अलग ही क्या है मुझमें और उसमें
अलग ही क्या है मुझमें और उसमें
और अलग है ही क्या, मुझमें और उस में ? बस यही न कि वो एक लड़की है और हम लड़के। बस यही न कि समाज में हमें देखने की जरूरत नहीं पड़ती और उन्हें लोग कुछ ज्यादा ही देखना पसंद करते हैं।
हम बेरोजगार से जोर से ठाह्का मार के हँसते हैं और वो सिर्फ लोल लिख देती हैं। बस यही न ? और अलग है ही क्या हम में।
हम sweet dreams good night लिखते हैं और वह GN लिखकर सो जाती है... और अलग है ही क्या मुझमें और उस में ?
वो एज अ फ्रेंड ही तो रहना चाहती हैं, इस से ज्यादा माँगा ही क्या है ? इडली सांभर भी बना लेती है वो, कहती है सब सीखा है माँ से। और हमारी रोटियां तक गोल नहीं बनती... और अलग है ही क्या हम में ?
शायद किसी डर से वह कहती है कि इस तरह अकेले घूमना अच्छा नहीं और हमें गर्व होता है उनके साथ हमें कोई देख ले अगर... और अलग ही क्या है मुझमें और उस में..
उसकी हॉबीज़ english debates और extempore हैं और हमें खेल के मैदान से कभी फुर्सत ही नहीं मिली... और अलग ही क्या है मुझमें और उस में...
बस वो मुझको जब देखती है, मैं उसको ही देखता रहता हूँ, और अलग ही क्या है मुझमें और उस में।
वह एक डॉक्टर है और हम एक इंजीनियर बस यही ना और अलग ही क्या है मुझमें और उसमें...
वह एक ब्राह्मण है और हम क्षत्रिय...और अलग ही क्या है मुझमें और उसमें...
जातिवाद सिर्फ आरक्षण का जन्मदाता ही नहीं,
इस ने दिलों को भी बहुत तोड़ा है..