पूर्णिमा पाटील एकलव्य स्वरूप

Romance

4.5  

पूर्णिमा पाटील एकलव्य स्वरूप

Romance

अन ओफिशियल ब्रेकप

अन ओफिशियल ब्रेकप

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373



"पांखी चलो आज नोकरी का पहला दिन है बेटा लेट जाओगी तो इम्प्रेशन गलत पड़ेगा , कुछ लोगों का नेचर बड़ा जजमेंटल l होता है।"

"हां पापा आ रही हुं!,"रूकिए थोड़ा मेरा रिज्यूम "," नहीं मिल रहा" 

"बेटा मैंने फाइल में रख दिया।"

थैंक यू पाया, "आप दुनिया के सबसे अच्छे पापा हैं"

पांखी १९ साल की थी उसने पढ़ाई टेक्निकल फील्ड में की थी। उसकी पहली नोकरी थी। बहुत खुश थी वो।

उसकी नोकरी ट्रेनी टीचर के तोर में लगी थी। सैलरी भी अच्छी थी। काफ़ी खुश मज़े से अपनी नौकरी करती। उसके भोलेपन और साफ मन की वजह से सब उसकी इज्जत करते थे। और टेक्निकल फील्ड में थी उस वजह से स्टूडेंट्स कुछ उसके उम्र के थे, तो कोई उससे बड़े उन स्टूडेंट्स मेसे एक लड़का था रूहान ,बहुत हैंडसम था । वो पहले ही दिन से पांखी को पसंद करने लगा था और ये बात पांखी के अलावा हर कोई जानता था।

वह पांखी को दूर से देख कर ही खुश होता। उसकी सादगी ने उसका मन हर लिया था।

एक दिन रूहान ने पांखी से कहां," पांखी मेम आपकी नोट्स देंगी आप? "

पांखी :-में घर ले जाने नहीं दूंगी जो लिखना है यहां लिखों"रूहान खुश हुआं।

ऐसा करते करते कोई न कोई बहाने से वह पांखी से दोस्ती का प्रस्ताव रखता है, और पांखी ने उत्तर दिया में दोस्त ही हुं तुम्हारी, रूहान और पांखी क्लास ख़त्म होने पर फ्रि टाइम में काफी बातें करते और एक दूसरे को अच्छे से जानने लगे।

एकबार रूहान ने पांखी का मोबाइल नंबर मांगा पांखी ने रूहान को अपना नंबर दिया।फिर दोनों में अकसर क्लास के बाद भी काफी बातें होती थींमेसेज ओर फ़ोन दोनों तरीकों से।

रूहान अक्सर मेसेज के अंत में "nl! " लिखता लेकिन पांखी ने कभी नोटीस नहीं किया। 

एकबार रूहान उसके फेमिली फंक्शन में व्यस्त था उस दिन वह क्लास भी नहीं गया और पांखी को उसने फ़ोन भी नहीं किया। तब पांखी उसे बहुत याद करती है ,वो उनकी सारी मेसेज पढ़ती है और खुश होती है तब उसकी नज़र "nl! "शब्द पर पड़ी।

वह सोचती है आखीरकार ये क्या हैं?और पांखी रुहान को मेसेज करती है ये "nl! "क्या है?

और तुरंत रूहान का रिप्लाई आता है, "तुमने आज देखा?"

पांखी :- "हां"!

रूहान:- "ठीक है ,जाने दो"

पांखी:- "लेकिन बताओ तो सही क्या है इसका मतलब?"

रूहान :- "ठीक है, प्रोमिस दो तुम नाराज़ नहीं होओगी ?"

पांखी :-" अरे, तुम बताओ तो सही मतलब फिर पता चलेगा"

रूहान:-"ठीक है, तुम अपना फोन उल्टा करके पढ़ो" 

पांखी:-" फोन उल्टा करके "nl!" शब्द को देखते ही रो पड़ती है "ये क्या?"

