कबीर पंथ
कबीर पंथ


यूं तो बहुत लोगों ने दोहे लिखे हैं लेकिन मुझे कबीर के दोहे बहुत पसंद है। कबीर पढ़े-लिखे नहीं थे लेकिन जिंदगी के प्रति उनकी समझ बहुत गहरी थी। उनकी यह बात मुझे हमेशा आकर्षित करती रही कि, एक ऐसा व्यक्ति जो पढ़ा लिखा नहीं था फिर भी जीवन के प्रति उसकी इतनी गहरी और सूक्ष्म समझ, यह बताता है कि जिंदगी के प्रति गहरी समझ रखने के लिए आपका पढ़ा -लिखा होना जरूरी नहीं है। कई बार बहुत पढ़े -लिखे लोगों के पास भी जीवन की वह गहरी समझ नहीं होती। गहरी समझ रखने के लिए संवेदनशील होना जरूरी है, पढ़ा-लिखा होना नहीं। कबीर एक ऐसे व्यक्ति थे जो अनपढ़ ह
ोने के बावजूद भी गुरु थे, लोगों को ज्ञान देते थे , सही रास्ता दिखाते थे यह इतना आसान नहीं होता तब , जब आपके पास कलम रूपी हथियार ना हो। बेशक उनके पास लिखित अभिव्यक्ति की संपत्ति नहीं थी लेकिन मौखिक अभिव्यक्ति की संपत्ति बहुत बड़ी थी, और जो यह बताती है कि वह अति संवेदनशील थे और दूरदर्शी भी।
कबीर जी की बुद्धिजीविता असाधारण है। उनकी भाषा सधुक्कड़ी रही हो या पचमेल खिचड़ी मगर भाव अचूक है।
रूढ़िवादिता और अंधविश्वास पर उनके किए गए प्रहार की मैं हमेशा बहुत बड़ी समर्थक हूं।
मैं तो बचपन से ही कबीर पंथ पर हूं और आप?