इस बार हॉस्टल -डी.जी. से पी.जी.(पार्ट -1)
इस बार हॉस्टल -डी.जी. से पी.जी.(पार्ट -1)
आज से पहले कभी कानपुर आना नहीं हुआ था, हवाएँ नयी थीं असर तो होना ही था।
उस उम्र का जोश कुछ अलग ही होता है, ये बात अलग है की जोश के साथ साथ होश भी था।
मुझे कानपुर से पहली नज़र में ही प्यार हो गया था, entrance exam देने गयी थी लेकिन दिल ये जान चुका था कि मुझे यहाँ रहना है। इस शहर की हवा में मुझे अपनापन लगा। क्यों लगा इसका जवाब मेरे पास उस वक़्त मेरे पास भी नहीं था, लेकिन वक़्त के साथ मुझे इसका जवाब मिला कि क्यों लगा था।
आज से पहले दोस्ती को इतना ज़रूरी नहीं समझा था मैंने, आज ज़रूरी भी हो चुका था और ज़रूरत भी। खुशी इस बात की थी की ज़रूरत कम और ज़रूरी ज्यादा। अनसोशल सी लड़की सोशल हो गयी थी, काफी सोशल।
वहाँ का खाना मुझे किसी जेल के खाने से कम नहीं लगा था। मुझे याद है वो मंगलवार की सुबह जब उस नमकीन दलिया से सामना हुआ था, दिल ये सोच रहा था की कम से कम इससे शुरुआत ना ही हुई होती तो अच्छा होता। खैर आँख में आँसू आ गये थे उस सुबह, जाने वो घर छोड़ने के एहसास की वजह से था या उस दलिया की वजह से लेकिन ये बात साबित हो चुकी थी कि सही खाना ना मिलने का दर्द हर गम को बढ़ा देता है।
हर कहानी की तरह इस कहानी में भी सारे मसाले हैं, लेकिन उन मसालों में एक मसाला ऐसा था जिसकी खुशबु सबसे खतरनाक थी और वो मसाला था मिश्रा जी, यस मेरे इकलौते मिश्रा जी, मिश्रा जी बोले तो दिशा मिश्रा।
झगड़ा - झंझट पता नहीं क्यों हो जाता था उस मासूम मिश्रा जी के साथ। कुछ खास तरह की मासूमियत जो कम ही पायी जाती है। किस्से और भी हैं मिश्रा जी के खतरनाक लेकिन मजेदार किस्सों के।
अगला एक और मज़ेदार किरदार था पाठक जी। पाठक जी बोले तो प्रिया पाठक। उनका और पढ़ाई का दूर -दूर तक कोई रिश्ता नहीं था, उनका और पढ़ाई का वैसा ही आँकड़ा था जैसा 36 में तीन और छः का होता है, एक का मुँह राईट तो एक का लेफ्ट। जाने कौन सी मजबूरी उन्हें होस्टल खींच लायी थी, पी. जी. यानी की पोस्ट ग्रेजुएशन करने के और वो भी बायोटेक से। माइक्रोबायोलॉजी से पी. जी. यानी की पोस्ट ग्रेजुएशन करने के साथ -साथ मैं दो साल तक ये भी पता लगाती रही कि आखिर ये हुआ कैसे, क्यों और किन कठिन हालातों में।
वैसे तो इस कहानी में ऐसे बहुत से किरदार हैं जो काफ़ी काबिले तारीफ हैं, ऐसी ही एक काबिले तारीफ किरदार थीं अनु जिनकी पढ़ाई देखकर किसी को भी हार्ट अटैक आ सकता था और उस पढ़ाई की वजह से आया डार्क सर्कल देखकर डबल हार्ट अटैक।
कहानी अभी जारी है.......
