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Moonsfeeling by Chand

Abstract

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Moonsfeeling by Chand

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अंधेरा

अंधेरा

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अंधेरा सब जानता है, कौन कितना रातों को जागता है, अंधेरा सब जानता है। कौन कितना गम मे रोता है अंधेरा सब जानता है कौन कितना पन्नों पर लिखता है..... अंधेरा सब जानता है। कौन कितना आशिकी में है और कौन कितना जिम्मेदारियों के तले दबा है अंधेरा सब जानता है। किसने कितनी मेहनत की है और कौन कितना थका है.... अंधेरा सब जानता है। किसने कितनी चोरी की है और कौन कितना पसीने में बहा है। अंधेरे में तो जिम्मेदारियों वाले काम किए जाते हैं दिन के उजाले में तो लोग सिर्फ एक दूसरे को बेवकूफ बनाते हैं.... अंधेरा सब जानता है । कौन कितना रातों को जिस्म का व्यापार करता है कौन कितना दिल से प्यार करता है,, अंधेरा सब जानता है ।कौन कितना रातों को जागता है....।


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