smriti srivastava

Romance Inspirational

4.6  

smriti srivastava

Romance Inspirational

अल्फाज़

अल्फाज़

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आँखों पर सूरज की किरणें पड़ी तो वो बेचैन हो गयी, पता नहीं कितना समय हो गया ?आज फिर से लेट हो गयी क्या ? पता नहीं क्या होगा मेरा बुदबुदाते हुए वो फ़ोन लगते हुए सोचने लगी पता नहीं आरव उठा की नहीं, पागल है बिल्कुल, सोचते हुए फ़ोन आरव को लगा उसने एक सांस में बोलना शुरू किया गुड मॉर्निंग, उठ जाओ जल्दी और तैयार होकर जल्दी आ जाओ और फ़ोन रखते हुए अपने सपने समेटते हुए वो तैयार होने चल पड़ी। आज परिणाम पत्र आने वाला था, थोड़ी घबराहट तो हो रही थी पर उसे पक्का विश्वास था की वो अपने माँ बाप के सपनों को, उनसे किये वादे को ज़रूर पूरा करेगी, तभी उसकी नज़र आरव पर पड़ी, अरे तुम आ गए चलो जल्दी नोटिस बोर्ड पर रिजल्ट देखने उसका हाथ पकड़ कर नोटिस बोर्ड की तरफ मुड़ते हुए आरोही ने कहा ..अरे !आरोही सुनो तो सही आरव ने उसे रोकते हुए बोला, वहाँ बहुत भीड़ है ,ये देखो रिजल्ट अब साइट पर आने लगी है .. यहाँ से देख लेते है न, आरोही ने हामी भरी तो आरव ने अपने फ़ोन पर रिजल्ट खोलते हुए कहा,

"इस बार तो तुम ही टॉप करोगी"आरोही ने मुस्कुरा कर कहा "मेरे टॉप करने से ज्यादा ज़रुरी तम्हारा टॉप करना है न, जानते हो न हमे बहुत कुछ करना है आखिर साथ रहने के सपने देखे है तो मेहनत भी तो करना पड़ेगा न उसके लिए", और तभी रिजल्ट सामने था ,आरव टॉप किया था, आरोही बेबाक सी उसके तरफ देखती रही, आँखों में ख़ुशियों के अश्रु पिरोये, मन कर रहा था आरव से लिपटकर अपने दिल को सुकून दे पर एक आदर्श बेटी की फ़र्जो से बंधी वो कहा ये सब कर पाती सोचते हुए उसने बधाइयाँ दी और कहा "चलो अब मेरी तरफ से तुम्हारी कामयाबी पर तुम्हें मिठाई खिलाती हूँ।" आरव ने उसे रोकते हुए बोला "मैं कामयाब तो उस दिन होऊंगा जिस दिन तुम मेरी हो जाओगी हमेशा के लिए", तो क्या अभी नहीं हूँ क्या ? अविका ने क्रोधित अंदाज़ में उसकी तरफ देखा, आरव मुस्कुराते हुए कहा "अभी तुम मेरी कहाँ हो अविका अभी तो तुम एक आदर्श बेटी की बंधनो में जकड़ी हुई हो ,अपने फर्जों के मैदान में खड़ी हो.. यहाँ हर जंग तुम्हारे माँ बाप के सपने के लिए तुम लड़ रही हो, एक कामयाब लड़की, एक कामयाब बेटी, एक कामयाब बहन और न जाने कितने रिश्तों का बोझ तुमने अपने कंधो पर उठा रखा है मुझे तो ये समझ नहीं आता तुम अपने लिए कब जीना शुरू करोगी ?? “तुमसे शादी करने के बाद “आरोही ने मुस्कुराते हुए कहा, आरव ने भी उसका साथ देते हुए कहा.. ज़रूर और एक प्यारी सी मुस्कान बिखेर दी और दोनों आँखों में अपने सुनहरे भविष्य के सपने पाले मुड़ गए अपने अपने छात्रावास की तरफ। छात्रावास पहुंची तो एक गंभीर शांति का अनुभव हुआ , एक शोकपूर्ण शांति, आखिर क्या हुआ है सब कहाँ है ?? कोई दिख भी नहीं रहा है, कुछ अनिस्ट की भनक लग रही है, तभी उसके सामने पुलिस की एक जीप आकर रुकी और एक अफसर ने उससे पूछा २ नंबर छात्रावास किधर है ?? उसने ऊँगली दिखते हुए इशारा किया और सवाली आँखों से उनसे पूछा की क्या हुआ है सर ?? अफसर ने भी शोकपूर्ण स्वर में जवाब दिया एक बच्ची ने आत्महत्या कर ली है ?? लेकिन क्यूँ सहसा उसके होंठ कंपकंपाते हुए पूछे,आँखों से अश्रु की अविरल धरा फूट पड़ी अफसर ने उसे समझते हुए कहा "वही पता लगाने हम सब आए है, वैसे आजकल के बच्चों की तो एक ही समस्या है, प्यार और क्या माँ बाप इतनी मेहनत से कमा कर पढ़ने भेजते है, ये लोग प्यार के उलझनों में फँस के अपना कितनी समय और करियर दोनों बर्बाद कर लेते।" कामयाबी के शिखर पर पहुंच कर अपने प्यार की चाहत करना गलत है क्या?? क्या धर्म जाती से परे दो प्यार करने वालो को मिलाया नहीं जा सकता है ?? उसने सवाली निगहाओं से पूछा, अफसर चुप्पी साधते हुए आगे बढ़ गए।

