ऐसी की तैसी !

ऐसी की तैसी !

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क्या बात है भैया , बड़े उदास दिख रहे हो , सब खैरियत ?

क्या बताऊं भाई , कुछ समझ में नहीं आ रहा हूं ,,,,,,, बच्चे का एडमिशन इंजीनियरिंग में करा तो दिया जैसे-तैसे लेकिन बाद के खर्चे भी इतने होंगे , पता न था । ऊपर से तुम्हारी भाभी की तबीयत खराब चल रही है ! डाॅक्टर ने भी तमाम जांचें लिख दी हैं - एमआरआई , ब्लड टेस्ट , डाॅक्टर की फीस मिला कर पंद्रह हजार हो गया और जतिन की इस टर्म की फीस भी देनी है सब मिलकर खर्चा पचहत्तर हजार है लेकिन मेरे पास तो केवल चालीस हजार ही है ,,,,, एफडी तुड़ाकर तो एडमिशन कराया था , गांव में कुछ भाई को भी अचानक भेजना पड़ा था ,,,,,, सो नियोजन करने के बाद सारा नियोजन लड़खड़ा गया।" यार , इतना सब करके भी जेब खाली की खाली ,,,,,, जैसे फटी हुई है , कुछ टिकता ही नहीं । दो घंटे रोज़ ओवर टाइम की सिलाई लगाता हूं फिर शाम के साढ़े सात बजे प्रदीपजी की दुकान के हिसाब-किताब की सिलाई करता हूं फिर भी यार , किसी न किसी तंगी से सिलाई उधड़ ही जाती है और जेब रह जाती है फटी की फटी।"

       हां भाई , यह तो है , मेरे साथ भी यही हो रहा है इस बार दिवाली पर बोनस मिला था वो वैसे का वैसे उधारी चुकाने में चला गया ,ऊपर से पत्नी उम्मीद लगाए बैठी है कि जो मंगलसूत्र टूट गया था , हल्का भी था तो और थोड़ा सोना मिला कर नया बनवाएगी ! अब कैसे बनेगा ? मैंने तो उसे कुछ बताया ही नहीं , हिम्मत ही नहीं हो रही है , त्योहार की खुशियों की मस्ती की जगह महाभारत का मजा मिलेगा ! यार किसी न किसी तरह दिनभर खटते हैं लेकिन जेब फिर भी खाली ,,,,,, जैसे फटी है और ऐसा लगता है - फटी ही रहेगी।"

"नहीं यार , ऐसे हथियार डालना तो कमजोरी की निशानी है ,,,, हम दोनों मिलकर कुछ करते हैं।"

" क्या ,,,,,,, ?"

"हम दोनों एम काॅम हैं ,,,, स्टूडेंट्स को भी जरूरत रहती है ,इधर-उधर क्लासेज़ तो जाते ही हैं क्यों न हम क्लासेज़ खोल दें ।शुरुआत तो हमारे स्टूडेंट्स से हो जाएगी , बाद में धीरे-धीरे माउथ पब्लिसिटी से बढ़ेगी ही ,,,,,,, क्या ख्याल है ? "

 "ख्याल तो अच्छा है लेकिन जगह ?"

 "उसकी चिंता मत कर ,,,,,, हरीश का गाला खाली पड़ा है उसे वैसे भी किराए पे देना है।"

  "पैसे ,,,,, ?"

 "इसके लिए लाॅन भी मिल जाएगा , मेरे अकेले की हिम्मत नहीं हो रही थी अगर तू साथ में आता है तो ,,,"

 "आता है तो का क्या मतलब ? समझो साथ में ही हूं।"

"फिर ठीक है ,,,,,,, शुभम् शीघ्रम् ! इस फटी जेब की भी ऐसी की तैसी , अबकी सिलाई ऐसी मजबूत होगी कि फटने नाम ही नहीं लेगी ,,,,,,, आ गले लग यार ,,,,,,, करते हैं मिलकर इस फटी जेब की सिलाई ।     

                                               

        


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