अब आप सब भी अपना फोन उल्टा करके देखेंगे।


उसके बाद पांखी दो दिन क्लास नहीं जाती और ना किसी से बात करती है और ना किसी को फोन करती है ना किसी के फोन कोल का जवाब देती है।वो समझ नहीं पा रही थी के वो इन सारी बातों से केसे डील करें। फिर उसने अपने आपको संभाला और फिर से नोकरी जोइन की।

अब वो रूहान को नजरंदाज करने लगी थी। रूहान समझ रहा था पांखी की कशमकश को, लेकिन वह भी पांखी से दूर नहीं जाना चाहता था।अगले दिन से रूहान ने क्लासिस आना बंद कर दिया,५ दिन हो गए थे रूहान का ना कोई मेसेज ना कोई फ़ोन, अब पांखी फिक्र करने लगी थी, रूहान के साथ क्या हुआ होगा? सोच में डूबी रहती।१२ दिन बाद रूहान का मेसेज आता है,


रूहान:- "पांखी मैं कल तुम्हें मिलना चाहता हूं, प्लीज़ मना मत करना, में जा रहा हूं, शहेर छोड़कर, अपने गांव हमेशा के लिए।"


पांखी :- "क्या? क्यू? मे तूमसे कुछ कहना चाहती हूं, प्लीज़ मत जाओ प्लीज़, फिर वह मेसेज के अंत में लिखती हैं,"nl!"रूहान खुश होता है उसे पांखी का जवाब जो मिल गया था


रूहान:- "आर यु सीरियस? "कल मिलते हैं। रूहान बहार से मजबूत था लेकिन अंदर से टूटा बिखरा और उसकी रूह जैसे तड़प तड़प कर रो रही थी।वह कल पांखी से केसे मिलेगा क्या कारण बताएगा गांव जाने का?

दोनों रात के बाद की अगली सुबह के इन्तजार में करवटें बदलते हैं।

सुबह होती है, दोनों बहुत खुश थे दोनों आज एक दूसरे से प्यार का अपनी भावनाओं का इज़हार करने वाले थे।

लेकिन यह खुशी बस कुछ पल की थी।कुछ पल में मानों पूरी जिंदगी जीने वाले थे दोनों।

दोनों क्लास के बाद मिलते हैं। एक कॉफ़ी शॉप में जाते हैं,फिर वहां से दोनों एक गार्डन मे पैदल चलकर बातें करते जातें हैं, रूहान पांखी से उसका हाथ मांगता है।

रूहान:- "पांखी मुझे पता है में ज्यादा देर नहीं रहूंगा तुम्हारे साथ या तुम्हारी जिंदगी में और ना तुमसे ये कहुंगा के तुम मेरा इंतजार करना लेकिन जितनी देर हम साथ हैं मैं तुम्हारा हाथ थामना चाहता हूं, अगर तुम्हें एतराज़ ना हो तो?"

पांखी :- हंसती है, और बोलती है," रूहान माना हमारा प्यार मिसाल नहीं है,और ना में तुमसे तुम्हारे गांव जाने की वज़ह पुछूंगी। हमारी कहानी ढ़ाई अक्षर के प्रेम की तरह अधूरी ही रहेगी", में नाराज़ नहीं हुं दु:खी भी नहीं, जिंदगी हमें बहुत मौके देगी नई शुरुआत करने के लिए, में खुश हु के तुमने मुझसे कोई वादा नहीं किया और ना कोई सपने दिखाए जिसकी वजह से में टूटकर बिखर जाऊं, मुझे तुम्हारी यही आदत भा गई, तुम हमेशा मेरी खूबसूरत यादों में रहोगे"।


सारांश:- जिंदगी हमें की मौके देती है शुरुआत करने के लिए।

अगर आप किसीको चाहते हैं तो बेशक उसे बोल दो,लेकिन जरूरी नहीं के उसके साथ पूरी जिंदगी बिताने का वादा भी करो।कभी भी रिलेशनशिप में कमिटमेंट ना दो।

हैं ,अगर आप पक्क इरादे के हो अपने रिलेशनशिप को जिंदगी भर निभाने के लिए तो पहले दोनो स्टेबल करीयर बनाने के बाद कोई फ़ैसला ले। लेकिन तबतक एक दूसरे को कभी किसी वादे के बंधन में ना पिरोये।






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