आरोही बहुत उदास थी, उसके आँसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे, अपने सवालों का पिटारा समेटे हुए वो अपने कमरे की तरफ आगे बढ़ रही थी की तभी उसके फ़ोन की घंटी बजी, माँ कैसी हो आप ? मैं तो ठीक हूँ बेटा अच्छा सुन तू अपने कुछ सुन्दर तस्वीरें भेज दे ताकि हम तेरे लिए बेहतर रिश्ता ढूंढ ले, आरोही ने बात काटे हुए बोला "पर माँ अभी तो मेरी पढ़ाई भी पूरी नहीं हुई है और आप शादी की बातें कर रही हो, अभी मुझे बहुत कुछ करना है माँ" माँ ने झल्लाहट भरे स्वर में कहा "हमे भी तो अपने जिम्मेवारियों से मुक्त होना है और पढ़ाई ही तो कर रही है, जल्दी से तेरा शादी ब्याह कर देंगे तभी तो हम भी निश्चिंत हो पाएंगे न," कहते हुए माँ ने फ़ोन रख दिया। आरोही अपने बिस्तर पर लेट कर सोचने लगी। 


“दोस्ती मोहब्बत में बदल गयी

मोहब्बत जरुरत बन गयी

जरुरत ज़िंदगी बन गयी

न उसकी खता रही

न मेरी खता रही

बस दिल के हाथों मजबूर हो गए”


सोचते सोचते कब उसकी आँख लग गयी पता ही नहीं चला, अचानक फ़ोन की घंटी बजी और सहसा वो क्रन्दित स्वर में बोल पड़ी,

