा पर जैसे ही सबसे ऊपर पहुँचा मानो स्वर्ग मिल गया हो...इतना अच्छा नजारा मैंने आजतक नहीं देखा था। वहां मेरे सिवा कोई और नहीं था।
मैं फिर तस्वीरें क्लिक करने लगा....मैंने कैमरा की लैंथ बड़ी की ताकि दूर तक का दृश्य कैद कर सकूं.... तभी मैंने देखा कि दूर नदी के उस पार जंगल में एक गाँव भी था। कुछ दूर देखा कुछ मछुवारे मछली पकड़ रहे थे। मेरी उत्सुकता फिर जाग गई। शाम होने वाली थी पर मैंने सोच लिया था सुबह जल्दी निकलकर वहां जाकर उन मछुवारों और गाँव के फोटोस जरूर लूँगा।
वापस होटल आकर मैंने उस जगह की होटल के मैनेजर से पूछताछ की....
"प्रकाश सुनो ,मैंने दूर एक जगह देखी...वहां एक गाँव है और नदी मैं मछुवारे भी दिखे। वहां मुझे जाना है कोई आसान रास्ता?
मैनेजर "नहीं सर वो जगह हमारे डेस्टिनेशन मैं नहीं आती है और वहां कोई नहीं जाता उस गाँव के मछुवारे कभी भी किसी को वहाँ आने नहीं देते वो उनकी जगह है। आप यहीं घूम लें वहां जाने की जरूरत नहीं।
मैंने और ज्यादा पूछना जरूरी नहीं समझा....कमरे में आया पर मैंने ठान लिया था मैं जरूर वहां जाऊँगा जंगल के रास्ते...सुबह जल्दी मैं होटल से निकल पड़ा....अपने साथ खाने का कुछ सामान और अपना कैमरा साथ लिए।
जंगलो से गुजरते हुए और फोटोस क्लिक करते हुए....उस अदभुत वातावरण के मज़े लेते हुए आखिरकार मैं दोपहर 2 बजे उस नदी के स्थान पर पहोंच गया....गाँव नदी के उस पार था...नदी में कुछ मछुवारे मछली पकड़ रहे थे। शायद वो उसी गांव के थे। मैं आगे बढ़ा...एक मछुवारे को इशारा कर अपने पास बुलाया.....
मछुवारा = "कौन हो तुम? इस तरफ क्यों आये हो?"
"देखो मुझे आपके और गाँव के कुछ फोटोस क्लिक करने हैं मुझे जरा उस पार छोड़ दो..."
मछुवारा "सुनो अब चले जाओ यहां से....इस तरफ आने की अब कोशिश भी मत करना"
वो गुस्से से मुझे घूरते हुए अपने नाव लिये वहाँ से चला गया.......पर मैं भी कहा मानने वाला था। वहीं ठहरा रहा कुछ घंटे बाद वो सभी मछुवारे गाँव की तरफ चले गए। मुझे भी जाना था पर इतनी दूर तैर के भी नहीं जा सकता था। मैंने अब वापस जाना ही बेहतर समझा...फिर तभी मैंने कैमरा निकाला और आसपास के फोटोस क्लिक करने लगा।
तभी मुझे कैमरा की बड़ी लैंथ से थोड़ी दूर पत्थरो के पास कुछ पड़ा हुआ दिखा....मैं जल्दी से उस तरफ गया....मैंने देखा दो बड़े पत्थरो के पास एक छोटी नाव आकर फंसी थी। मेरे खुशी का ठिकाना नहीं था। शायद उसी और से कभी ये नाव अपने आप बहकर यहां फसी होगी। मैं नाव में बैठा और उसे नदी मैं चलाकर किसी तरह बड़ी कोशिशों से उस पार आ गया जहाँ गाँव था।
मैंने छिपकर ही फोटोस लेना बेहतर समझा ताकि कोई गाँव वाला मुझे देख ना ले.....बड़े बड़े हसीन खेत....काफी सुंदर गाँव था और दूसरी तरफ घना जंगल.....रात हो गयी थी...मैं अभी भी सबसे छिपा बैठा था। मैंने अपने साथ लाया खाना खाया...फिर मुझे गाँव से बड़े बड़े ढोल पीटने की आवाजें आने लगी।
मैंने देखा गांव के सभी लोगो ने काले कपड़े पहने हैं। सभी इक्कठा हुए हैम। चार बकरियों को एक साथ बांधकर उनकी पूजा कर रहे थे। फिर उन बकरियों को आगे कर पीछे ढोल बजाते हुए सभी गाँव वाले उस जंगल की तरफ आगे बढ़ने लगे....मुझे ये सब देख बड़ा ही अजीब लगा...मैंने कैमरा लिया और चुपके से फोटोस क्लिक करते हुए उनके पीछे जाने लगा।
काफी देर तक जंगल के अंदर सभी चलते जा रहे थे। तभी वो सभी रुक गए....फिर मैंने जो देखा... मैं पूरा हिल गया। उसी जंगल मे आगे एक ओर जंगल था जो पूरा काला था। उसके पेड़ पत्तियां सभी काले... बड़ा ही भयानक था। फिर वो सभी एक साथ चिल्लाये..." अंधेरी हमारी भेंट स्वीकार करो "।
