अजनबी से हमसफ़र तक
अजनबी से हमसफ़र तक
आज जो कड़ियाँ अधूरी लग रही हैं, कुछ वक़्त बाद उनकी अधूरी कड़ियाँ आपस में जा मिलेंगी। जब आप सवाल नहीं करते हो सिर्फ चलते चले जाते हो तब आपको उन सवालों के जवाब भी मिल जाते हैं जिन सवालों को आपने कभी सिर्फ, बिना जवाबों का सवाल समझ कर नज़रअंदाज़ कर दिया हो। वक़्त का खुद को ताक़तवर दिखाने का शायद ये बेहतर तरीका है। खैर जो चीज खुद चलकर बिना माँगे आपके पास आती है वो सिर्फ और सिर्फ आपके हिस्से की ही होती है, ये भी कुछ ऐसी ही चीज़ थी। वो इन्हीं ख्यालों में डूबी थी कि.... शेष जारी