"आरव माँ ने मुझसे शादी के लिए तस्वीरें मांगी है।" आरव ने प्यार से समझते हुए कहा "तो भेज दो न, इसमें इतना परेशान होने की क्या बात है आरोही" पर मैं, कहते हुए आरोही ठहर गयी। आरव ने उसे समझते हुए कहा "माँ बाप की सोच गलत हो सकती है पर उनकी नियत कभी गलत नहीं होगी। वो भी तुम्हारा भलाई ही चाहते है। और तुम चिंता मत करो किसी और से मैं तम्हारी शादी होने ही नहीं दूँगा, भगा के ले जाऊँगा अरे! पगली "दिलवाले दुल्हनिया लजाएंगे " आरव ने उसे छेड़ते हुए अपनी बात ख़तम की" आरोही ने कहा "चलो अब पढ़ाई करनी है, आरव ने भी उसका समर्थन करते हुए कहा "हां आरोही मैं पूरी कोशिश करूँगा की मैं हमारे बीच की इस जाति की दीवार को अपनी विद्वता से गिरा दूँ ताकि भविष्य में एक उदाहरण बन सकूँ...दोने ने अपनी पढ़ाई ख़त्म की, आरव भी थक कर सोने चला गया, पर आरोही की आँखों से तो मानो नींद गायब ही हो चुकी थी, उसके सवालों का जवाब उसे चाहिए था की आखिर क्यूँ उस लड़की ने आत्महत्या जैसी कदम उठाई ?? क्यूँ वो खुद को इतना कमजोर और अकेला समझ बैठी की उसने ये अपराध कर डाला...उसके माँ बाप पर क्या बीत रही होगी, सोचते हुए उसने ये फैसला किया की वो सुबह उसके माँ पापा से मिलेगी ,सुबह उठते ही आरोही सीधा उसके माँ पापा के पास गयी जो अपने जवान बेटी को खोने के ग़म में बिलकुल स्तब्ध थे, जुबान से एक शब्द नहीं निकल पा रहा था और आँखों से अश्रु की अविरल धारा लगातार प्रष्फुटित हो रही थी। 

आंटी संभालिये अपने आप को आप ऐसे कमजोर नहीं पर सकती है, सोनाली एक बहुत अच्छी और होनहार लड़की थी, पता नहीं उसने ऐसा कदम क्यूँ उठाया मुझे तो समझ नहीं आ रहा, एक बार उसे बात तो करनी चाहिए थी, अचानक आँखों के आँसू एक बहुत पुरानी सोच के क्रोध में बदलते हुए दिखाई दी, उसकी माँ चीख पड़ी "मैंने बोला था उसे, वो लड़का सही नहीं है तेरे लिए, हम तेरे लिए एक बहुत अच्छा रिश्ता ढूंढेंगे पर उसकी तो एक ही ज़िद थी नहीं मैं तो समर्थ से ही शादी करुँगी, अरे कितना समझाया उसे की वो लड़का अपने जाति का नहीं है तू क्यूँ अपना भविष्य बर्बाद कर रही है, लेकिन वो नहीं समझी जिसका नतीजा ये है" कहते हुए उसकी माँ बिलख बिलख कर रो पड़ी। आरोही समझ नहीं पा रही थी की वो क्या करे कैसे बोले ?उसने बड़े ही विनम्र स्वर में बोला "आंटी वो नहीं समझ रही थी तो आप ही समझ जाती, आप तो उससे बड़ी और समझदार हो न ,क्या हुआ अगर वो लड़का आपकी जाति का नहीं था, आपकी बेटी से सच्चा प्यार तो करता था न। क्या हुआ अगर वो आपकी बराबरी नहीं कर पाता आपकी बेटी को ख़ुश तो रखता न। एक बार सोच के तो देखिये ये जाति धर्म ये तमाम चीज़े हम इंसानों द्वारा ही बनाए गए है, इनसे ऊपर प्यार है जो एक इंसान अपने पालतू कुत्ते से करता है बिना उसका धर्म जाति जाने, तो फिर हम तो इंसान है। फिर हमारे बीच ऐसा प्रेम क्यूँ नहीं है" कहते हुए आरोही चुप हुई। उसकी माँ ने उसे धन्यवाद देते हुए कहा बेटा "आज तमने हमारी आँखों पर बंधे पट्टी को खोल दिया अब बस हम हर माँ बाप से यही अपील करेंगे की समाज से परे अपने बच्चों की ख़ुशियों के बारे में सोचे। उन्हें समझे और उन्हें सही मार्गदर्शन दे न की अपनी पुरानी रीतियों में उन्हे बंधने को विवश न करे।" आरोही ने उन्हें प्यार से गले लगाकर कहा की "मैं सोनाली की कमी तो पूरी नहीं कर सकती आपकी ज़िंदगी में पर मैं ये कोशिश करूंगी की कोई दूसरी सोनाली ऐसा कदम न उठाए।" कहते हुए आरोही ने वहाँ से अलविदा लिया। 