उन्होने उन चारों बकरियों को उस काले जंगल में आगे छोड़ दिया फिर सभी वापस गाँव जाने निकले। अब मेरे मन मे दुविधा थी। कि मैं वापस गाँव की तरफ जाऊं या उन बकरियों के पीछे उस काले जंगल मे....तभी मैंने सोच लिया उन बकरियों के पीछे जाऊँगा देखूं तो सही वो कहां जाती हैं। कैमरा लिये मैं भी उस भयानक जंगल मे घुस गया।
बकरियां आगे बढ़ रही थीं। मैं भी छिपते हुए आगे बढ़ रहा था। रात कीड़ों कि भयानक आवाजें अपना कहर मचा रही थी। पहली बार ऐसा काला भयानक जंगल देख रहा था। उस भयंकर वातावरण मैं भी मैं अपनी आदत से मजबूर फोटोस लिए जा रहा था। काफी देर तक बकरियां आगे बढ़ रही थीं। अब तो शायद मैं वापस जाने का रास्ता तक भूल गया था।
अचानक सभी बकरियां एक घने लंबे काले पेड़ के पास आकर रुक गयीं....काफी अजीब पेड़ था उसमैं से काला द्रव्य भी बह रहा था। पेड़ की शाखाएं ऐसी थी मानो लंबे भयानक बालों से ढकी पड़ी हो। बकरिया शांत खड़ी थी अजीब सा भयानक सन्नाटा पसरा हुआ था।
तभी उस पेड़ से आकर कुछ साये जैसा उन बकरियों के पास गिरा...ये देख मैं दहल गया.....एक बकरी अचानक झटपटाने लगी....मुझे उस तरफ से ज्यादा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। मैं पत्तियों को हटाकर बाहर निकला औए उन बकरियो के पास गया....मैंने जो देखा उसे देख मैं थर थर कांपने लगा....मेरा दिल जोरो से धड़कने लगा...मानो अभी मेरी छाती चीर कर बाहर आ जायेगा
सामने एक बकरी को किसी साये ने बुरी तरह जकड़ लिया था। वो साया उस बकरी की गर्दन से खून चूस रहा था....तभी उस साये ने बकरी के अंदर गड़ाए अपने भयंकर नुकीले दांत बाहर निकाले.... अब वो मेरी तरफ देखने लगी....उसके भयानक दांतो में खून साफ नजर आ रहा था। उसकी काली बड़ी बड़ी आँखे....लंबे भयानक बाल....मुँह खून से लथपथ .... काला शरीर...बड़े नुकीले नाखून।
बड़ी ही भयानक चुड़ैल जैसी थी....मैं तो जैसे उसे देख सुन्न पड़ गया था। आज मैंने किसी शैतानी ताकत को देख लिया था। वो उठ खड़ी हुई और गुस्से से भयानक आवाजें निकालती हुई मेरे तरफ बढ़ने लगी....तभी मैंने खुद को संभाला और तेज़ी से उस काले जंगल मे भागने लगा...वो भी मेरे पीछे पड़ गयी थी। शिकारी बिल्ली की तरह वो मेरे पीछे भाग रही थी।
मैं चूहा बन छिपते हुए उससे बचने की कोशिशें कर रहा था। एक बड़े पेड़ के पीछे छिप बैठा....वो गुस्से से मुझे खोज रही थी। मानो मेरे मिलने पर मुझे कच्चा ही खा ले। मैं डर से कांप रहा था। तभी वो चुड़ैल दूसरी तरफ मुझे खोजने चली गयी। मौका पाते ही मैं उसकी विपरीत और भागा... भागते भागते थक गया तो नीचे थोड़ी देर फिर छिपकर एक पेड़ के पास बैठ गया.....
तभी कुछ खून की बूंदे उस पेड़ से आकर मुझपर गिरने लगी....मैंने ऊपर देखा मेरे रोंगटे खड़े हो गए...पेड़ के उप्पर अजीब तरह के शैतान उलटे लटके हुए थे। उनके भयंकर शरीर से खून निकलकर नीचे गिर रहा था। जली हुई भयानक चमड़ी और लाल चमकती डरावनी आँखे मुझे ही देख रही थी।
अचानक सभी शैतान पेड़ से रेंगते हुए मेरे पास आने लगे।मैं फिर पूरी तेज़ी से वहां से भाग खड़ा हुआ...डर का पागलपन और ये सब भयानक शैतानों को देख मेरी रूह कांप उठी थी। उस काले जंगल मे आकर मैंने बहोत बड़ी गलती की थी। मैं उसमे से बाहर निकलने का रास्ता खोजने लगा....किसी तरह अपनी जान बचाकर इस भयानक जंगल से निकल जाऊं!
