ऐसा तेरा प्यार है !

ऐसा तेरा प्यार है !

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सिया चिल्लाती हुई बोली तुम ही हो ना ! जो मेरी रोज साइकिल में एक गुलाब रख जाते हो और कभी कभी वह बेकार सा चार पांच लाइन का पत्र ! अगर अबकी बार तुमने ऐसा किया तो मैंं सीधे प्रिंसिपल के पास जाऊंगी। मैंंने तुम्हें आज रखते हुए नहीं देख लिया लिया होता तो मैंं समझ ही नहींं पाती कि कौन ऐसा कर रहा है? तुम जैसे लोग ही हर लड़की को बदनाम करते हो। देखो ! सिया मुझे तुम पसंद हो इसीलिए मैंं ऐसा करता हूं। तुम्हारे पास और कोई काम नहींं है क्या? यह सब बातें,जब कुछ बन जाओ तब करना। अभी पढ़़ाई की तरफ ध्यान दो और मुझे भी देने दो।

और कहती हुई या अपनी साइकिल उठा कर चली गई। पर कोई फर्क नहींं पड़ा। एक गुलाब उसकी साइकिल में रोज लगा ही मिलता। बस इतना होने लगा कि सिया और उसके परिवार वालो ने एक बार  शिकायत करके उसको 1 हफ्ते के लिए स्कूल से निकलवा दिया था। और बाद में सिया डर भी गई थी कहीं कुछ गलत ना हो जाए। पर समझ गयी रघु ऐसा नहींं था इसलिए वह निश्चिंत भी हो गई कि यह कुछ ऐसा नहींं करेगा। बस वह अपना गुलाब निकालकर और नीचे जमीन पर फेंक दिया करती थी और चली जाती थी अभी सिया बाँरवी की परीक्षा दे रही थी। और रघु भी। साल का आखिरी दिन था और आज उसकी साइकिल में गुलाब नहींं था। असमंजस की स्थिति में देखते हुए सोचने लगी कि आज क्यों नहींं ?

पर फिर भी साइकिल उठाई और चली गई पर पूरा दिन गुलाब की जो आदत लग गई थी इसलिए उसका मन हो रहा था कि क्या हुआ होगा ? और अब स्कूल जाने का भी कोई मतलब नहींं था उसके बाद उसने यह बात अपनी सहेली शमिता को भी बताई। पूरे साल महाराज देते रहे और आखिरी दिन गायब और यह हंसने लगी। तू हंस रही है मैंं कुछ और सोच रही हूं क्या पता उसकी तबीयत ठीक ना हो या कुछ हो तो नहींं है। उसके साथ इतना मत सोच। नहींं बस मन में एक बात आई तो सोचा तुझे बता दूं। तभी शमिता का तुरंत फोन आया सुन मैंंने पता करा है उसका एक्सीडेंट हुआ है और वह हॉस्पिटल में है तू चलेगी देखने। नहींं,नहींं मैंं नहींं,तुम सब हो कर आओ और मुझे आकर बताना। पर सिया परेशान रही। रिया ने आकर बताया अभी वह 20 दिन.अस्पताल में ही रहेगा। मैंं उसे बोल आई हूं कि अगर सिया से शादी करनी है कुछ बन जाना होगा क्योंकि सिया भी पढ़़ाई के लिए बहुत गंभीर है। उससे पहले कुछ नहींं हो सकता। क्या.जरूरत थी तुझे कहने की ? अरे इतना बुरा नहीं है वो तु जानती है कही ना कही तू पसंद करती है उसे। उसने कुछ गलत तो नहीं किया तेरे साथ। फिर उसने क्या कहा ?सिया ने पूछा। कुछ नहींं चुप था। अच्छा सुन अब मेरा भी एक महीने के बाद तुझसे मैंं मिलुंगी एक-दो दिन के लिए आऊंगी शहर में मेडिकल की कोचिंग के लिए जा रही हूं।फोन रोज होगा हमारा।वादा,हाँ वादा।

 कोचिंग के लिए वह चली गई,पंद्रह दिन के बाद रघु को वहां देखकर आश्चर्यचकित रह गए तुम यहां तुम्हें तो एक महीने बाद छुट्टी मिलने वाली थी ना ! रघु चुप था हाँ ! सही हो गया हूँ शहर के आस पास बस ये ही सबसे अच्छा कोचिंग है मडिकल के लिए। तुम्हारे पीछे नहीं आया हूँ। पहले ही एडमिशन ले लिया था।और रघु यह कहकर चला गया अब सिया रघु से बात करना भी चाहती तो रघु उसे नजरअंदाज कर देता। हर टेस्ट में रघु के बहुत अच्छे नंबर आ रहे थे। सिया काफी प्रभावित हो रही थी। रघु का मेडिकल मे नम्बर आ गया था पर सिया का नहीं। सिया रोए जा रही थी।  सिया के घर आया मिलने उसके मम्मी पापा से मिला और रघु ने सिया से कहा जिंदगी नहीं खत्म हो गयी जो रो रही हो।अगले साल फिर आ जायेगा।

रघु ने उसके बाद फोन नहीं किया ना मिलने आया। पर सिया को रघु का समझाना बार बार याद आ रहा था। शायद वो पसंद करने लगी थी। रघु उसे थोडा डाटते हुए एक हक से समझा रहा था।

