Renuka Chugh Middha

Inspirational

5.0  

Renuka Chugh Middha

Inspirational

अधूरी आस

अधूरी आस

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"अरे आ रही हूँ, बस निकल रही हूँ, बस दस मिनट और..यार अरे नहीं, कहा ना और लेट नहीं करूँगी। अच्छा तू फ़ोन रखेगी तभी आऊँगी, अरे नहीं होंगे लेट .. चल बाय।" कह कर कायरा ने फ़ोन रखा और फटाफट रेडी होने लगी, आज तीज की पार्टी में होटल में जाना था। जल्दी से रेडी हो कायरा ने कैब बुक की -भईया थोड़ा जल्दी चलो पहले ही लेट हो रही हूँ।

बाहर गाड़ियों की लम्बी लाइन, उफ्फ अब तो और देर हो जायेगी और विनी तो मुझे मार ही डालेगी। ड्राईवर भईया किसी और रोड से ले चलो, उसने कहा कि मैडम हर रोड पर ही बहुत भीड़ है। आप चिन्ता ना करो जी जल्दी पहुँचा दूँगा। तभी ड्राइवर को कोई फ़ोन आया लगा कि अभी रो देंगे कि कहीं से भी पैसे का इन्तज़ाम नहीं हो रहा अब तो उन्हें यही टैक्सी बेचनी पड़ेगी और मज़दूरी करनी पड़ेगी। कायरा ने पूछा "भईया सब ठीक है ?" तो दुखी मन से बताने लगे कि वो बहुत अमीर हुआ करते थे, बच्चे बाहर विदेशों में है और हमें पूछते नहीं जिनके लिये हमने पूरी ज़िन्दगी और पैसा लगाया आज वही बच्चे हमें पहचानते नहीं। उन्हीं के क़र्ज़े उतारते -उतारते आज ये नौबत आ गई कि मैं टैक्सी चला रहा हूँ। अब इसे भी बेचना पड़ेगा। कहते -कहते बहुत दुखी मन से चुप हो गये।

तभी कायरा के मुँह से अचानक निकल गया कि “ कोई बात नहीं “ भईया जी आप चिन्ता ना करो “रब “सब कुछ ठीक कर देगा। और आप ये टैक्सी नहीं बेचो। रब करेगा आपका क़र्ज़ा बहुत जल्दी उतर जायेगा और बुरे दिन जल्दी ख़त्म हो जायेंगे । रात के बाद दिन आता है ना तो रब जी आपके भी सारे अच्छे दिन वापिस ज़रूर लायेंगे। मुझे पूरा यक़ीन है।" कायरा का इतना कहना था कि उन सरदार जी, एकदम भावुक होकर कहने लगे कि "तुसी मेरे वास्ते रब बन के आये हो। आपने मुझे जो तसल्ली दी है आपके शब्दों ने मुझ में फिर से जीवन की आस पैदा कर दी है जी। मेरा तो रब जी से भरोसा ही उठ गया था लेकिन आपकी तसल्ली ने फिर से रब जी में विश्वास जगा दिया है जी। आज मैं बहुत ज़्यादा निराश हो गया था और सोच लिया था खुद को मौत के हवाले कर दूँगा लेकिन आपने मेरा हौसला बढ़ाया है उसको मैं सारी ज़िन्दगी नहीं भूलूँगा।" और उन्होंने कायरा को ढेरों आशीर्वाद उस पल में दे दिये। ये सच है सबकी ज़िन्दगी में, कोई ना कोई अधूरी प्यास होती है। और जब हमें ज़िन्दगी में कोई राह नहीं सुझाई देती पूर्णतया हम निराश होते है तब आशा के दो बोल ही, निराशा से तपते मरुस्थल में जीवन का संचार कर मन को दुख रूपी बवंडर से निकाल मन की प्यास बुझा कर तृप्त कर आत्मा को सुकून देते है ।कायरा की कोशिश से किसी सूनी आँखो में जीवन की प्यास तो जागृत हुई।


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