इस दुःख भरे लम्हे में भी आरोही के चेहरे पर मुस्कराहट की लहरें थी। शायद इसलिए की उसने एक बहुत ही बड़ा काम किया था। वो सोचते हुए आरव से मिलने जा रही थी की,


"दिल से बने रिश्तों का कोई नाम नहीं होता,

इनका कभी भी निरर्थक अंजाम नहीं होता,

अगर निभाने का ज़ज़्बा दोनों तरफ से हो,

तो ये पाक रिश्ता कभी बदनाम न होता "


आरव से मिलकर उसने चहकर कहा "जानते हो आज मैंने बहुत बड़ा काम किया है, मैंने उस लड़की की माँ को समझाया" आरव ने प्यार से कहा "अरे वाह तुम तो बड़ी समझदार हो गयी हो, अब तो तुम अपने माँ पापा को भी हमारे रिश्ते के लिए मना लोगी" आरोही फिर से ग़म के सराबोर में डूब गयी और सोचने लगी काश तुम्हारी बातें सच हो जाए आरव काश हम एक हो जाए और एक सुनहरे भविष्य की नीव रखे। 

समय पंख लगा कर अपनी उड़ान भर रहा था और वो भी दिन आ गया जब कॉलेज खत्म हो गया, आरव को एक बहुत अच्छी कंपनी में जॉब मिल गयी थी आरोही को भी एक औसत आय वाली नौकरी मिल ही गयी थी, दोनों कुछ दिनों के लिए अपने घर चले गए, आरोही जैसे ही घर पहुंची उसने देखा उसके घर कुछ अथिति बैठे हुए थे, उसने प्रश्न भरी निगहाओं से माँ की तरफ देखा और पूछा ये लोग कौन है माँ ??माँ ने बड़ी उत्सुकता से जवाब दिया तेरे होने वाले पति, बहुत अच्छी कंपनी में काम करते है, अपनी जाति के भी है और तुझे बहुत ख़ुश रखेंगे। 


आरोही के आँखों में आँसू आ गए उसने कहा "नहीं माँ मैं ये नहीं कर सकती । मुझे अभी समय चाहिए ...अभी तो मुझे नौकरी लगी ही है और तुम ये सब" अरे बेटा तुझे कमाने की क्या जरूरत है ?? तुम्हारे पति है न, वो इतना कमाते है की तुझे वो सब सोचने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी । जल्द ही वो विदेश जाने वाले है तो उससे पहले शादी करना चाहते है ताकि अपनी बीवी के साथ विदेश जा सके, बहुत ख़ुशनसीब है तू तेरे लिए इतना अच्छा रिश्ता आया है" कहते हुए माँ अपने कामों में उलझ गयी, आरोही ने आरव को फ़ोन कर सारी बातें बताई। आरव ने बस यही कहा तुम चिंता मत करो मैं कुछ सोचता हूँ तब तक तुम उनसे हमारे बारे में बात करो। आरोही ने हामी भरी और फ़ोन रख दिया। पेसोपेश में पड़ी आरोही ने अपनी माँ से बात करने की कोशिश की और बताया की वो आरव से प्यार करती है और उसी से शादी करना चाहती है। माँ ने उसे डाँट कर कहा "यही सब करने तुझे वहाँ भेजा था, और वो लड़का अपनी जाति का है ??" आरोही ने ना में सर हिलाया और कहा "पर माँ वो मेरे से बहुत प्यार करता है और मैं भी" माँ ने बात काटे हुए कहा "तेरे होने वाले पति भी तेरे से बहुत प्यार करेंगे और ये सब मत सोच जो हुआ उसे भूल कर अपने ज़िंदगी में आगे बढ़"आरोही ने अपनी माँ को समझते हुए कहा माँ ,


"जो बाँधने से बंधे,

और तोड़ने से टूट जाए,

उसका नाम बंधन है..