रोज कोचिंग भी दिखते थे तो आदत हो गयी थी। पर अब सिया की बैचेनी बढ़ गयी थी, जब रघु ने जाने के बाद कुछ बात नहीं की,जैसे भूल गया हो ! मन मे ख्याल आता अब नये दोस्त बने होगें। मेरे से दोस्ती भी तो नहीं थी, फिर मैं क्यूँ सोचे जा रही हूँ। हैलो ! शमिता क्या कर रही है ? कुछ नहीं सिया कल से इंजीनियरिंग की क्लास शुरू। शमिता रघु का कुछ फोन आया क्या?ओ हो! मिस कर रही है क्या?सिया तुझे प्यार तो नहीं हुआ ?शमिता हँस दी। नहीं रे ! जाके कुछ पता नहीं चला सोचा पूछुँ। 

वैसे भी सिया अब तो उसने जिंदगी का साथी चुन भी लिया होगा अब तो डाक्टर ही चाहिए होगी। तुने तो वैसे भी दोस्ती की ही नहीं,ठुकराया था उसका प्रपोजल।भूल जा सिया वो बचपना था उसका।  

शमिता ने फोन रख दिया पर सिया रघु के बारे मे ही सोचती रही। अगले दिन रघु को डरते डरते घर के फोन से मिलाया यही नम्बर नहीं था उसके पास। सोचा, आवाज सुन कर फोन काट दूँगी। ऐसा ही किया रघु फोन उठाता तो काट देती। बार बार ऐसा होने पर रघु ने मोबाइल पर फोन मिलाया। हैलो ! सिया... मैं जानता हूँ ये तुम हो जो बार बार मुझे फोन करके परेशान कर रही हो। कुछ कहना है क्या?सिया कुछ नहीं बोली रघु के पहचान लेने पर सहम गयी। और फोन रख दिया। फिर सो नहीं पाई ना पढ़ने मे मननहीं लग रहा था। शमिता समझा कर थक गयी थी। साल खराब हो जायेगा पढ़ाई कर पर सिया का मन नहीं लगता। एक दिन हिम्मत करके रघु को फोन पर बोल दिया। मैं तुम्हे पसंद करने लगी हूँ रघु। रघु का गुस्से से भरी आवाज सुनाई दी जो उसने सोची ही नहीं थी। पागल हो गयी हो सिया! मुझे तुम मे कोई दिलचस्पी नहीं। पर वो गुलाब और पत्र सिया ने जल्दी से बोला। वो बचपना था अब समझदारी आ गयी है। पढ़ो ठीक से,जो अपने पैरो पर खडी हो सको। आइन्दा फोन मत करना। पढ़कर कुछ बन कर दिखाओ तब आना, शायद सोचुगाँ तब।  

बहुत रोई थी सिया। शमिता भी घर आ के समझा जाती। वो इंजीनियरिंग उसी शहर से कर रही थी। बस सिया इतनी बेइज्जती की रघु ने और तु उसके लिए पढ़ाई भूल गयी। उसे डाक्टर बन के दिखा। तब उसे अहसास होगा। क्या किया उसने? बस आँसु पूछते हुऐ, सिया उठ कर बैठ गयी। हाँ शमिता उसके कारण मैं अपना भविष्य दाँव पर नहीं लगा सकती। वो डाक्टर बन गया मुझे भी दिखाना है। और सिया की मेहनत सफल हुई। मेडिकल मे एडमिशन हो गया। मम्मी पापा के सामने सिया खुशी से उछल रही थी। तभी रघु और शमिता आये। तो मिस्टर रघु तुम्हे लगा,मैं नहीं आँउगी मेडिकल में,देखो ! मैं भी डाक्टर बनुँगी।शमिता,रघु उसके मम्मी, पापा हँस रहे थे। सिया की मम्मी ने कहा। कुछ योगदान तो तुम्हारे आने मे रघु भी है। शमिता.,रघु और उसके माता पिता आये थे एक दिन कोचिंग से जाने से पहले। और रघु ने माफी माँगी थी गुलाब वाली बात पर। और रघु के माता पिता ने रघु की तुमसे शादी की इच्छा बताई। परिवार अच्छा था तो तय हुआ की अगर रघु मेडिकल मे आता है तब हम, सिया से पूछ कर रिश्ता कर देगें। रघु के मेडिकल मे आने पर शमिता ने बताया की तुम शायद रघु को पसंद करने लगी हो और पढ़ नहीं रही मन लगा के। तब रघु ने फोन से हमे कहा वो जब तक वो नहीं बताएगा मा मिलेगा जब तक सिया मेडिकल मे नहीं आती। और रघु बोला वो मेरा डाटना फोन पर नाटक था ताकी तुम पढ़ाई मे मन लगा सको। और पढ़ाई के लिए हौसले का काम और मेरे लिए तुम्हे उकसाने का काम शमिता ने किया। मुझे दिखाने के लिए ही सही तुम पढ़ो। 

शमिता की बच्ची नाटक था रघु के साथ, मेरी हर खबर दे रही थी रघु को। शमिता के कान पकड़ते हुए सिया ने कहा। ओ हो ! सिया तुम्हारी सहेली हूँ तुम् दोनो के मिलने से मैंं बहुत खुश हुँ। पर तुम दोनो की प्यार की हथकडियाँ मेडिकल पूरा होने के बाद लगेगी अभी नहीं, और रघु की मम्मी ने सिया को गले लगाते हुए कहा।रघु और सिया मुस्कुरा रहे थे। जन्म जन्म के बंधन में बधने वाले थे।


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