मैं डर से कांपते हुए आगे बढ़ रहा था। तभी अचानक कुछ दूर मुझे आग जलती हुई दिखाई दी। मैं उसके पास गया...मैंने देखा उस आग के चारो तरफ लाल साड़ी और घूंघट पहने कुछ महिलाएं चक्कर लगा रही है। मेरे जान में जान आई। मैं आगे बढ़ा और बोला " सुनिए क्या आप मेरी मदद करेंगी" ये सुनते ही वो सभी महिलाएं रुक गयी।
एक साथ सभी का घूंघट उठने लगा...फिर मैंने जो देखा...मेरा पूरा शरीर डर के मारे कांपने लगा...उन सभी महिलाओं के सिर थे ही नहीं और कटे हुए भाग से खून बह रहा था। वो सभी मेरे ओर बढ़ने लगी....मैं फिर भागने लगा...अपने जिंदगी की सारी दोड़ मैंने आज ही कर ली थी।
मैं फिर उस भयानक जंगल मे इधर उधर भागने लगा शायद आज मैं मरने वाला था। तभी फिर मुझे अपने सामने वही बकरी का खून चूसने वाली चुड़ैल गुस्से से घूरती हुई नजर आयी...मैं फिर भागा... पर वो चुड़ैल भी अब पीछे ही थी....भागते भागते मैं गिर पड़ा....वो चुड़ैल उड़ती हुई मेरे पास आने लगी....मेरा मरना अब तय था।
वो भयंकर चुड़ैल मेरे पास आयीं.....उसका भयानक हाथ लगते ही मैं डर से काँपते हुए बेहोश हो गया।
अगली सुबह मैं चारपाई पे लेटा था। मेरी आँख खुलते ही मेरे सामने गाँव के कुछ लोग खड़े थे। उन्होंने मुझे पानी दिया अब मुझे अच्छा महसूस हो रहा था। मैंने सारी घटना उन्हें बता दी....एक बुजुर्ग मेरे पास आये और बोले....
बुजुर्ग = "बेटा वो काला जंगल शापित है वहाँ शैतानी ताकतों का बसेरा है।"
प्रकाश = "उस चुड़ैल ने मुझे क्यों नहीं मारा?"
बुजुर्ग = "उसी ने तुम्हें बचाया और गाँव के जंगल के बाहर आकर सुरक्षित छोड़ दिया....वो तुम्हें नुकसान नहीं बल्कि तुम्हें उस जंगल से बाहर निकलना चाहती थी। बेटे जैसे इंसानों का अपना बसेरा होता है वैसा शैतानी शक्तियों का भी अपना एक बसेरा होता है।
वो उस काले जंगल की शैतानी रानी अंधेरी है। जिसे हम प्रसन्न करने हर महीने बकरियों को उनके जंगल में छोड़ उनकी बलि देते हैं बदले मैं वो हमे उस जंगल मैं मौजूद शैतानी शक्तियो से हमे बचाती है ओर उन्हें सिर्फ उसी सीमित जगह तक रोक के रखती है ताकि वो शैतानी शक्तियां इस पूरे इलाक़े पर हावी न हों। हज़ारो सालो से वो हमैं बचा रही है।
हमारी खेती उसी की वजह से इतनी फल फूल पाती है। वो हमारी रक्षा करती है। उसकी शक्तियों का हमें फायदा होता है। हज़ारो सालों से हम उसे अपना ही मानते हैं। वो हमारे दुःख दूर कर देती है।
ये गाँव उसी की वजह से खुशियों से संपन्न है। वो शैतान हुई तो क्या हुआ उसी की वजह से हम सभी जिंदा है। ये सभी उसीकी देन है।
मैंने मन ही मन उसे प्रणाम किया। अगर वो ना होती तो मैं उन शैतानों का शिकार बन जाता। अब मैं फिर कभी भी इस जगह आने की गलती नहीं करूँगा ये आश्वासन भी मैंने गाँव वालों को दे दिया।
इसीलिए वो गाँव वाले किसी अनजाने को वहाँ आने नहीं देते ताकि उसपर कोई मुसीबत ना आये.... उस दिन के बाद मैंने ठान लिया कि किसी भी अजीब चीज़ों को जानने के लिए इतनी भी गहराई में मत जाओ कि वो हमारी जान पर बन आये।
Copyright © Bhushan Patil
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