और जो अपने आप बंध जाए,

और कभी न टूटे वो प्यार है"


माँ ने गुस्से से चीखते हुए कहा "आरोही हम जो कर रहे वो तेरे भलाई के लिए कर रहे है, अब तू प्यार का भूत अपने सर से उतर और इस रिश्ते के लिए तैयार हो जा"आरोही चुप चाप वहाँ से चली गयी। 


वक्त ने फिर एक लम्बी उड़ान भरी और करीब एक साल बाद आज आरोही की सगाई थी, आरोही अपने कमरे, में हाथों में आरव की तस्वीरें पकड़े हुए अश्रुपूरित निगाहो से उसे देख रही थी। और बस यही कह रही थी "मुझे माफ़ कर दो आरव ...मैं बहुत मजबूर हूँ, हमारी मोहब्बत ने आज दम तोड़ दिया अनजाने में मुझसे कोई ग़लती हो गयी हो तो मुझे माफ़ करना" कहते हुए वो फूटफूट कर रो पड़ी, बार बार उसके दिमाग में ये ख्याल आ रहा था की आखिर क्यूँ सोनाली ने आत्महत्या किया, उसे समझ तो बहुत पहले ही आ गया था पर आज उस पर बीत रही थी..उसने उसकी माँ से वादा किया था की कोई दूसरी सोनाली उसके आसपास नहीं होगी और आज खुद वो इस मझधार में खड़ी थी, इससे ज़्यादा  बेबस उसने अपने आप को कभी नहीं पाया था, तभी एक आवाज कौंधी "आरोही बेटा जल्दी करो, लड़के वाले आ रहे है ..." बहुत ही बेमनं ढंग से वो आगे बढ़ी, उसके चेहरे से साफ़ झलक रहा था की वो इस रिश्ते से बिल्कुल ख़ुश नहीं है। 

पर करूँ भी तो क्या करूँ ?? अगर आत्महत्या करती हूँ तो आरव टूट जाएगा, घर परिवार समाज में माँ बाप की बदनामी होगी, उनके परवरिश पर लांछन लगाए जाएंगे और वो ऐसा बिल्कुल नहीं चाहती थी, ये तमाम बाते सोचते हुए आरोही आगे कदम तो बढ़ा रही थी पर वो आज भी वही आरव के साथ बहुत पीछे खड़ी थी, अपनी आँखों में उसकी दुल्हन बनने के सपने संजोय। 


अचानक एक लम्बी सी गाड़ी उसके दरवाज़े पर आकर रुकी "आरव " और "सोनाली की मम्मी "उसके दरवाज़े पर खड़े थे, आरोही कुछ समझ नहीं पायी की ये सब क्या हो रहा है ? कहीं आरव उसे भगाने तो नहीं आया है ?? और आंटी यहाँ कैसे ? इन तमान सवालो के उधेड़बुन में वो जाके उनके पैर छुई।सोनाली की मम्मी ने बोला "बेटा तुम्हारे मम्मी पापा कहा है ?" आरोही ने इशारा करते हुए ऊँगली दिखा दी, उसने आरव से पूछा

"आरव ये सब क्या हो रहा है, प्लीज मुझे ले चलो न मुझे नहीं करनी शादी, मैं सिर्फ तम्हारी हूँ न।" आरव ने बहुत ही प्यार से उसे बोला "आरोही तुम चिंता मत करो ...आरोही सिर्फ आरव की ही है, तुम बस थोड़ा इंतज़ार करो।" तभी सोनाली की मम्मी ने आरोही की मम्मी को बोला "बहनजी मैं सोनाली की मम्मी हूँ। जी आरोही ने बताया था सोनाली के बारे में उसने किसी लड़के की वजह से आत्महत्या कर ली। जान कर बहुत दुःख हुआ..अब आप ठीक है न, आरोही की मम्मी ने सांत्वना देते हुए उन्हें कहा "हां बहनजी मैं तो ठीक हूँ पर आप लोग वही ग़लती कर रहे है जो मैंने किया था और जिसकी वजह से मैंने अपनी एकलौती बेटी को खो दिया था"

मतलब ?? मैं कुछ समझी नहीं आरोही की मम्मी ने चौंककर पूछा ?

"बहनजी मैंने अपनी बेटी हमेशा के लिए खो दी है। क्या आप अपनी बेटी की ख़ुशियों को हमेशा के लिए खोना चाहती है ?? क्या आप की बेटी समाज से ज्यादा मायने रखती है ?? समय के साथ सब कुछ बदल गया है लेकिन हमलोगों ने अपनी सोच नहीं बदली, जब हम बच्चे को जन्म देते है तो पूरी उम्र उनकी सलामती की दुआ करते है और एक समय खुद उनकी ख़ुशियों के दुश्मन बन जाते है, हमे ये समझना पड़ेगा की प्यार, जाति, रंग, धर्म सब से परे है हमें अपने बच्चों की ख़ुशी देखनी चाहिए और अगर लड़का गलत होता तो मैं खुद आपको ये सब नहीं कहती बहनजी, आरव बहुत प्यार करता है आपकी बेटी से, अपने दिल में प्यार का समुन्दर समेटे दोनों ने हमेशा एक दूसरे का साथ दिया, एक दूसरे से निश्छल और पाक प्रेम किया, इनको दूर कर के हम लोग बहुत बड़ा अनर्थ कर देंगे, अपने आँखों से समाज और लोगो की पट्टी उतार कर देखिये, ये पाप मत करिये, आज आपकी बेटी आपके ख़ातिर इससे शादी तो कर लेगी लेकिन वो कभी ख़ुश नहीं रह पाएगी, वो अंदर ही अंदर घुटते रहेगी और भगवान न करे उसने सोनाली जैसा कदम उठा लिया तो ??"कहते हुए सोनाली की माँ के आँखों से आँसूओं की अविरल धारा फूट पड़ी। 


आरोही की माँ समझ रही थी या नहीं पता नहीं पर वो भी एकदम चुप चाप खड़ी रही, इस चुप्पी भरे माहौल को तोड़ते हुए आरव ने आरोही की माँ और पापा से कहा "मैं अपनी ज़िंदगी आरोही की ख़ुशियों के लिए आपके सामने गिरवी रखता हूँ "आपकी बेटी को बहुत ख़ुश रखूँगा, बहुत प्यार करूँगा। हम चाहते तो भाग भी सकते थे लेकिन हमने ऐसा नहीं किया क्योंकि हमारे लिए आपका आशीर्वाद मायने रखता है। हम आपको तकलीफ़ देकर एक सुखद भविष्य की नीव नहीं रख सकते थे, लेकिन फिर भी आपलोग को अगर ऐसा लगता है की मैं आरोही के लिए सही नहीं हूँ तो मैं यहाँ से चला जाऊँगा मैं बस यही चाहता की आरोही उम्रभर ख़ुश रहे" सभी कौतुहल भरी नज़रों से आरोही के मम्मी पापा को देख रहे थे। 

तभी एक आवाज़ ने सब का ध्यान अपने ओर खींचा, "तो देर किस बात की है ?"यहाँ आओ और आरोही को अपना बना लो बेटा, शायद इससे काबिल लड़का आरोही को मिल ही नहीं सकता," ये आवाज़ आरोही के पापा की थी, माँ ने भी हामी भरते हुए इस पाक रिश्ते को मंजूरी दे दी और दोनों को गले से लगा लिया एवं सोनाली की माँ का धन्यवाद करते हुए आरोही से बोली,

"चल अब जल्दी से आरव को अंगूठी पहना कर अपना बना ले", इस तरह दो प्यार करने वाले सदा के लिए एक दूसरे के हो गए और एक सुखद भविष्य के निर्माण में जुट गए, शादी के बाद आरोही ने समाज के कल्याण के लिए, उनकी रूढ़िवादी सोच को बदलने के लिए अनगिनत पुस्तकें लिख डाली, अब आरोही एक सफल लेखक बन चुकी थी और आरव भी एक मल्टीनेशनल कंपनी का बॉस बन चुका था, दोनों ने अपने प्यार को सफल कर दुनिया के सामने एक मिसाल कायम कर दी थी । 



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